सप्ताह भर सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में चाण्क्य की नीति बताई गई, संत ज्ञानेश्वर, विदेशी दार्शनिक सुकरात, जवाहर लाल नेहरू के विचार बताए गए जिसके बाद वन्दनवार में नए पुराने भजन सुनवाए गए। शुक्रवार को संतोषी माता का नया भजन अच्छा लगा।
हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा। शुक्रवार को सुनवाया गया देशगान बहुत पुराना लगा। हम फिर एक बार अनुरोध कर रहे है कि इन देशगानों के कृपया विवरण बताए।
7 बजे का भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम तो दिन पर दिन निखरता जा रहा है। एक ओर तो समय की गर्त से निकाल कर ऐसे अनमोल गीत सुनवाए जा रहे है जो कभी बार-बार सुनवाए जाते थे पर अब समय के साथ-साथ भूलने से लगे थे जैसे फ़िल्म अनमोल घड़ी से नूरजहाँ का गीत -
जवाँ है मुहब्बत हसीं है समाँ
तो कभी ऐसे गाने सुनवाए गए जो शायद ही कभी सुने गए हो जैसे बाबुल और दर्द फ़िल्म के वैसे तो शमशाद बेगम और उमादेवी के गाए लोकप्रिय गाने सुनते ही रहते है पर इन फ़िल्मों के शमशाद बेगम और उमादेवी के गाए ऐसे गीत भी सुनवाए गए जो पहले शायद ही कभी सुनवाए गए हो। हम नाम तो नहीं जानते इस कार्यक्रम के लिए गीतों का चयन करने वाले अधिकारी का पर हम उन्हें धन्यवाद देना चाहेंगे।
साथ ही महेन्द्र मोदी जी से हम यह अनुरोध करना चाहते है कि अगर हर कार्यक्रम के अंत में गीतों का चयन करने वाले अधिकारी का नाम बता सके तो अच्छा रहेगा।
7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला मेरी संगीत यात्रा जारी रही जिसके अंतर्गत प्रसिद्ध वायलन वादिका विदुशी एम राजम से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत चल रही है। इस सप्ताह बताया कि गायक ओंकार नाथ ठाकुर उनके गुरू रहे और गायन और वादन में भी गुरू शिष्य का कैसा संबंध होता है, यह समझाया गया। यह भी जानकारी मिली कि बनारस में वायलन सीखने बहुत से विद्यार्थी आते थे। धुपद, कजरी सुनाई गई और ठुमरी पर भी चर्चा चली। विभिन्न लोकप्रिय ठुमरियों के आरंभिक अंश वायलन पर बजा कर सुनाए गए साथ में लोकप्रिय भजन भी - पायो जी मैनें रामरतन धन पायो। यहाँ हम कहना चाहेगें कि अच्छा होता अगर सुमित्रा लाहिरी की गाई फ़िल्म स्वामी से यह ठुमरी सुनवाई जाती -
का करूँ सजनी आए न बालम
इसका पुरूष संस्करण यसुदास ने गाया है। ख्यात गायिका सुमित्रा लाहिरी के गाए महिला संस्करण को प्रीति गांगुली पर फ़िल्माए जाने से देखने में यह कामेडी है पर सुनने में शास्त्रीयता का पुट लिए अच्छी ठुमरी है जिसे रेडियो से बहुत पहले एकाध बार ही सुना था।
7:45 को त्रिवेणी में को सफ़ाई की, प्रतिस्पर्धा की बातें हुई तो जीवन को पानी धारा की तरह माना, बदलती डाक व्यवस्था की चर्चा हुई और इससे जुड़े नए गाने सुनवाए गए।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शुक्रवार को आए अमरकान्त जी राजेश खन्ना की फ़िल्में लेकर जैसे अलग-अलग, प्रेम कहानी, अनुरोध, कटी पतंग, राजा रानी, दो रास्ते, दाग़। शनिवार को रेणु (बंसल) जी लेकर आईं नई फ़िल्में फ़िज़ा, राजा हिन्दुस्तानी, हम दिल दे चुके सनम, शरारत, धड़कन, फ़ना, प्यार तो होना ही था। रविवार की फ़िल्में रही आमने सामने, अनाड़ी, दूर गगन की छाँव में, राजकुमार, सूरज, भूत बंगला। सोमवार को अशोक जी ले आए नाइट इन लन्दन, प्यार किया तो डरना क्या, उम्मीद, जैसी पुरानी लोकप्रिय फ़िल्मों जिनमें से श्रोताओं ने रफ़ी साहब के गाए गीतों के लिए संदेश भेजें। मंगलवार को कमल (शर्मा) जी ले आए श्री 420, मदर इंडिया, तलाश, मेरा गाँव मेरा देश, हिमालय की गोद में, जीने की राह, नदिया के पार, मधुमति जैसी लोकप्रिय फ़िल्मे और श्रोताओं ने इन फ़िल्मों के धूम-धड़ाके वाले गानों के लिए संदेश भेजें जैसे नदिया के पार का फागुन का गीत - जोगी जी हाँ। बुधवार को अमरकान्त जी लाए लोकप्रिय फ़िल्में हमजोली, दीवार, हीरा पन्ना, सुहाग, महबूबा। गुरूवार को रेणु (बंसल) जी लाईं फ़िल्में - मेरे अपने, पूजा के फूल, असली नकली, ये रास्ते है प्यार के।
राजा रानी फ़िल्म का यह गीत बहुत दिन बाद सुन कर अच्छा लगा -
मैं एक चोर तू मेरी रानी
तू मेरा राजा मैं तेरी रानी
1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में कैसी ये दीवानगी एलबम का यह धीमा-धीमा सा गीत म्यूज़िक मसाला के मिज़ाज़ का नहीं लगा -
कैसी ये दीवानगी सी इस दिल पे छाने लगी है
वो शोख़ चंचल सी लड़की फिर याद आने लगी है
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे पत्थर के सनम फ़िल्म का मुकेश और लता जी का गाया यह गीत्त -
महबूब मेरे तू है तो दुनिया कितनी हसीन है
जो तू नहीं तो कुछ भी नहीं है
बाबुल फ़िल्म का सोनू निगम का गाया गीत -
जब दुआ मैनें रब से मांगी तब तू मिला
बाँट लेगें मिल कर साथी शिकवा हो या गिला
वादा रहा प्यार का
सोमवार को हरी मटर की मठरी बनाना बताया गया। हम इसे बहुत बनाते है, थोड़ा सा अलग तरीका भी है जैसे गरम पानी की ज़रूरत नहीं है, इस पेस्ट को हल्के हाथ बेसन लगा कर हाथ से थोड़ा लम्बाकार लोई बना ले, इस तरह कोफ़्तों की तरह तल कर भी खाया जा सकता है। मंगलवार को निजी प्रबन्धन - पर्सनल मैनेजमेन्ट में डिप्लोमा बारे में जानकारी दी गई। संस्थानों के नाम भी बताए गए। साथ ही परीक्षा का तनाव कम करने के सुझाव भी दिए गए और तारे ज़मीन पर फ़िल्म का गीत भी सुनवाए गीतों में शामिल रहा। बुधवार को सर्दियों में केला खाने की सलाह दी गई पर एक खास बात नहीं बताई गई कि केला मधुमेह के रोगियों के लिए ज़हर है। सौन्दर्य के लिए केले को मसल कर चेहरे पर लगाने की सलाह दी गई। मुहाँसे निकलने पर सफ़ाई की आवश्यकता की सलाह दी और घरेलु उपाय बताए जैसे पुदीना लगाना।
शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में लोकप्रिय सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे लाट साहब फ़िल्म का रफ़ी साहब और साथियों का गाया यह गीत -
सवेरे वाली गाड़ी से चले जाएगें
कुछ लेके जाएगें कुछ देके जाएगें
3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में मूल बंगला नाटक का सुशील गुप्ता द्वारा किया हिन्दी रूपान्तर सुना - कलिका जिसके निर्देशक है दीनानाथ। खेल जगत में तैराकी और उसमें भी महिला तैराक की बात कहता अच्छा लगा यह नाटक साथ ही रिकार्ड बनाने की जद्दोजहद भी इस नाटक में रही।
शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में एक अच्छी नई श्रृंखला शुरू हुई खगोल विज्ञान जिसमें आसमान की बातें हो रही है, सितारों की दशा और दिशा बताई जा रही है, अच्छा है, समाज में फैले कई भ्रम इससे दूर होगें। इस शुरूवात के लिए युनूस जी आपको बधाई। इसके अलावा खेल जगत के समाचार रहे। किताबों की दुनिया में गिरिराज किशोर के नए उपन्यास पर चर्चा अच्छी रही।
पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में बाइस्कोप की बातें कार्यक्रम में लोकेन्द्र (शर्मा) जी ने की फ़िल्म अमानुष की चर्चा। हमेशा की तरह पर्दे के पीछे की बातों के साथ बेहतरीन चर्चा।
सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में स्त्री रोग विशेषज्ञ डा लता दांडेकर से मासिक धर्म के बारे में रेणु (बंसल) जी ने बातचीत की। इसके बारे में विस्तार से चर्चा हुई। मासिक धर्म क्या होता है, मासिक चक्र क्या होता है, इसके शुरू होने से लेकर समाप्त होने तक आने वाली समस्याओं के बारें में भी बताया, संतान होने और न होने से इसके संबंध की भी चर्चा की गई, इससे शरीर में होने वाले बदलाव पर भी बात हुई, साथ में यह भी बताया कि ज़िन्दगी में प्रयोग करने का शौक रखने वाली लड़कियाँ जिस तरह फ्रीसेक्स की ओर बढ रही है उनके लिए यह ठीक नहीं है, अच्छा लगा यह भी बताना क्योंकि समाज में किसी की बात तो यह लड़कियाँ मानती नहीं, कम से कम डाक्टर की सलाह तो मानेगी। समूची स्त्री जाति के लिए उपयोगी रही यह बातचीत, रेणु जी ने अपने प्रश्नों में सारी बातों को समेट लिया, मुझे नहीं लगता है कि कोई बात छूटी हो। हमारा अनुरोध है कि इसका फिर से प्रसारण कीजिए और सखि-सहेली कार्यक्रम में भी प्रसारित कीजिए। बुधवार को अभिनेता इरफ़ान ख़ान से बातचीत प्रसारित हुई। करिअर की व्यवस्थित शुरूवात और आगे बढने की यात्रा बताई गई।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई रिलीज़ हो चुकी फ़िल्मों के गीत भी सुनवाए गीतों में शामिल रहे।
7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया गायिका मधुश्री ने। जैसे कि उम्मीद की जा रही थी शुरूवात कि इसी गीत से - कभी नीम नीम कभी शहद शहद। अपने के बारे में बताया, ए आर रहमान के सहयोग की चर्चा हुई, करिअर के अनुभव बताए और गीत भी सुनवाए।
7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में आसा सिंह मस्तान का पंजाबी लोकगीत सुन कर बहुत आनन्द आया। बृज का लोकगीत भी अच्छा ही था भाव वही थे, चुनरिया का लहराना और सौतन से दूरी रखने का अनुरोध। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और महेन्द्र मोदी जी। इस बार भी तारिफ़ें और शिकायतें थी। आजकल यह अच्छी बात हो रही है कि डाक पते के साथ ई-मेल पता भी बताया जाता है जिससे सभी को पत्र लिखना आसान हो रहा है। मंगलवार को क़व्वालियाँ सुनवाई गई। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में धारावाहिकों और फ़िल्म अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा से रेणु (बंसल) जी की बातचीत की प्रसारित हुई। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।
8 बजे हवामहल में सुनी नाटिका सैलाब के बाद (रचना अविनाश निर्देशक लोकेन्द्र शर्मा) इसके बाद डा शंकर शेष का लिखा धारावाहिक नाटक शुरू हो गया नई सभ्यता नए नमूने जिसके निर्देशक है अनूप सेठ
9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई। खास रहे मिर्ज़ा ग़ालिब और मीर तकी मीर के कलाम जिन्हें रफ़ी साहब और खासकर बेगम अख़्तर की आवाज़ में सुनना अच्छा लगा।
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में पारस, सूरज, बेताब, रास्ते प्यार के जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए। सूरज फ़िल्म का शारदा की आवाज़ में तितली उड़ी गीत बहुत दिन बाद सुनना बहुत-बहुत अच्छा लगा।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में निर्माता निर्देशक जे ओमप्रकाश से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनी। राकेश रोशन से अपने आत्मीय संबंधों के बारे में चर्चा की साथ ही ॠतिक रोशन की भी चर्चा चली और इस बहाने नए सभी नायकों के काम और उनकी मेहनत को सराहा गया।
10 बजे छाया गीत वही पुराने ढर्रे पर चलता रहा, राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी नए गीत सुनवाते रहे, निम्मी जी भूले बिसरे गीत सुनवाती रही, चाँद तारों की बाते होती रही, युनूस जी कम सुने अनमोल गीत लेकर आए जिसमें से पहला गीत जो अमर ज्योति का था - कल्पना के घन - पहले अक्सर भूले बिसरे गीत में सुना करते थे।
सबसे नए तीन पन्ने :
Friday, February 13, 2009
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