सप्ताह भर सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में वेदों के कथन, जवाहर लाल नेहरू और साहित्यकारों जैसे रवीन्द्रनाथ टैगोर के विचार बताए गए जिसके बाद वन्दनवार में नए पुराने भजन सुनवाए गए। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा, कभी-कभार विवरण भी बताया गया।
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। कुछ लोकप्रिय गीतों के साथ ऐसे गीत सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए।
7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला मेरी संगीत यात्रा समाप्त हुई जिसके अंतर्गत प्रसिद्ध वायलन वादिका विदुशी एम राजम से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत चल रही थी। इस सप्ताह का आकर्षण जुगलबन्दी की चर्चा रही जो राजम जी ने कई बार उस्ताद बिस्मिला खाँ के साथ प्रस्तुत की। प्राप्त सम्मान पद्म श्री, पद्म विभूषण की भी चर्चा हुई। एक ख़ास बात बताई कि अपनी संगीत यात्रा में उन्होनें कोई नया राग नहीं बनाया क्योंकि इतने राग है कि इस महासागर में एक डुबकी लेना ही पर्याप्त है। बहुत आदर्श संगीत यात्रा है।
एक नई श्रृंखला शुरू हुई - ठुमक चली ठुमरी। मौसम का असर है। फागुन में अच्छा लगता है ठुमरी सुनना। प्रदीप (शिंदे) जी के तकनीकी सहयोग और वीणा (राय सिंघानी) जी के सहयोग से कांचन (प्रकाश संगीत) जी की इस श्रृंखला में आमंत्रित कलाकार है माधुरी ओक और शरद सुतवड़े (शायद नाम लिखने में ग़लती हो) शोध और आलेख विश्वनाथ ओक जी का है। पहली ही कड़ी में ज़ोरदार फ़िल्मी ठुमरी सुनवाई गई, फ़िल्म बुढ्ढा मिल गया से -
आयो कहाँ से घनश्याम
रैना बिताई किस धाम
चर्चा में बताया गया कि ठुमरी में संगीत के साथ-साथ भावों का भी महत्व होने से यह ध्रुपद, ख़्याल और टप्पा गायन से अच्छी मानी जाती है।
विभिन्न ठुमरियाँ गाकर सुनवाई गई जैसे फ़िल्म उड़नखटोला की ठुमरी -
मोरे सैंय्या जी उतरेंगे पार हो नदिया धीरे बहो
बहुत ख़ूब कांचन जी !
7:45 को त्रिवेणी में शुक्रवार का विषय थोड़ा हट के रहा, चर्चा चली पड़ोसी की, आलेख और प्रस्तुति दोनों अच्छे रहे, गाने ठीक ही रहे, कुछ और अधिक उचित गीत सुनवाए जा सकते थे। जीवन के अँधेरों की भी बात हुई और संबंधित गीत सुनवाए गए जैसे महेन्द्र कपूर का गाया यह गीत -
अँधेरे में जो बैठे है नज़र उन पर भी कुछ डालो
अरे ओ रोशनी वालों
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शुक्रवार को आए युनूस जी, फ़िल्में रही जोधा अकबर, मैं प्रेम की दीवामी, धूम 2 जैसी नई फ़िल्में। सोमवार को मंजू (द्विवेदी) जी ले आई फ़िल्में मेरा नाम जोकर, चुपके-चुपके, ज्वैल थीफ़। मंगलवार को पधारी रेणु (बंसल) जी फ़िल्में रही आँखें, आप आए बहार आई, आया सावन झूम के, तुम सा नहीं देखा, दो रास्ते जैसी लोकप्रिय फ़िल्मे। बुधवार को अमरकान्त जी लाए लोकप्रिय फ़िल्में हरजाई, अनुराग, बंधन, राजपूत, बनारसी बाबू। गुरूवार की फ़िल्में रही प्रोफ़ेसर, इश्क पर ज़ोर नहीं, एक मुसाफ़िर एक हसीना
1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में जावेद अख़्तर का लिखा और राजू सिंह का स्वरबद्ध किया अलका याज्ञिक और हरिहरन का यह गीत बहुत अच्छा लगा, म्यूज़िक (संगीत) तो है इसमें पर मसाला नहीं -
जब हाथ से शीशे छूटे थे जब दिल के रिश्ते टूते थे
जब टूटी थी अफ़सानों की कड़ी मेरे दिल में अब तक है वो कड़ी
मेरी यादों में अब तक है वो घड़ी
कुछ मैनें कहा कुछ तुमने कहा फिर आवाज़ों में ज़हर घुला
मेरी यादों में अब तक है वो घड़ी
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में मिले-जुले गीत सुनवाए गए, साठ सत्तर के दशक के गीत भी और नई फ़िल्मों के गीत भी।
3 बजे सखि सहेली में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। कार्यक्रम में आवाज़ भी बदली और अंदाज़ भी बदला। विभिन्न क्षेत्रों से विभिन्न स्तर की महिलाओं के फोन काल आए जैसे छात्राएँ, कामकाजी जैसे खेतों में काम करने वाली महिलाएँ। उनकी फ़रमाइश पर नए पुराने गाने सुनवाए गए जैसे लड़कियों ने नए गानों की फ़रमाइश की और महिलाओं ने कुछ पुरानी फ़िल्मों के गाने जैसे हिना और नई फ़िल्मों के भारतीय संस्कृति से जुड़े गीत जैसे विवाह फ़िल्म का गीत। बातें भी विस्तार से हुई।
सोमवार को पनीर की खीर बनाना बताया गया जो अच्छा लगा। मंगलवार को करिअर संबंधी जानकारी में खाद्य प्रसंस्करण (फूड टेक्नाँलाजी) में एम एस सी के बारे में जानकारी दी गई। संस्थानों के नाम भी बताए गए। इस काम के बारे में भी जानकारी दी गई और युवा वर्ग के पसंदीदा नए गाने सुनवाए गए। बुधवार को स्वास्थ्य और सौन्दर्य में तनाव रहित रहने की सलाह दी गई और कुछ पुराने नुस्क़े बताए गए। सामान्य जानकारी में मूलभूत अधिकारों जैसे स्वास्थ्य, पौष्टिक आहार आदि की जानकारी दी।
शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में दुनिया देखो स्तम्भ में शिवाजी जयन्ती के अवसर पर महाराष्ट्र के शिवाजी के क़िलों की चर्चा चली। तबला वादक ज़ाकिर हुसैन के बारे में बताया गया। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश की सूचना भी दी गई।
पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में आज के मेहमान कार्यक्रम प्रसारित हुआ जिसमें कानून विशेषज्ञ वसुंधरा देशपाण्डे से बातचीत प्रसारित हुई जिसे सखि-सहेली कार्यक्रम में पहले ही प्रसारित किया जा चुका है।
सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में दंत चिकित्सक डा जिगर छेड़ा से निम्मी (मिश्रा) जी की दाँतों की देखभाल पर बात हुई। विस्तृत जानकारी मिली। बुधवार को हमारे मेहमान कार्यक्रम में गायिका जुतिका राय से संबंधित कार्यक्रम प्रस्तुत किया कमल शर्मा ने। भजन गायन ख़ासकर मीरा भजन का पर्याय बनी इस कलाकार से बातचीत बहुत अच्छी लगी। हमने तो सोचा था कि वन्दनवार में कभी-कभार भजन ही सुनने को मिलते है पर इस तरह खुद उन्ही के मुख से उनके जीवन की बातें अच्छी लगी। एक बार फिर से प्रसारण हो तो अच्छा रहेगा। धन्यवाद महेन्द्र मोदी जी ! आशा है आगे भी ऐसी प्रस्तुतियाँ होती रहेगी।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नए फ़िल्मी गीत बजते रहे। कुछ ख़ास नहीं रहा।
7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया अभिनेता गोविन्द नामदेव ने। पहले फ़ौजी भाइयों की बात हुई और संबंधित गीत सुनवाए गए फिर भूपेन हज़ारिका की बात की और रूदाली फ़िल्म का गीत सुनवाया फिर कुछ खुद की बातें हुई। अच्छी प्रस्तुति रही।
7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में उत्तर प्रदेश, असम और नेपाली लोकगीत सुन कर बहुत आनन्द आया। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और कमल (शर्मा) जी। श्रोताओं ने मंथन जैसे कार्यक्रमों को दुबारा शुरू करने की बात कही। संगीत सरिता कार्यक्रम से जुड़े पत्र भी रहे जिसमें श्रोताओं ने यह भी कहा कि विषय कुछ बदले जाए तब कमल जी ने श्रोताओं से कहा कि श्रोता ही विषय बताए, सुझाव दें, what an idea Sir jee ! चलिए पहला विषय हम ही बताते है, भारत सरकार ने पंडित भीमसेन जोशी को सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने का निर्णय लिया, इसी पर एक कार्यक्रम कीजिए जिसमें पंडित जी के बारे में बताइए, कुछ संगीतज्ञों से उनके बारे में सीधे या फोन पर बात कीजिए, हो सके तो एक दिन फोन पर श्रोताओं से भी शुभकामनाएँ लेने का आयोजन कीजिए और सुनवाइए उनकी बंदिशें। मंगलवार को क़व्वालियाँ सुनवाई गई। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में धारावाहिकों और फ़िल्म अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा से रेणु (बंसल) जी की बातचीत की अगली कड़ी प्रसारित हुई। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने जिसमें राग अटाड़ा पर उस्ताद अमीर खाँ का गाया यह शीर्षक गीत बहुत अच्छा लगा -
झनम झनक पायल बाजे
8 बजे हवामहल में सुनी झलकियाँ - गैस का सिलेण्डर (रचना संजय श्रीवास्तव निर्देशक गोविन्द त्रिवेदी), राज़ की बात (रचना राजकुमार निर्देशक कमल दत्त)
9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई। राजेश जौहरी का गीत अच्छा लगा जिसके बोल कुछ यूँ है ज़िन्दगी भी तुम्हारी ख़ुशी भी तुम्हारी… इसके अलावा फाल्गुनी पाठक का गाया गीत भी अच्छा रहा - आँखो में कजरा, बालों में गजरा
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में कसमें वादे, सावन की घटा, कभी-कभी जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में निर्माता निर्देशक जे ओमप्रकाश से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनी। उनकी चर्चित फ़िल्म आँधी की चर्चा हुई। इस फ़िल्म को रिलीज़ करने में आई अड़चनों और उन्हें दूर करने के लिए तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल और इन्दिरा गाँधी से किए गए संपर्कों का ज़िक्र किया।
10 बजे छाया गीत में युनूस जी ले आए अनमोल नग़में जिनमें से शंकर हुसैन की क़व्वाली यूँ तो सबके लिए कम सुनी है पर हैदराबाद में समारोहों में यह रिकार्ड बहुत बजता रहा था।
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Friday, February 20, 2009
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1 comment:
itni detail jaankari ke liye dhanyawaad ....
manjot bhullar
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।