बड़े मियाँ है आई एस जौहर और ये दीवाने है सायरा बानो के जबकि सायरा बानो के आशिक है जाँय मुखर्जी और जाँय मुखर्जी शागिर्द यानि शिष्य है आई एस जौहर के… हैं न मज़ेदार सिचुएशन
जी हाँ, यह मज़ेदार स्थिति है साठ के दशक की लोकप्रिय फ़िल्म शागिर्द की। आज इसी फ़िल्म के एक मज़ेदार गीत को हम याद कर रहे है। इस गीत को गाया है रफ़ी साहब ने बड़े ही मज़ेदार अंदाज़ में, ख़ासकर अंतिम लाइने तो लाजवाब गाई है।
इस गाने के याद आने का कारण है कल का दिन। कल है पहली अप्रैल यानि हँसने हँसाने का दिन। यूँ तो यह गाना विविध भारती समेत सभी रेडियो स्टेशनों से बजा करता था। विशेष रूप से इस दिन तो ज़रूर सुनवाया जाता था - फ़रमाइशी या ग़ैर फ़रमाइशी गीतों के कार्यक्रम में। फिर धीरे-धीरे बजना कम हुआ। अब तो लम्बे समय से इसे नहीं सुना।
गीत के बोल प्रस्तुत है, कुछ बोल शायद इधर-उधर हो गए और कुछ शायद मैं भूल गई हूँ। रफ़ी साहब के गाए इस गीत में बीच-बीच में आई एस जौहर के संवाद भी है -
बड़े मियां दीवाने ऐसे न बनो
हसीना क्या चाहे
यही तो मालूम नहीं है (आई एस जौहर)
हमसे सुनो
सबसे पहले सुनो मियाँ करके वर्जिश बनो जवाँ
चेहरा पालिश किया करो थोड़ी मालिश किया करो
स्टाइल से उठे क़दम सीना ज्यादा तो पेट कम
अई क़िबला उजले बालों को रंग डालो और बन जाओ गुलफ़ाम
बड़े मियां दीवाने ऐसे न बनो
हसीना क्या चाहे
यही तो मालूम नहीं है (आई एस जौहर)
हमसे सुनो
तन्हाई में अगर कहीं आ जाए वो नज़र कहीं
कह दे हाथों में हाथ डाल ए गुल तेरा परीजमाल
मुद्दत से दिल उदास है तेरे होठों की प्यास है
कब छलकेगा मेरे लब पर तेरे लब का जाम
बड़े मियां दीवाने ऐसे न बनो
हसीना क्या चाहे
यही तो मालूम नहीं है (आई एस जौहर)
हमसे सुनो
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
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Tuesday, March 31, 2009
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1 comment:
यह गाना ई पी रेकोर्ड पर सिर्फ़ महमद रफ़ी की ही आवाझमें है, जिसमें बोली हुई आवाझ आप के बताये अनुसार आइ एस जोहर की है । पर फिल्म और एल पी रेकोर्ड में जो अतिरीक्त अन्तरा है उसमें आई एस जौहर को गाते बताया है, जिसका पार्श्वगान मन्ना डे साहबने किया है ।
पियुष महेता
नानपूरा, सुरत ।
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