जन्माष्टमी आ रही है और याद आ रहे है कृष्ण भक्ति के फ़िल्मी और ग़ैर फ़िल्मी गीत। आज याद आ रहा है सत्तर के दशक के अंतिम वर्षों की एक फ़िल्म का गीत। फ़िल्म का नाम है - अपने पराए
यह फ़िल्म शरतचन्द्र के उपन्यास सविता पर आधारित है। नायक नायिका है शबाना आज़मी और अमोल पालेकर तथा अन्य मुख्य भूमिकाओं में है उत्पल दत्त और आशालता।
यह गीत पर्दे पर गाते है अमोल पालेकर और साथ में है बच्चों का समूह। इस गीत को गाया है यसुदास ने। यूँ तो यसुदास के सभी गीत अच्छे है पर यह गीत बहुत बढिया है। पहले रेडियो के विभिन्न केन्द्रों से बहुत सुनवाया जाता था ख़ासकर इन दिनों में, अब तो एक लम्बा समय बीत गया इस गीत को सुने हुए। गीत के जितने बोल मुझे याद आ रहे है वो इस तरह है -
श्याम रंग रंगा रे हर पल मेरा रे
मेरा मतवाला है मन मधुबन तेरा रे
श्याम रंग रंगा रे हर पल मेरा रे
जिसके रंग में रंगी ओ मीरा रंगी थी राधा रे
मैनें भी उस मनमोहन से बंधन बाँधा रे
श्याम रंग रंगा रे हर पल मेरा रे
मेरी साँसों के फूल खिले है तेरे ही लिए
जीवन है पूजा की थाली नैना ही दिए
श्याम रंग रंगा रे हर पल मेरा रे
नहीं चैन पड़े देखे बिना तुझको कान्हा
नहीं चैन पड़े
मोहे काहे छले
दिन भी तेरा रैन नहीं चैन पड़े
कान्हा रे ए ए ए ए ए ए ए
ओ कान्हा आ आ आ आ आ
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
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Tuesday, August 11, 2009
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