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Tuesday, August 25, 2009

हवा में उड़ता जाए मेरा लाल दुपट्टा मलमल का

आज याद आ रहा है बरसात फिल्म का निम्मी पर फ़िल्माया गया और लता जी का गाया एक गीत जो पहले रेडियो के सभी केन्द्रो से फरमाइशी और गैर फरमाइशी कार्यक्रमो में बहुत सुनवाया जाता था, विविध भारती के भूले बिसरे गीत कार्यक्रम में तो बहुत सुनते थे पर अब लम्बे समय से सुना नही. इस गीत के जो बोल याद आ रहे है वो इस तरह है -

हवा में उड़ता जाए
मेरा लाल दुपट्टा मलमल का जी
मोरा लाल दुपट्टा मलमल का
हो जी हो जी

इधर-उधर लहराए
मेरा लाल दुपट्टा मलमल का जी
मोरा लाल दुपट्टा मलमल का
हो जी हो जी

सरसरसर हवा चले ओए जियरा जगमग डोले
जियरा जगमग डोले
फ़रफ़रफ़र उड़े चुनरिया
घूँघट मोरा खोले ओए घूँघट मोरा खोले
हवा में उड़ता जाए
मेरा लाल दुपट्टा मलमल का जी
मोरा लाल दुपट्टा मलमल का
हो जी हो जी

झरझरझर झरना बहता
ठंडा-ठंडा पानी ठंडा-ठंडा पानी
घुँघरू बाजे ठुमक-ठुमक
चाल हूई मस्तानी ओए चाल हूई मस्तानी
हवा में उड़ता जाए
मेरा लाल दुपट्टा मलमल का जी
मोरा लाल दुपट्टा मलमल का
हो जी हो जी

अंतिम पंक्तियों में संगीत बहुत अच्छा दिया गया है।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

1 comment:

Unknown said...

यह गीत फ़िल्म बरसात का है । इसको शंकर-जयकिशन के कायमी गीतकारों की जोड़ीके सदस्यों स्व. शैलेन्द्र और स्व. हसरत जयपूरी के बजाय श्री रमेश शास्त्रीने लिख़ा है । इस गीत को छोड़ कोई अन्य फिल्मी गीत उन्होंने लिख़ा हो ऐसा कम से कम मूझे याद आ नहीं रहा है ।

पियुष महेता ।
सुरत-395001.

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