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Tuesday, February 9, 2010

डैनी का गाया पहला गीत

डैनी डेनजोगप्पा को आपने फिल्मो में चरित्र भूमिकाओं में देखा होगा, शायद बहुत कम लोग जानते होगे कि डैनी गायक है खासकर पहाडी संगीत

1972 के आस-पास रिलीज हुई थी फिल्म - ये गुलिस्ताँ हमारा

इसी फिल्म से डैनी ने बतौर गायक फिल्मो में प्रवेश किया था। आशा भोसले के साथ् युगल गीत गाया था। इस फिल्म में एक समूह गीत भी है, ये दोनों गीत पहले रेडियो से बहुत सुनवाए जाते थे, अब बहुत समय से नही सुना।

गानों के एक भी बोल मुझे याद नही आ रहे। मेरी जानकारी के अनुसार यह फिल्म देव आनंद ने बनाई थी जिसमे उनकी नायिका शर्मिला टैगोर थी। इन दोनों की शायद यह एक ही फिल्म है। यह फिल्म शायद उन आदिवासियो की कहानी है जो देश के बारे में नही जानते।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

7 comments:

रोमेंद्र सागर said...

सिने अभिनेता डैनी पेशे से नहीं बल्कि शौक से गायक हैं ...जिन दिनों पूना फिल्म संस्थान से मुंबई आकर इन्हें फिल्मों में काम नहीं मिल रहा था तो कुछ दिनों डैनी ने शास्त्रीय संगीत सीखा था ! हालाँकि जब फिल्म 'यह गुलिस्तान हमारा' रिलीज़ हुई तब तक डैनी 'अभी तो जी ले ' , 'मेरे अपने ' और 'ज़रुरत' जैसी कई फिल्मों में अपनी उपस्तिथी दर्ज करा चुके थे ! भारत के पूर्वोत्तर अंचल से सम्बंधित होने के कारण वे बर्मन दादा से निजी तौर पर भी परिचित थे , बस इसी के चलते मजाक मजाक में बर्मन दा ने उन्हें ये कामेडी गीत गाने का मौक़ा दे दिया ! गीत के बोल थे " मेरा नाम आओ मेरे पाश आओ " , और यह फिल्म " यह गुलिस्तान हमारा " में जयश्री टी और हास्य अभिनेता जानी वाकर पर फिल्माया गया था ! आत्माराम के बैनर तले बनी और उन्ही के द्वारा निर्देशित इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थे देव आनंद और शर्मीला टगोर ..... और इस गीत को डैनी के साथ आशा ताई ने नहीं बल्कि लता मंगेशकर ने गाया था !

रेडियोनामा के प्रबुद्ध संगीत प्रेमियों के लिए मैं यहाँ इस गीत के पूरे बोल प्रस्तुत कर रहा हूँ....आशा है पसंद किया जायेगा !


डैनी : टूना ...ओ टूना
लता : क्या रे ?
डैनी : मेरा नाम आओ , मेरे पाश आओ
लता : ओ तेरा नाम आओ तो मेरा नाम जाओ
ओ तेरा मेरा मिलन बड़ा मुश्किल है

डैनी : मेरा नाम आओ , मेरे पाश आओ
लता : ओ तेरा नाम आओ तो मेरा नाम जाओ

डैनी : देखो देखो -
मेरे हाथों में है तेरे मेरे प्रेम की रेखा
लता :देखी रेखा,अरे देखी रेखा ...
कभी तुमने शीशे में अपना मुंह नहीं देखा
डैनी : क्यूँ ???????
लता : ओ तेरा मेरा मिलन बड़ा मुश्किल है

डैनी : मेरा नाम आओ , मेरे पाश आओ
लता : ओ तेरा नाम आओ तो मेरा नाम जाओ


डैनी : तेरे लिए -तेरे लिए,
तड़प रहा हूँ मैं तो एक महीने से
लता : हाय रामा...हाय राम !
मर जाना अच्छा मेरे सैयां ऐसे जीने से
डैनी : टूना .....
लता : ओ तेरा मेरा मिलन बड़ा मुश्किल है

डैनी : शुनो शुनो ...अरे शुनो शुनो ..
चलो हम तुम कोई दूजा नाम रख लें
आओ जाओ , जाओ आओ ...
नाम बदल के शीता राम रख लें

लता : ओ तेरा मेरा मिलन बड़ा मुश्किल है

डैनी : मेरा नाम आओ , मेरे पाश आओ
लता : ओ तेरा नाम आओ तो मेरा नाम जाओ ssssss!!!

रोमेंद्र सागर said...

उपरोक्त गीत के पश्चात डैनी ने एक अन्य फिल्म " काला सोना " में भी एक युगल गीत गया था ! इस गीत में डैनी का साथ दिया था आशा ताई ने ! गीत स्वयं डैनी और फरीदा जलाल पर फिल्माया गया था और इस गीत के बोल थे " सुन सुन क़सम से , लागू तेरे क़दम से ...रहा जाये न हमसे , गले लग जा ..."

मजेदार गीत है !

annapurna said...

मेरी यह जानकारी पक्की है कि गायक के रूप में ही डैनी की पहचान हुई। वैसे एक बात यहाँ मैं बता दूं कि ये गुलिस्ताँ हमारा फिल्म बहुत ही असफल रही और कई शहरों में एक दो सप्ताह ही चली। इस फिल्म में आदिवासी क्षेत्र होने से डैनी का युगल गीत रखा गया जिनकी आवाज ऐसे गीत के लिए ज्यादा उचित रही और गीत उस समय लोकप्रिय भी बहुत हुआ था। फिल्म मेरे अपने में सिर्फ डैनी की आवाज या युगल आवाज में कोई गीत शायद नही है, शायद आवाज कोरस में है। अभी तो जी ले फिल्म में उनका अभिनय है और यह फिल्म ये गुलिस्ताँ हमारा के न चलने के तुरंत बाद आने से शायद उससे पहले की फिल्म होने का भ्रम हो वैसे अभिनय के साथ इस फिल्म में उनका गाया गीत मुझे याद नही आ रहा। काला सोना वगैरह तो बाद की फिल्मे है।

रोमेंद्र सागर said...

यहाँ अपनी टिप्पणियां लिखकर मेरा उद्देश्य, किसी बहस को जन्म देना हरगिज़ नहीं है ! लेकिन आपका यह कहना कि "मेरी यह जानकारी पक्की है कि गायक के रूप में ही डैनी की पहचान हुई।" तथ्य परक नहीं है ! डैनी पूना फिल्म संस्थान से फिल्म अभिनय का डिप्लोमा लेकर जया भादुड़ी , किरण कुमार आदि के बैच में मुंबई आये थे ! लेकिन अपारंपरिक नैन नक्श होने के कारण उन्हें थोडा ज्यादा संघर्ष करना पडा ! लेकिन डैनी की गायकी निश्चय ही उनकी एक अभिनेता के तौर पर पहचान बनने के बाद ही सामने आयी थी ! फिल्म "अभी तो जी ले" में डैनी ने जया भादुरी के साथ परदे पर किशोर कुमार की आवाज़ में " तू लाली है सवेरे वाली गगन रंग दे तू मेरे मन का ..." गाया था ! आपका कहना सही है कि यह फिल्म 'यह गुलिस्तान हमारा " के बाद ही प्रदर्शित हुई थी ! डैनी ने "अभी तो जी ले " या " मेरे अपने " या फिर और किसी भी फिल्म में कोई गीत नहीं गाया , क्योकि वे गायक नहीं एक सीधे सादे तरीके से अभिनेता बनने ही मुंबई आये थे !

वैसे इसी सन्दर्भ में मैं यहाँ यह भी जोड़ना चाहूंगा कि फिल्म "धुंद" और "छतीस घंटे "की अपार सफलता के बाद डैनी का एक ग़ज़लों एल. पी रिकार्ड भी मार्केट में आया था , जो ज्यादा सफल नहीं हो सका था ( वह रिकार्ड आज भी मेरे निजी कलेक्शन में मौजूद है ) !

बाकी आधिकारिक तौर पर इतिहास को कौन साबित कर सका है ....बहुत संभव है कि स्वयं डैनी को भी अपनी सिने यात्रा के बहुत से पड़ाव याद हों ना हों .......आप और हम क्या हैं !

बहरहाल ....हमारी इस बातचीत से कुछ अतीत की बातें तो खुली , जो निश्चय ही फिल्म और फिल्म संगीत प्रेमियों के लिए आर्काइव का काम तो करेंगी ही .....

रवि सिंह said...

रोमेन्द्र जी सही हैं, डैनी मूलत: अभिनेता है लेकिन वे शौकिया गाते रहे हैं.

डैनी ने महेश भट्ट की फिल्म नया दौर में "मुझे दोस्तो से तुम गले से लगालो" भी गाया था.

इसके अतिरिक्त एक गाना "मिलाप" फिल्म के लिये संगीतकार ब्रजभूषण ने भी रिकार्ड किया था जो फिल्म में नहीं डाला गया लेकिन एलपी पर रिलीज हो गया था.

annapurna said...

लगता है मेरे चिट्ठे को ठीक से समझा नही गया। मैंने पहले ही लिखा है कि डैनी का प्रवेश फिल्मो में बतौर गायक हुआ। यह सच है कि पहली बार डैनी नाम फ़िल्म ये गुलिस्ताँ हमारा है के गीत के साथ ही सुना गया यहाँ तक कि डेनजो गप्पा बोलना भी उस समय कठिन था। जैसा कि टिप्पणी में बताया गया है कि अपने अपारंपरिक चेहरे के कारण अभिनय बाद में किया हो। और इस फ़िल्म की असफलता और दूसरी फिल्मे तेजी से आने से सब बातें मिल गई हो। पर मैंने अपने चिट्ठे में जो लिखा कि पहले-पहल डैनी ने यह गीत ही गाया है उसमे कोई दो राय नही है। मुझे नही लगता कि डैनी अपने सफर के इस पहले पायदान को भूल गए होगे। अभिनय की बात तो मैंने चिट्ठे में कही ही नही केवल यही बताया कि जिसे हम चरित्र भूमिकाओं के लिए जानते है वो डैनी।

रोमेंद्र सागर said...

मैं पुन: आपसे विनम्र निवेदन करना चाहूंगा कि जब डैनी का गाया हुआ उपरोक्त गीत पहली बार सुना गया तो हिंदी फिल्मों के दर्शक पहले से ही डैनी देंग्जोंग्पा के नाम से एक अभिनेता के रूप में परिचित हो चुके थे ! मुझे निजी तौर पर अच्छी तरह याद है कि फिल्म यह गुलसितां हमारा में रखा गया यह युगल गीत फिल्म की पब्लिसिटी में एक शोशे की तरह इस्तेमाल किया गाया था !
डैनी की बी आर इशारा द्वारा निर्देशित "ज़रुरत" ( जिसमें वह रेहाना सुलतान और विजय अरोड़ा के साथ खलनायक की भूमिका में थे ) और गुलज़ार की ' मेरे अपने' फिल्में , उपरोक्त वर्णित फिल्म से पहले रिलीज़ हो चुकी थी ! इसी तरह डैनी , फिल्म 'अंधी जवानी ' और 'राखी और हथकड़ी' में भी नज़र आ चुके थे - यह दोनों फिल्में 1971 -72 में ही बनी / आयी थीं ! ( हो सकता है यह दोनों फिल्में फिल्म "यह गुलिस्तान हमारा" की रिलीज़ के कुछ आगे पीछे हो गयी हों .....)

अत: मैं फिर से कहना चाहूंगा कि डैनी का प्रवेश फिल्मो में बतौर गायक नहीं , बतौर अभिनेता ही हुआ था !

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