सबसे नए तीन पन्ने :

Thursday, June 10, 2010

सुबह के पंचरंगी प्रसारण की साप्ताहिकी 10-6-10

सप्ताह के हर दिन परम्परा के अनुसार शुरूवात संकेत धुन से हुई जिसके बाद वन्देमातरम फिर बताए गए दिन और तिथि, संवत्सर तिथि भी बताई गई जिसके बाद मंगल ध्वनि सुनवाई गई। यह सभी क्षेत्रीय केंद्र से प्रसारित हुआ। इसके बाद 6 बजे दिल्ली से प्रसारित हुए समाचार, 5 मिनट के बुलेटिन के बाद मुम्बई से प्रसारण शुरू हुआ जिसकी शुरूवात में कभी-कभार कार्यक्रमों के प्रायोजकों के विज्ञापन प्रसारित हुए जिसके बाद पहले कार्यक्रम वन्दनवार की शुरूवात मधुर संकेत धुन से हुई, फिर सुनाया गया चिंतन।

चिंतन में इस बार शामिल रहे कथन - चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का कथन - सुख, प्राप्ति में नही, त्याग में हैं। वेद व्यास के 3 कथन बताए गए - माता के रहते किसी बात की चिंता नही रहती। इस दिन पर्यावरण दिवस के सन्दर्भ में जीवहिंसा पर कोई कथन बताया जाता तो अच्छा रहता। दूसरा कथन - पराक्रम से सभी गुणीभूत होकर रहते हैं। तीसरा कथन - ऎसी वाणी बोलनी चाहिए जिसे सुन कर सबको सुख मिले। गांधी जी का कथन - मीठी बोली मन की कड़वाहट को मिटाती हैं। बुधवार को समाचार के बाद संगीत बजता रहा और आज जैसे ही विज्ञापन शुरू हुआ तेलुगु भक्ति गीत बज उठा, शायद क्षेत्रीय केंद्र में तकनीकी समस्या रही फिर केन्द्रीय सेवा से जुड़े तब पहला भक्ति गीत शुरू हुआ इसी से चिंतन नही सुन सके।

वन्दनवार कार्यक्रम में इस बार भी फिल्मी घुसपैठ जारी रही। विनम्र अनुरोध है कृपया फिल्मी भक्ति गीतों और देश भक्ति गीतों का अलग कार्यक्रम रखिए ऐसे समय जहां क्षेत्रीय कार्यक्रमों का समय न हो ताकि हम इन फिल्मी भक्ति गीतों और देश भक्ति गीतों का आनंद ले सके। वन्दनवार में इन गीतों से कार्यक्रम की गरिमा को धक्का लगता हैं।

शुक्रवार को पहला भक्ति गीत सुनने के बाद खरखराहट शुरू हो गई, कुछ समय के बाद संगीत बजने लगा, शायद क्षेत्रीय केंद्र से। लगभग 10 मिनट तक कार्यक्रम नही सुन पाए। सप्ताह भर विविध भक्ति गीत सुने -

माँ सरस्वती की आरती - ॐ जय सरस्वती माता

गणेश वन्दना - जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा

साकार रूप के भक्ति गीत -

भोले तेरे कांवर की हैं महिमा अपार
जो श्रृद्धा से गाया उसका बेड़ा पार
बोलो अमरनाथ बम बम

निराकार रूप के भक्ति गीत शामिल रहे - मोको कहाँ ढूंढें रे बन्दे मैं तो तेरे पास में

पुराने लोकप्रिय भजन सुनवाए गए - कुछ लेना न देना मगन रहना

सीताराम सीताराम सीताराम कहिए
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए

इस बार नए भक्ति गीत भी सुनवाए गए - मेरे कृष्ण मुरारी आ देर न कर गिरधारी

और शास्त्रीय पद्धति में ढला भक्ति गीत - बंसी वाले अब देखियो

भक्तों के भक्ति गीत - मीरा का भजन - मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई

कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा, प्रसिद्ध साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का गीत सुनवाया - भारती जय विजय करे

लोकप्रिय देशभक्ति गीत सुनवाए गए -

ओ ----------
जगत ने ली अंगडाई रे

भारत में सुख शान्ति भरो हे दूर हटा दो बंधन सारे
आज देश की नूतनता से नव जीवन नव कांति भरो हे

वतन बनेगा स्वर्ग हमारा घर घर घूमे चरखा प्यारा

प्यारी जन्म भूमि मेरी प्यारी जन्मभूमि
नीलम का आसमान हैं सोने की धरा हैं
चांदी की हैं नदिया पवन भी प्रीत भरा हैं

यह नया देशगान सुनना अच्छा लगा पर विवरण नही बताया गया -

देश के बेटो सो मत जाना
अभी तो मंजिल बाक़ी हैं

6:30 बजे से क्षेत्रीय प्रसारण में तेलुगु भक्ति गीत सुनवाए गए जिसके बाद 6:55 को झरोका में केन्द्रीय और क्षेत्रीय प्रसारण की जानकारी तेलुगु भाषा में दी गई।

7 बजे का समय रहा भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम का जो प्रायोजित रहा। इस सप्ताह इस कार्यक्रम में अच्छा संतुलन रहा। हर दिन एकाध गीत ऐसा रहा जो अक्सर सुनवाया जाता हैं, लोकप्रिय हैं। एकाध ऐसा गीत जो बहुत कम सुनवाया जाता हैं। एकाध ऐसा गीत भी शामिल रहा जिसकी फिल्म का नाम शायद ही सुना गया हो। साथ ही हर दिन भूली-बिसरी आवाजे भी गूंजी।

शुक्रवार को सबसे अच्छा लगा यह अनमोल गीत सुनना -

अमवा की डाली डाली झूम रही हैं आली

उजाला, उड़न खटोला फिल्मो से लोकप्रिय गीत सुनवाए गए और कम सुने जाने वाले गीत भी शामिल रहे जैसे उस्ताद फिल्म से और गीता दत्त का गाया गीत - ये दर्द मुहब्बत का

शनिवार को अक्सर सुने जाने वाले गीत जैसे सुजाता फिल्म से बचपन के दिन वाला गीत और रफी साहब का गाया यह गीत - छुपने वाले सामने आ

कम चर्चित गीत तिलोतामा फिल्म से और शादी-ब्याह का यह गीत भी सुनवाया गया -

कोई ढोलक बजाए कोई शंख बजाए
आज मिलने का दिन

तलत महमूद और शमशाद बेगम के गाए गीत भी शामिल थे।

रविवार को सम्राट चन्द्र गुप्त फिल्म का यह अक्सर सुना जाने वाला गीत सुनवाया -

चाहे पास हो चाहे दूर हो मेरे सपनों की तुम तस्वीर हो

और सहगल साहब की आवाज में शाहजहाँ फिल्म का गीत सुनवाया गया। कम सुने जाने वाले गीतों में टीपू सुल्तान फिल्म का गीत, न सुनने में अच्छा लगा और न ही बोल अच्छे थे पर सुन कर लगा यह गीत अपने समय में भी भूला बिसरा ही रहा होगा। एक गाँव की कहानी फिल्म से तलत महमूद का गाया कम सुना जाने वाला गीत सुनवाया गया। इस कार्यक्रम में शमशाद बेगम और सुधा मल्होत्रा की आवाजे भी गूंजी।

सोमवार को तलत महमूद का गाया लोकप्रिय गीत सुनवाया -

प्यार पर्वत तो नही हैं मेरा लेकिन
तू बता दे मैं तुझे प्यार करूं या न करूं

कम सुने जाने वाले गीतों में चारमीनार फिल्म का गीत शामिल था - मंजिल पर बिछड़ने वाले, फ़रिश्ता फिल्म का गीत और सविता बैनर्जी की आवाज भी सुनी पर मजा आया सुरैया की आवाज में मोतीमहल फिल्म का यह मजेदार गीत सुनकर -

कभी न बिगड़े किसी की मोटर रस्ते में

मंगलवार को कम चर्चित फिल्म श्रवण कुमार का कम सुना जाने वाला गीत सुनना अच्छा लगा - बिछुआ ने मारा डंक

यह लोकप्रिय गीत भी सुनवाया गया - मुझको सनम तेरे प्यार ने जीना सिखा दिया

सहगल साहब का गीत चंडीदास फिल्म से, घर-गृहस्थी, फ़रिश्ता फिल्मो के गीतों के साथ घर की लाज फिल्म का लैला की उंगलिया ककड़ियो का मजेदार गीत भी शामिल था। इस दिन सुमन कल्याणपुर की आवाज भी गूंजी।

बुधवार को अक्सर सुने जाने वाले गीतों में गूँज उठी शहनाई, मदारी फिल्मो के गीतों के साथ यह गीत भी सुनवाया गया -

भीगा भीगा प्यार का समां बता दे तुझे जाना हैं कहाँ

गृहलक्ष्मी फिल्म का कम सुना जाने वाला यह गीत भी शामिल रहा -

जा रहा कहाँ तू बाजी हार कर जाने वाला
जिन्दगी से प्यार कर

नागमणि फिल्म का हास्य गीत सुन कर अच्छा लगा - सारी दुनिया हैं बीमार दवा करो

इस दिन सुरेन्द्र और कमल बारोट की आवाजे भी गूंजी।

आज बहुत सुने जाने वाले लोकप्रिय गीत सुनवाए गए मधुमती, परख फिल्मो से, वीर दुर्गा दास फिल्म का लोक गीत - थाने काजलिया बना लूं और सहगल साहब का एक बंगला बने न्यारा

यह गीत भी सुना जो कम ही सुनवाया जाता हैं - ये दुनिया हैं मेला यहाँ इंसान बिकते हैं

मैं नशे में हूँ फिल्म का गीत भी शामिल था। उषा मंगेशकर की भूली-बिसरी आवाज सुनी।

इस कार्यक्रम में फिल्मो और फिल्मी गीतों के बारे में सामान्य जानकारी भी कभी-कभार दी गई जैसे रिलीज होने का वर्ष, बैनर आदि।

7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला प्रसारित हुई - महिया सेइया (शायद लिखने में गलती हो) घराना और उसकी समृद्ध परम्परा जिसे प्रस्तुत किया प्रसिद्ध सरोद वादक श्री आशीष खाँ ने। जानकारी दी कि इस घराने का सरोद शुद्ध पारंपरिक होता हैं। राग बिलासखानी सुनाया, झाला के प्रकार बजा कर सुनाए। सबसे अच्छा लगा गीता के श्लोको को सुनना। आपने चुने हुए श्लोको को स्वरबद्ध किया हैं जिसे जितेन्द्र अभिषेकी ने गाया हैं और बीच-बीच में अंग्रेजी अनुवाद पंडित रविशंकर के स्वर में हैं।

रविवार को अंतिम कड़ी प्रसारित हुई जिसके प्रसारण में कुछ गड़बड़ लगी। गीता का एक श्लोक पिछली कड़ी की तरह सुनवाया गया। फिर आशीष खाँ साहब ने विदा ली फिर सुनवाया गया सरोद वादन। जिसमे आशीष खाँ साहब ने अलाउद्दीन खाँ साहब के बारे में बताया। यह सुनना अजीब सा लगा क्योंकि कार्यक्रम के स्वरूप के अनुसार विदा लेने के बाद रचना सुनी जा सकती हैं लेकिन फिर से उनका कुछ कहना ठीक नही लगता। संपादित कर बिदाई की बात को अंत में सुनवाया जा सकता था। इतना ही नही अंत में यह भी कहा कि यह रिकार्डिंग अलाउद्दीन खाँ साहब के बजाय सुर सिंगार की हैं। इतने दिनों से बढ़िया चल रही श्रृंखला का इस तरह से समापन ठीक नही लगा।

इस श्रृंखला को तैयार करने में विशेष सहयोग रहा मदन लाल व्यास जी का। श्रृंखला को तैयार किया छाया (गांगुली) जी ने।

एक और श्रृंखला आरम्भ हुई - मेरी संगीत यात्रा जिसमे संगीतकार खैय्याम से मोना (सिन्हा वर्मा) जी की बातचीत सुनवाई जा रही हैं। बातचीत की शुरूवात हुई संगीत के आरम्भ से जिसे खैय्याम साहब ने माँ की बच्चे को सुनाई जाने वाली लोरी से माना। पुराने और अब के संगीत में अंतर की बात करते हुए आज के गीतों में बोलो के कम होने की चर्चा की। अपने पहले गीत के बारे में बताया। उनका यह कहना अच्छा लगा कि गीत किसी एक का नही होता टीम का होता हैं। पहली कड़ी में आखिरी ख़त का गीत सुनवाया गया -

बहारों मेरा जीवन भी संवारो

फुटपाथ फिल्म के इस गीत से पश्चिमी वाद्यों के प्रयोग की शुरूवात की चर्चा चली - शामे गम की क़सम

यह स्वतन्त्र रूप से खैय्याम साहब की पहली फिल्म थी। वायलन की चर्चा में बताया की यह वाद्य वास्तव में देसी वाद्य रावणहत्ता से प्रेरित हैं। संगीत संयोजन में जगजीत कौर की सहायता की चर्चा करते हुए शगुन फिल्म का गीत सुनवाया। गानों को तैयार करने में फिल्म की कहानी और सिचुएशन को ध्यान में रखे जाने की बात समझाई शंकर हुसैन के गीत से -

आप यूं फासलों से गुजरते रहे
दिल से क़दमो की आवाज आती रही

आज खैय्याम साहब द्वारा तैयार किए गए रोमांटिक गीत सुनवाए गए -

फिर न कीजे मेरी गुस्ताक़ निगाही का गिला
देखिए प्यार से फिर आपने देखा मुझको

ठहरिए होश में आ लूं तो चले जाइएगा

चांदनी रात में एक बार तुम्हे देखा हैं

गीतों पर चर्चा चली तो लगा गीतकार से बात हो रही हैं, संगीतकार से नही। प्यार के भाव को गाने में उतारने की बात की लेकिन इसके लिए किन साजो का और कैसे प्रयोग किया गया यह भी बताते हर गीत के साथ तो अच्छा लगता।

इस श्रृखला के दौरान आरंभिक संकेत धुन अलग तरह की बजी। इस श्रृखला को विनायक (तलवलकर) जी के सहयोग से गणेश(शर्मा)जी ने प्रस्तुत किया।

7:45 को त्रिवेणी कार्यक्रम का प्रसारण हुआ। यह कार्यक्रम प्रायोजित होने से शुरू और अंत में प्रायोजक के विज्ञापन प्रसारित हुए। इस कार्यक्रम की संकेत धुन अच्छी हैं जो शुरू और अंत में सुनवाई जाती हैं।

शुक्रवार को परनिंदा पर चर्चा हुई। गाने भी अच्छे रहे, पुराना गीत -

तुझे दिल की बात बता दू
नही नही किसी को बता देगी तू

नया गीत भी शामिल था। अंत में यह ही कहा कि साफ कहने वाले लोग भी हैं और सुनवाया यह गीत -

दिल का हाल कहे दिलवाला
सीधी सी बात न मिर्च मसाला

शनिवार का अच्छा रहा - पढ़े-लिखे लोग भी नियम क़ानून की अनदेखी करते हैं जिससे महिलाओं के अधिकारों का हनन होता हैं, प्रकृति की अवहेलना में जीव हिंसा भी होती हैं इसीलिए बचपन से ही शिक्षा के साथ इन बाते के प्रति भी जागरूक बनाना चाहिए। गीत भी अच्छे शामिल रहे - महिलाओं के लिए -

कोमल हैं कमजोर नही

जीव हिंसा पर हाथी मेरे साथी फिल्म का गीत -

नफ़रत की दुनिया को छोड़ कर प्यार की दुनिया में खुश रहना मेरे यार

पर इसका रूख थोड़ा बदल देते तो पर्यावरण दिवस पर अच्छी प्रस्तुति हो जाती।

रविवार को घर और मकान में अंतर बताया गया। तेरे घर के सामने फिल्म का शीर्षक गीत और यह गीत भी सुनवाया गया -

छोटा सा घर होगा बादलो की छाँव में

नई फिल्म एक विवाह ऐसा भी का गीत भी सुनवाया गया।

सोमवार को विभिन्न तरह की चोरियों की चर्चा हुई। चोरी मेरा काम फिल्म का शीर्षक गीत, नया ज़माना फिल्म और राजा रानी फिल्म का यह गीत भी शामिल था -

जब अन्धेरा होता हैं आधी रात के बाद

मंगलवार को प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अपनो के भी पराए होने, सूरत और सीरत अलग होने की चर्चा चली। सौतन फिल्म का गीत - जब अपने हो जाए बेवफा तो दिल टूटे

बंबई का बाबू फिल्म का शीर्षक गीत और भगवान दादा का यह गीत भी शामिल था -

भोली सूरत दिल के खोटे
नाम बड़े और दर्शन छोटे

इस दिन क्षेत्रीय केंद्र से दो बार कुछ गड़बड़ी होने से कुछ सेकेण्ड के लिए त्रिवेणी के बजाय तेलुगु कार्यक्रम चला।

बुधवार को कार्यक्रम अच्छा लगा क्योंकि शुक्रवार से लगातार पुराने अंक प्रसारित हो रहे थे, इस दिन नयापन रहा। जीवन के सफ़र में मिलने, बिछड़ने और यादो की बात चली। गीत भी अच्छे रहे -

जीवन के सफ़र में राही मिलते हैं बिछड़ जाने को

पिया का घर फिल्म से ये जीवन हैं गीत के अलावा ये गीत भी शामिल था -

आदमी जो कहता हैं आदमी जो सुनता हैं
जिन्दगी भर वो सदाए पीछा करती हैं

आज विषय तो पुराना था पर प्रस्तुति नई रही। जिन्दगी की बाते हुई, उसे देखने के विभिन्न नजरिए की चर्चा हुई। दो गाने नए थे जिनमे से एक यह -

कैसी पहेली हैं ये जिंदगानी

और एक पुराना गीत -

लिए सपने निगाहों में
चला हूँ तेरी राहो में
जिन्दगी आ रहा हूँ मैं

आशावादी गीत से समापन अच्छा लगा।

सवेरे के त्रिवेणी कार्यक्रम के बाद क्षेत्रीय प्रसारण तेलुगु भाषा में शुरू हो जाता है फिर हम दोपहर 12 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुडते है।

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।

अपनी राय दें