रात में हवामहल कार्यक्रम के बाद 8:15 बजे से क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है फिर हम 9 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।
9 बजे प्रसारित हुआ हिट-सुपरहिट कार्यक्रम। इसमे किसी एक कलाकार के गीत सुनवाए गए। इस समय इस कार्यक्रम का दुबारा प्रसारण होता हैं। मूल रूप से यह कार्यक्रम दोपहर 1:00 बजे प्रसारित होता हैं। दो बार प्रसारण के बजाय एक बार कोई और कार्यक्रम प्रसारित किया जा सकता हैं।
शुक्रवार को यह कार्यक्रम केवल 15 मिनट ही सुनने को मिला। 15 मिनट के लिए क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ जो हिन्दी में था। इस दिन बताया गया अभिनेता इमरान हाशमी पर फिल्माए गए हिट-सुपरहिट गीत सुनिए और लगातार दो गीत सुनवाए गए। फिर बताया कि उनकी फिल्मो के गीत लोकप्रिय होते हैं फिर शुरू हुआ तीसरा गीत जिसके पूरा होने के पहले ही 9:15 हुए और शुरू हुआ क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम। इस तरह एक भी फिल्म का नाम पता नही चला।
शनिवार को अभिनेता नसीरूद्दीन शाह पर फिल्माए गए गीत सुनवाए गए। उनके विभिन्न गीत सुनवाए - व्यावसायिक फिल्म त्रिदेव से तिरछी टोपी वाले गीत, बाजार फिल्म की गजल करोगे याद तो हर बात याद आएगी, सरफरोश, इजाजत, मासूम फिल्मो के गीत सुनवाए गए। उनका एक अलग तरह का गीत सुनवाया - इब्नबतूता जूता जिस पर कुछ जानकारी दी जाती तो अच्छा होता।
रविवार को अभिनेता ऋतिक रोशन पर पर फिल्माए गए गीत सुनवाए गए। पहली फिल्म कहो न प्यार हैं जिसका शीर्षक गीत सुनवाया। मिशन काश्मीर, कभी खुशी कभी गम के गीतों के साथ कोई तुमसा नही गीत भी सुनवाया।
सोमवार को पार्श्व गायक कुणाल गांजावाला के गाए गीत सुनवाए गए। शुरूवात की उस गीत से जिससे उन्हे पहचान मिली - भीगे होठ तेरे। कृष, साथिया, सलाम नमस्ते, काल फिल्मो के गीत सुनवाए।
मंगलवार को पार्श्व गायक कैलाश खेर के गाए गीत सुनवाए गए। स्वदेश, सलामे इश्क, दिल्ली 6 फिल्मो के गीत सुनवाए गए। खोसला का घोसला का गीत - दुनिया ऊट पटांगा और यह गीत भी शामिल था - ओ सिकंदर
बुधवार को फिल्मकार मणिरत्नम की फिल्मो के हिट सुपरहिट गीत सुनवाए गए। रोज़ा, दिल से फिल्म से - छैंया छैंया गीत, हम्मा हम्मा गीत और गुरू का नन्ना रे सुनवाया गया। मधुश्री का गाया यह गीत भी सुनवाया - कभी नीम नीम कभी शहद शहद
गुरूवार को संगीतकार खैय्याम की फिल्मो के हिट सुपरहिट गीत सुनवाए गए। बाजार की गजल, आहिस्ता आहिस्ता, कभी-कभी फिल्मो के शीर्षक गीत (नज्म), थोड़ी सी बेवफाई और उमराव जान से पुरस्कृत रचना - ये क्या जगह हैं दोस्तों
9:30 बजे आज के फनकार कार्यक्रम प्रसारित किया गया। शुक्रवार को फिल्मकार महबूब खान पर प्रस्तुत किया गया। निजी जीवन के बारे में बताया कि बडौदा में जन्म हुआ और कम उम्र में ही मुम्बई आ गए। बंटवारे के समय देश नही छोड़ा। शुरू में अभिनय किया एक्स्ट्रा की हैसियत से। इम्पीरियल स्टूडियो से शुरूवात की। बाद में निर्देशक बने। 1940 में बनी औरत फिल्म को 1957 में मदर इंडिया के नाम से बनाया और छा गए फिल्म जगत पर। 1952 में आन फिल्म से विश्व सिनेमा में क़दम रखा फिर मदर इंडिया फिल्म से विश्व स्तर पर छवि मजबूत हुई।
मदर इंडिया के सीन सुनवाए। यह भी बताया कि केवल दो फिल्मो को छोड़कर सभी में नौशाद के साथ काम किया। विभिन्न रिकार्डिंग सुनवाई गई जिसमे नादिरा ने उनके बारे में बताया कि कम पढ़े लिखे थे पर आत्म विश्वास से सफल हुए। नौशाद ने भी उन्हें याद किया। बढ़िया शोध और आलेख। इसे राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की प्रस्तुति में सहायक रहे पी के ऐ नायर जी।
शनिवार को राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने प्रस्तुत किया अभिनेता पंकज कपूर को। अह्छी जानकारी दी। रंगमंच पर अभिनय को प्राथमिकता देते हैं। गांधी फिल्म में भूमिका छोटी थी पर गांधी की भूमिका के लिए डबिंग की। नई फिल्मे मैं प्रेम की दीवानी, दस फिल्मो की चर्चा हुई। उनकी प्रायोगिक फिल्म जो नाटक पर आधारित हैं - रूका हुआ फैसला की चर्चा हुई, उनकी रिकार्डिंग के अंश सुनवाए गए जिसमे जाने भी दो यारो फिल्म की चर्चा हुई। कलात्मक फिल्म एक डाक्टर की मौत के साथ धाराविहाको की भी चर्चा हुई - करमचंद, कब तक पुकारूं।
रविवार को खलनायक, हास्य और चरित्र अभिनेता परेश रावल पर कार्यक्रम लेकर आए अमरकांत जी। बहुत सी बाते बताई जैसे उनका जन्म गुजरात में हुआ पर मुम्बई में अधिक रहे। नाटको में काम किया। फिल्मो में अलग-अलग तरह की भूमिकाए की। तमन्ना फिल्म में किन्नर, सरदार पटेल फिल्म में सरदार पटेल की भूमिका के साथ न्याय किया। हंगामा और हेरा फेरी में हास्य भूमिकाए की। उन्हें मिले पुरस्कारों की भी चर्चा हुई। लगता हैं रिकार्डिंग पुरानी हैं क्योंकि उनकी नवीनतम फिल्म अतिथि तुम कब जाओगे की चर्चा नही हुई। इस कार्यक्रम को विजय दीपक छिब्बर जी ने प्रस्तुत किया पी के ऐ नायर जी के सहयोग से।
सोमवार को यह कार्यक्रम समर्पित किया गया संगीतकार अनिल विशवास को। प्रस्तुत किया कमल (शर्मा) जी ने। उनके जीवन से जुड़ी कई बाते बताई जैसे आजादी की लड़ाई में भाग लिया, जेल भी गए और यहाँ सुनवाया यह गीत -
आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा हैं
दूर हटो दूर हटो ऐ दुनिया वालो हिन्दुस्तान हमारा हैं
करिअर की शुरूवात कलकत्ता से हुई, गीत लिखे भी और उन्हें स्वरबद्ध किया। कीर्तन से पहचान बनी। रंगमहल थिएटर में भी काम किया। वह गीत भी सुनवाया जो उन्होंने गाया और उन्ही पर फिल्माया गया - कुछ भी नही भरोसा
उनकी फिल्मो के नाम बताते हुए गानों की झलक सुनवाई जैसे अनोखा प्यार का गीत -
याद रखना चाँद तारो इस सुहानी रात को
उन कलाकारों की भी चर्चा की जिनका करिअर शुरू हुआ अनिल दा की फिल्मो से, फिल्म एक नजर से मुकेश, आरजू से तलत महमूद, दो राहा से साहिर लुधियानवी
यह भी जानकारी मिली कि संगीत में आर्केस्ट्रा उन्ही की देन हैं। बाद के वर्षो में 1963 से 1975 तक अनिल दा आकाशवाणी से जुड़े रहे और वाद्य वृन्द की रचनाएं तैयार की लेकिन यहाँ कुछ सुनवाया नही गया। बढ़िया शोध और आलेख।
मंगलवार को युनूस (खान) जी ने प्रस्तुत किया लेखक, पत्रकार, फिल्मकार ख्वाजा अहमद अब्बास को। उनके जन्मदिन के साथ-साथ साहित्यिक पारिवारिक पृष्ठभूमि की भी जानकारी दी। बताया कि उन्होंने शुरू में बाम्बे टाकीज में काम किया, बंगाल के अकाल पर आधारित फिल्म बनाई धरती के लाल। अपनी फिल्म कम्पनी भी खोली। चेतन आनंद की फिल्म लिखी नीचा नगर। पचास के दशक से राजकपूर की फिल्मे लिखी - आवारा, श्री 420, जागते रहो। फिर लिखी मेरा नाम जोकर जिसकी असफलता से उबरने के लिए बौबी जैसी रोमांटिक फिल्म लिखी। इस बीच उनकी चर्चित फिल्मे रही ग्यारह हजार लड़कियां, सात हिन्दुस्तानी, दो बूँद पानी। पहली बार देश की सरहद के पार के सहयोग से बनी फिल्म भी उन्होंने बनाई - इंडो सोवियत की यह फिल्म हिन्दी में अब्बास साहब ने बनाई और रूसी भाषा में रूसी निर्देशक ने। इसका लोकप्रिय गीत भी सुनवाया - रसिया रे
इन फिल्मो के गीत भी सुनवाए। उनकी रिकार्डिंग भी सुनवाई जिसमे उन्होंने उनकी नरगिस को लेकर बनाई गई फिल्म अनहोनी की चर्चा की। इस फिल्म के बारे में मैंने पहली बार सुना। मुझे अनहोनी नाम से बनी सत्तर के दशक की फिल्म याद हैं जिसमे पागल का किरदार संजीव कुमार ने बखूबी निभाया था जिसमे पद्मा खन्ना भी थी, नायिका शायद लीना चंद्रावरकर थी। लेकिन नरगिस की इस फिल्म के बारे में जानना अच्छा लगा। बढ़िया शोध, आलेख और प्रस्तुति।
बुधवार को कमल (शर्मा) जी ने प्रस्तुत किया फिल्मकार मणिरत्नम को। उस दिन उनका जन्मदिन था। मूल रूप से दक्षिण भारतीय फिल्मकार होने के कारण और बहुत पुराने फिल्मकार न होने के कारण, बताने के लिए जानकारी कम ही रही। उनकी पहली फिल्म बताई मौन रागम जो हिन्दी की नही हैं। रोजा फिल्म से उन्हें हिन्दी फिल्म जगत में ख्याति मिली। यह भी बताया की ऐ आर रहमान जैसी प्रतिभा उन्ही की फिल्म से मिली। निजी जीवन के बारे में बताया, पहले प्रबंध सलाहकार थे। फिल्मी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी बताई। उन्हें मिले पुरस्कारों की भी जानकारी दी। उनकी फिल्मो के गीत भी सुनवाए। फिल्मे कम होने से लगभग आधे गीत वही सुनवाए गए जो इसके ठीक पहले के कार्यक्रम हिटसुपरहिट में सुनवाए थे।
बड़ा अजीब लगा , एक घंटे में दो अलग कार्यक्रमों को एक ही कलाकार पर प्रस्तुत करना और वही बाते और वही गीत सुनवाना। कोई एक कार्यक्रम पर्याप्त था।
गुरूवार को युनूस (खान) जी ने प्रस्तुत किया निर्माता निर्देशक आशुतोष गोविरकर पर यह कार्यक्रम। उस दिन उनका जन्म दिन था। कार्यक्रम सुन कर ऐसा लगा किसी कार्यक्रम के लिए उनसे की गई बातचीत में से अंश निकाल कर उनकी फिल्मो के गीतों के साथ यहाँ सुनवा दिया गया। उन्होंने अपनी पढाई के समय की बाते बताई, बचपन में किए गए दूरदर्शन के एक नाटक में छोटे से रोल और कालेज के दिनों के नाटको की बात की। शुरूवाती फिल्मो की असफलता से सबक ले कर फिल्म लगान के लिए लिखी गई कहानी की चर्चा की। स्वदेश को आशा के अनुसार नही मिली सफलता की भी चर्चा हुई।
हर दिन यह कार्यक्रम सुनना अच्छा नही लग रहा है, विविधता होनी चाहिए।
एक शिकायत हैं। पूरे सप्ताह में इन दोनों कार्यक्रमों में हर दिन एक-एक कलाकार को प्रस्तुत किया गया यानी कुल 14 कलाकार। एक दिन एक ही फिल्मकार को दोनों कार्यक्रमों में प्रस्तुत किया गया (कुल 13 कलाकार), सभी पुरूष कलाकार। 13 में से एक भी महिला कलाकार नही ?
10 बजे का समय छाया गीत का होता है। कार्यक्रम शुरू करने से पहले कभी-कभार अगले दिन प्रसारित होने वाले कुछ मुख्य कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।
शुक्रवार को प्रस्तुत किया कमल (शर्मा) जी ने। प्यार के अहसास की चर्चा करते हुए विभिन्न मूड के गीत सुनवाए। शुरूवात की पत्थर के सनम फिल्म के गीत से -
कोई नही हैं फिर भी हैं मुझको न जाने किसका इन्तेजार
अनपढ़ का गीत भी शामिल था - आपकी नजरो ने समझा प्यार के काबिल मुझे
और वक़्त फिल्म का यह गीत भी - चहरे पे खुशी छा जाती हैं
बढ़िया प्रस्तुति और गीत।
शनिवार को प्रस्तुत किया अशोक जी ने। मोहब्बत की दीवानगी की चर्चा चली। कुछ कम सुने गीत शामिल थे और कुछ उदास गीत। इस बार की प्रस्तुति से निराश किया।
रविवार को प्रस्तुत किया युनूस (खान) जी ने, पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए, ऐसे गीत अधिक शामिल थे जो बहुत कम सुनवाए जाते हैं और समापन का अंदाज हमेशा की तरह बढ़िया रहा जिसमे गानों की झलक के साथ विवरण बताया जाता है। फिर भी कार्यक्रम सुस्त रहा। ऐसे गीत भूले बिसरे कार्यक्रम में अच्छे लगते हैं लेकिन रात के इस कार्यक्रम में सुनना ऊबाऊ लगता हैं।
सोमवार को अमरकान्त जी ने प्यार की शुरूवात की बात की - जब प्यार होता हैं तो जिन्दगी की नई शुरूवात होती हैं। शुरूवाती गाना भी खूब उचित सुनवाया, आराधना फिल्म से -
कोरा कागज़ था ये मन मेरा लिख दिया नाम इसपे तेरा
प्यार के बड़े अच्छे गीत सुनवाए - रामपुर का लक्ष्मण, दीवार, जोशीला और पड़ोसन का कहना हैं गीत भी शामिल था। हमेशा की तरह बढ़िया प्रस्तुति।
मंगलवार को प्रस्तुत किया निम्मी (मिश्रा) जी ने। बाते तो प्यार की हुई पर सुस्ती छाई रही।
मेरी समझ में गीतों के चुनाव में प्रसारण समय का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, यह सप्ताह का तीसरा सुस्त दिन रहा इस कार्यक्रम का।
बुधवार को प्रस्तुत किया राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने। अच्छे गीत सुनवाए - मुकद्दर का सिकंदर, कसमे वादे, बरसात की एक रात फिल्मो के गीत और ये गीत -
कबके बिछुड़े हुए हम आज यहाँ आके मिले
प्रस्तुति का काव्यात्मक अंदाज अच्छा रहा।
गुरूवार को रेणु (बंसल) जी ने अच्छी रोमांटिक शायराना प्रस्तुति दी। अच्छे गीत सुनवाए, नए गाने भी थे 1942 अ लव स्टोरी फिल्म से और यह गीत - तुम्हे जो मैंने देखा
पुरानी फिल्म एक नजर का भी गीत सुनवाया - पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने हैं
10:30 बजे प्रसारित हुआ आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम जो प्रायोजित था इसीलिए प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। इसमें श्रोताओं ने पुराने लोकप्रिय गीत सुनने की फ़रमाइश अधिक की। शुक्रवार को शुरूवात हुई शबनम फिल्म के गीत से -
ये तेरी सादगी ये तेरा बांकपन
शहनाई, नौ दो ग्यारह, हरियाली और रास्ता फिल्मो के गीतों के साथ मन्नाडे का गाया दिल ही तो हैं फिल्म का यह गीत भी सुनवाया गया - लागा चुनरी में दाग
शनिवार को सभी गीत पुरानी फिल्मो से सुनवाए गए - मुगले आजम, मदारी, नमस्ते जी, भरोसा पर समापन किया सत्तर के दशक की फिल्म कोरा कागज़ के रूठे रूठे पिया गीत से।
रविवार को ब्लैक मेल फिल्म का गीत सत्तर के दशक का रहा और सभी गीत पुरानी फिल्मो के रहे - मधुमति, ममता, बहार, काली टोपी लाल रूमाल फिल्मो से और यह गीत भी सुनवाया गया -
जादूगर सैंय्या छोडो मोरी बैंय्या
सोमवार को पुरानी फिल्म एक झलक, पेइंग गेस्ट के साथ थोड़ा आगे की फिल्मे सरस्वती चन्द्र, इश्क पर जोर नही और गाइड फिल्म का यह गीत भी सुनवाया गया - गाता रहे मेरा दिल
मंगलवार को शुरूवात हुई बाप रे बाप फिल्म के गीत से जिसके बाद लाजवंती, महबूब की मेहंदी, फिर वही दिल लाया हूँ फिल्मो के गीतों के साथ ये गीत भी शामिल था -
सिमटी हुई ये घडिया फिर से न बिखर जाए
बुधवार को एकदम पुराने नही पर थोड़ा आगे के समय के गीत सुनवाए गए इन फिल्मो से - प्यासा सावन, पगला कहीं का, कर्ज और इस नए गीत को सुनने के लिए भी मेल आए -
तौबा तुम्हारे ये इशारे
गुरूवार को श्रोताओं के ईमेल के अनुसार बहुत पुरानी, पुरानी और बाद के समय के फिल्मी गीत सुनवाए गए - घराना, मिस्टर एक्स इन बॉम्बे, चोरी-चोरी, बगावत और हरे रामा हरे कृष्णा का यह गीत -
फूलो का तारो का सबका कहना हैं
बुधवार और गुरूवार को ईमेल से प्राप्त फ़रमाइशें पूरी की जाती है अन्य दिन पत्र देखे जाते है। देश के अलग-अलग भागों से बहुत से पत्रों से गानों की फ़रमाइश भेजी गई और हर पत्र में भी बहुत से नाम रहे जबकि ई-मेल की संख्या कम ही रही।
प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। इकाध बार क्षेत्रीय विज्ञापन भी प्रसारित हुए।
11 बजे अगले दिन के मुख्य कार्यक्रमों की जानकारी दी जो केन्द्रीय सेवा से ही दी गई जिससे केन्द्रीय सेवा के उन कार्यक्रमों की भी सूचना मिली जो क्षेत्रीय कार्यक्रमों के कारण यहाँ प्रसारित नही होते। 11:05 पर दिल्ली से प्रसारित 5 मिनट के समाचार बुलेटिन के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।
सबसे नए तीन पन्ने :
Friday, June 4, 2010
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