सबसे नए तीन पन्ने :

Thursday, September 30, 2010

आकाशवाणी अमदावाद के श्रोताभिमूख़ केन्द्र निर्देषक श्री भगीरथ पंड्या साहब को उनकी निवृत्ती पर आदरांजलि

आज यानि दि. 30 सितम्बर के दिन आकाशवाणी अमदावाद के केन्द्र निर्देषक श्री भगीरथ पंड्या साहब, जिन्होंने दि. 19 सितम्बर के दिन अपनी आयु के 61वे सालमें प्रवेष किया सरकारी नियम के मुताबिक़ सेवा-निवृत हो रहे है । तो इस अवसर पर उनके स्वस्थ निवृत जीवन की रेडियोनामा की और से शुभेच्छा दे रहा हू । वे कई जगह कार्यभार सम्भाल कर 1993 में आकाशवाणी सुरत (जो ख़न्ड समयावधि वाले एल आर एस के दरजे से ) शुरू हुआ था तब से कार्यक्रम अधिकारी के रूपमें सुरत आये और बादमें उसी रूपमें सुरत आकाशवाणी के इन-चार्ज बने और इन-चार्ज रहते हुए ही सुरतमें ही सहायक केन्द्र निर्देषक के रूपमें बढ़ती पाई और करीब 4-5 साल के बाद केन्द्र निर्देषक के रूपमें फ़िर सुरत आये और तब आकाशवाणी सुरत एक स्थानिय एफ़ एम केन्द्र में से विविध भारती के विज्ञापन प्रसारण सेवा के स्थानिय पूर्ण समयी केन्द्र के रूपमें तबदील हो चूका था । उन्होंने इन दोनो समयकालमें सुरत केन्द्र को लोकप्रिय बनानेमें अपनी कल्पनाशीलता से बहूमूल्य योगदान दिया था, जिसका श्रोता के रूपमें मैं साक्षी रहा हूँ । जैसे उन्होंने एक भ्रम को समाप्त किया कि आकाशवाणी स्टूडीयोमें सिर्फ़ और सिर्फ़ नामी साहित्यकारो और कलाकारों जो पहेले से समाचार पत्रो और सामयिकोमें मूक़ाम हासिल कर चूके हो, उनको ही आमंत्रीत किया जाय । पर उन्होंनें कई अनजान पर होनहार कलाकारो और साहित्यकारों और नियमीत टिपणी देने वाले रेडियो श्रोताओं को भी आकाशवाणी स्टूडीयोमें आमंत्रीत किया और उनके साथ कार्यक्रमों के बारेमें कि गई बातचीत को भी प्रसारित किया, जिसका एक उदाहरण मैं ख़ूद हूँ और आकाशवाणी की वे सर्वप्रथम व्यक्ति है, जिनसे मेरा प्रत्यक्ष परिचय हुआ था । उन्होंने स्थानिय (ख़ंड समयी), विज्ञापन प्रसारण सेवा के और प्रायमरी तीनो प्रकारके केन्द्र निर्देषक के रूपमें समय समय पर कार्यभार सम्हाला, जिनके कार्यक्रम निर्माण और प्रसारण के नियम अलग अलग होते है, और उन सभी प्रकारमें उन नियमो के अंदर रह कर भी अपनी कल्पनाशीलता दिख़ायी थी और इस बात को कभी नज़रंदाझ नहीं किया था कि श्रोता है तभी रेडियोकी उपयूक्तता है । एक बार आकाशवाणी वडोदरा और एक बार आकाशवाणी अमदावाद की और से सुरतमें आकाशवाणी संगीत समारोह उनकी राहबरीमें आयोजीत हुए थे । कई कवि सम्मेलन भी सुरतमें किये थे । सुरतमें आयी बहाढ़ के दौरान उनकी निगेहबानीमें आकाशवाणी सुरत के सभी कर्मचारी अधिकारी लोगोने बहूत की उपयोगी सेवा सुरतकी बहाढ़ पिडीत जनता की की थी ।
उनको कला के क्षेत्रमें सक्रिय रहने की और स्वस्थ निवृत जीवन की शुभ: कामना ।
पियुष महेता ।
सुरत ।

2 comments:

Unknown said...

Bhai sahab mere ko pata nahi tha kee app itna acha likh lete hai.

Hindi me app kese type karte hai , please btaye.

Apka

rajiv Sood

talat's fan said...

piyush bhai,
aapka jawab nahi hindi film sangeet ke purane premiyon ke liye aapne jo khazana khol dia hai use koi nahi bhula payega .har kalaka ko ek manch chahiye hota hai aapne Sh Gopal Shama ji ko hamare samne laane me jo role kiya hai woh bahut hi adhik sarahneeya hai !
yogendra shandilya

Post a Comment

आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।

अपनी राय दें