आप सभी प्रिय श्रोताओं और पाठकों का धन्यवाद जिन्होंने रेडियोनामा के नए स्वरुप को सराहा और इसकी समालोचना की. इसके साथ ही आपने दूर देश बैठ कर इस प्रिय BLOG के माध्यम से विविध भारती का आनंद लिया और पसंद किया. हम आभारी हैं श्री रोहित दवे जी के जिनके ऑनलाइन विविध भारती प्रसारण को हम रेडियोनामा के जरिये आप सबों तक पहुंचाने में कामयाब हो सके.
साथ ही हमें फ़ख्र है अपने नियमित स्तंभकारों पर जिनकी कलम आपके लिये हमेशा कुछ नया लेकर आती रहती है.. खास कर मैं जिक्र करना चाहुंगा अन्नपूर्णा जी और पीयूष जी की जो हमेशा सामयिक विषयों को और अलभ्य तथ्यों को हमारे पास लेकर आते हैं.
हम रेडियो के पितामह पुरुष स्व. पंडित नरेन्द्र शर्मा जी की सुपुत्री श्रीमति लावण्या शाह जी को कोटिशः धन्यवाद देना चाहेंगे कि जिनसे हमें हमेशा लगता रहता है हमारे इस छोटे से प्रयास ( रेडियोनामा) पर एक रेडियो की महान हस्ती का आशीर्वाद हमेशा बना हुआ है.. और लावण्या जी ( हम सबकी प्यारी लावण्या दीदी…), हम चाहेंगे कि आपका प्यार और स्नेह हमपर इसी तरह बना रहे… आप इसी तरह समय समय पर अपनी और पंडित जी के संस्मरण हमें सुनाती रहें.
मैं याद करना चाहुंगा भाई श्री संजय पटेल जी को जिनके अनुभव और संस्मरण पहले हम देख और सुन चुके हैं.. उनके पास तो संस्मरणों का तो जैसे खजाना सा है.. पर संजय भाई, अपने समय को थोडा सा फिर से हमारे लिए अपने पाठकों के लिए फिर से चुराइए ना.. जिससे की आपकी जोग लिखी फिर से हमारे सामने साकार हो जाए..
रेडियो से सीधे सीधे जुड़े हमारे दो और साथी हैं जिनके विचार एक नियमित अंतराल पर हमेशा हमारे पास पहुँचते रहे हैं... वो हैं हमारे और आप सब के प्रिय उदघोषक यूनुस भाई और इरफ़ान भाई.. फिर भी मैं इनसे गुजारिश करना चाहूँगा कि आप भी अपने व्यस्त लम्हों में से कुछ वक़्त निकालकर अपने संस्मरणों ,विचारो से हमें अवगत आगे भी कराते रहें ...
मैं गुज़ारिश करना चाहूंगा अपने उन रेडियो प्रेमी दोस्तों श्रोताओं से जो इस “रेडियोनामा” रूपी नाव के सहयात्री भी हैं, के वे सब भी अपना कुछ कुछ योगदान देते रहें ताकि ये किश्ती मंझधार में डूबे ना…
अंत में धन्यवाद देना चाहूंगा अपनी तकनीकी टीम को जिनकी पर्याप्त सहायता के बगैर हम आगे बढ ही नहीं सकते थे. विशेष कर सागर भाई, रवि भाई और विकास भाई का धन्यवाद जिनकी तकनीकों को जोड़ कर रेडियोनामा को आपके सामने एक नए रूप में रखने में कामयाब हुआ..
हमारा कारवां यूँ ही बढ़ता रहे इन्हीं अपेक्षाओं के साथ मैं अब विराम लेता हूँ और आशा करता हूँ कि आप आप इसी तरह हमारे साथ हमेशा जुड़े रहेंगे.
हमें पता है कि सम्पूर्णता में अभी भी कमी है जो आपकी राय के बगैर पूरी हो भी नहीं सकती. आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है, अपने विचार आप हमसे खुलकर बांटिये. आलोचनाओं का स्वागत है, पर एक सच्चे दिशा निर्देश की भी अपेक्षा है. हमारे जो भी नए पाठक, श्रोता हमसे जुड़ना चाहते हैं उनका तहे दिल से स्वागत है. आप अपने रेडियो के अनुभव हमसे बांटिये. हम उन्हें रेडियो नामा के माध्यम से पूरी दुनिया को बताएँगे. हम आमंत्रित करना चाहेंगे रेडियो से जुड़ी शख्शियतों को जिससे हमारे परों को और विस्तृत आसमान मिले. आप रेडियो नामा से संपर्क कर सकते है.. हमें लिखिए इस ईमेल पते पर - radionama @gmail .com
4 comments:
वाकई संजय पटेल जी और इरफान जी को इस ब्लौग पर नही पढ़े बहुत दिन हो गए. हमारा अनुरोध हैं कि कुछ समय निकाल कर अपने अनुभव बांटिए
श्री अजितजी और अन्नपूर्णाजी,
आप यानि अजितजी टिपणी कार के रूपमें मेरा और अन्नपूर्णाजी का होंसला बढाते आये है, करीब नियमीत रूपसे ऐ और अन्नपूर्णाजीने भी मेरी विषेष प्रासंगीक पोस्टों पर अपनी टिपणीयाँ नियमीत रूपसे प्रस्तूत की है, जो उनके लिये मैं नहीं कर पाया, इस लिये उनसे क्षमा याचना के साथ धन्यवाद प्रगट करता हूँ ।
आपका ब्लॉग देखा . बहुत सुन्दर लगा. एक अलग तरह का प्रयास कर रहे हैं आप. आपको बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं
डाक साब आपकी शिकायत दूर करने की पूरी कोशिश करूंगा.
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