रेडियोनामा अब अपने नए रूप में आपके सामने है। और हमारी कोशिश यही है कि इसे और जीवंत बनाया जाए। रेडियोनामा की गतिविधियां बढ़ाई जाएं।
(इस नई दिखावट-सजावट का श्रेय डॉ. अजीत को जाता है, मैं समझ सकता हूं कि सबकी जिंदगी इन दिनों किस क़दर मसरूफ़ है और ब्लॉग का ले-आउट बदलना कितना पेचीदा काम हो सकता है। ज़ाहिर है कि जुनूनी मन ही ऐसे पहाड़ उठा सकता है। उन्हें इस जुनून की बधाई)
रेडियोनामा परिवार को ये ख़बर देते हए मुझे ख़ुशी हो रही है कि आकाशवाणी के समाचार-प्रभाग की वरिष्ठ सदस्या शुभ्रा शर्मा जल्दी ही रेडियोनामा पर एक श्रृंखला लेकर आएंगी। शुभ्रा जी की आवाज़ पूरे भारत में आकाशवाणी के समाचारों में गूंजती रही है--'ये आकाशवाणी है, अब आप शुभ्रा शर्मा से समाचार सुनिए।'
शुभ्रा जी का ताल्लुक़ बनारस से है। वही बनारस जिसके बारे में नज़ीर बनारसी कहते हैं--
हर सन्त के, साधु के, ऋषि और मुनि के
सपने हुए साकार बनारस की गली में
(इस नई दिखावट-सजावट का श्रेय डॉ. अजीत को जाता है, मैं समझ सकता हूं कि सबकी जिंदगी इन दिनों किस क़दर मसरूफ़ है और ब्लॉग का ले-आउट बदलना कितना पेचीदा काम हो सकता है। ज़ाहिर है कि जुनूनी मन ही ऐसे पहाड़ उठा सकता है। उन्हें इस जुनून की बधाई)
रेडियोनामा परिवार को ये ख़बर देते हए मुझे ख़ुशी हो रही है कि आकाशवाणी के समाचार-प्रभाग की वरिष्ठ सदस्या शुभ्रा शर्मा जल्दी ही रेडियोनामा पर एक श्रृंखला लेकर आएंगी। शुभ्रा जी की आवाज़ पूरे भारत में आकाशवाणी के समाचारों में गूंजती रही है--'ये आकाशवाणी है, अब आप शुभ्रा शर्मा से समाचार सुनिए।'
शुभ्रा जी का ताल्लुक़ बनारस से है। वही बनारस जिसके बारे में नज़ीर बनारसी कहते हैं--
हर सन्त के, साधु के, ऋषि और मुनि के
सपने हुए साकार बनारस की गली में
शंकर की जटाओं की तरह साया फ़िगन है
हर साया-ए-दीवार बनारस की गली में
हर साया-ए-दीवार बनारस की गली में
गर स्वर्ग में जाना हो तो जी खोल के ख़रचो
मुक्ति का है व्योपार बनारस की गली में।
मुक्ति का है व्योपार बनारस की गली में।
शुभ्रा जी से हमने ना केवल अपनी निजी जिंदगी में रेडियो की जगह से जुड़े संस्मरण लिखने का अनुरोध किया है बल्कि समाचार सेवा प्रभाग के कुछ पुराने दिग्गजों के बारे में हम उनसे जानना चाहेंगे।
जब मैंने उनसे इस संदर्भ में अनुरोध किया तो उन्होंने सहर्ष स्वीकार करते हुए ये बात लिखी---
'बोलो कब और कहाँ शुरू करूँ? आकाशवाणी की मेरी यादें बहुत पहले से शुरू होती हैं...लगभग ५ साल की उम्र से. मेरे पिताजी रेडियो में थे और इलाहाबाद, लखनऊ, पणजी, कोहिमा के रेडियो स्टेशन मेरे प्ले ग्राउंड. टीवी - कम्प्यूटर का युग आने से पहले ट्रांजिस्टर ही सबसे बड़ा हमजोली होता था. मेरा भी था...'बस इस एक झलक से आप समझ सकते हैं कि रेडियोनामा पर आने वाली ये सीरीज़ कितनी दिलचस्प होगी।
ये बतातें चलें कि ये सीरीज़ साप्ताहिक होगी। हर हफ्ते किस दिन....इसकी सूचना आपको शीघ्र दे दी जाएगी।
उम्मीद है कि शुभ्रा जी इस सीरीज़ से पहले ही अपने एक बेहद दिलचस्प आलेख के साथ रेडियोनामा पर अपनी आमद का ऐलान करेंगी।
15 comments:
प्रतीक्षा रहेगी शुभ्रा जी के संस्मरणों की
ले-आउट में बदलाव स्फूर्तिदायक है
Awsome
बचपन से रेडियो की जिन आवाज़ों ने मन को मोह लिया उनमे से एक मीठी सी पर ठोस आवाज़ शुभ्रा जी की है. आपके पोस्ट के शीर्षक को देखते ही वो आवाज़ सीधे दिमाग में कौंध गयी.. ये.. आकाशवाणी है.. अब आप शुभ्रा शर्मा से समाचार सुनिये..
आपका स्वागत है शुभ्रा जी...
Mujhe lagta hai ki redionama ki yah peshkash pathako aur shrotao ke liye nayab tohafa hogi.meri shubhkamnaye...redio se jude rahe wo log jo ab service me nahi h unke bhi interviews bhi agar yahan aaye to kafi rochak honge. Mujhe yaad aate h wo aakashvani ke din jab....ek ek pal bete bade yaad aate h...mujhe lagta h jo bhi all india radio se juda raha h wo usase alag kabhi nahi ho sakta h...bhale hi wo kahi bhi ho.
ले आउट बहुत ही अच्छा लग रहा है। सुन्दर प्रस्तुति।
घर में एलसीडी टीवी आदि सब कुछ हैं लेकिन मैं उन्हें कम ही देखता हूँ. मेरा प्यारा साथी आज भी एक ट्रांज़िस्टर है और शुभ्रा जी की आवाज़ मैं सुनता रहता हूँ. आपका आभार जो उन्हें एक नए रूप में ब्लॉगिंग की दुनिया में ला रही हैं.
i am a big fan of shubhra ji and i am anxiously waiting for the series to begin!!!!
अच्छा है. पढ़ेंगे.
स्वागत है। प्रतीक्षा रहेगी।
वाह ! एक जमाने में हम पौने नौ बजे समाचार जरूर सुनते थे. शुभ्रा शर्मा, राजेंद्र चुग, अखिल मित्तल, हरी संधू जैसे नाम मुझे अब भी याद हैं :)
शुभ: समाचार ।
शुभ्रा (शर्मा) जी का रेडियोनामा पर स्वागत हैं ! आज भी हम आकाशवाणी समाचार नियमित सुनते हैं इसीसे शुभ्रा शर्मा हमारे लिए घरेलु नाम हैं. लगता हैं आने वाली श्रृंखला में कई नई जानकारियाँ मिलेगी.
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