महिला और युवा वर्ग का एक-एक कार्यक्रम हैं - सखि-सहेली और जिज्ञासा महिला वर्ग के कार्यक्रम में एक कड़ी युवा सखियों के लिए होती हैं जो युवको के लिए भी उपयोगी हैं। आइए, इस सप्ताह प्रसारित इन दोनों कार्यक्रमों पर एक नजर डालते हैं -
सप्ताह में पांच दिन एक घंटे के लिए दोपहर 3 बजे से प्रसारित होने वाले महिलाओं के कार्यक्रम सखि-सहेली में शुक्रवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम हैलो सहेली। फोन पर सखियों से बातचीत की ममता (सिंह) जी ने। 8 फोन कॉल थे। अधिकतर कॉल छात्राओं के थे। एक छात्रा की बातचीत से पता चला कि उसके गाँव में अधिक सुविधाएं नही हैं इसीलिए वह बी ए की पढाई के बाद बीएड के लिए पास के शहर जाना चाहती हैं। दो-तीन सखियों ने कोई बात ही नही की सिर्फ अपने शहर का नाम बताया और गीत की फरमाइश की। कुछ से विस्तार से बातचीत हुई, एक सखि ने बताया कि लड़के और लड़की में भेद नही करना चाहिए, दोनों को समान सुविधाएं मिलनी चाहिए। लड़कियों को चाहिए कि वे आवश्यक हो तो पढाई के लिए अपने गाँव-शहर से बाहर भी जाए। एक सखि ने इलाहाबाद से बात की और बताया कि वहां लोकनाथ और घंटाघर में खाने-पीने की बढ़िया चीजे मिलती हैं। एक बात पहली बार हुई, बातचीत के दौरान एक सखि ने क्षेत्रीय व्यंजन बनाने की विधि बता दी। सखियों की पसंद पर अस्सी नब्बे के दशक के गीत सुनवाए गए - साजन जैसी फिल्मो से और एक फरमाइश सत्तर के दशक की फिल्म कच्चे धागे के एक गीत के लिए हुई। इस गीत की फरमाइश बहुत दिन बाद हुई, सुनना अच्छा लगा - हाय हाय एक लड़का मुझको ख़त लिखता हैं। विभिन्न क्षेत्रो से शहर, गाँव, जिलो से फोन आए। एक सखि ने विविध भारती के कार्यक्रमों को पसंद करने की बात कही। कार्यक्रम के समापन पर बताया गया कि इस कार्यक्रम के लिए हर बुधवार दिन में 11 बजे से फोन कॉल रिकार्ड किए जाते हैं जिसके लिए फोन नंबर भी बताए - 28692709 मुम्बई का एस टी डी कोड 022 और यह अनुरोध भी किया गया कि यह कार्यक्रम सखियों का हैं, इसीलिए कृपया पुरूष श्रोता फोन न करे। शुरू और अंत में संकेत धुन सुनवाई गई जिसमे शीर्षक के साथ उपशीर्षक भी कहा जाता हैं - सखियों के दिल की जुबां - हैलो सहेली ! इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया कमलेश (पाठक) जी ने स्वाती (भंडारकर) जी के सहयोग से।
अन्य चार दिनों में सखि-सहेली कार्यक्रम में हर दिन दो प्रस्तोता सखियाँ आपस में बतियाते हुए कार्यक्रम को आगे बढाती हैं। हर दिन के लिए एक विषय निर्धारित हैं -सोमवार - रसोई, मंगलवार - करिअर, बुधवार - स्वास्थ्य और सौन्दर्य, गुरूवार - सफल महिलाओं की गाथा। सोमवार, मंगलवार और गुरूवार को प्रस्तोता रही ममता (सिंह) जी और शहनाज (अख्तरी) जी। सोमवार को बताया कि पिछले सप्ताह विचार मंच का विषय था - इंतज़ार। इस विषय पर बहुत से पत्र आए इसीलिए इस दिन भी सिलसिला जारी रखा गया। लगभग 18 पत्र पढ़े गए। एकाध पत्र अच्छा रहा, एक सखि ने लिखा कि उसके पिता उसकी पढाई के विरूद्ध थे। जब पिता नौकरी के लिए दूसरे शहर गए तब उनकी अनुमति के बिना पढाई की। उनके आने के बाद पढाई छूट गई फिर भाई की सहायता से चार साल के इन्तेजार के बाद पढाई शुरू हुई। तत्कालिक स्थिति से सम्बंधित पत्र नही थे जैसे स्कूल की अंतिम परीक्षा दी और नतीजे का इन्तेजार हैं क्योंकि कॉलेज जाना हैं, इसी तरह पढाई ख़त्म हुई और नौकरी का इन्तेजार हैं वगैरह। अधिकाँश पत्र ऐसे थे जिनमे इन्तेजार के बारे में लिखा गया जैसे माँ को आने वाले बच्चे का इन्तेजार हैं, रोगी को अच्छा होने का इन्तेजार हैं आदि। कुछ पत्रों में ऐसा एकाध वाक्य ही लिखा था फिर भी ये पत्र पढ़े गए। यह उचित हैं कि इस कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को अपनी बात कहने का अवसर दिया जा रहा हैं। लेकिन यहाँ एक बात स्पष्ट हैं कि यह कार्यक्रम दूरदराज के क्षेत्रो की महिलाएं अधिक सुनती हैं जिनमे से अधिकाँश महिलाएं कम पढी लिखी और संकोची भी होती हैं। ऎसी कई महिलाएं हैलो सहेली में फोन करती हैं, कुछ भी बात नही कर पाती केवल फरमाइशी गीत बता देती हैं। स्थिति यहाँ तक ठीक हैं कि फोन पर बात करने में संकोच होता हैं पर फोन तो किया पर यही स्थिति पत्रों में हो तो ठीक नही लगता। ऐसा लगता हैं प्रसारण समय का उचित उपयोग नही किया गया। बीस-पच्चीस पत्रों को पढ़े इससे अच्छा हैं चार पत्र पढ़े। सखियों ने पत्रों के साथ इसी विषय से सम्बंधित गीतों की फरमाइश की जो नए और कुछ पुराने थे - काइट्स, शराबी, फ़िदा फिल्मो के गीत। मैं हूँ न फिल्म का शीर्षक गीत और कृष्णा कॉटेज फिल्म का यह गीत - सूना सूना लम्हा लम्हा, मेरी राहे तन्हा तन्हा
मंगलवार का दिन करिअर का होता है। इस दिन वकील - क्रिमिनल लॉयर बनने के लिए जानकारी दी गई। करिअर संबंधी जानकारी का आलेख उन्नति (वोहरा) जी ने तैयार किया था। इस तरह यह अंक केवल लड़कियां ही नही लड़को के लिए भी उपयोगी रहा। यह दिन युवा सखियों के लिए हैं इसीलिए इस दिन सखियों की पसंद पर नए गाने ही सुनवाए गए। तनु वेड्स मनु, बैंड बाजा बारात, सिंग इज किंग, लव आजकल, जब वी मेट फिल्मो के गीत सुनवाए गए और पटियाला हाउज फिल्म से तुम्बा तुम्बा गीत भी शामिल था। बुधवार को प्रस्तोता रही ममता (सिंह) जी और रेणु (बंसल) जी। इस दिन स्वास्थ्य और सौन्दर्य संबंधी सलाह दी जाती है्। सखियों के भेजे गए पत्रों से कुछ जाने-पहचाने घरेलु नुस्के बताए गए। कोई नई जानकारी नही थी। इस दिन दो बाते अच्छी हुई, पहली बात, पहले किसी कार्यक्रम में गोदना (टैटू) के बारे में बताया गया था, इसके सम्बन्ध में एक सखि ने पत्र भेजा कि यह शरीर के लिए हानिकारक भी हो सकता हैं। इससे संक्रमण हो सकता हैं। इसीलिए इसका प्रचार भी नही किया जाना चाहिए। दूसरी बात - एक सहेली ने एक अशोभनीय चुटकुला लिख कर भेजा जिसे पढ़ कर सुनाया गया और साथ ही प्रस्तोता सखियों ने ये कहा कि यह पत्र शामिल नही भी किया जा सकता था पर शामिल किया और चुटकुला भेजने वाली सखि को खूब लताड़ा। सखियों की फरमाइश पर नए-पुराने गीत सुनवाए गए - जीत, फर्ज, उपहार, मस्त फिल्मो से और फूल और कांटे फिल्म से यह गीत भी शामिल था - मैंने प्यार तुम्ही से किया हैं। गुरूवार को सफल महिलाओं के बारे में बताया जाता है। इस दिन मालती बेटेकर के बारे में बताया। लड़कियों की शिक्षा के विरूद्ध माहौल में शिक्षा ली। बाद में आदिवासियों को बढाया और अच्छी लेखिका बन कर उभरी। इस जानकारी का आलेख उन्नति (वोहरा) जी ने तैयार किया था। सखियों के अनुरोध पर कुछ ही पहले के समय की फिल्मो के लोकप्रिय गीत सुनवाए - दोस्ती, थोड़ी सी बेबफाई, आनंद, चितचोर, दुल्हन वही जो पिया मन भाए, साजन बिना सुहागन फिल्मो से और सौदागर फिल्म से यह गीत भी सुनवाया - सजना हैं मुझे सजना के लिए, हरजाई फिल्म का गीत अंत में सुनवाया, बहुत थोड़ा सा, समय कम था, इस गीत को रोका जा सकता था।
हर दिन श्रोता सखियों के पत्र पढे गए। सखियों ने सलाह दी कि उम्र रहते शादी कर ले, उम्र रहते बच्चो को जन्म दे। शोर से बचे। अपने आपको कमतर न समझे। आशावादी बने। एक पत्र ऐसा भी था जिसमे सखि ने कुछ लिख भेजा जिसे पढ़ा भी गया पर समझ में नही आया कि क्या लिखा हैं। इस पत्र को पढ़ा गया और सखियों से यह कहा गया कि वे जो भी कहना चाहते हैं, स्पष्ट लिखे। प्रस्तोता सखियों ने भी आपस में बतियाते हुए बहुत सी बाते बताई जैसे करिअर के मामले में अभिभावक अपने विचार बच्चो पर न थोपे, पार्टी का आयोजन कैसे किया जाए। चारो दिन प्रसारण सुन कर ऐसा लगा कि इसके स्वरूप में परिवर्तन करना उचित रहेगा। हमारा अनुरोध हैं चार दिनों में से किसी एक दिन पत्रों के माध्यम से विभिन्न विषयो की चर्चा ठीक रहेगी, शेष दिन प्रस्तुति का अंदाज बदल दीजिए। हर दिन का विषय जैसे रसोई, करिअर आदि जारी रखते हुए (या इन्हें हटाया भी जा सकता हैं), फरमाइशी गीत सुनवाते हुए, एक या दो दिन साहित्य की चुनी हुई रचनाओं का पठन किया जा सकता हैं और साथ ही कुछ और स्तम्भ भी जोड़े जा सकते हैं या प्रसारण की अवधि को समेटते हुए एक-दो ही दिन रख दीजिए। कार्यक्रम के शुरू और अंत में सखि-सहेली की संकेत धुन सुनवाई गई। चारो दिन इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया कमलेश (पाठक) जी ने।
कार्यक्रम के दौरान एक सूचना भी दी कि हर महीने के अंतिम सोमवार के लिए एक विषय निर्धारित किया जाता हैं और उस पर सखियों के विचार आमंत्रित किए जाते हैं। सखियों के पत्रों को पढ़ कर सुनाया जाता हैं और साथ ही उनकी फरमाइश के गीत भी सुनवाए जाते हैं। इस बार का विषय हैं - गर्मियों की छुट्टियों का सदुपयोग कैसे करे।
शनिवार को रात 7:45 पर सुना सामान्य ज्ञान का साप्ताहिक कार्यक्रम जिज्ञासा। 15 मिनट के इस कार्यक्रम के विभिन्न खंड हैं। हर खंड के बाद जानकारी से सम्बंधित फिल्मी गीत की झलक सुनवाई जाती हैं। पहला खंड हैं - समय यात्री - टाइम मशीन जिसके अंतर्गत जानकारी दी गई कि टाइपराइटर बनाना बंद कर दिया गया हैं। यहाँ इससे सम्बंधित सामान्य जानकारी भी दी और यह भी बताया कि एक लोकप्रिय लेखक के पास सोने का टाइपराइटर था। दूसरी जानकारी भारतीय मूल के चिकित्सक सिद्धार्थ मुखर्जी की लिखी पुस्तक कैंसर से सम्बंधित थी जिस पर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। तीसरी जानकारी रोचक रही कि एक ऐसे आभासी (vartual ) विश्व विद्यालय को तैयार करने की योजना बनाई जा रही हैं जिससे छात्र इंटरनेट से ही पढाई कर सकेंगे। खोज शीर्षक के अंतर्गत बताया कि बाज गायब हो रहे हैं, बाज का भोजन रही घरेलु चिड़िया भी लुप्त होने की कगार पर हैं जिसका कारण पर्यावरण में एक तरह के रसायन का बढ़ना हैं जो इनके लिए जहर के समान हैं। इसके अलावा तम्बाकू का सेवन न करने के लिए जानकारी देने वाली वेबसाईट की भी जानकारी दी। बीच-बीच में सम्बंधित गीतों की झलकियाँ सुनवाई गई। कुछ गीत ऐसे थे जिन्हें मैंने पहली बार सुना - टाइपराइटर टिक टिक करता हैं जिन्दगी की हर कहानी लिखता हैं और लोकप्रिय गीतों की भी झलकियाँ सुनवाई गई - जिन्दगी का सफ़र हैं ये कैसा सफ़र। पूरे कार्यक्रम को सुन कर लगा कि कुछ और स्तम्भ जोड़ कर इसे अधिक उपयोगी बनाया जा सकता हैं। शोध, आलेख और स्वर युनूस (खान) जी का रहा। कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने।
ये दोनों ही कार्यक्रम आधुनिक विविध भारती की देन हैं यानि पहले इस तरह से महिलाओं और युवाओं के लिए अलग से कार्यक्रम तैयार नही किए जाते थे। वास्तव में नब्बे के दशक में कुछ कार्यक्रमों से महिला कार्यक्रमों की शुरूवात हुई फिर ये दो नियमित कार्यक्रम प्रसारित होने लगे। इन दोनों कार्यक्रमों को सुनकर ऐसा लगता हैं जब विविध भारती महिला और युवा वर्ग के लिए अलग कार्यक्रम तैयार कर ही रही हैं तब बच्चो के लिए भी कोई कार्यक्रम तैयार किया जा सकता हैं। बाल श्रोताओं के लिए भी विविध भारती में जगह होनी चाहिए।
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रेडिओ नामा पर महिला और युवा वर्ग का एक कार्यक्रम- सखि-सहेली और जिज्ञासा महिला वर्ग के कार्यक्रम में एक कड़ी युवा सखियों के लिए होती हैं जो युवको के लिए भी उपयोगी हैं। इस सप्ताह प्रसारित इन दोनों कार्यक्रमों पर एक नजर....मैंने पढ़ी .लेखक ने बड़े बारीकी से यह प्रोग्राम सुनकर अपनी दिल की बात लिखी.मुझे तो बड़ा आश्चर्य हो रहा है की विविध भारती का आलेख भी इतना सुन्दर नहीं होगा,जितनी जानकारी लेखक ने यहाँ पर दी है.
मगर विविध भारती के कार्यक्रम न जाने क्यों मुझे रास नहीं आते, श्रोता के खतो की क्या आहमियत है? कुछ कार्यक्रम सुंदर है,मगर मेरे खयालसे श्रोता को कोई स्थान नहीं है.सखी सहेली जैसे कार्यक्रमों को हमारे भी ख़त जाते है मगर उनको स्थान नहीं मिलता.न जाने क्यों विविध भारती के अनाउन्सर हमारे sms तथा फरमाइसी ख़त सामिल नहीं करते?
सखि-सहेली और जिज्ञासा तथा आज के कलाकार ,छायागीत ,मनचाहे गीत ,आपकी फरमाइश , मेरे पसदीदा कार्यक्रम है .
अभिजीत गव्हानकर
मेहेर नगर उमरखेड.
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