आज मशहूर उद्दघोषक श्री गोपाल शर्माजी की साल गिराह है तो इस मोके पर हम सब की और रेडियोनामा की और से उनके स्वथ और लम्बे आयुष्य के लिये शुभ: कामनाएं । कल मुम्बईमें श्री सुमन चोरसिया के पुस्तक की रिलीझ के उपलक्षमें हमारे साथी श्री युनूसजी की कम्पेरिंगमें एक कार्यक्रम का आयोजन तय था, जिसमें श्री गोपाल शर्माजी मूख़्य मेहमान के रूपमें थे और उनको लाने और वापस घर पहोंचाने का जिम्मा भी युनूसजीने ही लिया था तो युनूसजी को इनका अच्चा खासा सानिध्य प्राप्त हुआमेरी मुम्बई यात्रा के उपलक्षमें एक हप्तेमें श्री गोपाल शर्माजी के घर पर की गई मेरी मुलाकात पर एक पोस्ट जारी की थी, जिसमें मेरी उनके साथ ख़िंचाई हुई तसवीर भी किखाई थी । तो इसका पुन: प्रकासन टालते हुए इस बार श्री अमीन सायानी साहब द्वारा विविध भारती पर प्रस्तूत स्वर्ण-जयंती विषेष प्रसारण का हिस्सा बनी हुई श्रृँहला का एक अंश यहाँ प्रस्तूत किया है, जिसमॆं श्री अमीन सायानी साहब श्री गोपाल शर्माजी के लिये क्या कहते है और साथमें गोपाल शर्माजी की रेडियो प्रस्तूती सुनिये ।
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कल रेडियो श्त्री लंकासे निवृत पर क्रेझ्यूल उद्दधोषिका ने भी उनको आज के दिन की बधाई देतेइषेष रूओ हुए चार साल पहेले की शर्माजी की श्री लंका यात्रा के समय उनके द्वारा विषेष् रूपसे प्रस्तूत किये गये पूरानी फिल्मो के संगीत को पुन: प्रसारित किया था ।
पियुष महेता ।
सुरत-395001.
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Sunday, December 28, 2008
श्री गोपाल शर्माजी- 100 साल तक बोलते रहीए । जन्म दिन की बधाई
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6 comments:
गोपाल शर्मा जी को सालगिरह की बधाई!
गोपाल जी की लम्बी उम्र ,उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूँ .जन्मदिन की शुभकामना
हम्मम । कल गोपाल जी के साथ अच्छा वक्त बीता । परम आनंद मिला । आयोजन भी शानदार रहा । जल्दी ही इसका ब्यौरा दिया जाएगा ।
आदरणीय गोपाल शर्मा जी को जन्म दिन की हार्दिक बधाई .
आदरणीय गोपाल शर्मा जी को सालगिरह मुबारक !
आदरणीय गोपाल शर्मा जी को हार्दिक बधाई ...लेकिन इससे भी अधिक बधाई का पात्र है रेडियो नाम का यह ब्लॉग, जिसने आवाज़ की दुनिया के दिग्गजों के नाम को, उनके काम को फ़िर से जिंदा करने का बीडा उठाया हुआ है ! आवाज़ की दुनिया के बेताज बादशाह अमीन सायानी एक ऐसा नाम है जिसके बिना हिन्दुस्तान की ब्राडकास्टिंग का तस्सवुर भी नही किया जा सकता , लेकिन अफ़सोस कि आज की युवा पीडी इससे पूरी तरह से अनजान है । उन्हें तो ऍफ़ एम् कि दुनिया के उल्टे पुल्टे नामो की ही ज्यादा पहचान है....जिन्हें ना तो किसी एक भाषा पर अधिकार है और ना ही ब्राडकास्टिंग के सौन्दर्य की कुछ पहचान है ! पिछले एक अरसे से अमीन भाई सरीखे नामों को भुला देने की एक साजिश सी चलती नज़र आ रही थी , जिसे रेडियो नामा ने एक हद तक विफल करने का प्रयास तो किया ही है। अब यह मुहीम कहाँ तक चलती है और किस सीमा तक सफल होती है, समय ही तै करेगा। हम केवल इसकी सफलता की कामना ही कर सकते हैं।
"परिंदे उड़ते है, खो जाते हैं कहीं मगर परवाज़ नही जाती
सब चले जाते हैं रफ्ता रफ्ता , आवाज़ नहीं जाती !! "
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