बहुत दिनों से विविध भारती पर नहीं सुनवाए गए गीतों की श्रृंखला में आज मैं याद दिला रही हूँ बाबुल की गलियाँ फ़िल्म का गीत। यह शायद एक ही फ़िल्म है जिसमें हेमामालिनी और संजय (ख़ान) ने एक साथ काम किया। यह युगल गीत है जिसमें आवाज़ें किशोर कुमार (या शायद रफ़ी साहब) और आशा भोंसलें की है। संवादों से सजा यह गीत पहले विविध भारती, रेडियो सिलोन और क्षेत्रीय केन्द्रों से बहुत सुनवाया जाता था। अब तो बरसों हो गए नहीं सुने (रेडियो से)
वर्ष 1972-73 के आस-पास रिलीज़ इस फ़िल्म के इस गीत के बोल है -
एक चीज़ माँगते है हम तुमसे पहली बार (किशोर)
एक चीज़ माँगते है
अच्छी सी फ़रमाइश करना (आशा)
सुनने से पहले क्या डरना (किशोर)
माँगो बाबा कुछ भी माँगो (आशा)
माँगू (किशोर)
हाँ हाँ (आशा)
दिल पर रख कर हाथ करो पहले हमसे इक़रार (किशोर)
एक चीज़ माँगते है
(यहाँ भी शायद कुछ बोल है)
रात को खिड़की खोल के रखना (किशोर)
हाय राम, कौन सी (आशा)
हाँ हाँ हाँ रात को खिड़की खोल के रखना (किशोर)
दो नयनों से बोल के रखना
आगे बोलो (आशा)
यही, आए मेरे सपने तो फिर करना ना इंकार (किशोर)
एक चीज़ माँगते है हम तुमसे पहली बार
एक चीज़ माँगते है हम तुमसे पहली बार (आशा)
अब जो मिलना
अच्छा जी (किशोर)
अब जो मिलना बाँध के सेहरा ही मिलना सरकार (आशा)
तो अगले इतवार (किशोर)
जी सरकार (आशा)
अच्छा है त्यौहार हा… हा… हा… (दोनों)
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
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Tuesday, December 30, 2008
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3 comments:
कुछ लाइनें और थीं
पहले चीज का नाम बताओ (आशा)
देखो हम पर शक ना लाओ (किशोर)
उल्टी सीधी चीज न मांगे देखो सच्चा प्यार(किशोर)
एक चीज़ माँगते है हम तुमसे पहली बार (किशोर)
मांगू छोटा सा नज़राना
...
शुक्रिया भूली पंक्तियाँ याद दिलाने का। यह इस तरह है -
माँगू छोटा सा नज़राना (किशोर)
हाय कितना लम्बा अफ़साना (आशा)
माँगू छोटा सा नज़राना (किशोर)
उफ़ कितना लम्बा अफ़साना (आशा)
जल्दी से कह दो (आशा)
कह तो रहा हूँ (किशोर)
अरे जल्दी से कह दो (आशा)
कह तो रहा हूँ (किशोर)
रात को खिड़की…
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हमारा पसंदीदा गीत ।
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