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Friday, February 27, 2009

साप्ताहिकी 26-2-09

सप्ताह भर सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में मनीषियों, वेदान्तकारों और साहित्यकारों के विचार बताए गए। सोमवार को शिवरात्री थी पर वन्दनवार में शुरूवात हुई कृष्ण भजन से जिसके बाद राम और हनुमान के भजन सुनवाए गए पर एक भी शिवभक्ति गीत नहीं सुनवाया गया जबकि रविवार को शिवभक्ति गीत सुनवाए गए लगा विविध भारती ने रविवार को ही शिवरात्री मना ली। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा जिसमें रविवार को सुनवाया गया देशगान नया लगा पर विवरण नहीं बताया गया। गुरूवार को शैलेन्द्र का लिखा और कनु घोष का स्वरबद्ध किया यह लोकप्रिय देशगान सुनवाया गया -

वह सावधान आया तूफ़ान अब दूर नहीं किनारा

पर गायक कलाकार का नाम नहीं बताया गया, यह गीत महेन्द्र कपूर ने साथियों के साथ गाया है।


7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। कुछ लोकप्रिय गीतों के साथ ऐसे गीत सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए जैसे झुमरू फ़िल्म का गीत। अक्सर किशोर कुमार का ही गीत सुनवाया जाता है पर इस बार का कोरस शायद ही पहले सुना है। इसी तरह बाबुल फ़िल्म का भी एक गीत सुनवाया गया।

7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला ठुमक चली ठुमरी जारी रही जिसमें आमंत्रित कलाकार है माधुरी ओक और शरद सुतवड़े (शायद नाम लिखने में ग़लती हो) शोध और आलेख विश्वनाथ ओक जी का है। ठुमरी की दूसरे गायन शैली जैसे धुपद आदि से अंतर इस सप्ताह स्पष्ट किया गया। बताया गया कि ध्रुपद में विलंबित ताल होती है जबकि ठुमरी में झप ताल होती है। ठुमरी सभी रागों में भी नहीं गाई जाती, कुछ रागों में गाई जाती है जैसे राग पीलू। श्रृंगार रस ठुमरियाँ अधिक होती है। इस तरह कई समानताएँ होते हुए भी अंतर है। विभिन्न घरानों की ठुमरी की भी चर्चा हुई। बताया गया कि बनारस के घराने की ठुमरी में शब्द अधिक मनोरंजक होते है। ग़ैर फ़िल्मी और फ़िल्मी ठुमरियाँ गाकर सुनाई गई जिसके लिए हारमोनियम पर संगत की विश्वनाथ ओक जी और तबले पर संगत की सूर्याक्ष देशपाण्डेय जी ने। इससे यह भी पता चला कि किस तरह मूल ठुमरी को तोड़-मरोड़ कर फ़िल्म में प्रस्तुत किया जाता है जैसे -

एक चतुरनार करके सिंगार


इसे हास्य रूप में फ़िल्म पड़ोसन में प्रस्तुत किया गया।


7:45 को त्रिवेणी में शुक्रवार को एक ओर आलेख अच्छा रहा दूसरी ओर गीत भी अच्छे रहे पर एक दूसरे से मैच नहीं कर रहे थे, आलेख में घुमक्कड़ स्वभाव यानि घूमने फिरने की आदत यानि पर्यटन की बात हुई और गीत जीवन के सफ़र के चुने गए जैसे अंदाज़ फ़िल्म का गीत -

ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना

पर रविवार की दोस्ती पर त्रिवेणी अच्छी लगी और गुरूवार को सपने सच करने की जद्दोजहद की बात हुई जिसमें आलेख, गीतों का चुनाव, सुनवाने का क्रम सभी एकदम पर्फ़ैक्ट। अब ऐसे में विविध भारती की तरफ़ से यही कह सकते है - प्रभु जी मेरे अवगुन चित्त न धरो !


दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शुक्रवार को आए कमल (शर्मा) जी, फ़िल्में रही स्वामी, अभिमान, दूसरा आदमी, बाज़ार। शनिवार को पधारी रेणु (बंसल) जी फ़िल्में रही फासले, इज्ज़त, बिच्छू। सोमवार को कमल (शर्मा) जी ले आए फ़िल्में हम आपके है कौन, लव स्टोरी, मैनें प्यार किया, ग़ुलामी, सड़क, दिल है कि मानता नहीं। इस दिन न रहमान को बधाई दी गई और न ही हिन्दी फ़िल्म इंड्स्ट्री को आँस्कर पाने पर। मंगलवार को पधारी निम्मी (मिश्रा) जी फ़िल्में रही अनीता, मिलन, दो रास्ते, राजा और रंक, जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली, अधिकार जैसी लोकप्रिय फ़िल्मे। बुधवार को अशोक जी लाए लोकप्रिय फ़िल्में हकीकत, इज्ज़त, ग़मन, काजल, आमने-सामने। गुरूवार को कमल (शर्मा) जी ले आए फ़िल्में दूर का राही, बरसात की रात, धूल का फूल

अनीता फ़िल्म का मुकेश का गाया और मनोज कुमार पर फ़िल्माया यह गीत बहुत दिन बाद सुनने को मिला -


तुम बिन जीवन कैसे बीता पूछो मेरे दिल से


1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में सोमवार को लगा था ए आर रहमान के संगीत से शुरूवात होगी पर एलबम रात से नवाब आरज़ू का लिखा यह गीत अनुराधा पौड़वाल और बाबुल सुप्रियो की आवाज़ों में सुनवाया गया -


प्यार तुमसे करते है हम आज ये मालूम हुआ

जी ना सकेगें बिन तेरे हम आज ये मालूम हुआ

1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में मिले-जुले गीत सुनवाए गए, साठ सत्तर के दशक की फ़िल्मों के गीत और अस्सी के दशक के भी गीत जैसे बेटा फ़िल्म का यह गीत -

धक -धक करने लगा ओ मोरा जियरा डरने लगा

और नई फ़िल्मों जैसे कृष के गीत भी सुनवाए गए।

3 बजे सखि सहेली में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। मुज्ज़फ़रपुर से छात्रा ने बताया कि वहाँ अब गर्मी शुरू होने लगी है, वहाँ की लीचियाँ मशहूर है। युवा लड़की ने गुजरात से फोन किया जो हीरे तराशने का काम करती है। सिर्फ़ इतना ही बताया कि हीरे मशीन से तराशे जाते है जिसकी उसे ट्रेनिंग मिली है और पगार बताई, काम से जुड़ी और भी बातें हो सकती थी ऐसा मैं सोच ही रही थी कि हैदराबाद से एक काल आया जो कामर्स की छात्रा ने किया। पूछने पर भी वो अधिक नहीं बता पाई। इतना ही कहा कि चारमीनार के पास लाड़ बाज़ार में चूड़िया मिलती है जो प्रसिद्ध है पर यह नहीं बताया कि यह विश्व प्रसिद्ध है जिसके लिए यहाँ अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी भी लगती है। हालांकि शहनाज़ जी ने पूछा कंगन के बारे में तब भी नहीं श्रोता सखि नहीं बता पाई, शहनाज़ जी यहाँ कंगन को गोट कहते है इसमें भीतर लाख़ होता है और बाहर रंग-बिरंगे नग जड़े होते है। अब यही तो होता है कि श्रोताओं को फोन करने का शौक है पर इस अवसर का लाभ लेकर अपने शहर के बारे में पूछने पर भी नहीं बता पाते है।


सोमवार को महाशिवरात्री जोर-शोर से मनाई गई। व्रत के व्यंजन जैसे आलू की खिचड़ी, ठंडई बनाना बताया गया जो अच्छा लगा। मंगलवार को करिअर संबंधी जानकारी में चाटर्ड एकाउन्टेन्सी के बारे में जानकारी दी गई। इस काम के बारे में भी जानकारी दी गई और युवा वर्ग के पसंदीदा नए गाने सुनवाए गए जैसे बंटी और बबली का गीत - कजरारे। बुधवार को स्वास्थ्य और सौन्दर्य में फलों का रस लेने की सलाह दी गई, वही पुराने नुस्क़े बताए गए। सामान्य जानकारी में बच्चों को स्कूल में दिए जा रहे पौष्टिक आहार - मिड डे मील आदि की जानकारी दी। आँस्कर अवार्ड के लिए देर से बुधवार को शुभकामनाएँ दी गई। गुरूवार को सफल महिलाओं की जानकारी में भारत की प्रथम महिला पुलिस महानिदेशक कंचन सिंह के बारे में बताया।

शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में लोकप्रिय फ़िल्मों के सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे फ़िल्म मिलन का यह गीत -


युग-युग से ये गीत मिलन के गाते रहें है गाते रहेंगें हम तुम

3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में मूल विदेशी नाटक का कमल तनेजा द्वारा किया गया हिन्दी रूपान्तर सुना - और फिर जिसके निर्देशक है विजय दीपक छिब्बर। सन 1200 का परिवेश था जहाँ बेदाग़ राजकुमार को ही ड्यूक की गद्दी मिलनी थी पर राज़ ये कि लड़की को छिपा कर इसके लिए तैयार किया जाता है।

शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में दुनिया देखो स्तम्भ में असम की सैर कराई गई। किताबों की दुनिया में बंगला लेखक ताराशंकर बन्धोपाध्याय पर आलेख प्रस्तुत किया गया। एक बात अच्छी लगी युनूस जी कि हर दूसरे रविवार को दी जाने वाली खगोल विज्ञान की जानकारी के लिए श्रोताओं के लिए भी द्वार खोल दिए गए और कहा गया कि अगर कोई किसी तरह का सवाल पूछना चाहे तो विविध भारती को पत्र या मेल भेज सकते है।

पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में चूल्हा चौका कार्यक्रम प्रसारित हुआ जिसमें जोगेश अरोड़ा जी ने पंजाबी व्यंजन बनाना बताया। हमेशा की तरह इस बार भी अच्छा रहा कार्यक्रम।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम मुंबई के टाटा कैंसर शोध संस्थान में जाकर संस्थान के निदेशक डा आर बड़वे से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत प्रसारित हुई। विषय रहा स्तन कैंसर। विस्तृत जानकारी मिली। इस बात को स्पष्ट किया गया कि स्तनपान न कराने से स्तन कैंसर का ख़तरा रहता है। इसे सखि सहेली में भी प्रसारित करने का अनुरोध है। बुधवार को हमारे मेहमान कार्यक्रम में जुतिका राय से कमल (शर्मा) जी की बातचीत का अंतिन भाग सुनवाय गया। जुतिका राय ने बंगला में गाकर सुनाया। अपने कार्यक्रमों के बारे में भी बताया। बहुत अच्छी रही बातचीत। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए।


5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नए फ़िल्मी गीत बजते रहे।

7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया निर्माता निर्देशक बी सुभाष ने। कुछ बातें फ़ौजी भाइयों के नाम रही, कुछ अपनी फ़िल्मों की चर्चा रही। स्लमडाग मिलियेनेर का भी गाना सुनवाया। बहुत ताज़ी रही यह जयमाला।


7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में राजस्थानी, छत्तीसगढी और पूर्वी लोकगीत सुनवाए गए जिसमें राजस्थानी गीत खेतों में गाया जाने वाला था। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और महेन्द्र मोदी जी। इस बार एक बात बड़ी अच्छी लगी कि श्रोताओं की प्रतिक्रिया तुरन्त मिली जैसे बुधवार को पिटारा में ख़्यात गायिका जुतिका राय से बात हुई और इस कार्यक्रम की प्रशंसा में ईमेल आ गए वरना पहले पत्रावली में जिन कार्यक्रमों की चर्चा होती थी उन कार्यक्रमों को पत्र सुनने पर दुबारा याद करते थे। मंगलवार को क़व्वालियाँ सुनवाई गई। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में क्रिकेट अंपायर सुबोध भाटीकर से युनूस जी की बातचीत की प्रसारित हुई। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।


8 बजे हवामहल में सुनी झलकियाँ - कैसे कैसे दोस्त (निर्देशक गंगाप्रसाद माथुर) हवालात में एक रात (रचना शशिकान्त दुबे निर्देशक अज़रूद्दीन) प्रहसन - वापसी (रचना विपिन बिहारी मिश्र निर्देशक जयदेव शर्मा कमल) हास्य नाटिक - मूसी राम

9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।

9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में सुजाता, बुढ्ढा मिल गया, चलती का नाम गाड़ी, रतन, ये गुलिस्त्तां हमारा फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।

रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में निर्माता निर्देशक जे ओमप्रकाश से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनी।

10 बजे छाया गीत में राजेन्द्र त्रिपाठी जी इस बार कुछ पुराने गीत लेकर आए।

1 comment:

mamta said...

बड़े कमाल की साप्ताहिकी लिखी है ।

ये तो हमें पता ही नही था कि सखी-सहेली में फ़ोन करने पर caller अपने शहर के बारे में भी बताते है । ये नई बात पता चली ।

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