वर्ष 1974 के आस-पास रिलीज़ हुई थी फ़िल्म - झील के उस पार
गुलशन नन्दा के उपन्यास पर बनी एक बहुत अच्छी फ़िल्म जिसके कलाकार है मुमताज़, धर्मेन्द्र और योगिता बाली। इसके गीत भी बहुत लोकप्रिय रहे और रेडियो के सभी स्टेशनों से बहुत सुनवाए जाते थे। आजकल भी एकाध गीत विविध भारती पर सुनने को मिल जाता है पर लताजी की आवाज़ में यह शीर्षक गीत नहीं सुने बहुत समय हो गया। इसके कुछ-कुछ बोल मुझे याद आ रहे है जो इस तरह है -
चल चले ए दिल करे चल
कर किसी का इंतेज़ार
इंतेज़ार झील के उस पार
शायद कोई परदेसी आ जाए सूने देश में
मिल जाए भगवान मुझको आदमी के भेष में
क्या हो जाए क्या है ऐतेबार
झील के उस पार
जो इस पार नहीं कोई क्या जाने वो उस पार हो
पर्वत के पीछे एक सुन्दर सपनों का संसार हो
छाई हो बहारों पे बहार
झील के उस पार
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
सबसे नए तीन पन्ने :
Tuesday, April 28, 2009
Friday, April 24, 2009
साप्ताहिकी 24-4-09
सप्ताह भर सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में अम्बेडकर, गौतम बुद्ध, स्वामी विवेकानन्द के विचार बताए गए। सप्ताह भर भजन भी अच्छे सुनवाए गए। रविवार को शास्त्रीयता का पुट लिए भजन अच्छे लगे जिसमें कबीर की रचना भी थी। कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा जिसके लिए विवरण कभी नहीं बताया गया।
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। सप्ताह भर लोकप्रिय गीतों जैसे सुरैया का गाया शमा फ़िल्म का यह गीत -
धड़कते दिल की तमन्ना हो मेरा प्यार हो तुम
के साथ ऐसे गीत भी सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए जैसे शहनाई फ़िल्म का अमीरबाई कर्नाटकी का गाया गीत। कार्यक्रम का समापन परम्परा के अनुसार के एल (कुन्दनलाल) सहगल के गाए गीतों से होता रहा।
7:30 बजे संगीत सरिता में इस समय चल रही श्रृंखला में ऐसे रागों की चर्चा की जा रही है जिसमें दोनों निशाथ स्वर लगते है, इसे प्रस्तुत कर रहे है प्रसिद्ध सितार वादक शमीम अहमद खाँ साहब। चर्चा में रहे राग वृन्दावनी सारंग, ख़माज, तानसेन द्वारा तैयार मियाँ मल्हार और बड़ा माने जाना वाला राग जयजयवन्ती। आलाप और गतें भी सुनवाई गई। वादन और फ़िल्मी गीत भी इन रागों पर आधारित सुनवाए जा रहे है।
7:45 को त्रिवेणी में ज़िन्दगी के सफ़र की, घर बनाने की बातें हुई और संबंधित गीत सुनवाए गए। कुछ अंक दुबारा प्रसारित हुए।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शनिवार को अमरकान्त जी लाए आँधी, चरस जैसी लोकप्रिय फ़िल्में सोमवार को सलमा जी धूम, अफ़सर जैसी नई और राजा जैसी कुछ पुरानी फ़िल्में लेकत आईं। मंगलवार को कमल (शर्मा) जी लाए सागर, किस्मत, चलते-चलते, शागिर्द जैसी सदाबहार फ़िल्में। बुधवार को आईं मंजू जी और ले आईं कुछ लोकप्रिय फ़िल्में जिनमें से श्रोताओं ने इन फ़िल्मों के गीतों के लिए संदेश भेजे - बातों बातों में, नूरी, बाँबी, लावारिस, शान। गुरूवार को सलमा जी ले आई दिल, जो जीता वही सिकन्दर, राजा जैसी फ़िल्में। हर दिन श्रोताओं ने भी इन फ़िल्मों के लोकप्रिय गीतों के लिए संदेश भेजें।
1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में यह सुनना अच्छा लगा -
बन्नो तेरी अँखियाँ सूरमेदानी
इसके अलावा फ़ाल्गुनी पारिख़ को भी सुनना अच्छा लगा -
सजना तू न जा छोड़ के मुझे छोड़ के तू न जा
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में हर दिन मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे गोपी फ़िल्म का दिलीप कुमार और सायरा बानू पर फ़िल्माया गया यह मज़ेदार गीत -
जैंटलमैन जैंटलमैन जैंटलमैन
मैं हूँ बाबू जैंटलमैन
लन्दन से आया हूँ मैं बनठन के
और नई फिल्म तेरे नाम का हिमेश रेशमिया का स्वरबद्ध किया यह गीत -
तुमसे मिलकर बातें करना बड़ा अच्छा लगता है
3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। देश के विभिन्न राज्यों से सखियों ने फोन किए। इस बार ज्यादातर लडकियों के फोन आए। छुट्टियाँ है, शायद इसीलिए। अपने-अपने शहर के बारे में हल्की सी जानकारी दी जिसमें से कोई विशेष स्थान के बारे में जानकारी नहीं मिली। उनके पसंदीदा गीत भी औसत ही रहे।
सोमवार को पोहे के टिक्के और ख़मीरा आटे के मालपुए बनाना बताया गया। दोनों व्यंजन अच्छे थे और बनाना भी आसान है। मंगलवार को करिअर संबंधी जानकारी में पशु चिकित्सक बनने के बारे में जानकारी दी गई और युवा वर्ग के पसंदीदा नए गाने सुनवाए गए। बुधवार को सौन्दर्य और स्वास्थ्य पर चर्चा में गरमी में सुरक्षा के उपाय बताए गए। गुरूवार को सफल महिलाओं के बारें में बताया जाता है, इस बार इतिहास के पन्नों से चित्तौड़ की रानी पद्मिनी क बारें में जानकारी दी गई। सखियों ने नए पुराने अच्छे गीतों की फ़रमाइश की जैसे मिस्टर और मिसेज 55 फ़िल्म का गीत -
जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी
अभी अभी इधर था किधर गया जी
और नई फ़िल्म दिल्ली 6 का प्रसून जोशी का लिखा यह गीत -
सैंया छेड़ देवे ननद चुटकी लेवे
ससुराल गेंदा फूल
सास गाली देवे देवरजी समझा लेवे
ससुराल गेंदा फूल
शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे गर्ल फ़्रेंड फ़िल्म का किशोर कुमार और सुधा मल्होत्रा का गाया यह गीत -
कश्ती का ख़ामोश सफ़र है शाम भी है तन्हाई भी
दूर किनारे पर बजती है लहरों की शहनाई भी
आज मुझे कुछ कहना है
3:30 बजे शनिवार को नाट्य तरंग में नाटक सुनवाया गया - एक टोकरी भर मिट्टी जिसके मूल लेखक है माधव राव सप्रे और निर्देशक है विजय दीपक छिब्बर। यह नहीं बताया गया कि मूल किस भाषा का है यह नाटक।
शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में केरल की सैर करवाई गई, किताबों की दुनिया स्तम्भ में साहित्यकार विष्णु प्रभाकर को श्रृद्धांजलि दी गई, उनके जीवन और साहिय के बारे में बताया गया, विभिन्न पाठयक्रमों में प्रवेश की सूचना दी गई, बहुत अच्छा लगा हरिवंशराय बच्चन से लोकगीत सुनना। स्तरीय रही यह कड़ी। बधाई यूनूस जी !
पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में कानून विशेषज्ञ वसुन्धरा देशपाण्डेय से सखि-सहेली कार्यक्रम के लिए की गई बातचीत का प्रसारण किया गया। कांचन (प्रकाश संगीत) जी द्वारा प्रस्तुत यह बहुत अच्छी जानकारी देने वाली बातचीत है जिसमें बताया गया कि तलाक़ के बाद पत्नी को अपना घर अपने नाम पर करवाने के लिए किन-किन अडचनो का सामना करना पडता है।
पिटारा में सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में डा नीलम रेड़करे से राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने गर्भावस्था की समस्याओं पर बातचीत की। विस्तृत जानकारी मिली कि गर्भाधान के समय रक्त की कमी हो जाती है, पालक में आयरन होता है और इस तरह आयरन युक्त आहार लेना चाहिए। इस तरह आरंभिक देखभाल से लेकर सभी समस्याओं पर चर्चा की गई। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेता गुलशन ग्रोवर से ममता (सिंह) जी की बातचीत की दूसरी और अंतिम कड़ी सुनवाई गई जिसमें अभिनेता ने अपनी कुछ नई फ़िल्मों की चर्चा की, यह भी बताया कि कुछ अच्छे भले व्यक्तियों की भूमिकाएँ भी की है। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए। शनिवार को शहनाज़ (अख़्तरी) जी से बात करते हुए एक श्रोता ने वन्दना फ़िल्म के गीत की फ़रमाइश की तो बहुत अच्छा लगा, क्योंकि यह अच्छा सा गीत बहुत दिन से श्रोता भुला से बैठे थे -
आपकी इनायतें आपके करम
आप ही बताए कैसे भूलेंगे हम
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए जैसे ओ बेबी, टैक्सी नम्बर 9211
7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए जिसमें अभिलाषा फ़िल्म के इस युगल गीत की बहुत दिन बाद फ़रमाइश की फ़ौजी भाइयों ने -
प्यार हुआ है जबसे मुझको नहीं चैन आता
शनिवार को विशेष जयमाला निर्माता निर्देशक शक्ति सामन्त को समर्पित किया गया। शक्ति सामन्त द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम का दुबारा प्रसारण किया गया जिसमें कुछ और कलाकारों को भी याद किया गया जैसे संजीव कुमार, मुकेश। अपनी फ़िल्मों के बारे में भी बताया। अच्छी प्रस्तुति रही।
7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में छत्तीसगढी, अवधी और पूर्वी गीत सुनवाए गए जिसमें अवधी गीत अच्छा लगा। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में निम्मी (मिश्रा) जी के साथ बहुत दिन बाद तशरीफ़ लाए महेन्द्र मोदी जी। ठीक से न सुन पाने की तकनीकी शिकायते थी जिसका स्पष्ट जवाब दिया मोदी साहब ने कि पहले मध्यम तरंगे (मीडियम वेव) थी पर अब की एफ़ एम तरंगे दूर तक तो जाती है पर वातावरण के शोर से प्रभावित होती है इसीलिए प्रसारण स्पष्ट नहीं हो पाता। पर अब भी थोड़ा और स्पष्ट नहीं हुआ कि क्यों डीटीएच से साफ़ प्रसारण होता है। इसके अलावा कुछ कार्यक्रमों की तारीफ़ तो कुछ पुराने कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने का अनुरोध किया श्रोताओं ने। मंगलवार को सुनवाई गई फ़िल्मी क़व्वालियाँ। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने जैसे राग बिलावल पर आधारित ज्वैल थीफ़ फ़िल्म का किशोर कुमार का गाया गीत -
ये दिल न होता बेचारा क़दम न होते आवारा
तो ख़ूबसूरत कोई अपना हमसफ़र होता
8 बजे हवामहल में सुना हास्य नाटक तुम्हारे लिए, नाटिका - चाय काफ़ी ठंडा पानी (निर्देशक मुख़्तार अहमद) यह नाटिका अच्छी लगी, इससे पता चला कि कुछ वर्ष पूर्व लड़कियाँ किस तरह से आपस में अपने विवाह के संबंध में चर्चा कर चिंतित रहती थी क्योंकि तब भी वो आसानी से स्वतंत्र निर्णय आज की तरह नहीं ले पाती थी।
9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में नूरी, हमराज़, तीसरी मंज़िल जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में गीतकार नक्शलायल पुरी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत प्रसारित हो रही है। इसकी छठी कड़ी सुनी जिसमें साथी संगीतकार मदन मोहन के साथ काम करने के अनुभव बताए गए। केवल दो ही फ़िल्में की - प्रभात और दिल की राहें और एक फ़िल्म रिलीज़ नहीं हुई। यह भी बताया गया कि मदन मोहन जी के संगीत संयोजन के साथ आवश्यकता होने पर बोल बदलने पड़ते।
10 बजे छाया गीत में सप्ताह भर साठ सत्तर के दशक के अच्छे गाने सुनने को मिले और ऐसे ही गीत जारी रहे श्रोताओं की फ़रमाइश पर 10:30 बजे आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम में।
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। सप्ताह भर लोकप्रिय गीतों जैसे सुरैया का गाया शमा फ़िल्म का यह गीत -
धड़कते दिल की तमन्ना हो मेरा प्यार हो तुम
के साथ ऐसे गीत भी सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए जैसे शहनाई फ़िल्म का अमीरबाई कर्नाटकी का गाया गीत। कार्यक्रम का समापन परम्परा के अनुसार के एल (कुन्दनलाल) सहगल के गाए गीतों से होता रहा।
7:30 बजे संगीत सरिता में इस समय चल रही श्रृंखला में ऐसे रागों की चर्चा की जा रही है जिसमें दोनों निशाथ स्वर लगते है, इसे प्रस्तुत कर रहे है प्रसिद्ध सितार वादक शमीम अहमद खाँ साहब। चर्चा में रहे राग वृन्दावनी सारंग, ख़माज, तानसेन द्वारा तैयार मियाँ मल्हार और बड़ा माने जाना वाला राग जयजयवन्ती। आलाप और गतें भी सुनवाई गई। वादन और फ़िल्मी गीत भी इन रागों पर आधारित सुनवाए जा रहे है।
7:45 को त्रिवेणी में ज़िन्दगी के सफ़र की, घर बनाने की बातें हुई और संबंधित गीत सुनवाए गए। कुछ अंक दुबारा प्रसारित हुए।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शनिवार को अमरकान्त जी लाए आँधी, चरस जैसी लोकप्रिय फ़िल्में सोमवार को सलमा जी धूम, अफ़सर जैसी नई और राजा जैसी कुछ पुरानी फ़िल्में लेकत आईं। मंगलवार को कमल (शर्मा) जी लाए सागर, किस्मत, चलते-चलते, शागिर्द जैसी सदाबहार फ़िल्में। बुधवार को आईं मंजू जी और ले आईं कुछ लोकप्रिय फ़िल्में जिनमें से श्रोताओं ने इन फ़िल्मों के गीतों के लिए संदेश भेजे - बातों बातों में, नूरी, बाँबी, लावारिस, शान। गुरूवार को सलमा जी ले आई दिल, जो जीता वही सिकन्दर, राजा जैसी फ़िल्में। हर दिन श्रोताओं ने भी इन फ़िल्मों के लोकप्रिय गीतों के लिए संदेश भेजें।
1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में यह सुनना अच्छा लगा -
बन्नो तेरी अँखियाँ सूरमेदानी
इसके अलावा फ़ाल्गुनी पारिख़ को भी सुनना अच्छा लगा -
सजना तू न जा छोड़ के मुझे छोड़ के तू न जा
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में हर दिन मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे गोपी फ़िल्म का दिलीप कुमार और सायरा बानू पर फ़िल्माया गया यह मज़ेदार गीत -
जैंटलमैन जैंटलमैन जैंटलमैन
मैं हूँ बाबू जैंटलमैन
लन्दन से आया हूँ मैं बनठन के
और नई फिल्म तेरे नाम का हिमेश रेशमिया का स्वरबद्ध किया यह गीत -
तुमसे मिलकर बातें करना बड़ा अच्छा लगता है
3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। देश के विभिन्न राज्यों से सखियों ने फोन किए। इस बार ज्यादातर लडकियों के फोन आए। छुट्टियाँ है, शायद इसीलिए। अपने-अपने शहर के बारे में हल्की सी जानकारी दी जिसमें से कोई विशेष स्थान के बारे में जानकारी नहीं मिली। उनके पसंदीदा गीत भी औसत ही रहे।
सोमवार को पोहे के टिक्के और ख़मीरा आटे के मालपुए बनाना बताया गया। दोनों व्यंजन अच्छे थे और बनाना भी आसान है। मंगलवार को करिअर संबंधी जानकारी में पशु चिकित्सक बनने के बारे में जानकारी दी गई और युवा वर्ग के पसंदीदा नए गाने सुनवाए गए। बुधवार को सौन्दर्य और स्वास्थ्य पर चर्चा में गरमी में सुरक्षा के उपाय बताए गए। गुरूवार को सफल महिलाओं के बारें में बताया जाता है, इस बार इतिहास के पन्नों से चित्तौड़ की रानी पद्मिनी क बारें में जानकारी दी गई। सखियों ने नए पुराने अच्छे गीतों की फ़रमाइश की जैसे मिस्टर और मिसेज 55 फ़िल्म का गीत -
जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी
अभी अभी इधर था किधर गया जी
और नई फ़िल्म दिल्ली 6 का प्रसून जोशी का लिखा यह गीत -
सैंया छेड़ देवे ननद चुटकी लेवे
ससुराल गेंदा फूल
सास गाली देवे देवरजी समझा लेवे
ससुराल गेंदा फूल
शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे गर्ल फ़्रेंड फ़िल्म का किशोर कुमार और सुधा मल्होत्रा का गाया यह गीत -
कश्ती का ख़ामोश सफ़र है शाम भी है तन्हाई भी
दूर किनारे पर बजती है लहरों की शहनाई भी
आज मुझे कुछ कहना है
3:30 बजे शनिवार को नाट्य तरंग में नाटक सुनवाया गया - एक टोकरी भर मिट्टी जिसके मूल लेखक है माधव राव सप्रे और निर्देशक है विजय दीपक छिब्बर। यह नहीं बताया गया कि मूल किस भाषा का है यह नाटक।
शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में केरल की सैर करवाई गई, किताबों की दुनिया स्तम्भ में साहित्यकार विष्णु प्रभाकर को श्रृद्धांजलि दी गई, उनके जीवन और साहिय के बारे में बताया गया, विभिन्न पाठयक्रमों में प्रवेश की सूचना दी गई, बहुत अच्छा लगा हरिवंशराय बच्चन से लोकगीत सुनना। स्तरीय रही यह कड़ी। बधाई यूनूस जी !
पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में कानून विशेषज्ञ वसुन्धरा देशपाण्डेय से सखि-सहेली कार्यक्रम के लिए की गई बातचीत का प्रसारण किया गया। कांचन (प्रकाश संगीत) जी द्वारा प्रस्तुत यह बहुत अच्छी जानकारी देने वाली बातचीत है जिसमें बताया गया कि तलाक़ के बाद पत्नी को अपना घर अपने नाम पर करवाने के लिए किन-किन अडचनो का सामना करना पडता है।
पिटारा में सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में डा नीलम रेड़करे से राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने गर्भावस्था की समस्याओं पर बातचीत की। विस्तृत जानकारी मिली कि गर्भाधान के समय रक्त की कमी हो जाती है, पालक में आयरन होता है और इस तरह आयरन युक्त आहार लेना चाहिए। इस तरह आरंभिक देखभाल से लेकर सभी समस्याओं पर चर्चा की गई। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेता गुलशन ग्रोवर से ममता (सिंह) जी की बातचीत की दूसरी और अंतिम कड़ी सुनवाई गई जिसमें अभिनेता ने अपनी कुछ नई फ़िल्मों की चर्चा की, यह भी बताया कि कुछ अच्छे भले व्यक्तियों की भूमिकाएँ भी की है। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए। शनिवार को शहनाज़ (अख़्तरी) जी से बात करते हुए एक श्रोता ने वन्दना फ़िल्म के गीत की फ़रमाइश की तो बहुत अच्छा लगा, क्योंकि यह अच्छा सा गीत बहुत दिन से श्रोता भुला से बैठे थे -
आपकी इनायतें आपके करम
आप ही बताए कैसे भूलेंगे हम
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए जैसे ओ बेबी, टैक्सी नम्बर 9211
7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए जिसमें अभिलाषा फ़िल्म के इस युगल गीत की बहुत दिन बाद फ़रमाइश की फ़ौजी भाइयों ने -
प्यार हुआ है जबसे मुझको नहीं चैन आता
शनिवार को विशेष जयमाला निर्माता निर्देशक शक्ति सामन्त को समर्पित किया गया। शक्ति सामन्त द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम का दुबारा प्रसारण किया गया जिसमें कुछ और कलाकारों को भी याद किया गया जैसे संजीव कुमार, मुकेश। अपनी फ़िल्मों के बारे में भी बताया। अच्छी प्रस्तुति रही।
7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में छत्तीसगढी, अवधी और पूर्वी गीत सुनवाए गए जिसमें अवधी गीत अच्छा लगा। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में निम्मी (मिश्रा) जी के साथ बहुत दिन बाद तशरीफ़ लाए महेन्द्र मोदी जी। ठीक से न सुन पाने की तकनीकी शिकायते थी जिसका स्पष्ट जवाब दिया मोदी साहब ने कि पहले मध्यम तरंगे (मीडियम वेव) थी पर अब की एफ़ एम तरंगे दूर तक तो जाती है पर वातावरण के शोर से प्रभावित होती है इसीलिए प्रसारण स्पष्ट नहीं हो पाता। पर अब भी थोड़ा और स्पष्ट नहीं हुआ कि क्यों डीटीएच से साफ़ प्रसारण होता है। इसके अलावा कुछ कार्यक्रमों की तारीफ़ तो कुछ पुराने कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने का अनुरोध किया श्रोताओं ने। मंगलवार को सुनवाई गई फ़िल्मी क़व्वालियाँ। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने जैसे राग बिलावल पर आधारित ज्वैल थीफ़ फ़िल्म का किशोर कुमार का गाया गीत -
ये दिल न होता बेचारा क़दम न होते आवारा
तो ख़ूबसूरत कोई अपना हमसफ़र होता
8 बजे हवामहल में सुना हास्य नाटक तुम्हारे लिए, नाटिका - चाय काफ़ी ठंडा पानी (निर्देशक मुख़्तार अहमद) यह नाटिका अच्छी लगी, इससे पता चला कि कुछ वर्ष पूर्व लड़कियाँ किस तरह से आपस में अपने विवाह के संबंध में चर्चा कर चिंतित रहती थी क्योंकि तब भी वो आसानी से स्वतंत्र निर्णय आज की तरह नहीं ले पाती थी।
9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में नूरी, हमराज़, तीसरी मंज़िल जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में गीतकार नक्शलायल पुरी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत प्रसारित हो रही है। इसकी छठी कड़ी सुनी जिसमें साथी संगीतकार मदन मोहन के साथ काम करने के अनुभव बताए गए। केवल दो ही फ़िल्में की - प्रभात और दिल की राहें और एक फ़िल्म रिलीज़ नहीं हुई। यह भी बताया गया कि मदन मोहन जी के संगीत संयोजन के साथ आवश्यकता होने पर बोल बदलने पड़ते।
10 बजे छाया गीत में सप्ताह भर साठ सत्तर के दशक के अच्छे गाने सुनने को मिले और ऐसे ही गीत जारी रहे श्रोताओं की फ़रमाइश पर 10:30 बजे आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम में।
Tuesday, April 21, 2009
देखीये श्री एनोक डेनियेल्स अपने पियानो एकोर्डियन पर
जैसे मैंनें श्री एनोक डेनियेल्स साहब की 16 अप्रैल, 2009 के दिन यानि उनकी साल गिराह पर प्रकाशित पोस्ट पर वादा किया था कि फिल्म संगम के गाने को उस वक्त सिर्फ़ उनकी धून के रूपमें सिर्फ़ सुनाया ही था, तो आज नीचे दी हुई लिंक पर देखीये श्री एनोक डेनियेल्स को अपने प्यारे पिआनो-एकोर्डियन पर ।
पियुष महेता ।
सुरत
पियुष महेता ।
सुरत
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PIYUSH MEHTA-SURAT
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ENOCH DENIELS,
PIYUSH MEHTA,
एनोक डेनियेल्स,
पियुष महेता
शरतचन्द्र की परिणीता की प्रीत
साहित्य में थोड़ी-बहुत भी रूचि जिन्हें है वे ज़रूर जानते है शरतचन्द्र की परिणीता को। शरतचन्द्र के इस मूल बंगला उपन्यास परिणीता का हिन्दी सहित कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है। सभी ने इसे पसन्द किया ख़ासकर परिणीता यानि ललिता को।
इस उपन्यास पर विविध भारती ने हवामहल के लिए श्रृंखला भी तैयार की। रेडियो में भी अच्छी लगी ललिता और शेखर की प्रेमकहानी।
अब बात करें फ़िल्मों की, सबसे पहले परिणीता नाम से ही फ़िल्म बनी जिसमें अशोक कुमार और मीनाकुमारी थे। पिछले दिनों इसी फ़िल्म को नए अंदाज़ में बनाया गया सैफ़ अली और विद्या बालन के साथ। विशेष भूमिका में संजय दत्त भी थे। नामों में कभी बदलाव नहीं किया गया। फ़िल्म बनी तो परिणीता नाम से रेडियो नाटक बना तो भी परिणीता नाम से पर सत्तर के दशक में यही फ़िल्म संकोच नाम से बनी।
केवल परिणीता नाम बदल कर संकोच रखा गया बाकी सब वैसा ही रहा। ललिता की भूमिका में सुलक्षणा पंडित और शेखर की भूमिका में जितेन्द्र। इस फ़िल्म के गीत सुलक्षणा पंडित ने ही गाए। एक गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था। पहले रेडियो से बहुत सुनवाया जाता था फिर बजना बन्द हो गया। इस गीत के कुछ-कुछ याद आ रहे बोल है -
बाँधी री काहे प्रीत पिया के संग अनजाने में
बाली उमर में मैं न समझी क्या है प्रीत की रीत
पास हुए तो मैं न समझी
दूर हुए तो जाना
--------------
क्या है प्रीत की रीत
आश्चर्य हुआ कि सुलक्षणा पंडित और विजेता पंडित द्वारा प्रस्तुत विशेष जयमाला में भी सुलक्षणा जी ने अपने इस प्यारे से गीत को शामिल नहीं किया।
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
इस उपन्यास पर विविध भारती ने हवामहल के लिए श्रृंखला भी तैयार की। रेडियो में भी अच्छी लगी ललिता और शेखर की प्रेमकहानी।
अब बात करें फ़िल्मों की, सबसे पहले परिणीता नाम से ही फ़िल्म बनी जिसमें अशोक कुमार और मीनाकुमारी थे। पिछले दिनों इसी फ़िल्म को नए अंदाज़ में बनाया गया सैफ़ अली और विद्या बालन के साथ। विशेष भूमिका में संजय दत्त भी थे। नामों में कभी बदलाव नहीं किया गया। फ़िल्म बनी तो परिणीता नाम से रेडियो नाटक बना तो भी परिणीता नाम से पर सत्तर के दशक में यही फ़िल्म संकोच नाम से बनी।
केवल परिणीता नाम बदल कर संकोच रखा गया बाकी सब वैसा ही रहा। ललिता की भूमिका में सुलक्षणा पंडित और शेखर की भूमिका में जितेन्द्र। इस फ़िल्म के गीत सुलक्षणा पंडित ने ही गाए। एक गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था। पहले रेडियो से बहुत सुनवाया जाता था फिर बजना बन्द हो गया। इस गीत के कुछ-कुछ याद आ रहे बोल है -
बाँधी री काहे प्रीत पिया के संग अनजाने में
बाली उमर में मैं न समझी क्या है प्रीत की रीत
पास हुए तो मैं न समझी
दूर हुए तो जाना
--------------
क्या है प्रीत की रीत
आश्चर्य हुआ कि सुलक्षणा पंडित और विजेता पंडित द्वारा प्रस्तुत विशेष जयमाला में भी सुलक्षणा जी ने अपने इस प्यारे से गीत को शामिल नहीं किया।
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
Friday, April 17, 2009
-http://radionamaa.blogspot.com/2009/04/blog-post_16.html
इस चित्र का जिक्र मेरी कल श्री एनोक डेनियेल्स साहब की साल गिरह पर प्रकाशित पोस्ट में था जिसकी लिंक उपर दी है । विडीयो अगली पोस्टमें ।
पियुष महेता-सुरत
इस चित्र का जिक्र मेरी कल श्री एनोक डेनियेल्स साहब की साल गिरह पर प्रकाशित पोस्ट में था जिसकी लिंक उपर दी है । विडीयो अगली पोस्टमें ।
पियुष महेता-सुरत
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ENOCH DENIELS,
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एनोक डेनियेल्स,
पियुष महेता
Thursday, April 16, 2009
पियनो-एकोर्डियन के पर्याय श्री एनोक डेनिएल्स साहब-जूग जूग जीओ
रेडियोनामा के पाठको को सुरत से पियुष महेता का नमस्कार :
आज यानि 16 अप्रैल को जाने माने पियानो और पियानो एकोर्डियन वादक, जो कभी इलेक्ट्रीक ओर्गन (फिल्म मेरा नाम जोकर का रफी साहब का हीर वाला गाना) और सिंथेसाईझर (जब से बलम घर आये-फिल्म आवारा) भी बजा लेते है, अपने सुमधूर जीवन के 76 साल पार करके 77वे सालमें प्रवेष कर चूके है । तो एस अवसर पर रेडियोनामा उनको जन्मदिन की मुबारकबाद देते हुए उनको अपनी आयु के 100 साल पूरे होने तक इसी तरह जनता के सामने मंच पर अपने प्यारे एकोर्डियन के साथ अपनी कला का निख़ार कर सके ऐसी शुभ: कामना ।
तो इस अवसर पर इनके कई सीमा चिन्ह रूप एलपी आल्बमो (डान्स टाईम, विन्टेज वाईन जो उस समय के हिसाब से पूराने गानो का सबसे पहला स्टीरीयो रेकोर्ड जिसके वाद्यवृन्दमें एक भी वीजाणू साझ नहीं था और ) एक ही फिल्म के सब के सब गानोकी धूनों की एक साथ प्रस्तूती वाले एलपी आल्बम मेरा नाम जोकर से इसके शिर्षक गीत की धून पियानो एकोर्डियन पर इनकी बजाई प्रस्तूत है, जिसका जिक्र मैनें मेंडोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसार के जन्मदिन की पोस्टमें इसी गाने की मेन्डोलीन पर धून प्रस्तूत करते वक्त किया था । इस नीचे प्रस्तूत धून में वाद्यवृन्दमें मेन्डोलीन श्री महेन्द्र भावसार का ही है पर एक और जानकारी भी शौख़ीन श्रोता लोग के लिये बताना काहता हूँ, जो श्री एनोक डेनियेल्स साहब ने मूझे कभी जबानी बताई है । इस गानेमें आप सभी को राज कपूरजी का शूरूआती जोकर शब्द के बाद हा हा हा हा वाली हंसी तो याद होगी ही । तो इस धून की रेकोर्डिंग के पहेले उनके आमंत्रीत सेक्सोफोन वादक स्व. ज़्होनी रोड्रीग्स ने कहा की इस हंसी को वे इस साझ यानि सेक्सोफोन पर बजा सकते है, तो श्री एनोक डेनियेल्स साहब ने जब सुनाने को कहा और जब सुना तो स्वाभावीक रूपसे उनको बहोत पसंद आया और इसका असर आप नीचे खूद ही सुनिये । श्री एनोक डेनियेल्स साहबने अपने इस एल पी के बेक कवर पर इस बात का जिक्र भी किया है, पर पुरस्कार के प्रोब्लेम के कारण प्रकाशक कम्पनीने नाम बताने की बात पर रोक लगाई थी । इस तरह एक होनहार वादक कलाकार फिल्मी दुनिया के कई बिना नाम (नाम सिर्फ फिल्म संगीत कारों तक ही सीमीत रहा ) दाम कमाने वाले वादक कलाकारो की श्रेणी का एक हिस्सा बन गया ।
हर दिन जो प्यार करेगा-फिल्म संगम
इस गीत के बारेमें एक ख़ास बात ऐसी है कि इस असल गानेमें फिल्म के परदे पर राज कपूर खूद एकोर्डियन बजाते दिखाई देते है और इस गाने के वाद्यवृन्द में एकोर्डियन खास साझ रहा है, बल्कि रहे है । यानि इस साझ की असर को उपर उठाने के लिये इस को दो कलाकारों से एक साथ बजवाया गया है, जिसमें एक है आज के व्यक्ति विषेष आदरनिय श्री एनोक डेनियेल्स खूद । (आप सोचेंगे कि अन्य कलाकार कौन है तो बहोत साल पहेले एक जानी मानी हिन्दी फिल्म पत्रीकामें एक कलाकार की मुलाकात मैंनें पढी थी, उसकी याद दास्त के आधार पर जब मैंनें श्री एनोक डेनियेल्स साहब से पुष्ठी चाही तो उंन्होंनें पुष्ठी की कि अन्य कलाकार श्री सुनित मित्रा है । हालाकि, सुमितजीने श्री डेनियेल्स साहब का जिक्र नहीं किया था या किया भी होगा तो उस पत्रिकाने सम्पादनमें निकाल दिया था इतना तो अवश्य है ।) इन कौंस के बाहर की बातों को इस धून के पहेले आप उस स्टेज कार्यक्रम के उद्दघोषक श्री मंगेश वाघमारे जो विविध भारती के पूना स्थानिय विज्ञापन प्रसारण सेवा के स्थायी उद्दघोषक है वे बतायेंगे ही । एक और ख़ास बात ये है कि इस गाने कि धून को रेकोर्ड या केसेट या सीडी पर उन्होंनें कभी बजाया ही नहीं है । (इस गाने की एक धून इलेक्ट्रीक हवाईन गिटार पर उस ज्मानेमें सुनिल गांगुलीने बजाई थी जो सी बी एस मुम्बई पर बजती रहती थी ।)
अब इस गाने का विडीयो देख़ीये
इस स्टेज शॉ के बारेमें और बातें और श्री एनोक डेनियेल्स साहब के इस शॉ के साथी कलाकार तथा सेक्सोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट वादक श्री श्याम राजजी का एक छोटासा दृष्य साक्षात्कार नीचे दी हुई लिन्क पर पढ़ीये और देख़ीये ।
http://radionamaa.blogspot.com/2009/03/blog-post_14.html
साथमें एक बात और है कि इस स्टेज कार्यक्रम, जिसका जिक्र मैनें सेक्सोफोन वादक श्याम राजजी के लघू विडीयो वार्तालाप को प्रस्तूत करतेसमय उपर की लिंक में किया ही था, के एक अंश को इस मंच पर बिल्लीमोरा की कला संस्था गुन्जन ललित-कला और इसके मूख़्य कर्ताहर्ता श्री नरेश मिस्त्री के सौजन्य से आप के लिये प्रस्तूत किया गया है, और अगर कोई इस पूरे कार्यक्रम का लूफ़्त उठाना चाहते है, तो इस की ओडियो सीडी या विडीयो डीवीडी उनसे 91-9723814790 पर सम्पर्क करके पा सकत है, जो नहीं मूनाफा, नहीं घाटा वाली किमत पर पा सकते है । इस सीडी के कवर पेज चित्र के लिये अलग पोस्ट प्रकाशित होगी जिसकी वजह मेरे पीसी की मेमरी का प्रोब्लेम है ।
श्री एनोक डेनियेल्स साहब के बारेमें और जानकारी उनकी वेबसाईट पर नीचे मिलेगी ।
www.enochdeniels.com
पिय़ुष महेता-सुरत
आज यानि 16 अप्रैल को जाने माने पियानो और पियानो एकोर्डियन वादक, जो कभी इलेक्ट्रीक ओर्गन (फिल्म मेरा नाम जोकर का रफी साहब का हीर वाला गाना) और सिंथेसाईझर (जब से बलम घर आये-फिल्म आवारा) भी बजा लेते है, अपने सुमधूर जीवन के 76 साल पार करके 77वे सालमें प्रवेष कर चूके है । तो एस अवसर पर रेडियोनामा उनको जन्मदिन की मुबारकबाद देते हुए उनको अपनी आयु के 100 साल पूरे होने तक इसी तरह जनता के सामने मंच पर अपने प्यारे एकोर्डियन के साथ अपनी कला का निख़ार कर सके ऐसी शुभ: कामना ।
तो इस अवसर पर इनके कई सीमा चिन्ह रूप एलपी आल्बमो (डान्स टाईम, विन्टेज वाईन जो उस समय के हिसाब से पूराने गानो का सबसे पहला स्टीरीयो रेकोर्ड जिसके वाद्यवृन्दमें एक भी वीजाणू साझ नहीं था और ) एक ही फिल्म के सब के सब गानोकी धूनों की एक साथ प्रस्तूती वाले एलपी आल्बम मेरा नाम जोकर से इसके शिर्षक गीत की धून पियानो एकोर्डियन पर इनकी बजाई प्रस्तूत है, जिसका जिक्र मैनें मेंडोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसार के जन्मदिन की पोस्टमें इसी गाने की मेन्डोलीन पर धून प्रस्तूत करते वक्त किया था । इस नीचे प्रस्तूत धून में वाद्यवृन्दमें मेन्डोलीन श्री महेन्द्र भावसार का ही है पर एक और जानकारी भी शौख़ीन श्रोता लोग के लिये बताना काहता हूँ, जो श्री एनोक डेनियेल्स साहब ने मूझे कभी जबानी बताई है । इस गानेमें आप सभी को राज कपूरजी का शूरूआती जोकर शब्द के बाद हा हा हा हा वाली हंसी तो याद होगी ही । तो इस धून की रेकोर्डिंग के पहेले उनके आमंत्रीत सेक्सोफोन वादक स्व. ज़्होनी रोड्रीग्स ने कहा की इस हंसी को वे इस साझ यानि सेक्सोफोन पर बजा सकते है, तो श्री एनोक डेनियेल्स साहब ने जब सुनाने को कहा और जब सुना तो स्वाभावीक रूपसे उनको बहोत पसंद आया और इसका असर आप नीचे खूद ही सुनिये । श्री एनोक डेनियेल्स साहबने अपने इस एल पी के बेक कवर पर इस बात का जिक्र भी किया है, पर पुरस्कार के प्रोब्लेम के कारण प्रकाशक कम्पनीने नाम बताने की बात पर रोक लगाई थी । इस तरह एक होनहार वादक कलाकार फिल्मी दुनिया के कई बिना नाम (नाम सिर्फ फिल्म संगीत कारों तक ही सीमीत रहा ) दाम कमाने वाले वादक कलाकारो की श्रेणी का एक हिस्सा बन गया ।
2.2-K H J E D.mp3 |
हर दिन जो प्यार करेगा-फिल्म संगम
इस गीत के बारेमें एक ख़ास बात ऐसी है कि इस असल गानेमें फिल्म के परदे पर राज कपूर खूद एकोर्डियन बजाते दिखाई देते है और इस गाने के वाद्यवृन्द में एकोर्डियन खास साझ रहा है, बल्कि रहे है । यानि इस साझ की असर को उपर उठाने के लिये इस को दो कलाकारों से एक साथ बजवाया गया है, जिसमें एक है आज के व्यक्ति विषेष आदरनिय श्री एनोक डेनियेल्स खूद । (आप सोचेंगे कि अन्य कलाकार कौन है तो बहोत साल पहेले एक जानी मानी हिन्दी फिल्म पत्रीकामें एक कलाकार की मुलाकात मैंनें पढी थी, उसकी याद दास्त के आधार पर जब मैंनें श्री एनोक डेनियेल्स साहब से पुष्ठी चाही तो उंन्होंनें पुष्ठी की कि अन्य कलाकार श्री सुनित मित्रा है । हालाकि, सुमितजीने श्री डेनियेल्स साहब का जिक्र नहीं किया था या किया भी होगा तो उस पत्रिकाने सम्पादनमें निकाल दिया था इतना तो अवश्य है ।) इन कौंस के बाहर की बातों को इस धून के पहेले आप उस स्टेज कार्यक्रम के उद्दघोषक श्री मंगेश वाघमारे जो विविध भारती के पूना स्थानिय विज्ञापन प्रसारण सेवा के स्थायी उद्दघोषक है वे बतायेंगे ही । एक और ख़ास बात ये है कि इस गाने कि धून को रेकोर्ड या केसेट या सीडी पर उन्होंनें कभी बजाया ही नहीं है । (इस गाने की एक धून इलेक्ट्रीक हवाईन गिटार पर उस ज्मानेमें सुनिल गांगुलीने बजाई थी जो सी बी एस मुम्बई पर बजती रहती थी ।)
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अब इस गाने का विडीयो देख़ीये
इस स्टेज शॉ के बारेमें और बातें और श्री एनोक डेनियेल्स साहब के इस शॉ के साथी कलाकार तथा सेक्सोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट वादक श्री श्याम राजजी का एक छोटासा दृष्य साक्षात्कार नीचे दी हुई लिन्क पर पढ़ीये और देख़ीये ।
http://radionamaa.blogspot.com/2009/03/blog-post_14.html
साथमें एक बात और है कि इस स्टेज कार्यक्रम, जिसका जिक्र मैनें सेक्सोफोन वादक श्याम राजजी के लघू विडीयो वार्तालाप को प्रस्तूत करतेसमय उपर की लिंक में किया ही था, के एक अंश को इस मंच पर बिल्लीमोरा की कला संस्था गुन्जन ललित-कला और इसके मूख़्य कर्ताहर्ता श्री नरेश मिस्त्री के सौजन्य से आप के लिये प्रस्तूत किया गया है, और अगर कोई इस पूरे कार्यक्रम का लूफ़्त उठाना चाहते है, तो इस की ओडियो सीडी या विडीयो डीवीडी उनसे 91-9723814790 पर सम्पर्क करके पा सकत है, जो नहीं मूनाफा, नहीं घाटा वाली किमत पर पा सकते है । इस सीडी के कवर पेज चित्र के लिये अलग पोस्ट प्रकाशित होगी जिसकी वजह मेरे पीसी की मेमरी का प्रोब्लेम है ।
श्री एनोक डेनियेल्स साहब के बारेमें और जानकारी उनकी वेबसाईट पर नीचे मिलेगी ।
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पिय़ुष महेता-सुरत
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PIYUSH MEHTA-SURAT
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ENOCH DENIELS,
PIYUSH MEHTA,
एनोक डेनिएल्स,
पियुष महेता
Tuesday, April 14, 2009
अन्नदाता की चंपावती
आज याद आ रहा है सत्तर के दशक की फ़िल्म अन्नदाता का एक गीत। यह बहुत अच्छी फ़िल्म है। इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका में है ओमप्रकाश। नायक और नायिका है - जया भादुड़ी (बच्चन) और अनिल धवन। उस समय यह जोड़ी बहुत लोकप्रिय थी।
इस फ़िल्म का यह गीत सुने बहुत समय बीत गया। इस गीत को गाया है किशोर कुमार और उनके साथियों ने यानि कोरस भी है। बड़े ही मज़ेदार अंदाज़ में गाया है किशोर कुमार ने यह गीत, साथ में शायद आशा भोंसले की भी आवाज़ है। कुछ-कुछ याद आ रहे बोल इस तरह है -
सुनो हो तो कहीं दिल ये लगे न मेरा
ओ मेरी प्राण सजनी चंपावती आ जा
हाय लेके दिल यूँ मेरा दूर मुझसे ना जा
ऐसी मस्ती छाई है इस दिल की गहराई में
लेकिन मेरे ही मन में मत पूछो तन्हाई है
चंपावती तू आ जा चंपावती तू आ जा
चंपावती तू आ जा चंपावती तू आ जा
--------------------
तू ही तू मेरे मन में --- यूँ लहराई है
मुझसे रूठ के यूँ न जा
चंपावती तू आ जा चंपावती तू आ जा
चंपावती तू आ जा चंपावती तू आ जा
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
इस फ़िल्म का यह गीत सुने बहुत समय बीत गया। इस गीत को गाया है किशोर कुमार और उनके साथियों ने यानि कोरस भी है। बड़े ही मज़ेदार अंदाज़ में गाया है किशोर कुमार ने यह गीत, साथ में शायद आशा भोंसले की भी आवाज़ है। कुछ-कुछ याद आ रहे बोल इस तरह है -
सुनो हो तो कहीं दिल ये लगे न मेरा
ओ मेरी प्राण सजनी चंपावती आ जा
हाय लेके दिल यूँ मेरा दूर मुझसे ना जा
ऐसी मस्ती छाई है इस दिल की गहराई में
लेकिन मेरे ही मन में मत पूछो तन्हाई है
चंपावती तू आ जा चंपावती तू आ जा
चंपावती तू आ जा चंपावती तू आ जा
--------------------
तू ही तू मेरे मन में --- यूँ लहराई है
मुझसे रूठ के यूँ न जा
चंपावती तू आ जा चंपावती तू आ जा
चंपावती तू आ जा चंपावती तू आ जा
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
Monday, April 13, 2009
रेडियोनामा: श्री गोपाल शर्माजी की आज शादी की शाल गिराह #links
रेडियोनामा: श्री गोपाल शर्माजी की आज शादी की साल गिराह #links
आज रेडियो श्रीलंका के वरिष्ठ भूतपूर्व उद्दघोषक श्री गोपाल शर्माजी की शादी की साल गिराह पर उनको और उनकी पत्नीजी श्रीमती शशि शर्माजी को एक लम्बा सह जीवन पार करने पर और लम्बा और स्वस्थ सह जीवन आने वाले दिनों बल्की वर्षोमें भी पा सके ऐसी शुभ: कामना के साथ बधाई । उनके बारेमें और जानकारी के लिये उपर की लिंक पर जायें ।
पियुष महेता ।
(सुरत)
पियुष महेता, गोपाल शर्मा
आज रेडियो श्रीलंका के वरिष्ठ भूतपूर्व उद्दघोषक श्री गोपाल शर्माजी की शादी की साल गिराह पर उनको और उनकी पत्नीजी श्रीमती शशि शर्माजी को एक लम्बा सह जीवन पार करने पर और लम्बा और स्वस्थ सह जीवन आने वाले दिनों बल्की वर्षोमें भी पा सके ऐसी शुभ: कामना के साथ बधाई । उनके बारेमें और जानकारी के लिये उपर की लिंक पर जायें ।
पियुष महेता ।
(सुरत)
पियुष महेता, गोपाल शर्मा
Friday, April 10, 2009
साप्ताहिकी 9-4-09
सप्ताह भर सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में मंगलवार को महावीर जयन्ती पर उन्ही के विचार बताए गए। इस दिन भजन भी बहुत अच्छे हुए जैसे -
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोहे
इक दिन ऐसा होवेगा मै रौंदूँगी तोहे
इसके अलावा सप्ताह भर प्रेमचंद, जार्ज बर्नाड शाँ जैसे साहित्यकारों और विचारको के कथन बताए गए और नए पुराने भजन सुनवाए गए। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा।
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। सप्ताह भर लोकप्रिय गीतों के साथ ऐसे गीत भी सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए। ऐसे लोकप्रिय गीत भी सुनवाए गए जो बहुत दिन से नहीं सुनवाए गए थे जैसे -
नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए
बाकी जो बचा था काले चोर ले गए
7:30 बजे संगीत सरिता में कांचन (प्रकाश संगीत) जी की श्रृंखला शुरू हुई - मेरी संगीत यात्रा जिसमे सारंगी वादक पंडित रामनारायण मिश्र जी से बातचीत की जा रही है. बताया गया कि संगीत यात्रा लाहौर से शुरू हुई. विभाजन के बाद दिल्ली से शुरू हुई. पंडित ओंकार नाथ के साथ संगत की. बंदिशे भी सुनवाई जा रही है।
7:45 को त्रिवेणी में बचपन की बाते अच्छी लगी पर मंगलवार को अहिंसा की बाते न करना अच्छा नही लगा, इस दिन मंजिल तै कर काम करने की बात कही गई और गीत भी वैसे ही सुनवाए गए जैसे - आराम है हराम - ये तो कभी भी प्रसारित किया जा सकता था।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में पुरानी नई लोकप्रिय फ़िल्में चुनी गई और श्रोताओं ने भी लोकप्रिय गीतों के लिए संदेश भेजें।
1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में श्याम अनुरागी का लिखा गीत हो या पैमिला का गाया हाथो में हरी-हरी मेहदी का गीत, ऐसे शांत और लोक गीतों को छूते गीत सुनने में तो अच्छे लगते है पर कार्यक्रम के मिजाज से नही मिलते. यही गीत रात में गुलदस्ता में ज्यादा अच्छे रहेगे.
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में हर दिन मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे साथ-साथ फ़िल्म का यह गीत -
यह तेरा घर यह मेरा घर
और नई फिल्मो के गीत।
3 बजे का सखि सहेली कार्यक्रम सप्ताह भर अपनी धुरी पर ही घूमता रहा। कहीं कुछ नया नज़र नहीं आया और न ही कुछ ख़ास नज़र आया। वही मटर के कोफ़्तें जैसे पकवान, वही चेहरे के दाग़-धब्बे हटाने के घरेलु नुस्के। सिर्फ गुरूवार को ही कुछ नया सा लगता है.
शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे एक दिल और सौ अफ़साने फ़िल्म का यह गीत -
तुम ही तुम हो मेरे जीवन में
फूल ही फूल है जैसे चमन में
3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में नाटक सुनवाया गया - काश जिसे लिखा संतोषबाला श्रीवास्तव ने और जिसके निर्देशक है जयदेव शर्मा कमल। आधुनिक जीवन शैली को दर्शाता यह नाटक अच्छा लगा।
शाम 4 बजे पिटारा में रविवार को यूथ एक्सप्रेस में शिक्षण सस्थानों के रेडियो स्टेशनों पर चर्चा हुई। नए गानों के साथ मीनाकुमारी की आवाज़ में चाँद तन्हा सुनना अच्छा लगा। वार्ता भी अच्छी ज्ञानवर्धक रही।
सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में डा राकेश से निम्मी (मिश्रा) जी ने बातचीत की। विषय रहा - बच्चों में अस्थमा। विस्तृत जानकारी मिली। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेत्री रति अग्निहोत्री से कमल (शर्मा) जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनवाई गई। बहुत अच्छी रही बातचीत। उनके विभिन्न भाषाओं के ज्ञान और उन फ़िल्मों में काम पर जानकारी मिली। अच्छा लगा कि एक अभिनेत्री भोजपुरी में भी काम कर सकती है और मलयालम फ़िल्म में भी। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए जैसे विवाह फिल्म.
7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया गायिका चन्द्राणी मुखर्जी ने। कुछ बातें की अपने गीतों की। कुछ तारीफ़ हुई रफ़ी साहब और लता जी की। खुद के गीत सुनवाए गए। पहली बार सुना उनका दक्षिण भारतीय फ़िल्म की हिन्दी में बनी फ़िल्म में गाया गीत कुछ दक्षिण भारतीय शब्दों के साथ पर अच्छा नहीं लगा कार्यक्रम में उनके लोकप्रिय गीतों को शामिल न करना।
7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में प्रफ़ुल्ल कुमार का गाया असमी लोकगीत अच्छा लगा इसके अलावा पूर्वी और छत्तीसगढी लोकगीत भी सुनवाए गए। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में कुछ पुराने कार्यक्रमों के बंद होने की शिकायते थी। ठीक से न सुन पाने की तकनीकी शिकायते भी थी. मंगलवार को सुनवाई गई क़व्वालियाँ। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में विज्ञापन जगत की क्रिएटिव हेड सोनम जी से रेणु (बंसल) जी की बातचीत अच्छी रही। इस क्षेत्र से संबंधित बहुत कम कार्यक्रम सुनवाए जाते है, इसीलिए यह बातचीत ज्यादा अच्छी लगी। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।
9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में वासना, आम्रपाली, जिगरी दोस्त जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में गीतकार नक्शलायल पुरी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत प्रसारित हो रही है। इसकी चौथी कड़ी सुनी जिसमें साथी संगीतकारों के साथ काम करने के अनुभव बताए गए। शुरूवात की हुस्नलाल भगतराम से। अच्छी चल रही है बातचीत।
10 बजे छाया गीत भी सप्ताह भर अपनी ही धुरी पर घूमता रहा।
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोहे
इक दिन ऐसा होवेगा मै रौंदूँगी तोहे
इसके अलावा सप्ताह भर प्रेमचंद, जार्ज बर्नाड शाँ जैसे साहित्यकारों और विचारको के कथन बताए गए और नए पुराने भजन सुनवाए गए। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा।
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। सप्ताह भर लोकप्रिय गीतों के साथ ऐसे गीत भी सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए। ऐसे लोकप्रिय गीत भी सुनवाए गए जो बहुत दिन से नहीं सुनवाए गए थे जैसे -
नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए
बाकी जो बचा था काले चोर ले गए
7:30 बजे संगीत सरिता में कांचन (प्रकाश संगीत) जी की श्रृंखला शुरू हुई - मेरी संगीत यात्रा जिसमे सारंगी वादक पंडित रामनारायण मिश्र जी से बातचीत की जा रही है. बताया गया कि संगीत यात्रा लाहौर से शुरू हुई. विभाजन के बाद दिल्ली से शुरू हुई. पंडित ओंकार नाथ के साथ संगत की. बंदिशे भी सुनवाई जा रही है।
7:45 को त्रिवेणी में बचपन की बाते अच्छी लगी पर मंगलवार को अहिंसा की बाते न करना अच्छा नही लगा, इस दिन मंजिल तै कर काम करने की बात कही गई और गीत भी वैसे ही सुनवाए गए जैसे - आराम है हराम - ये तो कभी भी प्रसारित किया जा सकता था।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में पुरानी नई लोकप्रिय फ़िल्में चुनी गई और श्रोताओं ने भी लोकप्रिय गीतों के लिए संदेश भेजें।
1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में श्याम अनुरागी का लिखा गीत हो या पैमिला का गाया हाथो में हरी-हरी मेहदी का गीत, ऐसे शांत और लोक गीतों को छूते गीत सुनने में तो अच्छे लगते है पर कार्यक्रम के मिजाज से नही मिलते. यही गीत रात में गुलदस्ता में ज्यादा अच्छे रहेगे.
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में हर दिन मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे साथ-साथ फ़िल्म का यह गीत -
यह तेरा घर यह मेरा घर
और नई फिल्मो के गीत।
3 बजे का सखि सहेली कार्यक्रम सप्ताह भर अपनी धुरी पर ही घूमता रहा। कहीं कुछ नया नज़र नहीं आया और न ही कुछ ख़ास नज़र आया। वही मटर के कोफ़्तें जैसे पकवान, वही चेहरे के दाग़-धब्बे हटाने के घरेलु नुस्के। सिर्फ गुरूवार को ही कुछ नया सा लगता है.
शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे एक दिल और सौ अफ़साने फ़िल्म का यह गीत -
तुम ही तुम हो मेरे जीवन में
फूल ही फूल है जैसे चमन में
3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में नाटक सुनवाया गया - काश जिसे लिखा संतोषबाला श्रीवास्तव ने और जिसके निर्देशक है जयदेव शर्मा कमल। आधुनिक जीवन शैली को दर्शाता यह नाटक अच्छा लगा।
शाम 4 बजे पिटारा में रविवार को यूथ एक्सप्रेस में शिक्षण सस्थानों के रेडियो स्टेशनों पर चर्चा हुई। नए गानों के साथ मीनाकुमारी की आवाज़ में चाँद तन्हा सुनना अच्छा लगा। वार्ता भी अच्छी ज्ञानवर्धक रही।
सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में डा राकेश से निम्मी (मिश्रा) जी ने बातचीत की। विषय रहा - बच्चों में अस्थमा। विस्तृत जानकारी मिली। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेत्री रति अग्निहोत्री से कमल (शर्मा) जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनवाई गई। बहुत अच्छी रही बातचीत। उनके विभिन्न भाषाओं के ज्ञान और उन फ़िल्मों में काम पर जानकारी मिली। अच्छा लगा कि एक अभिनेत्री भोजपुरी में भी काम कर सकती है और मलयालम फ़िल्म में भी। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए जैसे विवाह फिल्म.
7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया गायिका चन्द्राणी मुखर्जी ने। कुछ बातें की अपने गीतों की। कुछ तारीफ़ हुई रफ़ी साहब और लता जी की। खुद के गीत सुनवाए गए। पहली बार सुना उनका दक्षिण भारतीय फ़िल्म की हिन्दी में बनी फ़िल्म में गाया गीत कुछ दक्षिण भारतीय शब्दों के साथ पर अच्छा नहीं लगा कार्यक्रम में उनके लोकप्रिय गीतों को शामिल न करना।
7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में प्रफ़ुल्ल कुमार का गाया असमी लोकगीत अच्छा लगा इसके अलावा पूर्वी और छत्तीसगढी लोकगीत भी सुनवाए गए। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में कुछ पुराने कार्यक्रमों के बंद होने की शिकायते थी। ठीक से न सुन पाने की तकनीकी शिकायते भी थी. मंगलवार को सुनवाई गई क़व्वालियाँ। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में विज्ञापन जगत की क्रिएटिव हेड सोनम जी से रेणु (बंसल) जी की बातचीत अच्छी रही। इस क्षेत्र से संबंधित बहुत कम कार्यक्रम सुनवाए जाते है, इसीलिए यह बातचीत ज्यादा अच्छी लगी। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।
9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में वासना, आम्रपाली, जिगरी दोस्त जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में गीतकार नक्शलायल पुरी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत प्रसारित हो रही है। इसकी चौथी कड़ी सुनी जिसमें साथी संगीतकारों के साथ काम करने के अनुभव बताए गए। शुरूवात की हुस्नलाल भगतराम से। अच्छी चल रही है बातचीत।
10 बजे छाया गीत भी सप्ताह भर अपनी ही धुरी पर घूमता रहा।
Tuesday, April 7, 2009
मुकेश के अंतिम गीतों में से एक दर्द भरा गीत
दर्द भरे गीतों की चर्चा मुकेश के गीतों के बिना अधूरी है. जितनी मुकेश की आवाज इस तरह के गीतों के लिए एकदम सही है उतनी सही आवाज बहुत कम गायकों की है. वैसे तो मुकेश को राजकपूर की आवाज माना गया है पर मनोज कुमार के लिए उनके गाए रोमांटिक गीत भी बहुत लोकप्रिय हुए है.
आज हम याद कर रहे है सत्तर के दशक में रिलीज हुई फिल्म मुक्ति की। इसी दौर में मुकेश के गाए गीत उनके जीवन के अंतिम गीत रहे। शायद मुक्ति फिल्म का यह गीत मुकेश का गाया अंतिम दर्द भरा गीत है. यह गीत शायद शशिकपूर पर फिल्माया गया और साथ में है विद्या सिन्हा. इस गीत के दो संस्करण है. महिला संस्करण शायद आशा भोंसले या लता जी ने गाया है पर यह उतना लोकप्रिय नहीं हुआ. मुकेश का गाया गीत ही बहुत लोकप्रिय हुआ. रेडियो से बहुत सुना करते थे यह गीत पर बाद में बजना बंद हो गया। जितने बोल इस गीत के मुझे याद आ रहे है वो इस तरह है -
सुहानी चाँदनी रातें हमें सोने नहीं देती
तुम्हारे प्यार की बातें हमें सोने नहीं देती
तुम्हारी रेशमी जुल्फों में दिल के फूल खिलते थे
इन्ही फूलों के मौसम में कभी हम तुम भी मिलते थे
पुरानी वो मुलाकाते हमें सोने नही देती
तुम्हारे प्यार की बातें हमें सोने नहीं देती
सुहानी चाँदनी रातें हमें सोने नहीं देती
------------------
के यादों की ये बरसातें हमें सोने नहीं देती
तुम्हारे प्यार की बातें हमें सोने नहीं देती
सुहानी चाँदनी रातें हमें सोने नहीं देती
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
आज हम याद कर रहे है सत्तर के दशक में रिलीज हुई फिल्म मुक्ति की। इसी दौर में मुकेश के गाए गीत उनके जीवन के अंतिम गीत रहे। शायद मुक्ति फिल्म का यह गीत मुकेश का गाया अंतिम दर्द भरा गीत है. यह गीत शायद शशिकपूर पर फिल्माया गया और साथ में है विद्या सिन्हा. इस गीत के दो संस्करण है. महिला संस्करण शायद आशा भोंसले या लता जी ने गाया है पर यह उतना लोकप्रिय नहीं हुआ. मुकेश का गाया गीत ही बहुत लोकप्रिय हुआ. रेडियो से बहुत सुना करते थे यह गीत पर बाद में बजना बंद हो गया। जितने बोल इस गीत के मुझे याद आ रहे है वो इस तरह है -
सुहानी चाँदनी रातें हमें सोने नहीं देती
तुम्हारे प्यार की बातें हमें सोने नहीं देती
तुम्हारी रेशमी जुल्फों में दिल के फूल खिलते थे
इन्ही फूलों के मौसम में कभी हम तुम भी मिलते थे
पुरानी वो मुलाकाते हमें सोने नही देती
तुम्हारे प्यार की बातें हमें सोने नहीं देती
सुहानी चाँदनी रातें हमें सोने नहीं देती
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के यादों की ये बरसातें हमें सोने नहीं देती
तुम्हारे प्यार की बातें हमें सोने नहीं देती
सुहानी चाँदनी रातें हमें सोने नहीं देती
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
Friday, April 3, 2009
साप्ताहिकी 2-4-09
सप्ताह का पहला ही दिन विशेष रहा, उगादी, युगादी, नव वर्ष संवत 2066 का आरंभ और नवरात्रि का शुभारंभ पर इस दिन सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में विदेषी चिंतक के विचार के साथ प्रसारण की शुरूवात हुई और वन्दनवार में एक भी भजन न माता का था और न ही राम का।
इसके अलावा सप्ताह भर स्वामी रामतीर्थ, नेपोलियन बोनापार्ट जैसे विचारको के कथन बताए गए और नए पुराने भजन सुनवाए गए पर बहुत पुराने भजन नहीं सुनवाए जा रहे है। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा जैसे यह गीत - देश की माटी कंचन है
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। शनिवार को यह कार्यक्रम संगीतकार एस एन त्रिपाठी की पुण्य स्मृति में समर्पित किया गया। सप्ताह भर लोकप्रिय गीतों के साथ ऐसे गीत भी सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए.
7:30 बजे संगीत सरिता में चल रही श्रृंखला में तराने पर चर्चा की जा रही है जिसे प्रस्तुत कर रही है विदुषी वीणा सहस्त्रबुद्धे। विभिन्न रागों पर चर्चा चल रही है जैसे राग हंसध्वनि, विहाग, और इन पर बंदिशे और फ़िल्मी गीत सुनवाए जा रहे है। इसे रूपाली रूपक जी ने तैयार किया है।
7:45 को त्रिवेणी शुक्रवार की अच्छी रही जिसमें रहन-सहन, पहरावे की बात कही गई। पहली अप्रैल को अकेलेपन की बातें अच्छी नहीं लगी। अवसर के अनुसार कुछ होना चाहिए था।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शनिवार को पधारीं शहनाज़ (अख़्तरी) जी, तारारमपम, चाइना टाउन, गोलमाल जैसी नई फ़िल्में लेकर। रविवार की फ़िल्में रही मुसाफ़िर, बँटी और बबली, काल, दस, काँटे, फ़िज़ा जैसी नई फ़िल्में। सोमवार को अशोक जी ले आए साठ के दशक की बेहतरीन फ़िल्में जैसे दिल अपना और प्रीत पराई, मेरे महबूब, धरती, सूरज जिनके सदाबहार गीतों के लिए श्रोताओं ने संदेश भेजें। मंगलवार को पधारे कमल (शर्मा) जी फ़िल्में रही तीसरी मंज़िल, झुक गया आसमान, ज्वैल थीफ़, मेरे सनम, प्रोफ़ेसर जिनमें से अधिकतर रफ़ी साहब के गानों के लिए श्रोताओं ने संदेश भेजें। बुधवार को आए अमरकान्त जी और ले आए नई फ़िल्में जिनमें से श्रोताओं ने इन फ़िल्मों के गीतों के लिए संदेश भेजे - मुझसे शादी करोगी, फ़ना, मैंने प्यार क्यों किया, गैंगस्टर। इस तरह इस कार्यक्रम में पचास साठ के दशक से लेकर अब तक के लोकप्रिय गीत सुनवाए गए।
1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में तुम आए एलबम से अलका याज्ञिक और हरिहरन के गाए इस गीत में कुछ नएपन का अहसास नहीं हुआ, न संगीत में न बोलों में, इस कार्यक्रम में धूमधड़ाकेदार गाने अच्छे लगते है।
नीले गगन के तले ठंडी पवन ये चले
बस प्यार मन में पले समां हो ये…
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में हर दिन मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे बंटी और बबली फ़िल्म का यह गीत -
देखना मेरे सर से आसमाँ उड़ गया है
देखना आसमाँ के सिरे खुल गए है ज़मीं से
छुप छुप के चुप चुपके चोरी से चोरी
और धरती फ़िल्म का यह गीत -
जे हम तुम चोरी से बँधे एक डोरी से
जय्यो कहाँ ए हुज़ूर
अरी ये बँधन है प्यार का
3 बजे सखि सहेली में सोमवार को केले की खीर बनाना बताया गया। मंगलवार को करिअर संबंधी जानकारी में आर्किटेक्चर के बारे में जानकारी दी गई और युवा वर्ग के पसंदीदा नए गाने सुनवाए गए। सामान्य जानकारी में वोट देने के अधिकार की बात कही गई। बुधवार को सौन्दर्य और स्वास्थ्य पर चर्चा होती है, पर लगता है इस दिन का अंक धुरी पर ही दौड़ता है. फलो और खाने-पीने और इन चीजो के लेप लगाने की ही बाते होती है जबकि पहरावे और नकली गहनों से होने त्वचा को होने वाले नुकसान की भी बात की जा सकती है. नए पुराने गीत सखियों की फ़रमाइश पर सुनवाए गए जैसे सेहरा फ़िल्म का गीत -
पंख होते तो उड़ आती रे
शनिवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में भी संगीतकार एस एन त्रिपाठी की पुण्य स्मृति में उनके सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे रानी रूपमती, जन्म जन्म के फ़ेरे फ़िल्मों के गीत -
ज़रा सामने तो आओ छलिए छुप छुप छलने में क्या राज़ है
यूँ छुप न सकेगा परमात्मा मेरी आत्मा की ये आवाज़ है
इसके अलावा अन्य गीत भी सुनवाए गए। रविवार को भी अच्छे गीत सुनने को मिले।
3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में मूल बंगला नाटक का हिन्दी रूपान्तर सुनवाया गया - सीमाबद्ध जिसके निर्देशक है सत्येन्द्र शरद। आधुनिक जीवन शैली और प्रतिस्पर्धा को रेखांकित करता नाटक अच्छा लगा जहाँ कार्यालय से आबंटित किए जाने वाले घर के लिए भी प्रतिस्पर्धा है।
सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में बहुत ही प्यारा विषय लिया गया - सपने। डा मिलिन्द भट्ट से रेणु (बंसल) जी ने सपनों के लिए होमियोपैथी चिकित्सा पर बातचीत की। विस्तृत जानकारी मिली। यह तो सभी जानते है कि जो बातें हमारी अवचेतन अवस्था में रहती है वही सपने बन कर दिखाई देती है। यहाँ एक बात अच्छी बताई गई कि कभी ऐसा लगता है कि ऐसे सपने आते है जिनसे हमारा संबंध नहीं, वास्तव में हम अपने मन की सभी बाते बता नहीं पाते इसीसे कुछ बातें हमसे संबंधित नहीं लगती पर वास्तव में संबंध होता है। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेत्री रति अग्निहोत्री से बातचीत सुनवाई गई। बहुत अच्छी रही बातचीत। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया गुलज़ार ने। कुछ बातें फ़ौजी भाइयों के नाम रही, कुछ अपनी फ़िल्मों की चर्चा रही, अपने गीत सुनवाए गए। सबसे अच्छा लगा कार्यक्रम की प्रस्तुति का स्वरूप शायराना होने, बहुत ही काव्यात्मक प्रस्तुति रही। लगा वाकई गीतकार, लेखक, निर्देशक बोल रहे है।
7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में गुजराती लोकगीत भी सुनवाए गए पर अच्छा लगा प्रकाश कौर का गाया पंजाबी लोकगीत। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में कुछ पुराने कार्यक्रमों के बंद होने की शिकायते थी और इस बार संगीत सरिता की तारीफ़ में अधिक पत्र आए. मंगलवार को सुनवाई गई क़व्वालियाँ। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में भोजपुरी और हिन्दी फिल्म कलाकार विजय शुक्ल से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी प्रसारित हुई. रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।
8 बजे हवामहल में अच्छी लगी हास्य झलकी - शादी की तैयारी (निर्देशिका लता गुप्ता)
9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में मिस्टर एक्स इन बाँम्बे, रानी रूपमती, अप्रैल फ़ूल फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में गीतकार नक्शलायल पुरी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत प्रसारित हो रही है। इसकी तीसरी कड़ी सुनी।
10 बजे छाया गीत में कोई नयापन नज़र नहीं आया, वही आवाज़े, प्रस्तुति का वही अंदाज़, वही बातें, वही गीत।
इसके अलावा सप्ताह भर स्वामी रामतीर्थ, नेपोलियन बोनापार्ट जैसे विचारको के कथन बताए गए और नए पुराने भजन सुनवाए गए पर बहुत पुराने भजन नहीं सुनवाए जा रहे है। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा जैसे यह गीत - देश की माटी कंचन है
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। शनिवार को यह कार्यक्रम संगीतकार एस एन त्रिपाठी की पुण्य स्मृति में समर्पित किया गया। सप्ताह भर लोकप्रिय गीतों के साथ ऐसे गीत भी सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए.
7:30 बजे संगीत सरिता में चल रही श्रृंखला में तराने पर चर्चा की जा रही है जिसे प्रस्तुत कर रही है विदुषी वीणा सहस्त्रबुद्धे। विभिन्न रागों पर चर्चा चल रही है जैसे राग हंसध्वनि, विहाग, और इन पर बंदिशे और फ़िल्मी गीत सुनवाए जा रहे है। इसे रूपाली रूपक जी ने तैयार किया है।
7:45 को त्रिवेणी शुक्रवार की अच्छी रही जिसमें रहन-सहन, पहरावे की बात कही गई। पहली अप्रैल को अकेलेपन की बातें अच्छी नहीं लगी। अवसर के अनुसार कुछ होना चाहिए था।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शनिवार को पधारीं शहनाज़ (अख़्तरी) जी, तारारमपम, चाइना टाउन, गोलमाल जैसी नई फ़िल्में लेकर। रविवार की फ़िल्में रही मुसाफ़िर, बँटी और बबली, काल, दस, काँटे, फ़िज़ा जैसी नई फ़िल्में। सोमवार को अशोक जी ले आए साठ के दशक की बेहतरीन फ़िल्में जैसे दिल अपना और प्रीत पराई, मेरे महबूब, धरती, सूरज जिनके सदाबहार गीतों के लिए श्रोताओं ने संदेश भेजें। मंगलवार को पधारे कमल (शर्मा) जी फ़िल्में रही तीसरी मंज़िल, झुक गया आसमान, ज्वैल थीफ़, मेरे सनम, प्रोफ़ेसर जिनमें से अधिकतर रफ़ी साहब के गानों के लिए श्रोताओं ने संदेश भेजें। बुधवार को आए अमरकान्त जी और ले आए नई फ़िल्में जिनमें से श्रोताओं ने इन फ़िल्मों के गीतों के लिए संदेश भेजे - मुझसे शादी करोगी, फ़ना, मैंने प्यार क्यों किया, गैंगस्टर। इस तरह इस कार्यक्रम में पचास साठ के दशक से लेकर अब तक के लोकप्रिय गीत सुनवाए गए।
1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में तुम आए एलबम से अलका याज्ञिक और हरिहरन के गाए इस गीत में कुछ नएपन का अहसास नहीं हुआ, न संगीत में न बोलों में, इस कार्यक्रम में धूमधड़ाकेदार गाने अच्छे लगते है।
नीले गगन के तले ठंडी पवन ये चले
बस प्यार मन में पले समां हो ये…
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में हर दिन मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे बंटी और बबली फ़िल्म का यह गीत -
देखना मेरे सर से आसमाँ उड़ गया है
देखना आसमाँ के सिरे खुल गए है ज़मीं से
छुप छुप के चुप चुपके चोरी से चोरी
और धरती फ़िल्म का यह गीत -
जे हम तुम चोरी से बँधे एक डोरी से
जय्यो कहाँ ए हुज़ूर
अरी ये बँधन है प्यार का
3 बजे सखि सहेली में सोमवार को केले की खीर बनाना बताया गया। मंगलवार को करिअर संबंधी जानकारी में आर्किटेक्चर के बारे में जानकारी दी गई और युवा वर्ग के पसंदीदा नए गाने सुनवाए गए। सामान्य जानकारी में वोट देने के अधिकार की बात कही गई। बुधवार को सौन्दर्य और स्वास्थ्य पर चर्चा होती है, पर लगता है इस दिन का अंक धुरी पर ही दौड़ता है. फलो और खाने-पीने और इन चीजो के लेप लगाने की ही बाते होती है जबकि पहरावे और नकली गहनों से होने त्वचा को होने वाले नुकसान की भी बात की जा सकती है. नए पुराने गीत सखियों की फ़रमाइश पर सुनवाए गए जैसे सेहरा फ़िल्म का गीत -
पंख होते तो उड़ आती रे
शनिवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में भी संगीतकार एस एन त्रिपाठी की पुण्य स्मृति में उनके सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे रानी रूपमती, जन्म जन्म के फ़ेरे फ़िल्मों के गीत -
ज़रा सामने तो आओ छलिए छुप छुप छलने में क्या राज़ है
यूँ छुप न सकेगा परमात्मा मेरी आत्मा की ये आवाज़ है
इसके अलावा अन्य गीत भी सुनवाए गए। रविवार को भी अच्छे गीत सुनने को मिले।
3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में मूल बंगला नाटक का हिन्दी रूपान्तर सुनवाया गया - सीमाबद्ध जिसके निर्देशक है सत्येन्द्र शरद। आधुनिक जीवन शैली और प्रतिस्पर्धा को रेखांकित करता नाटक अच्छा लगा जहाँ कार्यालय से आबंटित किए जाने वाले घर के लिए भी प्रतिस्पर्धा है।
सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में बहुत ही प्यारा विषय लिया गया - सपने। डा मिलिन्द भट्ट से रेणु (बंसल) जी ने सपनों के लिए होमियोपैथी चिकित्सा पर बातचीत की। विस्तृत जानकारी मिली। यह तो सभी जानते है कि जो बातें हमारी अवचेतन अवस्था में रहती है वही सपने बन कर दिखाई देती है। यहाँ एक बात अच्छी बताई गई कि कभी ऐसा लगता है कि ऐसे सपने आते है जिनसे हमारा संबंध नहीं, वास्तव में हम अपने मन की सभी बाते बता नहीं पाते इसीसे कुछ बातें हमसे संबंधित नहीं लगती पर वास्तव में संबंध होता है। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेत्री रति अग्निहोत्री से बातचीत सुनवाई गई। बहुत अच्छी रही बातचीत। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया गुलज़ार ने। कुछ बातें फ़ौजी भाइयों के नाम रही, कुछ अपनी फ़िल्मों की चर्चा रही, अपने गीत सुनवाए गए। सबसे अच्छा लगा कार्यक्रम की प्रस्तुति का स्वरूप शायराना होने, बहुत ही काव्यात्मक प्रस्तुति रही। लगा वाकई गीतकार, लेखक, निर्देशक बोल रहे है।
7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में गुजराती लोकगीत भी सुनवाए गए पर अच्छा लगा प्रकाश कौर का गाया पंजाबी लोकगीत। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में कुछ पुराने कार्यक्रमों के बंद होने की शिकायते थी और इस बार संगीत सरिता की तारीफ़ में अधिक पत्र आए. मंगलवार को सुनवाई गई क़व्वालियाँ। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में भोजपुरी और हिन्दी फिल्म कलाकार विजय शुक्ल से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी प्रसारित हुई. रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।
8 बजे हवामहल में अच्छी लगी हास्य झलकी - शादी की तैयारी (निर्देशिका लता गुप्ता)
9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में मिस्टर एक्स इन बाँम्बे, रानी रूपमती, अप्रैल फ़ूल फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में गीतकार नक्शलायल पुरी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत प्रसारित हो रही है। इसकी तीसरी कड़ी सुनी।
10 बजे छाया गीत में कोई नयापन नज़र नहीं आया, वही आवाज़े, प्रस्तुति का वही अंदाज़, वही बातें, वही गीत।
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