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Saturday, June 13, 2009

जब नायक नायिका ने रेडियो से गाना गाया ।

लावण्‍या जी का तकरीबन एक सप्‍ताह पहले एक संदेश आया था--


आज रेडियोनामा के लिये २ गीतों के लिन्क भेज रही हूँ । दोनों गीत ऐसे हैं जिनका संबंध रेडियो से है । नायक और नायिका अपने दिल के अहसास गीतों में पिरोकर रेडियो के द्वारा एक दूसरे के मन की बात सुन रहे हैं । और इस तरह रेडियो-मैसेन्जर क्यूपीड माने प्रेम देवता का रूप ले लेता दिखलाया गया है । 


आगे लावण्‍या जी लिखती हैं--'जी हाँ ! ऐसा अकसर होता भी है, कोई गीत रेडियो मेँ बज रहा होता है और उसी के साथ, किसी के दिल की धडकनोँ मेँ अपने बिछुडे सजन की याद भी गूँथ जाती है, कभी कोई प्रेमी अपनी निराशा का भाव रेडियो मेँ बजाये गीत के साथ हूबहू मिलता हुआ महसूस करता है - और रेडियो मशीन ना रहकर तनहाईयोँ का एक साथी - सा जान पडता है - ज्यादा लँबी बात क्या कहेँ ..अब ये गीत और दो प्रेमी मन से उठती टीस आप भी अनुभव कीजिये और रेडियोनामा के रेडियो को अपना साथी समझ लीजिए । हां आप याद करके जरुर ऐसे गीत बतायें  जिनमें "रेडियो" की खास भूमिका हो ?

Song : 1 " ज़िँदगी भर नहीँ भूलेगी वो बरसात की रात

फिल्‍म-बरसात की रात । संगीत रोशन

Song : 2 " ऐ अजनबी , तू भी कभी , आवाज़ दे कहीँ से ..." फिल्म : दिल से । सँगीत : ए. आर.रहमान

मैंने लावण्‍या जी की बात आप तक पहुंचा दी । कुछ ऐसे गीत याद आ रहे हैं जिनमें नायक या नायिका रेडियो स्‍टेशन से गा रहे हैं । पर ये जिम्‍मेदारी तो उन्‍होंने आपको दी है ।

बताएं आपको कौन-कौन से गाने याद आये ।

19 comments:

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

शुक्रिया - मेरी बात को "रेडियोनामा " के मँच पर रखने के लिये आभारी हूँ
- लावण्या

अजित वडनेरकर said...

बहुत खूब...ये बहुत अच्छी पहल है और खूबसूरत सिलसिला सा चल सकता है। बिम्बों के बहाने तो बहुत बातें हुईं प्रेम की ...अब तो सीधे रेडियो, फिर टेलीफोन, फिर मोबाईल पर आइये...बहुत मज़ा आएगा तलाशने में भी। पर फिलहाल तो ये रेडियो-क्यूपिड ही आगे बढ़ाइये..
शुक्रिया लावण्या दी...आपकी ऊर्जा काबिले-रश्क है...:)

Gyan Dutt Pandey said...

सुन्दर। दोनो गीत मधुर हैं पर पहले और दूसरे में समय का अन्तर स्पष्ट नजर आता है।
यहां आ कर यह लगता है कि सारी जिम्मेदारियां त्याग केवल गीत सुने जायें - ढेर सारे गीत!

Abhishek Ojha said...

'हम थे जिनके सहारे वो हुए ना हमारे' इस गाने में भी गीत रेडियो पर ही तो बजता है ! अच्छी पोस्ट.

अफलातून said...

' सुजाता ' मेँ सुनील दत्त फोन पर - 'जलते हैँ जिसके लिये , तेरी आँखोँ के दीये- ढूँढ लाया हूँ वही , गीत मैँ तेरे लिये '
Click

गौतम राजऋषि said...

और ग़ुलाम अली साब की विख्यात ग़ज़ल "चुपके-चुपके रात दिन,,," भी तो निक़ाह में रेडियो पर ही बजती है..
एक धर्मेन्द्र का भी कोई गाना है, याद नहीं आ रहा...जिसे नायिका फोन पर गाती है और धर्मेन्द्र फोन का कनेक्शन बड़े से स्पीकर में लगा कर सुनता है।

दिलीप कवठेकर said...

रेडियो पर गाने सुनते सुनते हुए ही हम बडे हुए, और आज जो भी गा रहे हैं वहीं से कानों के ज़रिये दिल में और जेहन में अंकित हुए है ये सभी गीत.

अब फ़िल्मों में रेडियो पर ही बजने वाले गीतों को सुनवा कर हमारी पुरानी यादें ताज़ा हो गयी. धन्यवाद...

महावीर said...

लावण्या जी की पसंद की दाद देता हूँ. 'ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी ये बरसात की रात' ऐसा गाना है ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगा. भारत भूषण और मधुबाला का सौन्दर्य, संतोषी का निर्देशन और रोशन का संगीत, कुल मिलाकर यह फिल्म कालजयी है.
मणिरत्नम की फिल्म 'दिल से' यह गाना ए. आर. रहमान के संगीत के हीरों की माला का एक सुन्दर हीरा है.
लावण्या जी और रेडियो नामा को अनेक धन्यवाद.

Harshad Jangla said...

One song I remember is from film Anurodh filmed on Rajesh Khanna

-Harshad Jangla
Atlanta, USA

पंकज सुबीर said...

लावण्‍या दीदी ने बहुत अच्‍छी बात उठाई है । और भी कई गीत हैं ऐसे । किन्‍तु अभी जो याद आ रहे हैं उनमें । फिलम अलबेला का अद्भुत गीत जो लता जी ने गाया था 'देवता माना और पूजा तेरी तस्‍वीर को ' सबसे अनोखा है । ये पुरानी वाली अलबेला नहीं है बल्कि महमूद साहब जिसमें नायक थे वो है । इसके अलावा अभिमान के कई सारे गीत रेडियो पर आते हैं । मेरे विचार में जहां तक मुझे याद आता है कि फिल्‍म खामोशी में भी ऐसा ही एक गीत है ।

अनूप भार्गव said...

मुझे याद आ रहा है , अपना शायद सब से प्रिय गीत - गुलज़ार साहब का लिखा ’खामोशी’ फ़िल्म से ’हम ने देखी है उन आंखो की महकती खुशबु , हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो’ ।
जहां तक मुझे याद है नायिका इसे रेडियो स्टेशन पर गाती है ।
लावण्या जी के चुने हुए दोनों गीत अच्छे लगे ।

annapurna said...

सन्नी या सातवाँ आसमान फिल्म में भी एक गीत रेडियो पर अमृता सिंह गाती है.

जुर्माना फिल्म का यह लोकप्रिय गीत -

सावन के झूले पड़े तुम चले आओ

जिसे राखी रेडियो पर लाइव गाती है और उसी को ढूंढ रहे अमिताभ गाडी में गीत सुनकर रेडियो स्टेशन पहुँच जाते है

राकेश कुमार said...

लावण्या जी, बडे ही खुबसूरत गानो का चयन , मुझे फिर भी पूरा समझाईये, वास्तव मे यह किस तरह का पहल है, मै पूरा जानना चाहून्गा. क्या ये गाने play भी होते है?

मुझे अमिताभ जी पर फिल्माया गाना याद आ गया-

कभी-कभी मेरे दिल मे खयाल आता है , कि जैसे तुझको बनाया गया है...

राकेश

कंचन सिंह चौहान said...

Anup ji ki baat se sahamat. Sab se pahale jo geet yaad aata hai Vo yahi hai KHAMOSHI film ka.

Gautam Bhai bhi Sahyad isi geet ki baat kar rahe haiN

aur naye geeto me Munna bhai... ka "PAL PAL"

रश्मि प्रभा... said...

बहुत अच्छी शुरुआत.........
मुझे आर्शीवाद फिल्म का गाना याद आया...एक था बचपन बचपन के एक बाबूजी थे .......

neeraj1950 said...

मीत न मिला रे मन का..."अभिमान" फिल्म में ये गीत लोग रेडियो पर ही सुनते हैं... इसके अलावा रेडियो पर "आप आये तो खयाले दिले नौशाद आया..." फिल्म "गुमराह" का गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था, जिसे सुनने अभिनेत्री माला सिन्हा अपने पति आशिक कुमार को झूठ बोल कर सुनने चली जाती है ...
लावण्या जी ने पुराने दिनों की याद ताज़ा कर दी...
नीरज

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

यह गुमराह वाला गाना फिल्ममें रेकोर्ड होते हुए दिख़ाया गया है पर रेडियो पर बजता दिख़ाया नहीं गया है पर फिल्म लव इन सिमला का एक गाना इकबाल कूरेशी के संगीतमें मरहूम श्री महमद रफ़ी की आवाझमें रेडियो पर गाते हुए जोय मुकरजीको दिख़ाया गया है जो बर्फ़ीले तूफ़ानमें साधनाजी ट्रांझीस्टर रेडियो पर सुननी हुई दिखायी गयी है । यह फिल्म क़रीब 9 सालकी उम्र में सिर्फ़ एक बार दिख़ी थी । इस लिये पाठक थोडी भी गलती पाये तो सुधारने की कृपा करें । लावण्याजी और युनूसजी को बधाई ।
पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत ।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अरे वाह ...
आप सभी ने कई नायाब गीतों को याद किया और मेरी बात का सिलसिला आगे चलाया ....
"रेडियो",
हम सभी के जीवन से जुडा हुआ है और वह एक निष्प्राण मशीन होते हुए भी , हमारे अहसास
और तन्हाई का साथी भी है !
आशा करती हूँ ,
रेडियो द्वारा
आप तक पहुँचते गीत ,
आपको सुकून ,
प्यार और
करार पहुंचाए .........

सुनते रहीये रेडियो और सदा,
:-) यूं ही ,
मुस्कुराते रहीये ..
शुक्रिया और शब्बा खैर...
स्नेह सहित ,
- लावण्या

Aashu said...

Itne barhiye gaanon ki kari main bhi ek gaan jorna chahta hun................Mere Huzoor film ka gaana.......'Ghum uthane ke liye main to jiye jaoonga'

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