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Thursday, February 11, 2010

सुबह के पंचरंगी प्रसारण की साप्ताहिकी 11-2-10

सप्ताह के हर दिन परम्परा के अनुसार शुरूवात संकेत धुन से हुई जिसके बाद वन्देमातरम फिर बताए गए दिन और तिथि, संवत्सर तिथि भी बताई गई जिसके बाद मंगल ध्वनि सुनवाई गई। यह सभी क्षेत्रीय केंद्र से प्रसारित हुआ। इसके बाद 6 बजे दिल्ली से प्रसारित हुए समाचार, 5 मिनट के बुलेटिन के बाद मुम्बई से प्रसारण शुरू हुआ जिसकी शुरूवात में कभी-कभार सुबह के कार्यक्रमों के प्रायोजकों के विज्ञापन प्रसारित हुए जिसके बाद पहले कार्यक्रम वन्दनवार की शुरूवात मधुर संकेत धुन से हुई, फिर सुनाया गया चिंतन।

चिंतन में इस बार शामिल रहे कथन - रविन्द्रनाथ टैगोर का कथन बताया गया - चरित्र का विकास सृष्टि प्रक्रिया के अचेत योग साधन से होता है। व्यास जी का कथन - माता के रहते चिंता नहीं रहती। लेखक प्रेमचंद के कथन - नेकी करने के बाद वह दिल में रहे तो नेकी नही तो बदी हो जाती है। दूसरा कथन - हमारे समाज में अमीर और गरीब दो वर्ग है इन दो वर्गों के बीच की दूरी को कम करने की पहल अमीर वर्ग को ही करनी होगी। सुभाष चन्द्र बोस का कथन - स्वाभिमान मछली से सीखो जो पानी के लिए तड़प-तड़प कर जान दे देती है। स्वामी विवेकानंद का कथन - युवा शक्ति को आगे लाना है, युवा ही देश की ताक़त है। आज शायद गोल्डी का कथन बताया गया, वैसे यह भी बता देते कि किस क्षेत्र से है तो सबके लिए समझने में आसानी होती।
वन्दनवार कार्यक्रम में हल्का सा परिवर्तन हुआ है जो ठीक नही लग रहा। फिल्मी भक्ति गीत भी सुनवाए जा रहें है। इससे कार्यक्रम की गरिमा को धक्का लगा है। इस कार्यक्रम में पारंपरिक भक्ति गीत होते है, विविध रूप के भक्ति गीत होते है जिनमे डूब कर हम कुछ समय के लिए इस सांसारिक बातो से ऊपर उठते है और यह सुबह का पहला प्रसारण होने से अधिक गरिमामय है। भले ही अच्छी बाते फिल्मी भक्ति गीत में हो पर है तो फिल्मी ही न। जब हम यह सुनते है तो हमारे दिमाग में फिल्म का नाम उभरता है फिर कार्यक्रम का क्या प्रभाव रहा ? इसीलिए विनम्र अनुरोध है कृपया, कृपया, कृपया फिल्मी भक्ति गीतों का अलग कार्यक्रम रखिए ऐसे समय जहां क्षेत्रीय कार्यक्रमों का समय न हो ताकि हम इन फिल्मी भक्ति गीतों का आनंद ले सके और वन्दनवार के आनंद सागर में कोई प्रदूषण न हो।

शुक्रवार को सुदामा की भक्ति का बढ़िया गीत सुनवाया गया जो नया है -

देखो रे श्याम प्रभु ने दीन सुदामा के असुवन से पग धोए

इसके बाद अन्य भक्ति गीतों के बाद सत्यम शिवम् सुन्दरम फिल्म का शीर्षक गीत सुनकर माहौल खराब हो गया। पंडित नरेंद्र शर्मा का बढ़िया गीत है पर है तो व्यावसायिक फिल्म की रचना जो अभिनेत्री जीनत अमान पर फिल्माया गया। हम यह बात गीत सुनते हुए भूल नही सकते।

सप्ताह भर विविध भक्ति गीत सुने, साकार रूप के भक्ति गीत - जय जय जय सरस्वती माता

निराकार रूप के भक्ति गीत शामिल रहे - मोको कहाँ ढूंढें रे मैं तो तेरे पास में

पुराने लोकप्रिय भजन सुनवाए गए -

माई यशोदा जब कहे माखन चोर है ग्वाला
सुन कर पुलकित हो गए मुरलीधर नन्द लाला

पुराने ऐसे भजन भी शामिल रहे जो कम सुनवाए जाते है -

कहाँ छिपे हो संकट मोचन हे गिरधर गिरधारी
राखो लाज हमारी

सप्ताह में एकाध और भी नए भजन सुनवाए गए।

कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा, लोकप्रिय देशभक्ति गीत सुनवाए गए जैसे -

एक है हमारी आज राहे
चाहे लाखो तूफ़ान आए रहेगे एक सब जहां के नौजवान

मिल के चलो
चलो भई मिल के चलो

मेरा देश महान है, भारत देश महान है
अनुपम रत्नों की खान है

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का गीत जिसे सुनवाते समय कवि का नाम नही बताया -

भारती जय विजय करे
कनक कमल शास्त्र धरे
भारती भारती भारती

नया, एकाध बार सुनवाया गया देश गान भी शामिल रहा -

भारत एक दिया है हम सब इस दिए की बातियाँ

और यह गीत भी सुनवाया गया जो शायद फिल्मी है -

हमार सोनार बांगला देश---------------म्हारो देश मारवाड़

और यह लोकप्रिय फिल्मी देश भक्ति गीत इस प्रसारण में सुनना बहुत ही खराब लगा -

ये देश है वीर जवानो का

वैसे भी गैर फिल्मी गीतों के कार्यक्रम कम है उसमे भी फिल्मी घुसपैठ ठीक नही लगती। इन फिल्मी भजनों और देशभक्ति गीतों के लिए कोई साप्ताहिक कार्यक्रम शुरू किया जा सकता है।

6:30 बजे से क्षेत्रीय प्रसारण में तेलुगु भक्ति गीत सुनवाए गए जिसके बाद 6:55 को झरोका में केन्द्रीय और क्षेत्रीय प्रसारण की जानकारी तेलुगु भाषा में दी गई।

7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम के दूसरे भाग से हम जुड़े। यह भाग प्रायोजित रहा। शुक्रवार को बहुत अच्छे गीत सुनवाए गए -
बहारे फिर भी आएगी, सुजाता, तीन देवियाँ, नया अंदाज और मिस्टर एंड मिसेज 55 का रफी साहब का गाया कम सुना गीत। सबसे अच्छा लगा बहुत-बहुत दिनों बाद लाट साहब फिल्म का एक समय का बहुत लोकप्रिय यह गीत सुनना -

सवेरे वाली गाड़ी से चले जाएगे

शनिवार को सुनवाए गए बढ़िया रोमांटिक गीत - ममता, एक राज, दो कलियाँ, मस्ताना फिल्मो से और ये गीत -

चाँद आहे भरेगा फूल दिल थाम लेंगे
हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे

अगर मुझसे मुहब्बत है मुझे सब अपने गम दे दो

रविवार को दिल देके देखो, दिल ही तो है, आपकी परछाइयां, रंगोली फिल्मो के लोकप्रिय गीतों के साथ यह गीत भी शामिल थे -

गीत गाया पत्थरो ने फ़िल्म से - तेरे ख्यालो में हम, तेरी ही बाहों में गुम

गैम्बलर फ़िल्म से - मेरा मन तेरा प्यासा

सोमवार को भी गैम्बलर फिल्म शामिल रही लेकिन दूसरा गीत सुनवाया गया। यह गीत भी शामिल था -

ए सनम आज ए कसम खाए

इसके अलावा हमराज, प्रोफ़ेसर, लव इन टोकियो फिल्मो के गीत भी शामिल थे।

मंगलवार को धूम धडाकेदार गीत शामिल रहे - गंगा जमुना, हिमालय की गोद में, काला बाजार फिल्मो से और बहुत दिनों बाद सुना यह गीत -

उई माँ उई माँ ये क्या हो गया
उनकी गली में दिल खो गया

बुधवार को सुनवाया गया - सोचा था प्यार हम न करेगे

इस गीत के साथ इन फिल्मो के गीत भी शामिल रहे - बंबई का बाबू, धुल का फूल, गुमराह।

आज तेरी तलाश में और हरियाली और रास्ता फिल्मो के शीर्षक गीतों के साथ हकीकत, देवर, गैम्बलर फिल्मो के गीत शामिल थे और शुरूवात की इस गीत से -

पर्वतो के घेरो में शाम का अन्धेरा है
सुरमई उजाला है चम्पई अन्धेरा है

हर दिन कार्यक्रम के समापन पर सुनवाए जाने वाले कुंदनलाल सहगल के गीत की अनिवार्यता अब समाप्त हो गई है क्योकि समय आगे बढ़ जाने से अब साठ के दशक के शुरू के और पचास के दशक के अंतिम समय के गीत सुनवाए जा रहें है। इसी के साथ सहगल साहब और उनके दौर का सन्गीत अब सुनने को नही मिल रहा है। अनुरोध है कि इस दौर के गीत सुनवाने की कृपया कोई व्यवस्था कीजिए।

7:30 बजे संगीत सरिता में राजस्थान के लोकसंगीत पर आधारित बहुप्रतीक्षित श्रृंखला मरू धरा की संगीत धारा में शास्त्रीय संगीत समाप्त हुई। आमंत्रित कलाकार रहे लोकगायक बनारसी लाल झोले और कोहिनूर लंगा, शास्त्रीय संगीत के विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित रहे डा प्रकाश संगीत जी और विदुषी एम् राजम जी। बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। शुक्रवार को 26 वी और अंतिम कड़ी प्रसारित हुई। परम्परा के अनुसार समापन राग भैरवी से हुआ। इस कड़ी में कोहिनूर लंगा ने एक लोकगीत प्रस्तुत किया जिसके भाव महेंद्र मोदी जी ने बताए कि मीरा कृष्ण से विवाह का सपना देखती है और इसके बारे में माँ से बताती है। समापन पर राग भैरवी में शास्त्रीय रचना - बाजूबंद खुल खुल जाए प्रस्तुत की गई। हारमोनियम पर संगत की सुधीर नायक जी ने, तबले पर संगत की बालकृष्ण अय्यर जी ने। इस का संयोजन किया महेंद्र मोदी जी ने। संकल्पना और प्रस्तुति कांचन (प्रकाश संगीत) जी की रही। तकनीकी सहयोग दिलीप (कुलकर्णी) जी का रहा और प्रस्तुति सहयोग कमला (कुंदर) जी और वसुंधरा (अय्यर) जी का रहा। निश्चित अवधि के बाद इसके फिर से प्रसारण के लिए अनुरोध है।

शनिवार से एक और बढ़िया श्रृंखला आरम्भ हुई जिसकी कडिया पुरानी है पर श्रृंखला के रूप में प्रसारण का अंदाज नया है। श्रृंखला है - विविध भारती के खजाने से - जिसमे अस्सी के दशक में हर रविवार को प्रसारित कडिया सुनवाई गई। हर रविवार को संगीत सरिता का विशेष कार्यक्रम प्रसारित होता था जिसे संगीत जगत की मशहूर हस्तियाँ प्रस्तुत करती थी। इन कार्यक्रमों को ठीक वैसा ही यानी पुरानी, उस समय की संकेत धुन और उद्घोषणा के साथ प्रसारित किया जा रहा है। शुरूवात हुई लता मंगेशकर की प्रस्तुति से। कुछ बाते बहुत ही अच्छी बताई लता जी ने जैसे - स्वर और नृत्य के मेल के बिना संगीत अधूरा है। यह जानकारी भी अच्छी दी कि संगीत की शुरूवात मराठी से नही की जो उनकी भाषा है बल्कि पंजाबी से की। गीत भी अच्छे सुनवाए, शुरूवात की -

मेघा छाए आधी रात बैरन बन गई निंदिया

बैय्या न धरो ओ बलमा

जा तो से नही बोलू कन्हैय्या

रविवार की कड़ी में आशा भोंसले से अचला नागर जी की बातचीत सुनवाई गई। शुरूवात हुई काजल फ़िल्म के गीत से -

तोरा मन दर्पण कहलाए

आशा जी ने बताया कि आरंभिक शिक्षा घर पर हुई। उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ और नजाकत अली खाँ और सलामत अली खाँ की गायकी ख़ासकर तान में संतुलन से प्रभावित है। अचला जी के पूछने पर बताया कि सुगम संगीत की गायिका होने से कम रियाज करती है। कलाकारों को संदेश दिया कि स्वर की साधना करे और अपने पर नियंत्रण रखे। समापन पर आशा जी के दो अंदाज सुनवाए गए -

कारवां फ़िल्म से - ओ दैय्या मै कहाँ आ फंसी

विजेता फ़िल्म से - मन आनंद आनंद

सोमवार को 1983 में ख्यात तबला वादक अल्ला रक्खा खाँ से राम सिंह पवार की बातचीत पर आधारित कार्यक्रम को संपादित कर प्रसारित किया गया। पखावज की जानकारी दी, संगीत घरानों जैसे पंजाब घराने के तबला वादन को स्पष्ट किया। तबला वादन सुनवाया भी गया पर छोटा सा टुकड़ा। मंगलवार को 1981 में प्रसारित शास्त्रीय और सुगम संगीत की जानी-मानी गायिका माणिक वर्मा से राम सिंह पवार की बातचीत सुनवाई गई। बताया कि आरंभिक शिक्षा घर पर हुई फिर चार घरानों से शिक्षा ली जिसमे किराना घराना पसंद है जहां स्वरों पर अधिक ध्यान दिया जाता है। बातचीत के बाद माणिक वर्मा जी से काफी ठुमरी भी सुनवाई। बुधवार को 1989 में प्रसारित पंडित जसराज से बातचीत सुनवाई गई। सन्गीत शिक्षा के साथ सुरों की चर्चा भी चली। अंत में गायन भी सुनवाया गया। आज किराना घराने की ख्यात गायिका गंगू बाई हंगल से चंदू माधव पाठक की बातचीत सुनवाई गई। इस घराने की शैली बताई। हिन्दुस्तानी संगीत की ओर झुकाव की चर्चा की। अंत में राग चन्द्र कौन्स सुनवाया गया। यह कार्यक्रम में 1990 धारवाड़ केंद्र में तैयार किया गया।

7:45 को त्रिवेणी में शुक्रवार की कड़ी बहुत बढ़िया रही। इंसान द्वारा जाने अनजाने की जा रही जीवहिंसा की चर्चा की गई। अधिक दूध पाने के लिए गायो को दिए जा रहे इंजेक्शन जिससे उन्हें भयंकर दर्द होता है, पेड़ काटना, शिकार करना आदि बातो की चर्चा करता सामान्य से बड़ा और सुंदर आलेख। गीत भी अच्छे चुने गए, हाथी मेरे साथी फ़िल्म से -

नफ़रत की दुनिया को छोड़ कर प्यार की दुनिया में खुश रहना

भाभी फ़िल्म का गीत और यह प्यारा सा गीत -

चुन चुन करती आई चिड़िया

निश्चित अवधि से इसे फिर प्रसारित करने का अनुरोध है।

शनिवार को भी बढिया विचार रहा - प्यार बांटने से बढ़ता है जो जग कल्याण का रास्ता है। अच्छा आलेख और गीत -

दूसरो का दुखड़ा दूर करने वाले तेरे दुःख दूर करेगे राम

ले ले दर्द पराया

रविवार का विषय था - रेल गाड़ी का सफर। सफर करने की तमीज भी सिखाई गई। आशीर्वाद का गीत रेलगाड़ी भी शामिल था और नई फ़िल्म परिणीता का गीत भी और दोस्त फ़िल्म का गीत -

गाड़ी बुला रही है सीटी बजा रही है

सोमवार का विचार था - दोस्त बनाए जाते है। रिश्तेदार होते है पर दोस्त चुने जाते है। आलेख भी अच्छा था और गाने भी अच्छे चुने गए, दोस्ती फिल्म से, शोले फिल्म का -

यह दोस्ती हम नही छोड़ेगे

और दोस्ताना फिल्म का गीत, जाहिर है शामिल था।

मंगलवार को रिश्तो में कम होती सद्भावना की चर्चा चली। बहुत दिन बाद यह गीत सुनना अच्छा लगा -
मतलब निकल गया है तो पहचानते नही (फिल्म का नाम अमानत है शायद)

बुधवार को मन की विशालता की बात चली। मन कभी मनमानी करता है तो कभी समझदारी दिखाता है। पुरानी फिल्म बहारो की मंजिल कुछ पुरानी फिल्म इम्तिहान और कुछ नई फिल्म रोजा का यह गीत आलेख के साथ जोड़ कर सुनवाया गया - दिल है छोटा सा छोटी सी आशा

और आज बताया गया कि जिन्दगी तो एक है पर रूप अनेक है। अच्छा आलेख और गीत भी -

एक प्यार का नगमा है मौजो की रवानी है
जिन्दगी और कुछ भी नही तेरी मेरी कहानी है

खट्टा मीठा और मेरी जंग फिल्म के गीत भी शामिल थे।

सवेरे के त्रिवेणी कार्यक्रम के बाद क्षेत्रीय प्रसारण तेलुगु भाषा में शुरू हो जाता है फिर हम दोपहर 12 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुडते है।

1 comment:

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

इसके बाद अन्य भक्ति गीतों के बाद सत्यम शिवम् सुन्दरम फिल्म का शीर्षक गीत सुनकर माहौल खराब हो गया। पंडित नरेंद्र शर्मा का बढ़िया गीत है पर है तो व्यावसायिक फिल्म की रचना जो अभिनेत्री जीनत अमान पर फिल्माया गया। हम यह बात गीत सुनते हुए भूल नही सकते।
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अन्नपूर्णा जी ,
आप समीक्षा हमेशा काफी परिश्रम के साथ लिखतीं हैं -- आज भी पढने के बाद ये मेरे मन को दुखी कर गया -
" सत्यम शिवम् सुंदरम " गीत सर्वथा सहीत्यिक + धार्मिक है -- और सुप्रसिध्ध निर्माता राज कपूर जी ने इस गीत को
जीनत अमां पर ही फिल्माया है --
ये आज के हर मीडीया की मनमानी है के हम किस तत्थ्य को ज्यादा महत्त्व दे कर प्रस्तुत करते हैं --
अखबार टीवी, रेडियो व अंतरजाल के विविध माध्यम जैसे ब्लॉग , फेस बुक या ट्वीटर भी सभी किसे ज्यादा महत्त्व देते हैं ?
मुझे लगता है -- ग्लैमर को !!
विविधभारती के पितृ पुरुष सम पंडी नरेंद्र शर्मा का गीत बजाया गया परंतु आज ही के दिन फरवरी ११ को सन १९८९ के दिन
उनका देहांत हुआ था ये शायद सिर्फ उनके परिवार को ही याद होगा :-(
कितने दुःख की बात है --- मेरे पापा जी ने कई सुझाव दीये थे -- ओफीश्यल मेमो भिजवाये थे -- गैर फ़िल्मी , साहित्यिक
रचनाओं को स्वर बध्ध करने का अनुरोध भी किया था [ जिनका ब्यौरा आज भी मेरे पास है ] उन पर आज तक कोइ काम
नहीं किया गया जिसका मुझे भी बहुत खेद है --
आप की तरह साहित्यिक , भक्तिपरक गीतों को सुनने का आग्रह रखनेवाले शायद १०० फीसदी में से . .००१ % लोग ही हों और
अगर ज्यादा लोग हैं तब भी ना उनकी पसंद पर ध्यान दिया जाता है और नाही किसी ढंग से होनेवाले, सुसंस्कृत प्रयासों पर ही
अब कोइ ध्यान दे रहा है या ठोस प्रयास ही कर रहा है ---
कमेन्ट लंबा हो गया है -
-- मेरा ब्लॉग आज अवश्य देखिएगा ---

http://www.lavanyashah.com/2010/02/blog-post_10.html
स स्नेह ,
- लावण्या

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