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Friday, February 26, 2010

दोपहर बाद के जानकारीपूर्ण कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 25-2-10

दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।

3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम हैलो सहेली। फोन पर सखियों से बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। कार्यक्रम फिर पहले के अवतार में आ गया। फोन पर सखियों से बतियाना, पिछले अंको की तरह ख़ास विषय नही। इस बार अधिकतर फोनकाल छात्राओं के थे खासकर स्कूल की छात्राओं के। स्कूल की छात्राओं ने बताया कि आगे करिअर के बारे में सोचा नही। एक लड़की ने पढाई छोड़ कर घर की दुकान चलाने की बात बताई। इन सखियों ने नए गीत ही पसंद किए। एक सखि ने बताया कि वह ब्यूटी पार्लर में बाल बनाना सीख रही है और आगे यही काम करना चाहती है और गीत भी वैसा ही पसंद किया पिया का घर फिल्म से -

ये जुल्फ कैसी है

एक कालेज की छात्रा ने अपने करिअर की योजना पर खुल कर बात की। इन कालो से एक बात साफ़ हुई कि कुछ लड़कियां अपना करिअर बनाने में चुस्त है पर कुछ ऎसी भी लड़कियां है, आज भी हमारे समाज में जो आराम से जीना चाहती है, आगे जो हो देखेगे जैसा अंदाज और कुछ अब भी घर परिवार के दायरे में रहना चाहती है। विभिन्न क्षेत्रो जैसे हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश से फोन आए। गाँव, जिलो से काल आए। गाँव की लड़की ने अपने खेतो के बारे में बताया। निम्मी जी ने माहौल भी हल्का-फुल्का रखा, सखियों ने जब अपनी पसंद का गीत बताया तो उसे गुनगुनाने के लिए कहा।

सखियों की पसंद पर नए-पुराने विभिन्न मूड के गाने सुनवाए गए। इस कार्यक्रम को निखिल (धामापुरकर) जी के तकनीकी सहयोग से वीणा (राय सिंघानी) जी ने प्रस्तुत किया और प्रस्तुति सहयोग रमेश (गोखले) जी का रहा।

सोमवार को पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और चंचल (वर्मा) जी। यह दिन रसोई का होता है, व्यंजन बताया गया - हरे चने के रोल और कचौरी बनाना। सखियों की पसंद पर पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए - स्वर्ण सुन्दरी, उपकार, शहीद, विश्वास, राजा और रंक फिल्मो से और बड़ी बहन फिल्म से यह गीत बहुत दिन बाद सुनने को मिला -

छुप छुप खड़े हो जरूर कोई बात हैं
पहली मुलाक़ात हैं ये पहली मुलाक़ात हैं

मंगलवार को पधारी सखियां शहनाज (अख्तरी) जी और सुधा (अत्सुले) जी। इस दिन होली का रंग चढ़ा और सखियों के अनुरोध पर सुनवाए जाने वाले गीतों में से शुरूवात की इस गीत से -

होली खेले रघुवीरा अवध में

इस दिन परीक्षा समय को देखते हुए होली और परीक्षा से तालमेल बिठाने के लिए कहा। एटीटयूट टेस्ट से बच्चो की रुचि का पता लगा कर करिअर बनाने में मदद करने की बात कही। यह करिअर का दिन होता है। इस दिन सौन्दर्य विशेषज्ञ बनने के लिए जानकारी दी गई।

हमेशा की तरह सखियो के अनुरोध पर गाने नए ही सुनवाए गए जैसे चक दे, तुम मिले, लव आजकल, अजब प्रेम की गजब कहानी, परिणीता फिल्मो के गीत।

बुधवार को सखियाँ पधारीं - निम्मी (मिश्रा) जी और चंचल (वर्मा) जी। इस दिन स्वास्थ्य और सौन्दर्य संबंधी सलाह दी जाती है्। इस दिन होली के अवसर पर रंगों के रासायनिक तत्वों से त्वचा और बालो को होने वाले नुकसान से बचाने के नुस्के बताए गए। पोषक तत्वों को सुरक्षित रखते हुए भोजन पकाने के नुस्के भी बताए गए। श्रोता सखियों की फरमाइश पर कुछ पुराने समय के लोकप्रिय गीत इन फिल्मो से सुनवाए गए - ब्लैकमेल, स्वीकार किया मैंने, साथ-साथ और इस गीत में संवाद अधिक हो गए थे -

परदेस जा कर परदेसिया
भूल न जाना पिया

होली के गीत भी सुनवाए गए - धनवान फिल्म से यह गीत जो बहुत ही कम सुनवाया जाता हैं -

मारो भर भर भर पिचकारी

गुरूवार को होली के रंग में रंगी सखियाँ पधारी मंजू (द्विवेदी) जी और चंचल (वर्मा) जी। शुरूवात की सिलसिला फिल्म के गीत से - रंग बरसे

इस दिन सफल महिलाओं के बारे में बताया जाता है। आजकल श्रंखला चल रही है स्वतंत्रता सेनानी लेखिकाओं की। इस बार नयनतारा सहगल के बारे में बताया गया जो विजय लक्ष्मी पंडित की पुत्री हैं। सखियों के अनुरोध पर लोकप्रय गीत सुनवाए आँखे, अभिमान, आरजू, लव इन टोकियो, चितचोर, फिल्मो से और धर्मात्मा फिल्म का यह गीत लगा ख़ास तौर पर इस कार्यक्रम के लिए पसंद किया गया -

क्या खूब लगती हो बड़ी सुन्दर दिखती हो
फिर से कहो, कहते रहो अच्छा लगता हैं

वैसे बुधवार को सुनवाया जाता तो ज्यादा अच्छा लगता :):):)

हर दिन श्रोता सखियों के पत्र पढे गए। सखियों ने रसोई के कुछ नुस्के भेजे, कुछ पत्रों में कार्यक्रमों की तारीफ़ थी, कुछ सखियों ने अच्छे विचार भी भेजे जैसे असफलताओं से न घबराए। यह भी सूचना दी कि हर महीने के पहले शुक्रवार को होने वाले हैलो सहेली के विशेष कार्यक्रम में, इस बार करिअर विशेषज्ञ को आमंत्रित किया जा रहा हैं, सखियों से फोन करने के लिए कहा गया।

इस कार्यक्रम की दो परिचय धुनें सुनवाई गई - एक तो रोज़ सुनी और एक विशेष धुन हैलो सहेली की शुक्रवार को सुनी।

इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया कमलेश (पाठक) जी ने।

शनिवार और रविवार को प्रस्तुत हुआ सदाबहार नग़में कार्यक्रम जिसमे गीत सुनवाने आई राजुल (अशोक) जी। शनिवार की प्रस्तुति में साहिर लुधियानवी के लिखे गीत सुनवाए। विभिन्न मूड के गीत सुनवाए गए। शरारती गीत नया दौर फ़िल्म से, दिल ही तो है फ़िल्म से - तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नही

कागज़ के फूल फ़िल्म से - वक़्त ने किया क्या हसीं सितम

हमराज, देवदास, गुमराह फिल्मो के गीत भी शामिल रहे।

रविवार को अभिनेत्री नूतन को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया गया। उनकी विभिन्न भूमिकाओं के विभिन्न मूड के गीत सुनवाए -

सरस्वती चन्द्र से - छोड़ दे साड़ी दुनिया किसी के लिए

सौदागर फ़िल्म से - तेरा मेरा साथ रहे

खानदान फ़िल्म से और मैं तुलसी तेरे आँगन की फ़िल्म का शीर्षक गीत पर यह गीत आशा पारिख के लिए अधिक उचित है।

3:30 बजे नाट्य तरंग कार्यक्रम में शनिवार और रविवार को दो भागो में मूल रूप से कन्नड़ में एम के कुलकर्णी के लिखे नाटक का नंदिनी गुंडूराव द्वारा किया गया हिन्दी रेडियो नाट्यरूपांतर सुनवाया गया - पल्लवी। यह एक ऎसी लड़की की कहानी है जिसका परिवार आर्थिक रूप से पिछड़ गया फिर परिवार के पुरूषों के निधन के बाद उसे किन सामजिक समस्याओं का सामना करना पडा। नायक स्मगलर के संगठन को ढूँढता हुआ आता है तो उसे पता चलता है उसका पिता भी अपराधी हैं। निर्देशक है चिरंजीत। दिल्ली केन्द्र की प्रस्तुति। व्यावसायिक फ़िल्म की तरह लगा नाटक।

शाम 4 से 5 बजे तक सुनवाया जाता है पिटारा कार्यक्रम जिसकी अपनी परिचय धुन है और हर कार्यक्रम की अलग परिचय धुन है।

शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम चित्र भारती। यह कार्यक्रम फ़िल्म पत्रिका के रूप में है। आरम्भ हुआ फिल्मी समाचारों से। सम्पादकीय में बताया अंतर्राष्ट्रीय होता हिन्दी सिनेमा जिसमे सिनेमा के आरम्भ से लेकर अब तक की विकास यात्रा की चर्चा हुई। फिर समाचार छायाकार मूर्ती को दादा साहेब फालके पुरस्कार मिलने का, उनके बारे में बताया, अभिनेता सुजीत कुमार के निधन के समाचार के साथ उनके बारे में बताया। मुम्बई में लघु फ़िल्म और वृत्त चित्र पर हुए फ़िल्म समारोह की जानकारी दी। नई फिल्मो के भी समाचार शामिल थे जैसे अमिताभ बच्चन की तीन पत्ती और करीना कपूर की एजेंट विनोद। समाचारों में राष्ट्रीय पुरस्कारों के बारे में बताया गया। ऐ आर रहमान के बारे में भी बताया। यह समाचार सुनना 15 मिनट अच्छा लगा पर आधे घंटे तक सुनना भारी लगा। फिर शुरू हुआ भेंट वार्ता का सिलसिला। फैशन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार पाने वाली प्रियंका चोपड़ा से बात की गई। स्वर कमल (शर्मा) जी का था और प्रस्तुतकर्ता थे विजय दीपक छिब्बर जी।

रविवार को यूथ एक्सप्रेस लेकर आए युनूस (खान) जी। युवाओं के लिए महत्वपूर्ण चार संस्थानों के बारे में जानकारी दी। जेसलमेर के डिप्टी कमांडेंट अजय प्रताप सिंह से बातचीत की - छात्रो को एनसीसी, गाइड में शामिल होने के बारे में और उन्ही की पसंद का गीत सुनवाया -

पल पल दिल के पास तुम रहती हो

ऎसी ही एक बातचीत रही यूथ हॉस्टल के बारे में जिससे युवाओं को प्रकृति के पास ले जाने के साहसिक काम जैसे ट्रैकिग आदि कामो में भाग लेने के लिए बाते बताई गई। मुम्बई की एक गैर सरकारी संस्था बी एन एस के प्रमुख ने प्राकृतिक इतिहास यानी वन्य जीवन से सम्बंधित जानकारी दी। एक परिचर्चा का भी संचालन किया युनूस जी ने जिसमे छात्रो ने भाग लिया जिसमे समाज सेवा एन एस एस पर चर्चा चली। युवाओं के लिए अच्छे उपयोगी इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने पी के ए नायर जी के तकनीकी सहयोग से।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में मूत्र रोग विशेषज्ञ और सर्जन डा जयेश धमालिया से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत सुनवाई गई। विस्तार से जानकारी दी कि मूत्र निकासी में कष्ट होने से हर समय जरूरी नही कि आपरेशन किया जाए, दवाई से भी ठीक हो सकता हैं और गुर्दे की क्रिया के बारे में बताया। सामान्य बाते भी बताई।

बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में ख्यात गीतकार नक्शलायल पुरी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत सुनवाई गई। जीवन के आरंभिक दिनों से शुरूवात की, बताया कि यह दिन लालपुर में बीते जो अब पाकिस्तान का भाग हैं। रचनाकर्म की शुरूवात लाहौर के अदीबो की महफ़िलो से हुई। मुम्बई में आरंभिक संघर्ष की चर्चा की। पहले फिल्मी गीत के बोल नही बताए, इस बात पर आश्चर्य हुआ। आमतौर पर याद रहता हैं। फिर कुछ समय बात चेतना फिल्म के गीत फिर सामाजिक फिल्मो के गीतों की चर्चा हुई। उनके लोकप्रिय गीत सुनवाए - मैं तो हर मोड़ पर

घरौंदा फिल्म का गीत -

तुन्हें हो न हो मुझको तो इतना यकी हैं
मुझे प्यार तुमसे नही हैं नही हैं

प्रस्तुति कांचन (प्रकाश संगीत) जी की रही। तकनीकी सहयोगी रही वीणा (राय सिंघानी) जी।

हैलो फ़रमाइश कार्यक्रम में शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बात की निम्मी (मिश्रा) जी ने। विभिन्न क्षेत्रो से फोन आए जैसे अहमदाबाद और लोकल काल भी थे। ऐसे श्रोताओं ने भी फोन किया जो काम करने के लिए गाँव से मुम्बई आए हैं। एक युवा ने बताया वह चौकीदार का काम करता हैं और आगे ड्राइवर बनना चाहता हैं। कुछ श्रोताओं ने अपने काम के बारे में भी बताया जैसे सिलाई का काम। एक ने कहा अभी बारिश होने से फसल ख़राब हो गई हैं। सब की पसंद पर गाने अलग-अलग तरह के नए पुराने गीत सुनवाए जैसे हैलो ब्रदर, प्रीत न जाने रीत फिल्मो से और संजीदा गीत पेज थ्री फ़िल्म से -

कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ पर

ऐसा ही आदमी खिलौना हैं फ़िल्म का शीर्षक गीत।

मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की अशोक (सोनामणे) जी ने। बड़ा अच्छा लगा कि एक फोनकाल सास-बहू ऩे मिल कर किया। एक लोकल काल में एक प्रोफेसर साहब ऩे देश की भाषा हिन्दी, मातृ भाषा, क्षेत्रीय भाषा और पढाई-लिखाई में अंग्रेजी पर चर्चा की। अच्छी रही भाषा विज्ञान की यह क्लास। गाँव से एक युवक ऩे बात की और बताया कि वह कालेज साइकिल पर जाता हैं, दूर जाना पड़ता हैं। अलग-अलग तरह की बातचीत अच्छी लगी। गाने भी ऐसे ही रहे। पुराना गीत - तू कहाँ यह बता

और नई फिल्मो के गीत रब ऩे बना दी जोडी जैसी फिल्मो के। होली का गीत भी शामिल रहा - रंग बरसे

गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने। पहला काल बड़ा संवेदनशील था। श्रोता ने बताया कि उसे पोलियो हैं। अपने जीवन के बारे में बताते हुए यह सन्देश दिया कि बच्चो को पोलियो का टीका अवश्य लगवाए। एक श्रोता ने अपने बर्फ के व्यापार के बारे में बताया। श्रोताओ से बातचीत से पता चला चंडीगढ़ में मौसम अच्छा हैं। लोकप्रिय गाने भी पसंद किए गए जैसे -

धीरे-धीरे बोल कोई सुन न ले

कृष जैसी नई फिल्मो के गीत भी सुनवाए गए।

तीनो ही कार्यक्रमों में श्रोताओं ने विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों को पसंद करने की बात बताई। एक पुरूष श्रोता ने बताया उसे सखिसहेली कार्यक्रम से प्रेरणा मिलती हैं। कुछ श्रोताओ ने बहुत ही कम बात की। तीनो ही कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया महादेव (जगदाले) जी ने। तकनीकी सहयोग सुनील (भुजबल) जी, सुधाकर (मटकर) जी, मंगेश (सांगले) जी और प्रस्तुति सहयोग परिणीता (नाईक) जी, रेखा जी, रमेश (गोखले) जी का रहा।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद शनिवार और रविवार को एक ख़ास बात हुई। बहुत दिनों से बच्चो के कार्यक्रम की कमी महसूस हो रही थी जो पूरी हुई। दोनों दिन प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ - हॉर्लिक्स एक्जाम मिशन पर उदघोषणा में कार्यक्रम का शीर्षक बताया गया - हॉर्लिक्स एक्जाम का भूत भगाओ।

दोनों दिन परिचर्चा प्रसारित हुई। साथ ही विषय से सम्बंधित प्रश्न श्रोताओं से फोन पर पूछने के लिए कहा गया। पहले दिन परीक्षा के तनाव से सम्बंधित चर्चा हुई जिसमे अध्यापिका शोभा सिंह जी, डाक्टर स्वाती कश्यप जी और आहार विशेषज्ञ अनुष्का जी ने भाग लिया। चर्चा चली कि बोर्ड परीक्षा का डर हो जाता हैं जिसे कम करना हैं, नियमित अंतराल से आहार ले, दिमाग को व्यवस्थित करने का छोटा सा व्यायाम भी बताया। दूसरे दिन का विषय था - परीक्षा के समय माता-पिता की भूमिका। भाग लिया मनोवैज्ञानिक गुंजन जी, पिछली बोर्ड परीक्षा में सर्वोच्च स्थान पाने वाला छात्र दिव्यांशु अग्रवाल और आहार विशेषज्ञ निशा सिंहल जी। बताया कि माता-पिता अंको के लिए दबाव न डाले, 45 मिनट से एक घंटे तक पढ़ने के बाद थोड़ा विराम ले, हल्का खाना खाए।

दोनों दिन फोन काल आए, खाना नही खाया जाता, नींद आती है जैसे प्रश्न पूछे गए जिसका उत्तर दिया गया। अच्छा रहा दोनों दिन कार्यक्रम। आशा हैं सिलसिला जारी रहेगा।

शेष हर दिन प्रसारित हुआ नए फिल्मी गीतों का कार्यक्रम फिल्मी हंगामा। शुक्रवार को शहनाज (अख्तरी) जी सुनवाने आई लोकप्रिय गीत - सलामे इश्क, ऐतेराज, राकी, चायना टाउन फिल्मो से और साथ ही सुनवाया अक्सर फिल्म से हिमेश रेशमिया का यह गीत भी - झलक दिखला जा

सोमवार को निम्मी (मिश्रा) जी ने नई फिल्मो के ऐसे गीत सुनवाए गए जो कुछ कम ही सुनवाए जाते हैं -

जुम्मेरात हैं आ जा साथ निभा जा

प्रीतम के संगीत के दो अलग रंग दिखलाते दो गीत सुनवाए। समापन किया - हल्ला रे हल्ला रे गीत से।

मंगलवार को नई फिल्मो के ऐसे गीत सुनवाए अशोक जी ऩे जो ताजे तो नही, कुछ बासी हैं - बंटी और बबली, वक़्त, क्या कूल हैं हम

बुधवार को राजुल जी ले कर आई फड़कते गीत - कुआं मा डूब जाउंगी

तक्षक, नमस्ते लन्दन फिल्मो के गीत भी शामिल थे। गुरूवार को यह कार्यक्रम अमिताभ स्पेशल लगा - मेजर साहब, बागबान, कभी खुशी कभी गम फिल्मो के गीत सुनवाए गए।

इस कार्यक्रम को प्रायोजित किया जा सकता है पर न यह कार्यक्रम प्रायोजित था और न ही विज्ञापन प्रसारित हुए।

प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। दूरदर्शन के कार्यक्रमों के भी विज्ञापन थे।

शाम 5:30 बजे फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम की समाप्ति के बाद क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है, फिर हम शाम बाद के प्रसारण के लिए 7 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

2 comments:

Anita kumar said...

अररर ! एक मजेदार प्रोग्राम मिस हो गया ।दोपहर को तो हम घर पर नहीं होते इसका कोई रिपीट ब्रोडकास्ट होता है क्या

annapurna said...

दुबारा प्रसारण के बारे में आप बातचीत के कालम में संदेश लिखिए वही से सही जानकारी मिलेगी।

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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।

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