सबसे नए तीन पन्ने :

Friday, August 27, 2010

स्व. ऋषिकेष मुक़र्जी को भी स्व. मूकेशजी के साथ श्रद्धांजलि

रेडियोनामा के पाठको आज रेडियो और टीवी चेनल्स मूकेशजी को श्रद्धांजलि देते हुए कार्यक्रम पूरे दिन प्रस्तूत कर रहे है पर विविध भारती राष्ट्रीय नेटवर्क एक ही ऐसा चेनल रहा की अभी दो पहर 2-30 से 3 बजे तक सदा बहार गीतों के कार्यक्रममें, जिन की भी आज पूण्यतिथी है वैसे महान फिल्मकार स्व. ऋषिकेष मुक़र्जी को याद करते हुए उनकी अलग अलग फिल्मों से सुन्दर गीतों को प्रस्तूत किया । इस लिये विविध भारती के हमारा सब ऋषिदा के चाहक लोग आभारी है । हा, अगर कम से कम एक संकलित कार्यक्रम आता तो ज्यादा अच्छा लगता । पिछले साल इसी दिन भी मैनें उन पर पोस्ट लिख़ी थी, जो आप नीचे लेबल्स के अंदर उनके नाम पर क्लिक करके ज्यादा विस्तार से पढ़ सकेंगे ।
पियुष महेता ।
सुरत-395001.

Friday, August 20, 2010

रात के सुकून भरे कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 19-8-10 और साप्ताहिकी के दो साल

आज साप्ताहिकी लिखते हुए दो साल पूरे हो गए हैं। मैंने कोशिश की कि हर दिन प्रसारित होने वाले सभी कार्यक्रमों की जानकारी दे सकूं पर संभव नही हो पाया। निजी कारणों से दो-चार सप्ताह नही भी लिख पाई। विविध भारती के कार्यक्रम मैं बचपन से सुनती आई हूँ। कई आवाजे सुनती रही हूँ। कार्यक्रमों से ही बेहद लगाव होने से मैं इतना लिख पाती हूँ, वरना मेरा सम्बन्ध तो सबसे कुछ इस तरह हैं - ना काऊ से दोस्ती ना काऊ से बैर। साथ ही मुझे हिन्दी फिल्मो और फिल्मी गीतों में गहरी रुचि हैं। इसीसे कुछ जानकारी भी हैं। अक्सर कार्यक्रमों के बारे में लिखते समय मैं अपनी जानकारी से कुछ लिखती रही। इनमे से कितना सही रहा और कितना गलत यह तो उन मुद्दों पर विश्वस्त सूत्रों से जानकारी प्राप्त कर ही बताया जा सकता हैं। अच्छा होगा अगर कोई इस तरह से जानकारी प्राप्त कर पोस्ट लिखे जिससे सही जानकारी सबको मिल जाएगी और साथ ही मैं भी यह चाहती हूँ कि मेरी अपनी जानकारी में कितनी गलतियाँ हैं, इसका पता मुझे भी चले। चलिए, एक नजर डालते हैं इस सप्ताह के रात के प्रसारण पर...

रात में हवामहल कार्यक्रम के बाद 8:15 बजे से क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है फिर हम 9 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।
9 बजे प्रसारित हुआ हिट-सुपरहिट कार्यक्रम। रविवार को विशेष आयोजन रहा और शेष हर दिन किसी एक कलाकार को केन्द्रित कर गीत सुनवाए गए। वैसे सप्ताह भर यह कार्यक्रम अच्छा रहा पर इस समय इस कार्यक्रम का दुबारा प्रसारण होता हैं। मूल रूप से यह कार्यक्रम दोपहर 1:00 बजे प्रसारित होता हैं। दो बार प्रसारण के बजाय एक बार कोई और कार्यक्रम प्रसारित किया जा सकता हैं।

शुक्रवार को अभिनेत्री श्रीदेवी के जन्मदिन पर यह कार्यक्रम उन्ही पर केन्द्रित था। उन पर फिल्माए गए लोकप्रिय गीत सुनवाए गए, उन पर हल्की सी जानकारी देते हुए। गीतों का चुनाव अच्छा रहा जिससे उनकी कला के विविध रूप उभर आए। चांदनी के गीत नौ नौ चूड़ियाँ से उनकी नृत्य कला, सदमा फिल्म के गीत से उनके अभिनय की गहराई, मिस्टर इंडिया, खुदा गवाह फिल्मो के गीत और यह शोखी भरा गीत चालबाज फिल्म से -

किसी के हाथ न आएगी यह लड़की

यह भी बताया कि उनकी शुरूवाती फिल्मे असफल रही और हिम्मतवाला फिल्म से लोकप्रियता मिली पर शुरूवाती फिल्मो के बारे में नही बताया। उनकी पहली हिन्दी फिल्म हैं जूली जिसमे उन्होंने जूली (लक्ष्मी) की छोटी बहन की भूमिका की थी। फिल्म की सारी लोकप्रियता लक्ष्मी की झोली में गई और श्रीदेवी अनदेखी रह गई। उसके बाद बतौर नायिका उनकी पहली फिल्म आई सोलहवां सावन जो बुरी तरह पिट गई थी।

शनिवार को पार्श्व गायिका सुनिधि चौहान के गाए लोकप्रिय गीत सुनवाए गए टशन, रब ने बना दी जोडी, कृष फिल्मो से और धूम 2 से क्रेजी किया रे और यह गीत भी शामिल था - सात समुन्दर डोल गया

रविवार को विशेष रहा आयोजन - फेवरेट फाइव। इसमे आमंत्रित थे पार्श्व गायक कैलाश खेर। बातचीत की युनूस (खान) जी ने। विभिन्न प्रेरणादायी विषय लेते हुए अपने पसंदीदा गीत सुनवाए। प्रकृति पर बात की और प्रेम पुजारी का शीर्षक गीत सुनवाया एस डी बर्मन की आवाज में - प्रेम के पुजारी हम हैं

पर्यावरण की, बढ़ते तापमान की, वृक्षारोपण की बात की और अपने एलबम से गीत सुनवाया - प्रीत की लत मोहे ऎसी लागी होगी मैं बावरी

प्रेम की चर्चा करते हुए नया गीत सुनवाया - जिया जले जां जले

संगीत की चर्चा में कुछ वाद्यों जैसे करताल, एक तारा आदि के कम प्रयोग में आने की बात की। यह चर्चा अच्छी लगी और गीत भी अच्छा चुना पाकीजा फिल्म से जिसमे घुंघुरूओ की स्पष्ट आवाज हैं - चलते चलते यूंही कोई मिल गया था

15 अगस्त पर शुभकामना देते हुए स्वदेश फिल्म का यह गीत सुनवाया - ये जो देश हैं मेरा

शुरू और अंत में उनके गाए गीतों की झलकियों से परिचय दिया और समापन किया निम्मी (मिश्रा) जी ने। इस कार्यक्रम को गणेश (शिंदे) जी के तकनीकी सहयोग से प्रस्तुत किया कल्पना (शेट्टी) जी ने। बढ़िया प्रस्तुति।

सोमवार को अभिनेता सैफ अली खां पर फिल्माए गीत सुनवाए गए। इस दिन उनका जन्मदिन था। क्या कहना और सलाम नमस्ते फिल्मो से शीर्षक गीत, दिल चाहता हैं, कल हो न हो, हम तुम फिल्मो के गीत सुनवाए, ओंकारा फिल्म से बीडी जलईले गीत भी शामिल था।

मंगलवार को अभिनेता कमल हसन पर फिल्माए गए लोकप्रिय गीत सुनवाए गए। सदमा, एक दूजे के लिए, हिन्दुस्तानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए। सागर फिल्म से ओ मारिया भी शामिल था। सनम तेरी क़सम का शीर्षक गीत भी सुनवाया गया।

बुधवार को अरूणा ईरानी अभिनीत फिल्मो के गीत सुनवाए। इस दिन उनका जन्म दिन था। नृत्य के साथ-साथ उनके अभिनय के विभिन्न रूप दर्शाते गीत सुनवाए, बॉबी फिल्म का गीत - ऐ फंसा, नया ज़माना फिल्म से भावुक गीत, औलाद फिल्म से शोख गीत -

जोडी हमारी जमेगा कैसे जानी

खेल खेल में, अनोखी रात, कारवां फिल्मो के गीत सुनवाए।

गुरूवार का कार्यक्रम मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत पसंद आया। देव आनंद पर फिल्माए गए गीत सुनवाए गए। शुरूवात की उनकी बेहतरीन फिल्म गाइड के बढ़िया रोमांटिक गीत से जिसे रफी साहब ने वाकई दिल से गाया -

तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं

उसके बाद उनकी सत्तर के दशक की युवाओं में बढ़ती नशे की लत पर बनी लोकप्रिय फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा का रोमांटिक युगल गीत -

कांची रे कांची रे प्रीत मेरी सांची

उनकी बनाई बेहद रोमांचित कर देने वाली सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर फिल्म ज्वैल थीफ का युगल गीत -

आसमाँ के नीचे हम आज अपने पीछे
प्यार का जहां बसा के चले

हीरा पन्ना का यह रोमांटिक लोकप्रिय युगल गीत भी सुनवाया गया जो अपने समय में बहुत लोकप्रिय रहा हालांकि अच्छी होने के बावजूद भी फिल्म बुरी तरह पिट गई थी -

पन्ना की तमन्ना हैं के हीरा मुझे मिल जाए

फिल्म देस परदेस का यह गीत - जैसा देश वैसा भेष फिर क्या डरना

गैम्बलर फिल्म से यह गीत भी शामिल था - दिल आज शायर हैं गम आज नगमा हैं

इस तरह से साठ से अस्सी के दशक तक तक आते-आते रिलीज फिल्मो से रफी साहब और किशोर दा, दोनों की आवाजों में उनके हिट रोमांटिक गीत सुनना अच्छा लगा। धन्यवाद !

9:30 बजे आज के फनकार कार्यक्रम प्रसारित किया गया। शुक्रवार को यह कार्यक्रम वैजन्तिमाला पर केन्द्रित था। अच्छी जानकारी मिली कि उनका जन्म चेन्ने में हुआ, बचपन से भरतनाट्यम सीखा। पहला कार्यक्रम चार साल की उम्र में दिया। पहली फिल्म तमिल में की वही फिल्म बहार नाम से हिन्दी में बनी। नागिन फिल्म से स्टार बनी। देवदास, नया दौर, साधना, मधुमती, संगम और ऐतिहासिक फिल्म आम्रपाली की भी चर्चा हुई। इस सभी फिल्मो के गीतों की झलक भी सुनवाई गई। उन्हें मिले पुरस्कारों की भी जानकारी दी। यह भी बताया कि उनके व्यक्तिगत बिगड़े रिश्तो का फिल्मो में काम पर असर नही पडा।

शनिवार को युनूस (खान) जी ने प्रस्तुत किया ख्यात हास्य कलाकार जॉनी लीवर को। शुरूवात में नयापन रहा, उनकी हँसी सुनवाई और असली नाम बताया ताकि श्रोता पहचान सके। बताया कि उनका जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ। अभावो में बचपन बीता। उनके जीवन के संघर्ष की जानकारी मिली, यह भी कि वो जहां काम करते थे वहीं का नाम उनके नाम के साथ जुडा। स्टेज शो करने लगे। फिर पहली फिल्म मिली सुनील दत्त की दर्द का रिश्ता। उनके लोकप्रिय चरित्रों की भी चर्चा हुई जैसे असलम भाई। उनकी और जावेद सिद्दीकी की रिकार्डिंग सुनवाई गई। पुरस्कारों की भी चर्चा हुई। अच्छा तैयार किया गया कार्यक्रम जिसके लिए शोध, आलेख और स्वर युनूस (खान) जी का रहा, सम्पादन और तकनीकी सहयोग पी के ऐ नायर जी का, इस कार्यक्रम को विजय दीपक छिब्बर जी ने प्रस्तुत किया।

रविवार को यह कार्यक्रम किसी एक कलाकार पर केन्द्रित नहीं था। विभिन्न गीतकारों के लिखे गए देशभक्ति गीत सुनवाए गए। हर गीतकार के कविकर्म पर दो-चार बाते बताई गई। यह गीत सुनवाए गए -

आओ बच्चो तुम्हे दिखाए झांकी हिन्दुस्तान की - फिल्म जागृति - गीतकार - प्रदीप
मत रो माता लाल तेरे - बंदिनी - शैलेन्द्र
जननि जन्मभूमि जन्म से महान हैं - भरत व्यास
ऐ माँ तेरे बच्चे कई करोड़ - राजेन्द्र कृष्ण
ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम - शहीद - प्रेमधवन
मेरे देश की धरती - उपकार - गुलशन बावरा
वतन पे जो फ़िदा होगा - फूल बने अंगारे - आनंद बक्षी
हैं प्रीत जहां की रीत सदा - पूरब और पश्चिम - इंदिवर
हम अपनी आजादी को हरगिज मिटा सकते नही - लीडर - शकील बदांयूनी
अब कोई गुलशन न उजड़े - साहिर लुधियानवी

15 अगस्त के इस विशेष कार्यक्रम के लिए आलेख और स्वर कमल (शर्मा) जी का रहा, तकनीकी सहयोग पी के ऐ नायर जी का और प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने। बढ़िया प्रस्तुति। पूरी टीम को बधाई !

सोमवार को यह कार्यक्रम समर्पित किया गया निर्देशक और सम्पादक डेविड धवन को, इस दिन उनका जन्मदिन था। प्रस्तुत किया ममता (सिंह) जी ने। बताया कि सम्पादन से करिअर शुरू किया। शुरू में वृत्त चित्रों का सम्पादन किया। पहली फिल्म मिली सावन कुमार की साजन बिना सुहागन फिर सनम बेवफा तक उनकी सभी फिल्मो का सम्पादन किया। इसके साथ अन्य फिल्मे जैसे लव स्टोरी का सम्पादन किया और लव स्टोरी फिल्म का गीत सुनवाया, अच्छा होता अगर यहाँ सावन कुमार की किसी फिल्म का गीत सुनवाते खासकर साजन बिना सुहागन का जिसका यह गीत अक्सर विविध भारती पर सुनवाया जाता हैं - मधुबन खुशबू देता हैं

बताया कि बाद में निर्देशन शुरू किया, पहली फिल्म शोला और शबनम। शुरूवाती फिल्मे कुछ जमी नही, आँखे से सफलता मिली। कॉमेडी को उनकी फिल्मो का प्रबल पक्ष बताया पर यह नही बताया कि उनकी फिल्मो की खासियत रही कि अधिकतर उनके नायक गोविंदा रहे जबकि दूसरी खासियत के बारे में बताया कि फिल्मो के नाम के साथ नंबर 1 जुडा होता हैं। उनके कुछ लोकप्रिय गीतों की झलक भी सुनवाई।

मंगलवार को युनूस (खान) जी ले आए अभिनेता सचिन पर कार्यक्रम। इस दिन उनका जन्मदिन था। बाल कलाकार के रूप में अभिनीत सचिन की फिल्मो की चर्चा की, ब्रह्मचारी, मंझली दीदी, चन्दा और बिजली। बतौर नायक पहली फिल्म गीत गाता चल। उनकी सभी लोकप्रिय फिल्मो के नाम बताए और गीतों की झलक सुनवाई - नदिया के पार, बालिका वधु, श्याम तेरे कितने नाम, अंखियो के झरोको से। उनके अभिनय के एक पक्ष पर चर्चा ही नही हुई। मल्टीस्टार फिल्मो में सचिन ने छोटी महत्वपूर्ण भूमिकाएं की। फिल्म शोले, त्रिशूल में उन पर एक गीत भी फिल्माया गया जो बहुत लोकप्रिय हैं जो नही सुनवाया - बाबूजी बाबूजी गम गम। अवतार फिल्म में भूमिका कुछ बड़ी थी और बहुत संवेदनशील थी। शबाना आजमी और राजेश खन्ना के सामने उनका सशक्त अभिनय रहा, कम से कम इस फिल्म की चर्चा अवश्य की जानी चाहिए थी। सचिन की रिकार्डिंग भी सुनवाई। यह भी बताया कि बाद में उन्होंने फिल्मे बनाना और निर्देशन शुरू किया पर एक भी हिन्दी फिल्म का नाम नही बताया शायद कोई ऎसी हिन्दी फिल्म नही हैं और मराठी फिल्मे ही बनाते और निर्देशित करते हैं।

बुधवार को कमल (शर्मा) जी फिल्मकार गुलज़ार पर कार्यक्रम ले आए उनके जन्मदिन के अवसर पर। शुरू में गुलज़ार का शायराना अंदाज सुना फिर उससे जुडा कमल जी का साहित्यिक अंदाज जिससे कार्यक्रम ऊँचाई पर पहुँच गया। गुलज़ार के रचना कर्म के विविध पहलुओं पर चर्चा हुई। उनका रचना काल हैं भी लंबा, बताया बंदिनी फिल्म के लिए पहला गीत लिखा -

मोरा गोरा अंग लेईले मोहे श्याम रंग देईदे

और आज विश्व स्तर पर श्रोता सुन रहे हैं उनका नवीनतम गीत स्लम डॉग करोड़पति से - जय हो

उनके काम के विविध रंगों की चर्चा हुई, शायराना अंदाज के गीत - दिल ढूँढता हैं - मौसम फिल्म से

भावो की गहराई में उतरते गीत -
हमने देखी हैं उन आँखों की महकती खुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तो का इल्जाम न दो
सिर्फ अहसास हैं ये दूर से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो

खामोशी फिल्म के इस गीत में प्यार की बेहतरीन परिभाषा हैं। गाँवों कस्बो की भाषा के गीत - चल छैंया छैंया और कजरारे जैसे गीत के बोल, नए अर्थ देने वाले शब्दों के गीत, उनके बच्चो के लिए किए जाने वाले लेखन की भी चर्चा की गई। इस तरह उनके काम के हर पक्ष को उभारा कमल जी ने। विजय दीपक छिब्बर जी ने प्रस्तुत किया पी के ऐ नायर जी के सहयोग से। इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए पूरी टीम का धन्यवाद !

गुरूवार को युनूस (खान) जी ले आए चरित्र अभिनेता उत्पल दत्त पर यह कार्यक्रम। बताया कि शुरूवात बंगला रंगमंच से की। उनकी आरंभिक बंगला फिल्मो के बारे में बताया। हिन्दी फिल्मो में प्रवेश कला फिल्म भुवन शोम से बताया। आरंभिक फिल्मे गुड्डी, सात हिन्दुस्तानी बताई। चर्चित फिल्म गोलमाल की चर्चा की और सीन भी सुनवाए। अन्य लोकप्रिय हिन्दी फिल्मो शौकीन, नरम गरम, स्वामी की चर्चा की और गीत भी सुनवाए। बंगला फिल्मो की भी चर्चा की। यह भी बताया कि उन्हें आरम्भ में ठीक से हिन्दी नही आती थी पर यहाँ एक फिल्म की चर्चा होनी चाहिए थी पर नाम तक नही बताया - दो अनजाने जिसमे अमिताभ और रेखा ने पहली बार साथ काम किया था, इसमे एक ऐसे बंगला भाषी फिल्म निर्माता की भूमिका उत्पल दत्त ने की थी जिसे हिन्दी कम आती थी। उनके संवाद भी ऐसे ही थे, हिन्दी मुहावरे टांग अडाना को टांग उड़ाना कहते रहे और पीने की चीज को खाऊँगा कहकर हास्य बनाए रखा था। यही से हिन्दी सिने दर्शको ने उन्हें पहचाना था। इसके बाद एक फिल्म आई थी - कितने पास कितने दूर जो प्रयोगात्मक फिल्म थी। दर्शको ने इसे बहुत सराहा था। इसकी चंद्राणी मुखर्जी की आवाज में एक गजल बहुत लोकप्रिय हुई थी जो उत्पल दत्त पर फिल्माई गई थी। यह गजल विविध भारती पर भी बहुत सुनवाई जाती थी जिसे मैंने अपनी पोटली गीतों की श्रृंखला में याद भी किया था -

मेरे महबूब शायद आज कुछ नाराज हैं मुझसे
मैं कितने पास हूँ फिर भी वो कितने दूर हैं मुझसे

अगर गीतों के फिल्मांकन की बात करे तो उनके करिअर में शायद यह एक ही महत्वपूर्ण गीत हैं। यह गजल सुनवाना चाहिए था पर इस फिल्म का नाम तक नही बताया। स्वामी फिल्म के साथ अपने पराए फिल्म का नाम भी नही लिया, यह भी बंगला उपन्यास पर बनी चर्चित फिल्म हैं जिसके गाए यसुदास के गीत भी बहुत लोकप्रिय हैं। उनकी सशक्त भूमिका हैं इस फिल्म में। इन महत्वपूर्ण हिन्दी फिल्मो का नाम तक नहीं बताना और बंगला फिल्मो की चर्चा करना ठीक नही लगा क्योंकि हम विविध भारती के श्रोता हिन्दी सिने दर्शक हैं।

अक्सर सत्तर अस्सी के दशक के कलाकारों पर जानकारी देने में गडबडियाँ देखी गई हैं। वैसे भी हर दिन यह कार्यक्रम सुनना अच्छा नही लग रहा है, विविधता होनी चाहिए।

10 बजे का समय छाया गीत का होता है। कार्यक्रम शुरू करने से पहले कभी-कभार अगले दिन प्रसारित होने वाले कुछ मुख्य कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।

शुक्रवार को प्रस्तुत किया कमल (शर्मा) जी ने। सभी गीतों में खूबसूरती की तारीफ़ थी -

चन्दन सा बदन चंचल चितवन

अब क्या मिसाल दूं मैं तुम्हारे शबाब की

चौदहवी का चाँद और सब ऐसे ही गीत। अच्छे गीतों का चुनाव, बढ़िया आलेख और प्रस्तुति।

शनिवार को प्रस्तुत किया अशोक जी ने। मोहब्बत के, इन्तेजार के नगमे सुनवाए। कुछ कम सुने गीत शामिल थे। बहुत दिन बाद सुना यह गीत -

सारंगा तेरी याद में नैन हुए बैचेन

पतिता फिल्म का गीत भी शामिल था।

रविवार को प्रस्तुत किया युनूस (खान) जी ने। आजादी के ऐसे नगमे चुन कर सुनवाए जो कम ही सुनवाए जाते हैं। शुरूवात की 77 की फिल्म आन्दोलन से जिससे राम प्रसाद बिस्मिल की यह रचना सुनवाई -

खुश रहो अहले वतन हम तो सफ़र करते हैं

यह रचना तो मालूम हैं पर यह फिल्म में भी हैं और इस फिल्म का नाम पहली बार सुना। इसके बाद 49 की फिल्म बाजार से यह गीत सुनवाया रफी साहब की आवाज में -

शहीदों तुमको मेरा सलाम

यह भी मैंने पहली बार ही सुना। इसके बाद कुंदन फिल्म का गीत सुना जो बचपन में कभी सुना जैसा लगा -

नौजवानों भारत की तक़दीर बना दो

इसके बाद 66 की फिल्म नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का गीत सुनवाया -

सुनो रे सुनो देश के हिन्दु मुसलमान

यह गीत भी सुनवाया - दिल्ली हैं दिल हिन्दुस्तान का यह तो तीरथ हैं सारे जहां का

यह दोनों गीत कभी-कभार सुनवाए जाते हैं। बढ़िया चुनाव। धन्यवाद युनूस जी !

सोमवार को प्रस्तुत किया अमरकान्त जी ने। बढ़िया लोकप्रिय गीत सुनवाए। चर्चा रही दिल चुराने की -

एक हसीं शाम को दिल मेरा खो गया

कश्मीर की कलि फिल्म का गीत और मैं प्यार का राही हूँ गीत भी शामिल था।

मंगलवार को प्रस्तुत किया निम्मी (मिश्रा) जी ने। दिल की बाते दिल से की। दिल अपना और प्रीत पराई फिल्म के गीत से शुरूवात की और सुनवाए ऐसे ही नगमे -

माना मेरे हसीं सनम तू हैं तो माहताब हैं
तू हैं लाजवाब तो मेरा कहाँ जवाब हैं

बुधवार को प्रस्तुत किया राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने। अच्छे नए गीत सुनवाए, कहो न प्यार हैं, कुछ कुछ होता हैं फिल्मो के शीर्षक गीत भी शामिल थे। प्रस्तुति का काव्यात्मक अंदाज अच्छा रहा।

गुरूवार को रेणु (बंसल) जी ने ऐसे अजनबी चेहरे की चर्चा की जो सदियों से जाना पहचाना लगता हैं। अच्छे गीत सुनवाए -

अजनबी कौन हो तुम जब से तुम्हे देखा हैं

एक लड़की भीगी भागी सी

और सबसे बढ़िया रहा यह गीत - चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों

10:30 बजे प्रसारित हुआ आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम जो प्रायोजित था इसीलिए प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। इसमें श्रोताओं ने पुराने लोकप्रिय गीत सुनने की फ़रमाइश अधिक की। शुक्रवार को मुगले आजम, हातिमताई, भरोसा, मदारी फिल्मो के गीतों के साथ कोरा कागज़ फिल्म से रूठे रूठे पिया और यह गीत भी शामिल था -

बहारो थाम लो अब दिल मेरा महबूब आता हैं

शनिवार को शुरूवात बढ़िया गीत से हुई - छोड़ दो आँचल ज़माना क्या कहेगा

इश्क पर जोर नहीं, गाइड, सरस्वती चन्द्र, वक़्त फिल्मो के गीत भी शामिल थे।

रविवार को मेरे सनम, हावड़ा ब्रिज, कारवां फिल्मो के गीत सुनवाए गए और पहचान फिल्म का गीत -

आया न हमको प्यार जताना प्यार तभी से तुझे करते हैं

इस दिन बीच-बीच में विभिन्न हस्तियों जैसे सुदेश भोंसले ने स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना दी।

सोमवार को सच्चा झूठा, वक़्त, फकीरा फिल्मो के गीतों के साथ दो ऐसे गीत सुनवाए गए जिनके लिए बहुत दिन बाद फरमाइश आई -

जुआरी फिल्म से तीन गायिकाओ का गाया टेलीफोनिक गीत - नींद उड़ जाए तेरी चैन से सोने वाले

शालीमार फिल्म से - हम बेवफा हरगिज न थे

मंगलवार को तेरे घर के सामने, नौ दो ग्यारह, शबनम, नागिन फिल्मो के गीतों के साथ जब जब फूल खिले फिल्म से परदेसियो से न अँखियाँ मिलाना और जीवन मृत्यु फिल्म का यह गीत भी शामिल था -

झिलमिल सितारों का आंगन होगा
रिमझिम बरसता सावन होगा
ऐसा सुन्दर सपना अपना जीवन होगा

बुधवार को बेटा फिल्म का कूहू कूहू गीत सुना और नई फिल्मो के गीत भी ई-मेल पर सुनवाए गए - कल हो न हो, काईट्स फिल्मो से।

गुरूवार को श्रोताओं के ईमेल के अनुसार खानदान, सेहरा, दिल एक मंदिर फिल्मो के गीतों के साथ पलको की छाँव में फिल्म का डाकिया डाक लाया गीत भी सुनवाया, इस गीत में किशोर कुमार के साथ आशा भोसले की आवाज बताया गया जबकि जहां तक मेरी जानकारी हैं यह आवाज आशा जी की नहीं वन्दना शास्त्री की हैं।

बुधवार और गुरूवार को ईमेल से प्राप्त फ़रमाइशें पूरी की जाती है अन्य दिन पत्र देखे जाते है। देश के अलग-अलग भागों से बहुत से पत्रों से गानों की फ़रमाइश भेजी गई और हर पत्र में भी बहुत से नाम रहे जबकि ई-मेल की संख्या कम ही रही।

प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।

11 बजे अगले दिन के मुख्य कार्यक्रमों की जानकारी दी जो केन्द्रीय सेवा से ही दी गई जिससे केन्द्रीय सेवा के उन कार्यक्रमों की भी सूचना मिली जो क्षेत्रीय कार्यक्रमों के कारण यहाँ प्रसारित नही होते। 11:05 पर दिल्ली से प्रसारित 5 मिनट के समाचार बुलेटिन के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।

Tuesday, August 17, 2010

हैं तेरे साथ मेरी वफ़ा मैं नही तो क्या

आज याद आ रही हैं लताजी की गाई एक गजल। इसे शायद कैफी आजमी ने लिखा हैं।

यह सत्तर के दशक की गजल हैं। शायद हिन्दुस्तान की क़सम फिल्म से हैं। शायद अभिनेत्री प्रिया राजवंश पर फिल्माई गई हैं।

पहले रेडियो के सभी केन्द्रों से बहुत सुनवाई जाती थी पर अब बहुत समय से नही सुना। इसके बोल शायद कुछ इस तरह से हैं -

हैं तेरे साथ मेरी वफ़ा मैं नही तो क्या
ज़िंदा रहेगा प्यार मेरा मैं नही तो क्या

सीने में दर्द दिल में तमन्ना जगाए जा
ये रात जागने की हैं शम्मे जलाए जा
तू जश्न जिन्दगी का मना
मैं नही तो क्या

--------------------
-----------------
मेरे लिए न अश्क बहा
मैं नही तो क्या

कुछ धड़कनों का जिक्र हो कुछ दिल की बात हो
मुमकिन हैं इसके बाद न दिन हो न रात हो
कोई नया चराग जला
मैं नही तो क्या

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Friday, August 13, 2010

बिते कल यानि 12 अगस्ट मशहूर रेडियो प्रसारक श्री मनोहर महाजन की साल गिरह

आदरणिय पाठकगण,

कल मेरा नेट कनेक्सन सर्विस प्रोवाईडर के कारण बंद रहा । इस लिये कल लिख़ने की पोस्ट को आज प्रकासित करना पड़ रहा है।
तो एक बार 1967 से 1971 तक रेडियो श्रीलंका में कार्यरत और बादमें स्वतंत्र रेडियो प्रसारक तथा टीवी और मंच कार्यक्रमो के संचालक तथा विज्ञान आधारित टीवी चेनल्स डिस्कवरी और नेशनल ज्योग्राफ़िक जैसी चेनल्स के हिन्दी भाषी डबींग़ वोईस-ओवर प्रस्तूत कर्ता श्री मनोहर महाजन साहब के कल के जनमदिन पर देरी से ही सही रेडियोनामा की और से शुभ: कामनाएँ । इन से फोन और मेईल की पहचान तो बरकरार है पर मिलने का मौका सिर्फ दो बार मिला है, जिसमें पहला तो बगैर पहचान (मेरी) दिये हुए ही था पर जब वे सुरत आये थे तब उनसे पहचान का और उनके साथ तसवीर ख़ीचवानेका मोका मिला था । हाल ही में उन्होंने किताब लिख़ी है 'यादें रेडियो सिलोन की ' जिसका जारी करनेका समरोह इसी महिनेकी 20 तारीख़ को रायपूरमें रख़ा है । नीचे मेरी उनके साथ तसवीर है ।

पियुष महेता ।
सुरत-395001.

शाम बाद के पारम्परिक कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 12-8-10

शाम 5:30 बजे गाने सुहाने कार्यक्रम की समाप्ति के बाद क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है, फिर हम शाम बाद के प्रसारण के लिए 7 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

7 बजे दिल्ली से प्रसारित समाचारों के 5 मिनट के बुलेटिन के बाद शुरू हुआ फ़ौजी भाईयों की फ़रमाइश पर सुनवाए जाने वाले फ़िल्मी गीतों का जाना-पहचाना सबसे पुराना कार्यक्रम जयमाला। अंतर केवल इतना है कि पहले फ़ौजी भाई पत्र लिख कर गाने की फ़रमाइश करते थे आजकल ई-मेल और एस एम एस भेजते है। कार्यक्रम शुरू होने से पहले धुन बजाई गई ताकि विभिन्न क्षेत्रीय केन्द्र विज्ञापन प्रसारित कर सकें। फिर जयमाला की ज़ोरदार संकेत (विजय) धुन बजी जो कार्यक्रम की समाप्ति पर भी बजी। संकेत धुन के बाद शुरू हुआ गीतों का सिलसिला। नए पुराने गीत सुनने को मिले।

शुक्रवार को क्योंकि, रंगोली, साथी फिल्मो के गीतों के साथ तेरे नाम फिल्म का शीर्षक गीत भी सुनवाया और मुद्दत फिल्म का यह गीत भी सुना -

प्यार हमारा अमर रहेगा याद करेगा ज़माना

तू मुमताज हैं मेरे ख़्वाबों की मैं तेरा शाहेजहां

रविवार को गजनी, नाम, विवाह, कुछ कुछ होता हैं फिल्म का शीर्षक गीत और हसीना मान जाएगी फिल्म से यह गीत भी सुनवाया गया -

बेखुदी में सनम उठ गए जो क़दम आ गए पास हम

सोमवार को शुरूवात की इस गीत से -

पहली पहली बार मुहब्बत की हैं कुछ न समझ में आए मैं क्या करूं

इसके अलावा दिलवाले दुल्हनिया ले जाएगे, लावारिस, कृष और जॉनी मेरा नाम का बाबुल प्यारे गीत भी शामिल था।

मंगलवार को माँ तुझे सलाम, करण अर्जुन, तलाश, देवर और रंग फिल्मो के लोकप्रिय गीतों के साथ दिल तो पागल हैं फिल्म से फ़ौजी भाइयो ने ऐसे गीत की फरमाइश की जो कम ही सुना जाता हैं -

कब तक चुप बैठे अब तो हैं कुछ बोलना

इस दिन उद्घोषिका शुरू में माइक्रोफोन के सामने आत्मविश्वासी नही लगी पर बाद में प्रस्तुति सामान्य रही।

बुधवार को अजब प्रेम की गजब कहानी, दिलवाले, मासूम, बार्डर फिल्म का देश भक्ति गीत और सांवरिया फिल्म का यह गीत भी सुनवाया गया -

जब से तेरे नैना मेरे नैनो से लागे रे

गुरूवार को धर्मात्मा, कुर्बानी, हम दिल दे चुके सनम फिल्म के रोमांटिक गीतों के साथ हम आपके हैं कौन फिल्म से यह गीत -

लो चली मैं अपने देवर की बारात लेके

चायना गेट फिल्म से छम्मा छम्मा, हिन्दुस्तान की क़सम और काबुलीवाला फिल्म से देश भक्ति गीत भी सुनवाए गए।

शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया रंगमंच, टेलीविजन और फिल्मो के अभिनेता राकेश बेदी ने। अच्छी हलकी-फुल्की मनोरंजनात्मक प्रस्तुति रही। कुछ अपनी फिल्मो की बाते की और कुछ फ़ौजी भाइयो के जीवन की चर्चा की। पड़ोसन, हकीक़त, चश्मे बद्दूर, एक दूजे के लिए फिल्मो के गीत सुनवाए। प्रस्तुति कल्पना (शेट्टी) जी की रही।

7:45 को गुलदस्ता कार्यक्रम में शुक्रवार को पुराने रिकार्ड सुनना अच्छा लगा। शुरूवात हुई पंडित गोविन्द प्रसाद जयपुर वाले की आवाज से -

जब भी कोई सदा तेरी बहला गई मुझको

अपनी तनहाइयों पे हसीं आ गई मुझको

कलाम कतिल शिफाई का रहा। फिर फैय्याज हाशमी का कलाम सुना जगमोहन की आवाज में -

जीने की आरजू में मौत से पहले मर गए

समापन किया बहुत बढ़िया - मलिका पुखराज की आवाज में अभी तो मैं जवान हूँ

पर खेद हैं पूरा नही सुनवाया, समय की कमी से।

रविवार को शुरूवात हुई राजेन्द्र मेहता और नीना मेहता की गई इस ख़ूबसूरत गजल से -

जब रात का आँचल गहराए और सारा आलम सो जाए

तब मुझसे मिलने शमा जला के तुम ताजमहल में आ जाना

फिर ग़ालिब का कलाम रफी साहब की आवाज में सुनवाया गया -

मैं न अच्छा हुआ न बुरा हुआ

महफ़िल एकतेदाम को पहुंची अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन की आवाजो में इस कलाम से -

मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा

मंगलवार को महफ़िल का आगाज अंजान के इन बोलो से हुआ -

मेरे लिए तो बस वही पल हैं हसीं बहार के

तुम सामने बैठी रहो मैं गीत गाऊँ प्यार के

आवाज रफी साहब की रही। उसके बाद मुकेश की आवाज में सुना शौक़त परवेज का कलाम -

हाँ मैं दीवाना हूँ चाहे तो मचल सकता हूँ

आखिर में गुलाम अली की आवाज में मसरूह अनवर को सुना -

हमको किसके गम ने मारा यह कहानी फिर सही

इस तरह इस सप्ताह गुलदस्ता अच्छा रहा.

शनिवार को सुना सामान्य ज्ञान का कार्यक्रम जिज्ञासा। 6 और 9 अगस्त का ऐतिहासिक महत्त्व बताया। हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने की घटना और भारत में शुरू हुए भारत छोडो आन्दोलन की चर्चा की। इस ऐतिहासिक जानकारी के अलावा शेष जानकारी वही थी जो आजकल खबरों में हैं, जयपुर के जंतर-मंतर को विश्व धरोहर में शामिल करना, साइना नेहवाल को मिले खेल रत्न, सचिन का सबसे अधिक टेस्ट मैच खेलना। खोजी रिपोर्टर ने जानकारी दी कि प्याज में पाए जाने गंधक के कारण प्याज काटने पर आँखों में पानी आता हैं। खोजी रिपोर्ट भेजने के लिए ई-मेल आई डी भी बताया गया। शोध और आलेख युनूस (खान) जी का रहा। कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक (छिब्बर) जी ने।

सोमवार को पत्रावली में पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और कमल (शर्मा) जी। कार्यक्रमों की तारीफ़ थी। कुछ ही समय पहले किए गए परिवर्तनों के बारे में आए पत्रों के उत्तर से पता चला कि निदेशक महोदय राजेश रेड्डी जी की परिकल्पना हैं यह नए कार्यक्रम - तेरे सुर और मेरे गीत, हिट सुपर हिट में फेवरेट फाइव, सदाबहार नगमे सन्डे स्पेशल।

बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में आरंभिक उद्घोषणा नही की गई जिससे बातचीत सुनने पर ही कलाकार को पहचान पाए सिर्फ चेतन नाम कह कर बातचीत करने से शुरू में पहचानना कठिन ही हो गया। एन एस डी से शिक्षा लेने फिर नाटक में काम करने की जानकारी दी, लोकनायक में जयप्रकाश नारायण की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की फिर बताया गंगाजल फिल्म के बाद राजनीतिक भूमिकाएं अधिक ही हुई। पंकज कपूर के साथ किए गए टेलीविजन धारावाहिकों की भी चर्चा की। बताया गया कि अभिनेता चेतन पंडित से अशोक (सोनामणे) जी की टेलीफोन पर बात हुई पर मुझे स्टूडियो रिकार्डिंग लगी। रिकार्डिंग इंजीनियर रहे जयंत (महाजन) जी और प्रस्तुति वीणा (राय सिंघानी) जी की रही।

गुरूवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम राग-अनुराग। बढ़िया रहा कार्यक्रम। एक तो ऐसे राग चुने गए जो कम ही सुनवाए जाते हैं, दूसरे गीत भी ऐसे चुने जो कम सुनने को मिलते हैं, तीसरी ख़ास बात गीत शास्त्रीय संगीत को छूते रहे।

राग कालिंगडा - बाबुल छूट चला तेरा अंगना (फिल्म राखी)
राग हमीर - तुम तनन (किनारा)
राग शिव कल्याण - तू मेरे साथ रहेगा मन में (त्रिशूल)

8 बजे का समय है हवामहल का जिसकी शुरूवात हुई गुदगुदाती धुन से जो बरसों से सुनते आ रहे है। यही धुन अंत में भी सुनवाई जाती है। शुक्रवार को मजा आ गया। जय सिंह एस राठौर की लिखी झलकी सुनी - साथ हमारा छूटे ना। पति तलाक़ की अर्जी देता हैं पर तलाक़ ले नही पाता। कोर्ट में मामला चल रहा हैं। कुछ बाते ऎसी रही जिसे आज की पीढी शायद जानती ही नहीं - पत्नी से उसके पति का नाम पूछा जाता हैं, परम्परावादी पत्नी, पति का नाम कैसे ले, कहती हैं - गधा खाए, भक्त गुण गाए। आखिर पति ही स्पष्ट करता हैं, गधा खाए घास, भक्त गुण गाते हैं राम के यानि नाम हैं घासीराम। राशन कार्ड के अनुसार पत्नी के घर से श्यामा को गवाही के लिए बुलाया जाना हैं पर श्यामा भैंस का नाम हैं। वकील साहब कहते हैं तलाक़ के बाद पत्नी को आधी तनख्वाह मिलेगी पर पत्नी को तो पूरी तनख्वाह चाहिए, साथ ही सवाल हैं बच्चो को कौन देखे। भोपाल केंद्र की इस झलकी की निर्देशिका हैं मीनाक्षी मिश्रा।

शनिवार को डा जीवनलाल गुप्ता की लिखी झलकी सुनी - दफ्तर। कर्मचारी और अधिकारी सभी दफ्तर में गप्पे मारते हैं, काम नही करते पर अधिकारी कर्मचारियों को डांटते हैं कि काम नहीं करते। दफ्तर का सामान्य माहौल बताया। कुछ ख़ास नही रही। इलाहाबाद केंद्र की इस प्रस्तुति के निर्देशक हैं मधुर श्रीवास्तव।

रविवार को स्वदेश कुमार का लिखा प्रहसन सुना - आता हैं याद मुझे। आज की व्यावहारिकता में पति-पत्नी को बीते प्यार के दिन याद आते हैं। सुनना अच्छा लगा। निर्देशक हैं हरबंस सिंह खुराना। यह जालंधर केंद्र की प्रस्तुति रही, जहां की कम ही प्रस्तुतियां सुनने को मिलती हैं।

सोमवार को बहुत गहरी बात कही गई। एक दम्पति अपने गूंगे पुत्र के लिए जबान खरीदना चाहते हैं. तरह-तरह की जबाने बिक रही हैं, आत्मविश्वास से भरी जबान, वादा करने वाली जबान, कविता की जबान, पसंद आती हैं कम बोलने वाली जबान पर गूंगा लड़का इशारा करता हैं कि कम बोलने से ज्यादा अच्छा गूंगा रहना हैं. श्याम नारायण की लिखी इस झलकी को निर्देशित किया रमेश चन्द्र दत्त ने. बढ़िया प्रस्तुति दिल्ली केंद्र से।

मंगलवार को के एल यादव का लिखा प्रहसन सुना - शिकार जिसकी निर्देशिका हैं चन्द्र प्रभा भटनागर। जीवहिंसा पर अच्छी प्रस्तुति। पति अपने दोस्तों के साथ शिकार पर जाने वाला हैं, रात में सपना देखता हैं और जीवहिंसा की बात समझ में आती हैं और सुबह पत्नी से कहता हैं कि दोस्त आए तो मना कर दे. प्रस्तुति लखनऊ केंद्र की रही।

बुधवार को सुनवाया गया प्रहसन मजेदार रहा - खातिरदारी। मेहमान से पूछा चाय लेंगे या कॉफी। चाय मीठी या फीकी। फिर गैस नही हैं, फिर सिलेंडर आ गया चूल्हा खराब हैं। अंत में पानी भी नही पिलाया क्योंकि मटका टूट गया। मजा आ गया। उदयपुर केंद्र की इस प्रस्तुति के लेखक तपन भट्ट हैं और निर्देशक हैं महेंद्र मोदी जी।

गुरूवार को प्रहसन सुना - सड़क का मजनूं जिसे डा रघुराज शरण शर्मा ने लिखा। लड़कियों को छेड़ने की आदत हैं। बुजुर्गवार समझाते हैं लड़कियों के स्कूल कॉलेज से न गुजरे पर कोई असर नहीं। ऐसे ही छेड़ते हुए बन जाता हैं लड़कियों का जीजाजी। अच्छा मनोरंजन हुआ। निर्देशक सत्य प्रकाश भारद्वाज। प्रस्तुति दिल्ली केंद्र की रही।

इस तरह हवामहल में विविधता रही - सन्देश भी मिला और मनोरंजन भी हुआ। साथ ही अलग-अलग केन्द्रों की प्रतिभाओं को जानने समझने का अवसर मिला।

प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए, क्षेत्रीय विज्ञापन भी प्रसारित हुए। फ़ौजी भाइयो को एस एम एस करने का तरीका बताया गया। संदेश भी प्रसारित किए गए, कार्यक्रमों के बारे में बताया।

रात में हवामहल कार्यक्रम के बाद 8:15 बजे से क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है फिर हम 9 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

Tuesday, August 10, 2010

ज्वैल थीफ फिल्म का एक उदास सा गीत

आज याद आ रहा हैं ज्वैल थीफ फिल्म का एक उदास सा गीत जो सुनने में अच्छा लगता हैं. इस फिल्म के अन्य सभी गीत बहुत सुनवाए जाते हैं पर यह गीत बहुत लम्बे समय से नही सुनवाया गया. वैजेयन्ती माला पर फिल्माए गए इस गीत को आशा जी ने गाया हैं. इसके कुछ बोल इस तरह हैं -

रूला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रूला के गया सपना मेरा

वही हैं गमे दिल वही हैं चन्दा तारे
वही हम बेसहारे
आधी रात वही हैं और हर बात वही हैं
उस पर ये गम का अन्धेरा
रूला के गया सपना मेरा

कैसी ये जिन्दगी के ख्वाबो से हम जूझे
के दिल डूबा हम डूबे
एक दुखिया बेचारी इस जीवन से हारी
फिर भी न आया सवेरा
रूला के गया सपना मेरा

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Friday, August 6, 2010

दोपहर बाद के जानकारीपूर्ण कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 5-8-10

दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।

3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम हैलो सहेली। फोन पर सखियों से बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। पहला कॉल अच्छा रहा। एक घरेलु महिला ने बात की और बताया अपने घरेलु काम-काज के बारे में। उनकी छोटी सी लड़की ने भी बात की और यह गीत पसंद किया -

चुन चुन करती आई चिड़ियाँ

रिटायर्ड शिक्षिका, छात्रो ने फोन किए। एक सखी ने बताया कि वो पुलिस में अपना करिअर बनाना चाहती हैं। एक ने बताया कि सिविल सेवा में जाना चाहती हैं। बताया कि अपने शिक्षक पति के कहने से इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं। यह प्रेरणा देने वाला कॉल अच्छा रहा। नेपाल के पास के जिले देवरिया के प्रतापपुर गाँव की घरेलु महिला से भी बातचीत अच्छी रही। कहने लगी उसके पति दूर भिलाई में काम करते हैं। उसे घूमने फिरने का शौक हैं, घर के काम, सिलाई कढ़ाई भी करती हैं और यह गीत पसंद किया -

मेरा पति मेरा देवता हैं

ऎसी बातचीत से पता चलता हैं आज भी हमारे यहाँ कुछ महिलाओं की जीवन शैली पारंपरिक हैं। एक और सखी ने बताया कि उसने मुन्ने को जन्म दिया हैं, बड़ा होकर वहा क्या बनेगा यह सब बाद में ही तय होगा, अच्छा लगा कि माँ होने के नाते वह अपनी मर्जी मुन्ने पर लादना नही चाहती। इस तरह महिलाओं में जागरूकता भी नजर आई और परम्परा भी।

असम के तेजपुर जिले की घरेलु महिला ने बताया कि वहां विविध भारती साफ़ सुनाई देता हैं। सखियों ने विविध भारती के कार्यक्रमों को पसंद करने की भी बात कही। सखियों की पसंद पर नए-पुराने विभिन्न मूड के गाने सुनवाए गए, नया गीत जुबी जुबी भी सखियों की पसंद पर सुनवाया गया।

बिहार, इलाहाबाद जैसे शहरों से भी फोन आए, गाँव, जिलो से फोन आए। लोकल काल भी थे। इस कार्यक्रम को तैयार करने में तकनीकी सहयोग तेजेश्री (शेट्टे) जी और प्रस्तुति सहयोग रमेश (गोखले) जी का रहा।

सोमवार को पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और चंचल (वर्मा) जी। इस दिन पहले फ्रेंडशिप डे की शुभकामनाएं दी गई। यह दिन रसोई का होता है, सखियों के पत्रों से सोया बर्गर और नारियल तथा फूल मखाने का सलाद बनाना बताया गया। कांचन (प्रकाश संगीत) जी की लिखी झलकी सुनवाई गई - तोहफा, जिसमे पत्नी के जन्मदिन पर पति उपहार में कार देना चाहता हैं पर उस दिन डिलीवरी नही मिलती। पत्नी फिल्म देखने जाने के लिए तांगा मंगवाती हैं। निम्मी जी के साथ अमरकांत जी के अभिनय से सजी यह झलकी ईंधन की किल्लत के इस दौर में अच्छी लगी।

सखियों की पसंद पर पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए - रतन, बंदिनी, चोरी-चोरी, खानदान, मदर इंडिया, फिल्मो के गीत और यह गीत भी -

छुप गया कोई रे दूर से पुकार के

मंगलवार को भी पधारी सखियां निम्मी (मिश्रा) जी और चंचल (वर्मा) जी। यह करिअर का दिन होता है। इस दिन पुस्तकालय के क्षेत्र में करिअर बनाने की जानकारी दी गई।

हमेशा की तरह सखियो के अनुरोध पर गाने नए ही सुनवाए गए, शुरूवात की गुरू फिल्म के बारिश के गीत से - बरसों रे मेघा,
वीर, ऐतेराज, मुस्कान, मंगल पाण्डेय, मुझसे शादी करोगी फिल्मो के गीत सुनवाए।

बुधवार को सखियाँ पधारीं - निम्मी (मिश्रा) जी और देवी (कुमार) जी। इस दिन स्वास्थ्य और सौन्दर्य संबंधी सलाह दी जाती है्। वजन घटाने के लिए भोजन के नुस्के बताए गए जैसे भुना आलू, गाजर आदि खाए। पहरावे का तौर-तरीका बताया। बेल के फलो के औषधीय गुणों की जानकारी दी, एक सखी के भेजे गए पत्र द्वारा। इस दिन किशोर दा को उनके जन्मदिन पर याद किया और सखियों की फरमाइश में से उन्ही के गीत चुन कर सुनवाए. सफ़र, आंधी, घर, धर्मात्मा, तपस्या, अंदाज फिल्मो के गीत सुनवाए गए और यह गीत भी शामिल था -

गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता

गुरूवार को सखियाँ पधारी निम्मी (मिश्रा) जी और अंजू जी। इस दिन सफल महिलाओं के बारे में बताया जाता है। इस दिन बैड मिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार जैसे सर्वोच्च सम्मान मिलने की जानकारी दी। सखियों के पत्रों से जानकारी दी गई जैसे बिहार के भागलपुर गाँव में लड़की के जन्म पर पौधा लगाया जाता हैं इससे वृक्ष संपदा बढी हैं। पहली महिला फोटो पत्रकार और फिल्मी हस्ती जोहरा सहगल के बारे में बताया, यह जानकारी पहले भी दी जा चुकी हैं।
सखियों के अनुरोध पर लोकप्रय गीत सुनवाए - चेक दे इंडिया, कभी-कभी, ज्वैल थीफ, प्रोफ़ेसर, और प्यार हो गया फिल्मो से और माया फिल्म का यह गीत -

तस्वीर तेरी दिल में
जिस दिन से उतारी हैं

हर दिन श्रोता सखियों के पत्र पढे गए। कुछ पत्रों में कार्यक्रमों की तारीफ़ थी। बारिश के मौसम में देखभाल के घरेलु नुस्के भी बताए गए। इस कार्यक्रम की दो परिचय धुनें सुनवाई गई - एक तो रोज़ सुनी और एक विशेष धुन हैलो सहेली की शुक्रवार को सुनी। प्रस्तुति कमलेश (पाठक) जी और कल्पना (शेट्टे) जी की रही।

शनिवार और रविवार को प्रस्तुत हुआ सदाबहार नग़में कार्यक्रम जिसमे अच्छे सदाबहार नगमे सुनने को मिले। शनिवार को महान गायक मोहम्मद रफी की पुण्य तिथि पर यह कार्यक्रम उन्ही को समर्पित रहा। उनके गाए रोमांटिक गीत सुनवाए राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने, भरोसा, प्रोफ़ेसर, लाला रूख, कन्यादान, इशारा, प्यार किया तो डरना क्या और नाईट इन लन्दन फिल्म से यह गीत -
नजर न लग जाए किसी की राहो में

रविवार को निम्मी (मिश्रा) जी ने पचास के दशक की फिल्मो के सदाबहार गीत सुनवाए साथ ही उस दौर के गीत और संगीत की चर्चा भी की। उड़न खटोला, घर न 44, तांगेवाला, देवदास, मिस्टर एंड मेसेज 55 फिल्मो के गीत सुनवाए गए. गीतों का चुनाव अच्छा रहा. विभिन्न मूड और चलन के गीत सुनने को मिले - शास्त्रीय संगीत में पगा गीत - नैन सो नैन नाही मिलाओ

बाप रे बाप फिल्म से - पिया पिया पिया मेरा जिया पुकारे

3:30 बजे नाट्य तरंग कार्यक्रम में शनिवार को अली मोहम्मद लोन का लिखा नाटक सुना - चिनार। आदर्शवादी लेखक अपने यथार्थ जीवन में अपने परिवार को शोषित करता हैं। जब समाज उनका सम्मान करता हैं तब परिवार छोड़ जाता हैं, पर इसका उन्हें एहसास होता हैं। कश्मीर केंद्र की बढ़िया प्रस्तुति।

रविवार को इक़बाल मजीद का लिखा नाटक प्रसारित किया गया - अपना अपना सच जिसके निर्दशक हैं राकेश ढ़ोंढीयाल। अच्छा सन्देश देता नाटक था. आधुनिकता के नाम पर स्वच्छंद विचारों की महिआओ के शादी जैसे संस्कार पर से उठते विश्वास, व्यक्तित्व को बनाए रखने के लिए माँ न बनने की जिद. अंत में दुर्घटना की शिकार हुई नायिका से समाज भी दूरी ही बनाए रखता हैं तब अकेलेपन में वह पति के आदर्शो को समझ पाती हैं. भोपाल केंद्र की अच्छी प्रस्तुति रही पर एकाध सीन बहुत बोल्ड रहा, परिवार के साथ बैठ कर सुनने में उलझन हो सकती हैं.

शाम 4 से 5 बजे तक सुनवाया जाता है पिटारा कार्यक्रम जिसकी अपनी परिचय धुन है और हर कार्यक्रम की अलग परिचय धुन है।

शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम सरगम के सितारे जिसमे सितारा रही ख्यात पार्श्व गायिका हेमलता जिनसे बातचीत की ममता (सिंह) जी ने। शुरूवात में ही विविध भारती की तारीफ़ की और कह दिया कि कार्यक्रम सुनती रही और इस दिशा में करिअर बना। शुरू की बातचीत से अच्छी जानकारी मिली। बताया कि पारिवारिक माहौल संगीत का हैं पर पारंपरिक होने से संगीतज्ञ पिता जयचंद भट्ट की पुत्री होते हुए भी लड़कियों को संगीत से दूर ही रखा गया। बचपन में चोरी से संगीत सीखा फिर एक बार दुर्गा पूजा के अवसर पर आयोजित विशाल कार्यक्रम में मध्यांतर में पहली बार गाया और शामिल सभी बड़े कलाकारों की नजर में आई। फिर शुरू हुई शिक्षा। शुरू हुआ कार्यक्रम देने का सिलसिला। पहली बार रोशन नाईट में गाया।

एक ख़ास बात बताई कि जब भी उन्होंने किसी को अपने स्वर परीक्षण के लिए गाकर सुनाया तो गीत निजी संग्रह से ही रहे, फिल्मी नही। पहला फिल्मी गीत विशवास फिल्म के लिए गाया -

ले चल ले चल मुझे उस दुनिया में प्यार ही प्यार हैं जहां

रफी साहब के साथ बचपन फिल्म के लिए गाया - आया रे खिलौने वाला खेल खिलौने लेके आया रे

150 गाने गाने के बाद रविन्द्र जैन के लिए गाया, फकीरा फिल्म का शीर्षक गीत, चितचोर के गानों की चर्चा हुई और उसके लिए मिले पहले अवार्ड की भी। सभी चर्चित गानों को सुनवाया गया। इस तरह संघर्ष से मिली सफलता, अपने शुरूवाती गीतों की लोकप्रियता से परोक्ष रूप से प्रतिस्पर्धा भी स्पष्ट हुई लेकिन जब बातचीत में उठान आया और चरम पर बात पहुंची तब बातचीत का सिरा ग़ुम हो गया। हेमलता के करिअर के महत्वपूर्ण गीत की चर्चा तक नही की, सिर्फ सुनवाया - अंखियो के झरोखों से फिल्म का शीर्षक गीत।

एक तो यह गीत ही विलक्षण हैं। आमतौर पर गीत में एक ही मूड होता हैं या कभी दो मूड होते हैं पर इस गीत में विभिन्न मूड हैं। एक बार तो गायकी इतनी धीमी हैं कि सुनने वाला थम जाता हैं। हर अंतरे का अलग मूड हैं। फिल्म में यह गीत ज्यादा उभर कर आया हैं। विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न मूड में बजा और हेमलता ने सारी स्थितियां समझते हुए आत्मसात कर इस गीत को गाया, पूरी जान लगा दी उन्होंने और उसका फल भी मिला। उस वर्ष का सर्वश्रेष्ठ गीत रहा यह। खुद लताजी ने इस गीत की तारीफ़ की। हेमलता के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि रही पर जितनी लोकप्रियता उतना विवाद इस गीत से जुडा। इस गीत के बाद एक दो फिल्मो में गाने के बाद हेमलता ने फिल्म संसार छोड़ दिया।

हम जानते हैं विवादों की बात नही की जाती पर इस गीत को सुनवाने के बाद एक सामान्य सवाल उनके फिल्मो में गाना जारी नही रखने के बारे में पूछ लेते तो भी सूत्र बना रहता, लेकिन इस गीत को सिर्फ सुनवा कर उसके बाद उनके बेटे की चर्चा बेतुकी लगी। फिर उन्होंने निजी संग्रह से कुछ गुनगुनाया और एक गीत की झलक के साथ बातचीत समाप्त हो गई। कार्यक्रम हो सरगम के सितारे और मेहमान हो हेमलता और फिल्म अंखियो के झरोके से का शीर्षक गीत वो न गुनगुनाए तो सुधी संगीत श्रोता के लिए समापन अटपटा ही लगेगा। मुझे याद हैं कुछ समय पहले दूरदर्शन पर यह फिल्म दिखाई गई थी। तब फिल्म से जुड़े किसी कलाकार को बुलाने के चलन में हेमलता को बुलाया गया था। पूरी फिल्म के प्रसारण के दौरान हेमलता ने विभिन्न मूड की पंक्तिया गाकर सुनाई थी। इस बातचीत के रिकार्डिंग इंजीनियर हैं - राजेन्द्र (मैं पूरा नाम ठीक से सुन नही पाई) , इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया चित्रलेखा (जैन) जी ने।

रविवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम उजाले उनकी यादो के जिसमे ख्यात पार्श्व गायक महेंद्र कपूर से ममता (सिंह) जी की बातचीत की अंतिम कड़ी सुनवाई गई। यादो की भीड़ रही. गायक कलाकारों में आशा भोंसले, किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, तलत महमूद, मन्नाडे, मुकेश, हेमंत कुमार, गीता दत्त, संगीतकार अनिल विश्वास, खैय्याम, राजेश रोशन इन सब को याद किया. स्वाभाविक हैं कि हरेक के लिए एकाध ख़ास बात ही बताई गई. शायद अंतिम कड़ी थी, इसीलिए... मुकेश के बारे में ख़ास बात बताई कि जब उन्हें पहला अवार्ड मिला तो केवल मुकेश ही ऐसे गायक थे जिन्होंने बधाई दी. अन्य गायक कलाकारों के बारे में बताया कि चूंकि महेंद्र कपूर सबसे जूनियर रहे इसीलिए जब भी कोई शो किया किसी ने पैसे नही लिए. बुखार में तपते हुए अनिल दा के पास हीर गाने का प्रसंग मार्मिक रहा. खैय्याम को स्कूल के दिनों से जानने की बात बताई. अनुराधा पौडवाल को प्रतिभाशाली गायिका बताया. राजेश रोशन के काम की प्रशंसा में लकी अली का गाया गीत सुनवाया - एक पल का

कुछ गीत बहुत दिन बाद सुन कर अच्छा लगा - नाखुदा फिल्म का शीर्षक गीत और यह पुराना गीत -

सिकंदर ने पोरस से की थी लड़ाई
तो की थी लड़ाई, मैं क्या करूं

जूनियर होने के नाते सभी सीनियर गायकों से मिलने वाले सुझाव और उनके सद्भाव की भी चर्चा की। इस बातचीत के रिकार्डिंग इंजीनियर हैं - राजेन्द्र (मैं पूरा नाम ठीक से सुन नही पाई) , तकनीकी सहयोग रहा तेजेश्री (शेट्टे) जी का, संयोजन किया कल्पना (शेट्टी) जी ने और प्रस्तुतकर्ता हैं कमल (शर्मा) जी।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में बाल रोग विशेषज्ञ डा संगीता जाधव से रेणु (बंसल) जी की बातचीत सुनवाई गई, विषय रहा - स्तन पान। विस्तार से जानकारी दी। अगस्त का पहला सप्ताह स्तन पान को समर्पित हैं, इसी सन्दर्भ में रही यह बातचीत. शुरूवात गोदभराई के गीत से हुई. कुछ पारंपरिक बातो की भी व्याख्या की और उनके विकल्प भी बताए जैसे जन्म के बाद पहले शहद और चीनी मिले पानी को पिलाने के बाद शिशु को पहला स्तन पान कराना, बताया कि इससे संक्रमण भी हो सकता हैं और पहला स्वाद लेने के बाद शिशु स्तन पान नही भी कर सकता इसीलिए माँ को यह दिया जा सकता हैं जो पच कर शिशु के दूध में मिल जाएगा. दूध बनने की ग्रंथियां छोटे बड़े दोनों स्तनों में समान होती हैं. किसी भी आरामदेय स्थिति में स्तनपान कराया जा सकता हैं. शिशु को माँ के बगल में ही लिटाने से उसका तापमान ठीक बना रहता हैं. उसे स्तन के पास लिटाने से शिशु खुद स्तन के पास सरकता हैं जिससे मांस पेशियों का विकास होता हैं. माँ का वजन पहले से ही अधिक हो तो गर्भावस्था में अधिक घी वगैरह अधिक न दे, वैसे भी घरेलु पौष्टिक भोजन ही गर्भवती को देना चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी मार्ग दर्शन की प्रमुख बाते भी बताई गई. अगले सप्ताह भी बातचीत जारी रहेगी. इस जानकारीपूर्ण कार्यक्रम की प्रस्तुतकर्ता हैं कमलेश (पाठक) जी। बढ़िया कार्यक्रम, पूरी टीम को बधाई.

बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम के स्थान पर ख्यात पार्श्व गायक, अभिनेता, निर्माता, निर्देशक किशोर कुमार की याद में विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत किया कमल (शर्मा) जी ने - मेरे अपने जिसमे किशोर दा को याद किया उनकी जीवन संगिनी ख्यात अभिनेत्री लीना चंद्रावरकर ने जिनसे बातचीत की कमल जी ने। लीना जी ने किशोर दा से दार्जलिंग में हुई मुलाक़ात को याद किया जब स्टेज शो में पहली बार किशोर दा ने पड़ोसन का गीत मेरे सामने वाली खिड़की गाया। बताया कि किशोर दा जीवन में बहुत संतुलित थे। उनके साथ गाए गीत गम का फ़साना की रिकार्डिंग के अनुभव बताए। विवाह के बाद उनकी जीवन शैली को याद किया कि उन्हें शौपिंग करना बिल्कुल पसंद नही था पर खाने का बहुत शौक़ था। अपने पुत्र सुमित को सुलाते समय गाया करते थे - प्यार का जहां हो

कार्यक्रम में उनके दोनों ही तरह के गीत सुनवाए - कहानी किस्मत की फिल्म से -

रफ्ता रफ्ता देखो आँख मेरी लड़ी हैं

मजबूर फिल्म से - देखा तूफां को कश्ती डुबोते हुए

कार्यक्रम तैयार करने में तकनीकी सहयोगी रहे पी के ए नायर जी।

हैलो फ़रमाइश कार्यक्रम में शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बात की राजेन्द्र (त्रिपाठी) ने। विभिन्न क्षेत्रो से फोन आए और लोकल काल भी थे। अलग-अलग तरह के श्रोताओं से बात हुई। विभिन्न काम करने वालो ने बात की - इस बार विविध भारती के कार्यक्रमों पर अधिक बात हुई। श्रोताओं ने बताया कि सालो से सुन रहे हैं, गृहणी ने बताया हमेशा रेडियो सुनती हैं। हाल ही में किए गए परिवर्तन पर भी चर्चा हुई। गानों की दृष्टि से पूरा कार्यक्रम रफीमय रहा। सभी ने पुण्य तिथि पर उन्हें याद किया। आया सावन झूम के, पगला कही का जैसी फिल्मो के लोकप्रिय गीतों के लिए अनुरोध किया और सदाबहार गीत भी शामिल रहा -
बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया


इस कार्यक्रम को तैयार करने में तकनीकी सहयोग तेजेश्री (शेट्टे) जी और प्रस्तुति सहयोग रमेश (गोखले) जी का रहा। कार्यक्रम को प्रस्तुत किया महादेव (जगदाले) जी ने।

मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की अमरकांत जी ने। छात्र, खेती करने वाले, दुकान चलाने वाले जैसे विभिन्न श्रोताओं ने अपने काम के बारे में बताया। एक श्रोता से अच्छी जानकारी मिली, उन्होंने बताया कि कोयला खदान में 400 फीट गहराई में उतर कर मशीन से कोयला तोड़ने का काम करते हैं। अपने काम, प्रशिक्षण के बारे में अच्छी जानकारी दी। एक श्रोता ने कहा कि बारिश का इतेजार हैं, गाँव में पीने के पानी कि भी किल्लत हैं। एक श्रोता ने बताया कि रफी साहब पर शोधपरक पुस्तक लिखी हैं। नए पुराने गीत अनुरोध पर सुनवाए गए। एक बहुत पुराने गीत की फरमाइश हुई, श्रोता ने बताया कि बिखरे मोती फिल्म में अमीर बाई कर्नाटकी के साथ रफी साहब का गाया गीत, अमरकांत जी ने कहा कि इसे संग्रहालय में मुश्किल से ढूंढा गया, मैं सोचने लगी यह गीत ठीक से बजेगा भी या नही पर बहुत स्पष्ट सुनने को मिला, कोई तकनीकी खराबी नही -

आंसू थे मेरी जिन्दगी जो आँखों ने बहा दिया

इस कार्यक्रम को तैयार करने में तकनीकी सहयोग तेजेश्री (शेट्टे) जी और प्रस्तुति सहयोग माधुरी (केलकर) जी का रहा। कार्यक्रम को प्रस्तुत किया वीणा (राय सिंघानी) जी ने।

गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की कमल (शर्मा) जी ने। विभिन्न श्रोताओं ने फोन किया जैसे छात्र, गृहिणी, खेती का काम करने वाले। एक श्रोता ने कहा वह खेत में कपास लगाना चाहता हैं। कांगड़ा के श्रोता ने वहां की काफी बाते बताई, वहां की पेंटिंग, वहां के मंदिरों के बारे में बताया। एक श्रोता ने अपने ऑटोमोबाइल के काम के बारे में बताया। गाने नए पुराने पसंद किए गए। पुरानी फिल्म मिलन का सावन गीत, नई फिल्म मुझे कुछ कहना हैं और फिल्म सावन को आने दो का शीर्षक गीत भी सुनवाया गया।

इस कार्यक्रम को तैयार करने में तकनीकी सहयोग सुनील (भुजबल) जी और प्रस्तुति सहयोग रमेश (गोखले) जी का रहा। कार्यक्रम को प्रस्तुत किया वीणा (राय सिंघानी) जी ने।

तीनो ही कार्यक्रमों में श्रोताओं ने विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों को पसंद करने की बात बताई। एक पुराने श्रोता ने बहुत ही पुराने कार्यक्रमों को याद किया। कुछ श्रोताओ ने बहुत ही कम बात की। अमरकांत जी ने सलाह दी कि मोबाइल से फोन करते समय यह जांच ले कि नेटवर्क ठीक हैं या नही वरना कभी लाइन कट जाती हैं और कभी आवाज साफ़ नही आती।
तीनो ही कार्यक्रमों और हैलो सहेली कार्यक्रम के बाद रिकार्डिंग के लिए फोन नंबर, दिन और समय बताया गया।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद गाने सुहाने कार्यक्रम प्रसारित हुआ जिसमे लगभग सभी ऐसे गीत सुनवाए गए जो लोकप्रिय हैं।

शुक्रवार को शायद जो जीता वही सिकंदर, राधा का संगम और मीरा का मोहन फिल्मो के गीत सुनवाए गए क्योंकि गीत मैंने सुने पर विवरण नही सुना। एकाध बार कुछ सेकेंड्स के लिए प्रसारण रूक गया शायद उस दौरान विवरण बताया गया।

शनिवार को रफी साहब के गाए गाने सुहाने सुनवाए गए - झुक गया आसमान, संगम, आरजू, कश्मीर की कलि, तेरे घर के सामने फिल्म का शीर्षक गीत और काला बाजार से खोया खोया चाँद भी सुना।

रविवार को डर, नरसिम्हा, दामिनी फिल्मो के गीत और यह गीत भी सुनवाया -

गोरिया रे मेरी नींद चुरा के ले जा

सोमवार को खलनायक, रंग, फिर तेरी कहानी याद आई फिल्मो के गीत के साथ यह प्यारा सा गीत भी सुनवाया गया -

इस जहां की नहीं हैं तुम्हारी आँखे
आसमाँ से ये किसने उतारी आँखें

मंगलवार को 1942 अ लव स्टोरी, पिघलता आसमान, साहिबा फिल्म का शीर्षक गीत और सागर फिल्म से ओ मारिया भी सुनवाया गया।

बुधवार को किशोर दा की याद में अच्छा संयोजन रहा। लता जी और आशा जी को छोड़ कर अन्य गायिकाओं के साथ गाए उनके गीत सुनवाए - सुलक्षणा पंडित के साथ दूर का राही फिल्म से, आरती मुखर्जी के साथ तपस्या फिल्म से, अनुराधा पौडवाल के साथ बदलते रिश्ते फिल्म से और अलका याज्ञिक के साथ कामचोर फिल्म से।

गुरूवार को मासूम, रजिया सुल्तान, साथ-साथ, बाजार फिल्मो के गीत सुनवाए गए और यह गीत भी शामिल था -

मंजिले अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह

पूरी सभा में प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।

शाम 5:30 बजे गाने सुहाने कार्यक्रम की समाप्ति के बाद क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है, फिर हम शाम बाद के प्रसारण के लिए 7 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

Tuesday, August 3, 2010

किशोर कुमार जी का गाया एक भूला-बिसरा गीत

वर्ष 1973 के आसपास एक फिल्म रिलीज हुई थी - इन्तेजार

इस फिल्म के नायक राकेश पाण्डेय हैं जिनकी बतौर नायक यह शायद पहली फिल्म हैं। बाद में वह चरित्र भूमिकाएं और धारिवाहिको में भी नजर आने लगे। इस फिल्म की नायिका हैं रिंकू जायसवाल जिसने शायद एकाध फिल्म ही की।

यह फिल्म बिलकुल भी नही चली पर इसके गाने रेडियो से बहुत बजा करते थे। खासकर किशोर कुमार का गाया गीत जिसके बोल मुझे याद नही आ रहे हैं।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

अपनी राय दें