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Tuesday, May 17, 2011

सुबह के गरिमामय प्रसारण को लगा धक्का - प्यार-मोहब्बत के गानों से केन्द्रीय सेवा की शुरूवात

यहाँ हैदराबाद में एक अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई हैं, बात केन्द्रीय सेवा के हिन्दी कार्यक्रम और क्षेत्रीय केंद्र के क्षेत्रीय भाषा तेलुगु के कार्यक्रम की नही हैं बल्कि बात प्रसारण की गरिमा की हैं। पहले सुबह 6:00 बजे पहले प्रसारण में 5 मिनट के दिल्ली से प्रसारित समाचार बुलेटिन के बाद मुम्बई से केन्द्रीय सेवा के अंतर्गत हिन्दी में वन्दनवार प्रसारित होता था जो पहला कार्यक्रम था। यह भक्ति संगीत का कार्यक्रम हैं। इसके तीन भाग हैं - शुरूवात में सुनवाया जाता हैं चिंतन जिसमे महापुरूषों के कथन बताए जाते जिसके बाद भक्ति गीत सुनवाए जाते हैं। इन गीतों का विवरण नही बताया जाता हैं। उदघोषक आलेख प्रस्तुति के साथ भक्ति गीत सुनवाते हैं और समापन देश भक्ति गीत से होता। 6:30 बजे क्षेत्रीय केंद्र से क्षेत्रीय भाषा तेलुगु में भक्ति संगीत का कार्यक्रम अर्चना प्रसारित होता था। 7:00 बजे पुराने मधुर गीतों का कार्यक्रम भूले-बिसरे गीत फिर 7:30 बजे शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम संगीत सरिता और 7:45 पर विचारोत्तेजक कार्यक्रम त्रिवेणी का प्रसारण। इस तरह पूरा एक घंटा भक्ति संगीत का माहौल (हिन्दी और तेलुगु) फिर पुराने मधुर हिन्दी गीत, फिर शास्त्रीय संगीत फिर विचारोत्तेजक त्रिवेणी के साथ सुबह का पहले दो घंटे का प्रसारण बहुत गरिमामय था। अब केवल एक परिवर्तन करने से पूरे प्रसारण की गरिमा को धक्का लगा हैं। अब सुबह 6:05 से 6:30 बजे तक तेलुगु भक्ति संगीत का कार्यक्रम अर्चना प्रसारित हो रहा हैं। इसके बाद मुम्बई से रिले हो रहा हैं जिसमे पहला कार्यक्रम हैं - तेरे सुर और मेरे गीत जो फिल्मी युगल गीतों का कार्यक्रम हैं, जाहिर हैं इसमे अधिकाँश प्यार-मोहब्बत के गीत सुनवाए जाते हैं, इसके बाद 8 बजे तक लगातार प्रसारण रिले हो रहा हैं कोई परिवर्तन नही पर इस तरह से केन्द्रीय सेवा की शुरूवात प्यार-मोहब्बत के फिल्मी गीतों से हो रही हैं जो पहले हैदराबाद में प्रसारित गरिमामय कार्यक्रम का हिस्सा नही थे। अगर 6:30 बजे से वन्दनवार प्रसारित हो तो अच्छा रहेगा पर ऐसा शायद संभव नही, क्योंकि भक्ति संगीत का होने के कारण यह पहला कार्यक्रम होता हैं और इसका 6:30 बजे प्रसारण का अर्थ हैं प्रसारण की शुरूवात केन्द्रीय सेवा से 6:30 बजे से यानि आधा घंटा देर से यानि आधा घंटा प्रसारण समय कम जो असंभव हैं। दूसरा विकल्प वन्दनवार की रिकार्डिंग 6:30 बजे सुनवाई जा सकती हैं जो क्षेत्रीय केंद्र के लिए कष्टप्रद हो सकती हैं। इसीलिए अनुरोध हैं कि इस परिवर्तन पर फिर एक बार विचार कीजिए।

7 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

अंग्रेज़ी माध्यम से पढ़कर आई पिज़्जा-बर्गर पर पली नई पीढ़ी जब कार्यभार संभालेगी तो और क्या उम्मीद की जा सकती है... यही हैं उनके संस्कार

मीनाक्षी said...

वाह......कैसा चमत्कार...साउदी अरब में विविध भारती.... पहली बार सुन रही हूँ ....धन्यवाद के शब्द नहीं है...
@काजलजी..सेवा बदलना क्या युवा पीड़ी के हाथ मे है...मुझे नहीं लगता...वैसे युवा लोग भी भक्तिगीत सुनते है लेकिन कुछ वक्त के लिए...

annapurna said...

दोनों का शुक्रिया अपने-अपने विचार यहाँ रखने के लिए.

अजय कुमार झा said...

वाह वाह आज के फ़नकार कार्यक्रम में फ़रीदा जलाल जी से मुलाकात अनोखी लगी । बहुत ही अदभुत

रश्मि प्रभा... said...

waah......yah to taarife kabil hai

Anonymous said...

इस पोस्ट में प्रांतवाद की साफ बू आती है... हम हिन्दी भाषी सुबह सुबह गुवा गोरंकटो आड़ंदी भम्म्ले.. टाइप के गीत नहीं सुनना चाहते। बरसों इसका इंतजार किया है। यह परिवर्तन सुखद है।
आप तेलुगु चैनल क्यों नहीं सुनती सात बजे तक...?

annapurna said...

अनाम जी, आपकी टिप्पणी मेरी समझ में नही आई. एक ओर आपने लिखा - हम हिन्दी भाषी सुबह सुबह गुवा गोरंकटो आड़ंदी भम्म्ले.. टाइप के गीत नहीं सुनना चाहते।
फिर आपने लिखा - बरसों इसका इंतजार किया है। यह परिवर्तन सुखद है।
इसके अलावा आपने लिखा - आप तेलुगु चैनल क्यों नहीं सुनती सात बजे तक...?
मुझे लगता हैं आपने पोस्ट ठीक से नही पढी. एक बार पोस्ट ठीक से पढ़ लीजिए फिर नाम के साथ टिप्पणी दीजिए तो बेहतर होगा.

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