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Tuesday, December 23, 2008

बँधे हाथ फ़िल्म का शीर्षक गीत

पिछले दिनों साप्ताहिकी में चर्चा चली उन गीतों की जो बहुत दिनों से विविध भारती से नहीं सुनवाए गए, हालाँकि पहले बहुत सुनवाए जाते थे। लगता है इन गीतों को एक पोटली में बाँधकर विविध भारती में एक कोने में रख दिया गया है कि न धूप लगे न हवा।

पिछली साप्ताहिकी में मैनें मंजोत भुल्लार जी के कहने पर ऐसे गीतों के बोल लिखकर याद दिलाने का सिलसिला शुरू किया था। मुझे लग रहा है कि इस सिलसिले को साप्ताहिकी में जारी रखने के बजाए एक अलग चिट्ठे में जारी रखा जा सकता है। यही सोच कर मैं इस चिट्ठे से सिलसिले की शुरूवात कर रही हूँ।

आज बँधे हाथ फ़िल्म का शीर्षक गीत याद दिलाना चाहते है। यह फ़िल्म 1975-76 के आस-पास रिलीज़ हुई थी। किशोर कुमार के गाए इस गीत के बोल है -

क्या जानूँ मै हूँ कौन मारा हुआ ज़िन्दगी का
मुझको तो महफ़िल में लाया है प्यार किसी का
लग के गले से फिर भी सँभल न सकूँ मैं
देखो ये मेरे बँधे हाथ

कैसे मिलूँ तुमसे चाहूँ तो मिल न सकूँ मैं
देखो ये मेरे बँधे हाथ

बोल मुझे जितने याद थे, मैनें लिख दिए। एक बात बता दूँ कि यह गीत किशोर कुमार के इन गीतों की श्रेणी का है -

मेरा जीवन कोरा काग़ज़ कोरा ही रह गया (फ़िल्म कोरा काग़ज़)
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं (चोर मचाए शोर)

यह एक ही फ़िल्म है जिसमें अमिताभ बच्चन और मुमताज़ ने साथ काम किया। वैसे फ़िल्म सफल नहीं थी।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

2 comments:

रोमेंद्र सागर said...

आह ! किस ज़माने के गीत की याद दिला दी आपने !
किशोर दा का गाया यह गीत वास्तव में बहुत मधुर और कर्णप्रिय है। जहाँ तक मुझे याद पड़ता है यह फ़िल्म थी बंधे हाथ और इसमें पहली बार मुमताज़ और अमिताभ बच्चन को प्रस्तुत करने का श्रेय जाता है उस ज़माने के प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक श्री ओ पी रल्हन को ! आपने गीत का मुखडा ही लिखा है लेकिन चुनकी यह मेरा मनपसंद गीत रहा है इसलिए मैं इसे पूरा देखने की चाह में यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ ! आशा है बहुत से संगीत प्रेमियों को यह पसंद आएगा !


" क्या जानो , मैं हूँ कौन
मारा हुआ ज़िन्दगी का
मुझको तो महफिल में
लाया है प्यार किसी का

लग के गले से फ़िर भी मचल ना सकूं मैं देखो
यह मेरे बंधे हाथ....देखो यह मेरे बंधे हाथ....
कैसे मिलूँ तुमसे चाहूँ तो मिल न सकूं मैं देखो
देखो यह मेरे बंधे हाथ....

मुरझाये गुल के पास जैसे बहार की बाहें
मेरे पास वैसे ही फ़ैली हैं यार की बाहें ( 2 )
थाम के इनको फ़िर भी संभल ना सकूं मैं ,
देखो यह मेरे बंधे हाथ....देखोयह मेरे बंधे हाथ....
कैसे मिलूँ तुमसे चाहूँ तो मिल न सकूं मैं देखो
देखो यह मेरे बंधे हाथ....!!


सीने में दिल मेरा, कहने को प्यार का दिल है
धडके ना खुल के जो वो बेकरार सा दिल है ( 2 )
जलता हूँ लेकिन पहलू बदल ना सकूं मैं
देखो यह मेरे बंधे हाथ....यह मेरे बंधे हाथ

कैसे मिलूँ तुमसे चाहूँ तो मिल न सकूं मैं
देखो यह मेरे बंधे हाथ....!! "

annapurna said...

शुक्रिया पूरे गीत को प्रस्तुत करने का !

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