सबसे पहले सुप्रसिद्ध अभिनेत्री लीला नायडू के निधन पर हार्दिक श्रद्धान्जली..
कुछ दिनों पहले संगीत सरिता में एक कार्यक्रम आया था जिसमें एक राग की दूसरे राग की परछाई के बारे में बारे में बताया जाता था, इस कार्यक्रम के बाद हिन्दुस्तानी शैली और कर्नाटक शैली में समानताओं और रूद्र वीणा जैसे कई कार्यक्रम आये पर वैसा आनन्द नहीं मिल पाया जैसा छाया राग वाले कार्यक्रम में पाया था।
आज सुबह एक बार फिर वि.भा. ने खुश कर दिया क्यों कि आज से सुप्रसिद्ध फिल्म संगीतकार स्व. मदनमोहन जी द्वारा संगीतबद्ध गीतों में शास्त्रीय संगीत पर चर्चा की गई, आज पहली ही कड़ी में मेरा पसंदीदा गीत दुखियारे नैना ढूंढे पिया को निशदिन करे पुकार सुनाया... जो कि राग गौड़ सारंग में ढला हुआ है। सच इस गीत को सुबह सुबह सुनकर आनन्द आ गया, कई घंटों तक खुमारी बनी रही।
आपने यह गीत सुना कि नहीं? अगर नहीं तो आईये हमने कुछ दिनों पहले ही महफिल पर इस गीत को सुनाया था..
दुखियारे नैना ढंढे पिया को: मदनमोहन जी द्वारा संगीतबद्ध सुन्दर गीत
आप मित्रों से अनुरोध है कि अगर किसी के पास इस कार्यक्रम को रिकॉर्ड करने की सुविधा हो तो इसे रिकॉर्ड करे ताकि हम इसे बाद में रेडियोनामा पर और मित्रों को भी सुना सके।
धन्यवाद
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Wednesday, July 29, 2009
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2 comments:
संगीत सरिता का समय बढ़ाकर आधा घण्टा किया जाना चाहिये… 7.45 से 8.00 बजे का त्रिवेणी कुछ खास नहीं है…
आपका चिट्ठा पढ कर अच्छा लगा।
आज आप से एक बार फिर मैं यही कहना चाहूँगी कि आप इस कार्यक्रम की साप्ताहिकी लिखे। बहुत दिन से मैं ही लिख रही हूँ। आप शुरू कीजिए और मैं छोड़ देती हूँ जिससे पाठको को इस कार्यक्रम का अलग आनन्द मिलेगा।
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।