आज याद आ रहा हैं 1973 के आसपास रिलीज हुई फिल्म मेला का एक गीत।
यह फिल्म और इसके गीत बहुत लोकप्रिय रहे।
फिल्म में नायक हैं संजय खान और नायिका मुमताज और सहनायक फिरोज खान। रफी साहब, आशा भोंसले और साथियो का गाया यह गीत पहले रेडियो के सभी केन्द्रों से बहुत सुनवाया जाता था। अब बहुत समय से नहीं सुना। इसके कुछ बोल याद आ रहे हैं -
गोरी के हाथ में जैसे ये छल्ला ऎसी हो किस्मत मेरी भी अल्ला (रफी)
छूने न दूंगी उंगली में बाबू बन जाओ चाहे चांदी का छल्ला (आशा)
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
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