दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।
3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम हैलो सहेली। फोन पर सखियों से बातचीत की रेणु (बंसल) जी ने। पहला कॉल आंध्र प्रदेश के निजामाबाद से था, सखि ने यहाँ के सरस्वती मंदिर के बारे में बताया, उनकी हिन्दी का उच्चारण उतना अच्छा नहीं था पर उनके मुख से हिन्दी सुनना अच्छा लगा। एक और बातचीत भी अच्छी लगी, एक युवा सखि ने कहा कि उसे पढ़ने में अधिक रुचि नहीं हैं और वो सिलाई कढ़ाई सीख रही हैं और वही काम करना चाहती हैं। यह सच भी हैं कि करिअर बनाने, कुछ काम करने के लिए शिक्षा ही जरूरी नहीं हैं, अन्य काम भी किए जा सकते हैं। कुछ कॉलों से यह जानकारी भी मिली कि पढाई की सुविधा न होने से सखियाँ पढाई जारी नही रख पा रही हैं। एक सखि ने बताया वह बेकरी चलाती हैं, पाव जल्दी खराब होने के कारण बताए। घरेलु महिलाओं ने घर के कामकाज के बारे में बताया। सखियों ने विविध भारती के कार्यक्रमों को पसंद करने की भी बात कही। रेणु जी ने बातचीत से वातावरण भी बहुत सौम्य बनाए रखा।
सखियों की पसंद पर नए-पुराने विभिन्न मूड के गाने सुनवाए गए, बहुत पुराना गीत प्रदीप का गाया हुआ, चांदनी फिल्म का गीत -
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी हैं
नई फिल्मे विरासत, मुस्कान के गीत भी सुनवाए।
शहर, गाँव, जिलो से फोन आए। लोकल काल भी थे। इस कार्यक्रम को तैयार करने में तकनीकी सहयोग तेजेश्री (शेट्टे) जी और प्रस्तुति सहयोग रेखा (जम्बुवार) जी का रहा।
सोमवार को पधारे रेणु (बंसल) जी और उन्नति जी। यह दिन रसोई का होता है, इस दिन आलू के पौष्टिक तत्वों की जानकारी दी। सामान्य जानकारी भी दी कि कब खेती शुरू हुई आदि। उसके लाभ और हानि दोनों की जानकारी दी। बारिश से होने वाले हल्के रोगों से बचाव और खाद्य सामग्री की सुरक्षा के उपाय बताए। सखियों के पत्रों से रॉयल रबड़ी लस्सी बनाना बताया और गरम मसालों के औषधीय उपयोग भी बताए।
बहुत दिन बाद अंदाज फिल्म का यह गीत सुनना अच्छा लगा, पता नहीं कैसे यह बच्चो का गीत सखियों ने पसंद किया -
सुन लो सुनाता हूँ तुमको कहानी
रूठो न हमसे ओ गुड़ियों की रानी
सखियों की पसंद पर पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए - काला बाजार, देवर, दो आँखे बारह हाथ फिल्मो से। कुछ गीत मौसम के अनुसार भी रहे जैसे -
रिमझिम बरसे बादरवा मस्त हवाएं आई पिया घर आ जा
मंगलवार को पधारी सखियां निम्मी (मिश्रा) जी और मधुवंती जी। यह करिअर का दिन होता है। इस दिन जीव प्रौद्योगिकी (बायो टैक्नौलोजी) के पाठयक्रम और नौकरी संबंधी जानकारी दी।
हमेशा की तरह सखियो के अनुरोध पर गाने नए ही सुनवाए गए जैसे 3 इडियट्स, काइट्स, सिंग इज किंग, किस्मत कनेक्शन, अजब प्रेम की गजब कहानी और कृष फिल्म का यह गीत -
आओ सुनाऊं प्यार की एक कहानी
एक था लड़का एक थी लड़की दीवानी
बुधवार को सखियाँ पधारीं - निम्मी (मिश्रा) जी और उन्नति (वोहरा) जी। इस दिन स्वास्थ्य और सौन्दर्य संबंधी सलाह दी जाती है्। बारिश में त्वचा की देखभाल की जानकारी दी गई। कांचन (प्रकाश संगीत) जी की लिखी एक झलकी भी सुनवाई गई जिसमे कांचन जी के साथ अमरकांत (दुबे) जी ने भाग लिया। लगता हैं कपडे धोने से पहले ठीक से देखा नही गया और सिनेमा के टिकटों की लुगदी बन गई पर बाद में पता चलता हैं कि वह बस के टिकट थे। चलिए छोटी सी काम की सलाह मिली। श्रोता सखियों की फरमाइश पर कुछ पुराने समय के लोकप्रिय गीत इन फिल्मो से सुनवाए गए - कामचोर, कारवां, भीगी पलकें, मोहरा और दिल तो पागल हैं फिल्म से यह सावन राजा का गीत सुनना अच्छा लगा -
घोड़े जैसी चाल हाथी जैसी दुम
चक दुम दुम चक दुम दुम
गुरूवार को सखियाँ पधारी रेणु (बंसल) जी और उन्नति (वोहरा) जी। इस दिन सफल महिलाओं के बारे में बताया जाता है। इस दिन किसी एक महिला के बारे में न बता कर सखियों के पत्रों से कुछ सफल महिलाओं की जानकारी दी गई जैसे कम उम्र में ही कर्नाटक संगीत में महारत हासिल करने वाली लावण्या और सुब्बालक्ष्मी। भावनगर की तरून बाला बेन जिन्होंने 70 साल की उम्र में खेलो में पदक जीते। बिहार की यशोदा जिन्होंने मधुबनी पेंटिंग में दक्षता पाई और लालू मणि देवी जिनकी गिनती मशरूम की खेती में एशिया के 25 उच्च किसानो में होती हैं। इसके अलावा पाण्डुवानी लोकगायक लक्ष्मी बाई के बारे में बताया। सखियों के अनुरोध पर लोकप्रय गीत सुनवाए - जूली, खोटे सिक्के, सरगम, परिचय फिल्मो से और दुल्हन फिल्म का यह गीत बहुत दिन बाद सुन कर अच्छा लगा -
आएगी जरूर चिट्ठी मेरे नाम की सब देखना
हर दिन श्रोता सखियों के पत्र पढे गए और चुटकुले भी सुनाए गए। कुछ पत्रों में कार्यक्रमों की तारीफ़ थी। लेकिन हर दिन बहुत सारी जानकारी दी गई, सुनते-सुनते नसें सूजने लगी। हर एक दिन दी गई जानकारी को आराम से तीन-चार कार्यक्रमों में प्रसारित किया जा सकता था जिससे सुनने, समझने और बाते याद रखने में आसानी होती क्योंकि बहुत सारी सुनी गई बाते याद रखना मुश्किल हो जाता हैं।
इस कार्यक्रम की दो परिचय धुनें सुनवाई गई - एक तो रोज़ सुनी और एक विशेष धुन हैलो सहेली की शुक्रवार को सुनी।
शनिवार और रविवार को प्रस्तुत हुआ सदाबहार नग़में कार्यक्रम जिसमे अच्छे सदाबहार नगमे सुनने को मिले। शनिवार को दोनों मूड के रोमांटिक गीत सुनवाए राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने, सूरज फिल्म से -
बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया हैं
आखिरी दांव, ग्यारह हजार लड़कियां, गुमराह, संघर्ष, जब जब फूल खिले और फुटपाथ फिल्म से -
शामे गम की क़सम
रविवार को यह कार्यक्रम संगीतकार आर डी बर्मन को समर्पित रहा। उनके स्वरबद्ध किए अलग-अलग मूड के सदाबहार गीत सुनवाए गए। मेरे जीवन साथी का ओ मेरे दिल के चैन, अमर प्रेम से रैना बीती जाए श्याम न आए, आशा जी का गाया संजीदा गीत - मेरा कुछ सामान, शोले का दोस्ती का गीत और महबूबा फिल्म का गीत भी सुनवाया गया। अच्छा रहा चयन।
3:30 बजे नाट्य तरंग कार्यक्रम में शनिवार और रविवार को रिफत फरोश का लिखा ऐतिहासिक नाटक सुनवाया गया - डगर पनघट की जिसका निर्देशन निर्मला अग्रवाल ने किया हैं। अमीर खुसरो के जीवन पर आधारित यह नाटक जलालुद्दीन खिलजी की फ़तेह के समय का हैं। अलाउद्दीन खिलजी के एक हाथ से सोना लुटाते दूसरे हाथ में तलवार लिए दिल्ली की ओर बढ़ने का समय दर्शाता हैं। यह सब देख कर अमीर खुसरो को लगता हैं कि सारा जीवन उन्होंने शासको की सेवा की, यह सेवा अगर वह प्रभु की करते...
इसमे ईरान और भारत के सांस्कृतिक समागम की भी चर्चा हैं। इसमे अमीर खुसरो की मुकरियाँ भी हैं। उनकी कव्वालियाँ भी हैं - छाप तिलक छब छीनी, बहुत कठिन हैं डगर पनघट की। दिल्ली केंद्र की बढ़िया प्रस्तुति।
शाम 4 से 5 बजे तक सुनवाया जाता है पिटारा कार्यक्रम जिसकी अपनी परिचय धुन है और हर कार्यक्रम की अलग परिचय धुन है।
शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम सरगम के सितारे जिसमे सितारे रहे ख्यात संगीतकार जोडी नदीम-श्रवण के श्रवण राठौर जिनसे बातचीत की रेणु (बंसल) जी ने। रेणुजी ने परिचय बहुत कलात्मक रूप से दिया, उन्ही की फिल्मो के नामों से। बताया कि पिता गायक हैं और आरंभिक शिक्षा उन्ही से मिली। स्टेज शो भी किए। बाद में सुगम संगीत भी सीखा। बचपन में कल्याण जी आनंद जी की रिकार्डिंग देख कर प्रभावित हुए। कॉलेज के समारोह में नदीम से मुलाक़ात हुई। 1973 जनवरी में जोडी बनी और दिसंबर में पहला गीत रिकार्ड किया जो भोजपुरी फिल्म के लिए था। बाद में समीर के साथ मिलकर बनी टीम और 17 साल के संघर्ष की बाते भी बताई जिसमे लगभग दस हजार गाने तैयार किए जो बाद में काम आए। लता जी के साथ रिकार्डिंग के अनुभव को याद किया। इस जोडी के लगभग सभी गीत लोकप्रिय हैं, बहुत से गीतों की झलक सुनवाई। अब पारिवारिक फिल्मे बनाना चाहते हैं और अपने बच्चो को भी संगीत का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इस तरह अच्छी जानकारी पूर्ण बातचीत रही। इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया चित्रलेखा (जैन) जी ने तेजेश्री (शेट्टे) जी के तकनीकी सहयोग से।
रविवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम उजाले उनकी यादो के जिसमे फिल्म लेखक जावेद सिद्दीकी से युनूस (खान) जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनवाई गई। शुरूवात में पिछली कड़ी का अंश सुनवाया गया जिससे निरंतरता बनी रही। इसमे ताल फिल्म के माध्यम से आनंद बक्षी, ऐ आर रहमान, अक्षय खन्ना, अनिल कपूर, ऐश्वर्य राय, सुभाष घई के साथ काम करने के अनुभव बताए। फिल्म की कहानी की चर्चा करते हुए बताया कि इसमे संगीत जगत की झलक ही ली हैं जिससे जटिलता नही हुई। इस फिल्म के गीत सुनवाए। फिर कोई मिल गया जैसी विशेष फिल्म की चर्चा शुरू हुई। वैज्ञानिक परिकल्पना की इस फिल्म के साथ लगता हैं अगली कड़ी रोचक रहेगी। इस रोचक बातचीत के रिकार्डिंग इंजीनियर हैं - विनय (तलवलकर) जी, कार्यक्रम की प्रस्तुतकर्ता हैं कल्पना (शेट्टी) जी। सम्पादन खुद युनूस जी ने किया हैं। सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में डा समीर पारिख से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत सुनवाई गई, विषय रहा - पेट के रोग। विस्तार से जानकारी दी। बताया कि विभिन्न कारणों से पेट के रोग होते हैं। पीलिया, गुर्दे के रोग की भी जानकारी दी। सावधानी के लिए साफ़ पानी पीने की सलाह दी। अल्सर के बारे में भी अच्छी जानकारी दी। सबसे अच्छी दो बाते रही - एंडोस्कोपिक संबंधी पूरी जानकारी दी और अल्कोहल और धूम्रपान से संबंधी बाते बताई जिससे सावधानी बरतने में आसानी रहेगी और इलाज में हिचकिचाहट नही होगी। इस जानकारीपूर्ण कार्यक्रम की प्रस्तुतकर्ता हैं कमलेश (पाठक) जी। तकनीकी सहयोग तेजेश्री (शेट्टे) जी का रहा।
बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में गीतकार और संवाद लेखक प्रसून जोशी से युनूस (खान) जी की बातचीत सुनवाई गई। बताया कि बचपन से कविताओं का शौक रहा और रेडियो प्रोग्रामो में भी भाग लेते रहे। दिल्ली में विज्ञापन जगत में सृजन विभाग से जुड़े हालांकि पढाई एमबीऐ की। फिर मुम्बई आए जहां अधिक मुश्किल नही हुई। पहला गीत लज्जा फिल्म के लिए किया। अपने काम के बारे में बताया कि विज्ञापन के समय उत्पाद का अध्ययन करते हैं और गीत लेखन में जीवन को देखते हैं। पारिवारिक पृष्ठभूमि से संगीत की शिक्षा भी ली। फिल्म रंग दे बसंती, फिर मिलेंगे के गीत सुनवाए। फिल्म हम तुम के मिलने की बाते बताई। इस कार्यक्रम को कमलेश (पाठक) जी ने प्रस्तुत किया।
हैलो फ़रमाइश कार्यक्रम में शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बात की अमरकांत जी ने। विभिन्न क्षेत्रो से फोन आए और लोकल काल भी थे। अलग-अलग तरह के श्रोताओं से बात हुई। छात्रो ने फोन किया, हॉस्टल से लड़कियों ने फोन किया। विभिन्न काम करने वालो ने बात की - खेती, पान का ठेला चलाने वाले श्रोता ने बताया कि लोग विविध भारती के पुराने गाने सुनने के लिए पान के बहाने ठेले पर आते हैं। एक छात्र ने कहा वह उच्च अधिकारी बनना चाहता हैं। एक कलाकार ने अपने कार्यक्रमों के बारे में बताया, गाना गाकर भी सुनाया। एक श्रोता ने बताया कि वह कलकत्ता से मुम्बई काम करने आया हैं।सबसे अच्छी बातचीत रही चंद्रपुर के एक श्रोता की जिन्होंने वहां फैक्ट्रियो के कारण फैल रहे प्रदूषण की चर्चा की। सब की पसंद पर गाने अलग-अलग तरह के नए पुराने गीत सुनवाए जैसे पुरानी फिल्म खानदान का गीत -
नील गगन पर उड़ाते बादल आ आ आ
गैम्बलर, हम दिल दे चुके सनम, राज फिल्मो के गीत। इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया वीणा (राय सिंहानी) जी ने रेखा (जम्बुवार) जी के सहयोग से।
मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने। छात्र, सिलाई, खेती करने वाले, दूकान चलाने वाले जैसे विभिन्न श्रोताओं ने अपने काम के बारे में बताया। इस बार अधिकतर फोन महाराष्ट्र के विभिन्न भागो से आए। जिले से एक श्रोता ने कहा कि बारिश का इतेजार हैं। नए पुराने गीत उनके अनुरोध पर सुनवाए गए। एक श्रोता ने भीगी पलके फिल्म का किशोर कुमार का गाया संजीदा गीत - जीवन बीत गया पसंद किया जो कम ही सुनवाया जाता हैं। इसी तरह एक श्रोता के अनुरोध पर आरजू फिल्म की क़व्वाली सुनवाई गई। नई फिल्म जैसे गजनी के गीत भी सुनवाए गए।
इस कार्यक्रम को तैयार करने में तकनीकी सहयोग तेजेश्री (शेट्टे) जी और प्रस्तुति सहयोग रेखा (जम्बुवार) जी का रहा। कार्यक्रम को प्रस्तुत किया महादेव (जगदाले) जी ने।
गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की अशोक जी ने। एक श्रोता ने कहा बारिश का इन्तेजार हैं। एक श्रोता ने कहा वह खेत में कपास लगाना चाहता हैं।एक श्रोता ने नासिक शहर के बारे में बताया। एक श्रोता ने कहा कि वह वडा पाव का ठेला चलाता हैं और उसका चना बहुत मशहूर हैं और उसने गाना भी क्रान्ति का पसंद किया - चना जोरगरम। मौसम के अनुसार अनुरोध पर मंजिल फिल्म का यह गीत सुनवाया गया -
रिमझिम गिरे सावन
इस कार्यक्रम को तैयार करने में तकनीकी सहयोग स्वाति (भंडारकर) जी और प्रस्तुति सहयोग रेखा (जम्बुवार) जी का रहा। कार्यक्रम को प्रस्तुत किया महादेव (जगदाले) जी ने।
तीनो ही कार्यक्रमों में श्रोताओं ने विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों को पसंद करने की बात बताई। एक पुराने श्रोता ने बहुत ही पुराने कार्यक्रमों को याद किया। कुछ श्रोताओ ने बहुत ही कम बात की। कुछ ऐसे लोकल कॉल भी थे जिनमे श्रोताओं ने बताया कि उनका मूल निवास कहीं और हैं और वे काम के लिए मुम्बई आए हैं। अमरकांत जी ने सलाह दी कि मोबाइल से फोन करते समय यह जांच ले कि नेटवर्क ठीक हैं या नही वरना कभी लाइन कट जाती हैं और कभी आवाज साफ़ नही आती। अशोक जी ने कहा कि मुम्बई के बाहर के श्रोताओं के फोन कम ही आ रहे हैं। श्रोताओं से फोन करने का अनुरोध किया।
तीनो ही कार्यक्रमों और हैलो सहेली कार्यक्रम के बाद भी रिकार्डिंग के लिए फोन नंबर, दिन और समय बताया गया।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद गाने सुहाने कार्यक्रम प्रसारित हुआ जिसमे अस्सी के दशक और उसके बाद के गीत सुनवाए गए। लगभग सभी ऐसे गीत सुनवाए गए जो लोकप्रिय हैं।
शुक्रवार को तेरी क़सम, बगावत, हीरो और मुकद्दर का सिकंदर फिल्म का शीर्षक गीत सुनवाया गया।
शनिवार को बेताब, संगीत, क़यामत से क़यामत तक और तेज़ाब फिल्म का एक दो तीन गीत भी शामिल था।
रविवार को हवालात, मासूम, दिल वाले दुल्हनिया ले जाएगे और माचिस फिल्म का चप्पा चप्पा चरखा चले भी सुनवाया गया।
सोमवार को चांदनी, गंगा जमुना सरस्वती, शराबी और जुर्म फिल्म की मशहूर गजल, जब कोई बात बढ़ जाए भी शामिल थी।
मंगलवार को शुरूवात उन गजलो से हुई जो बहुत ही कम सुनवाए जाते हैं - गमन फिल्म से आपकी याद आती रही और उमराव जान फिल्म से तलत अजीज की गजल। इसके अलावा दादा, सात रंगों के सपने फिल्मो के गीत भी शामिल थे।
बुधवार को विरासत, करीब, अनाडी नम्बर 1, ताल और मन फिल्म का शीर्षक गीत सुनवाया गया।
गुरूवार को सिर्फ तुम, गुलाम, सत्या और आइना फिल्मो के गीत सुनवाए गए।
शाम 5:30 बजे गाने सुहाने कार्यक्रम की समाप्ति के बाद क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है, फिर हम शाम बाद के प्रसारण के लिए 7 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।
इस कार्यक्रम में फिल्म के विज्ञापन प्रसारित हुए।
पूरी सभा में प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।
सबसे नए तीन पन्ने :
Friday, July 2, 2010
दोपहर बाद के जानकारीपूर्ण कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 1-7-10
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1 comment:
wonderful!
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।