रात में हवामहल कार्यक्रम के बाद 8:15 बजे से क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है फिर हम 9 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।
9 बजे प्रसारित हुआ हिट-सुपरहिट कार्यक्रम। शनिवार और रविवार को विशेष आयोजन रहा और शेष हर दिन किसी एक कलाकार को केन्द्रित कर गीत सुनवाए गए। वैसे सप्ताह भर यह कार्यक्रम अच्छा रहा पर इस समय इस कार्यक्रम का दुबारा प्रसारण होता हैं। मूल रूप से यह कार्यक्रम दोपहर 1:00 बजे प्रसारित होता हैं। दो बार प्रसारण के बजाय एक बार कोई और कार्यक्रम प्रसारित किया जा सकता हैं।
शुक्रवार को अभिनेत्री टीना मुनीम पर फिल्माए गए लोकप्रिय गीत सुनवाए गए, उन पर हल्की सी जानकारी देते हुए। शुरूवात कर्ज फिल्म के गीत से हुई। मनपसंद फिल्म का यह गीत भी सुनवाया गया जिसमे उनकी आवाज में संवाद हैं -
लोगो का दिल अगर जीतना तुमको हैं तो बस मीठा-मीठा बोलो
बताया उन्हें देव आनंद ले आए अपनी फिल्म देस परदेस से अस्सी के दशक में। ऋषि कपूर के साथ उनकी जोडी हिट रही। सौतन, बातो बातो में, ये वादा रहा, रॉकी फिल्मो के गीत सुनवाए गए और बताया कि अलग-अलग तरह की फिल्मो में उन्होंने काम किया था। अब वो फिल्मो से दूर हैं।
शनिवार को प्रस्तुति कुछ ख़ास रही यानी सैटरडे स्पेशल शीर्षक से प्रस्तुति की गई और वाकई अशोक जी ने विशेष गीत सुनवाए - डिस्को गीत। ये अस्सी के दशक के वो गीत हैं जिनसे डिस्को की शुरूवात मानी जाती हैं। हथकड़ी फिल्म का शीर्षक गीत, कर्ज फिल्म से ओम शान्ति ओम और उस दौर की संगीत सनसनी उषा ऊथप के यह दो गीत बहुत लम्बे समय बाद सुन कर अच्छा लगा -
अरमान फिल्म से रम्बा ओ साम्बा ओ और प्यारा दुश्मन फिल्म से -हरी ओम हरी
रविवार को भी विशेष रहा आयोजन जिसका शीर्षक दिया - फेवरेट फाइव। इसमे आमंत्रित थे पार्श्व गायक कुमार शानू। बातचीत की रेणु (बंसल) जी ने। विकल्प दिया कि फेवरेट फाइव गीत सुनावाएगे या संगीतकारों से अनुभव बताएगे, उन्होंने फेवरेट फाइव गीत सुनवाने की इच्छा जताई। पहला गीत चुना जुर्म फिल्म से - जब कोई बात बढ़ जाए जिससे एक श्रोता के जुड़े अनुभव बताए।
साजन फिल्म का गीत सुनवाया - मेरा दिल भी कितना पागल हैं
सुभाष घई के साथ काम के पहले अनुभव को बताते हुए यह गीत सुनवाया जिसमे संगीत लगभग नहीं हैं -
दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके
आर डी बर्मन को याद करते हुए सुनवाया - कुछ न कहो कुछ भी न कहो
अंत में अपना सबसे पसंदीदा गीत सुनवाया जिसके बोल अच्छे हैं, सन्देश भी हैं -
जिन्दगी की तलाश में हम मौत के कितने पास आ गए
जब ये सोचा तो घबरा गए आ गए हम कहाँ आ गए
शुरू और अंत में उनके गाए गीतों की झलकियों से परिचय दिया और समापन किया कमल (शर्मा) जी ने। इस कार्यक्रम को स्वाति (भंडारकर) जी के तकनीकी सहयोग से प्रस्तुत किया कल्पना (शेट्टी) जी ने। बढ़िया प्रस्तुति। पूरी टीम को बधाई।
सोमवार को संगीतकार शांतनु मोइत्रा के स्वरबद्ध किए गीत सुनवाए गए। लगे रहो मुन्ना भाई, यहाँ, खोया खोया चाँद, फिल्मो के गीत सुनवाए। 3 इडियट्स फिल्म से जुबी जुबी और परिणीता का पीउं बोले गीत भी शामिल था। उनके बारे में हल्की-फुल्की जानकारी दी कि उनके कई शौको में से एक हैं किताबे पढ़ना, स्वानंद किरकिरे के साथ उन्होंने बहुत काम किया।
मंगलवार को पार्श्व गायिका कविता कृष्णमूर्ति के गाए गीत सुनवाए गए। अग्नि साक्षी, दिल चाहता हैं, देवदास फिल्मो के गीत सुनवाए गए। मिस्टर इंडिया का हवाहवाई भी शामिल था। फिल्म हम दिल दे चुके सनम का शीर्षक गीत और यह गीत भी सुनवाया गया - प्यार हुआ चुपके से
बुधवार को सेक्सोफोन वादक मनोहारी सिंह के निधन पर उन्हें श्रृद्धांजलि दी गई। उनके गीत सुनवाए गए -
रे जा रे उड़ जा रे पंछी
उनकी बजाई धुनें सुनवाई गई - चलते चलते फिल्म का शीर्षक गीत
उनकी बजाई धुन और गीत की झलक सुनवाई - ओ मेरे दिल के चैन
नैय्यर साहब का - ये दुनिया उसी की
उनसे युनूस (खान) जी की बातचीत के अंश सुनवाए गए जिससे पता चला कि पढाई अधिक नही की। कलकत्ता आए, हेच एम वी से जुड़े। 1958 में सलिल चौधरी मुम्बई ले आए। पहली बार शंकर जयकिशन जोडी के जयकिशन से मिले और गीत था प्रोफ़ेसर फिल्म का -
आवाज देके हमें तुम बुलाओ मोहब्बत में इतना न हमको सताओ
एस डी बर्मन के साथ काम के अनुभव बताए। धुनें भी सुनवाई - गा मेरे मन गा
ख्यात संगीतकारों के आर्केस्ट्रा की जानकारी दी। सेना के उस मशहूर शो के अनुभव बताए जिसमे नेहरू जी थे और ऐ मेरे वतन के लोगो गीत में बाँसुरी बजाई।
गुरूवार को मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित फिल्मो के गीत सुनवाए। सभी गीत बढ़िया जोडी - गीतकार आनंद बक्षी और संगीतकार लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल द्वारा तैयार किए गए सुनवाए गए इन फिल्मो से - अमर अकबर एंथोनी, नसीब, शान और कुली
इस तरह सभी अस्सी की दशक की फिल्मो के और अमिताभ बच्चन की फिल्मो के गीत सुनने को मिले। यानि इस दिन एक टीम के लोकप्रिय गीत सुनवाए गए - मनमोहन देसाई, आनंद बक्षी, लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल और अमिताभ बच्चन, अच्छा लगा यह प्रयोग। ऎसी और भी टीमे हैं, आशा हैं यह क्रम जारी रहेगा।
9:30 बजे आज के फनकार कार्यक्रम प्रसारित किया गया। शुक्रवार को निर्माता निर्देशक और अभिनेता गुरूदत्त के जन्मदिन पर उन पर प्रस्तुत किया गया यह कार्यक्रम। अच्छी जानकारी दी संक्षिप्त में, बताया कि उनका जन्म बैंगलूर में हुआ, कलकत्ता में शिक्षा हुई। पहली नौकरी टेलीफोन ऑपरेटर की की। फिर जुड़े प्रभात टौकीस से, नृत्य निर्देशक की तरह काम किया। पहली फिल्म निर्देशित की बाजी उसके बाद जाल। गुरूदत्त के बारे में जानकारी देती दो रिकार्डिंग सुनवाई गई, प्रसारक और संगीतकार बृजभूषण ने कहा कि गुरूदत्त ब्लैक एंड व्हाईट फिल्मो से जुड़े थे, प्रकाश के प्रभाव का बहुत अच्छा प्रयोग उन्होंने किया था। वहीदा रहमान ने बताया उनके सम्बन्ध छोटे बड़े सभी कलाकारों से बहुत अच्छे थे। उनकी फिल्मो के गीत सुनवाए -साहब बीबी और गुलाम, कागज़ के फूल फिल्मो के गीत भी शामिल थे।
बढ़िया शोध और आलेख। इसे अशोक (सोनावणे) जी ने प्रस्तुत किया।
शनिवार को युनूस (खान) जी ने प्रस्तुत किया संगीतकार तिकड़ी शंकर अहसान लॉय को। शनिवार की रात के लिए यह प्रस्तुति अच्छी रही। मिशन काश्मीर फिल्म की चर्चा हुई। उन्हें मिले राष्ट्रीय पुरस्कार की चर्चा चली। धर्मा प्रोडक्शन से जुड़ने की बाते बताई। कभी अलविदा न कहना, बंटी और बबली से कजरारे के साथ उनके अन्य गीत सुनवाए जिसमे यह भी शामिल था -
चाहे जितना जोर लगा लो हम हैं हिन्दुस्तानी
इस कार्यक्रम को विजय दीपक छिब्बर जी ने प्रस्तुत किया पी के ऐ नायर जी के सहयोग से।
रविवार को अभिनेता कुमार गौरव के जन्मदिन पर उन पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया ममता (सिंह) जी ने। उनकी पहली फिल्म लव स्टोरी की बहुत सी बाते बताई। अन्य फिल्मो की भी चर्चा हुई जैसे नाम और बाद की फिल्मो के नाम बताए। उनकी रिकार्डिंग भी सुनवाई। पापा राजेन्द्र कुमार को याद किया जिन्हें जुबली कुमार का खिताब मिला था, साथ में यह भी बताया कि कुमार गौरव ने सफलता की एक छोटी सी अवधि ही देखी। बताया कि 11 साल की उम्र में पहली शूटिंग देखी, पापा की आरजू फिल्म की शूटिंग देखी। एक बात खटकी। जब रिकार्डिंग एक ही आवाज की हो तो एक बार सुनना अच्छा लगता हैं दूसरी बार सहन कर सकते उसके बाद बुरा लगता हैं। कम से कम दो व्यक्तियों की रिकार्डिंग ठीक लगती हैं। पूरा कार्यक्रम सुन कर ऐसा लगा कि उनकी की गई रिकार्डिंग से कुछ अंश सुनवाते हुए उनकी कही गई बाते बताते हुए उनके गीतों के साथ यह कार्यक्रम तैयार कर दिया गया। इस कार्यक्रम की सृजनशीलता नजर नहीं आई।
सोमवार को यह कार्यक्रम समर्पित किया गया फिल्मकार बिमल राय को, इस दिन उनका जन्मदिन था। प्रस्तुत किया कमल (शर्मा) जी ने। उनके जीवन से जुड़ी कई बाते बताई। करिअर की शुरूवात कलकत्ता से हुई, न्यू थियेटर से जुड़े, सिनेमैटोग्राफर बने। बड़ी दीदी फिल्म में उनका काम देखने को मिला। निर्देशन किया। बचपन में दुर्गा पूजा में नाटक किया था उसी पर फिल्म बनाई - यहूदी। बाम्बे टाकीज से जुड़ने पर परिणीता के साथ कुछ और फिल्मे निर्देशित की। फिर बना बिमल राय प्रोडक्शन और बनी पहली फिल्म - दो बीघा जमीन जिससे अंतर्राष्ट्रीय पटल पर स्थान मिला। फिर सफल फिल्मो का कारवाँ चला - देवदास, सुजाता, बंदिनी, मधुमती, परख, काबुलिवाला। चर्चा में आई सभी फिल्मो के गीतों की झलक सुनवाई। अच्छी जानकारी मिली। बढ़िया शोध परक आलेख और प्रस्तुति। धन्यवाद कमल जी !
मंगलवार को राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने प्रस्तुत किया निर्माता, निर्देशक और गीतकार प्रकाश मेहरा को। इस दिन उनका जन्मदिन था। इस दिन भी कार्यक्रम का वही हाल रहा। केवल प्रकाश मेहरा जी की रिकार्डिंग से अंश सुनवाए गए और उनके बारे में चर्चा करते हुए गीत सुनवाए उनकी फिल्मो से। जानकारी मिली कि उनके द्वारा निर्देशित पहली फिल्म हैं - हसीना मान जाएगी - वर्ष 1968 में। उसके बाद मेला फिर अमिताभ बच्चन के साथ सफ़र - जंजीर, मुकद्दर का सिकंदर, हेरा फेरी। नब्बे के दशक की फिल्म दरार की भी चर्चा हुई। उनके संघर्ष की गाथा उन्ही से सुनी। उनके लिखे गीतों की चर्चा हुई और सुनवाया यह गीत -
और इस दिल में क्या रखा हैं
तेरा ही दर्द छिपा रखा हैं
पी के ऐ नायर जी का प्रस्तुति सहयोग रहा।
बुधवार को संगीतकार मदन मोहन को उनकी पुण्य तिथि पर याद किया गया। कार्यक्रम प्रस्तुत किया अशोक (सोनावणे) जी ने। उन्ही की गाई दस्तक फिल्म की रचना से शुरूवात की -
माई री मैं कासे कहूं पीर अपने जिया की
उनके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि फिल्मी माहौल उन्हें विरासत में मिला हैं। शास्त्रीय संगीत का माहौल मिलने से अपने गीतों को उन्होंने विभिन्न रागों में गहराई तक उतारा। सी रामचंद्र के साथ उनके संबंधो को बताया और यह भी जानकारी दी कि लता जी ने पहले उनके साथ काम करने के लिए मना किया था। उन्हें गजलो का बादशाह माना गया। रिकार्डिंग के समय वह बारीक नजर रखते थे, फिल्म मेरा साया के गीतों की रिकार्डिंग का किस्सा सुनाया। इस फिल्म का यह गीत सुनवाया - झुमका गिरा रे
उनकी फिल्मो के गीतों की झलक सुनवाई। यह ख़ास बात भी बताई कि उन्हें एक ही राष्ट्रीय पुरस्कार मिला दस्तक फिल्म के लिए।
कार्यक्रम सुनने के बाद मुझे एक बात अजीब लगी। एक भी रिकार्डिंग के अंश नही सुनवाए गए। मुझे याद आ रहा हैं कुछ ही समय पहले कमल (शर्मा) जी ने शायद उजाले उनकी यादो के कार्यक्रम के लिए किसी कलाकार (नाम मैं भूल रही हूँ) से बात करते समय मदन मोहन की चर्चा की थी।
गुरूवार को प्रस्तुत किया गया युवा अभिनेत्री बिपाशा बसु पर यह कार्यक्रम। शुक्र हैं उस दिन उनका जन्म दिन नही था। चूंकि अभिनेत्री नई हैं इसीलिए वर्ष के अनुसार उनकी फिल्मो की चर्चा की। कार्यक्रम की शुरूवात हुई बिल्लो रानी गीत से। बताया कि पढाई के साथ मॉडलिंग की फिर सिनेमा में आईं। उनके द्वारा अभिनीत विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा की - कारपोरेट में गंभीर, जिस्म में नकारात्मक, ऑल द बेस्ट में कॉमेडी। उनकी चर्चित फिल्मो की चर्चा हुई - धूम, रेस, नो एंट्री। उन्हें मिले पुरस्कारों की चर्चा हुई। नई होने से, जानकारी कम होने से, गीतों की संख्या भी अधिक रही और अधिक भाग सुनवाया गया - बीडी जलईले
आपके प्यार में हम सँवरने लगे
शोध, आलेख और स्वर युनूस (खान) जी का, विजय दीपक छिब्बर जी ने प्रस्तुत किया पी के ऐ नायर जी के सहयोग से।
इस सप्ताह, इस कार्यक्रम में जन्मदिन के केक खूब कटे। इतना बड़ा फिल्म संसार, ढेर सारे कलाकार, हर दिन किसी न किसी का जन्मदिन होता ही हैं। अगर इस कार्यक्रम की दिशा यही बनी रही तो बहुत जल्द यह कार्यक्रम बर्थडे स्पेशल बन जाएगा। इस कार्यक्रम का यह स्वरूप क्या ठीक रहेगा ? मुझे तो नहीं जंचता। वैसे भी हर दिन यह कार्यक्रम सुनना अच्छा नही लग रहा है, विविधता होनी चाहिए।
10 बजे का समय छाया गीत का होता है। कार्यक्रम शुरू करने से पहले कभी-कभार अगले दिन प्रसारित होने वाले कुछ मुख्य कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।
शुक्रवार को प्रस्तुत किया कमल (शर्मा) जी ने। रात के साथ ही आती यादे, फिर इन्तेजार की चर्चा की। शुरूवात की इस गीत से -
छुप गया कोई रे दूर से पुकार के
ऐसे गीत भी सुनवाए जो कम ही सुने जाते हैं -
दो अकेले चल रहे हैं रात अकेली चाँद अकेला
शनिवार को प्रस्तुत किया अशोक जी ने। मोहब्बत के कसीदे काढ़े। कुछ कम सुने गीत शामिल थे। अनपढ़, निकाह के साथ यह गीत भी सुनवाया -
अगर मुझसे मोहब्बत हैं
मुझे सब अपने गम दे दो
रविवार को प्रस्तुत किया युनूस (खान) जी ने, कार्यक्रम सुस्त रहा। एक ख़्वाब बुनते रहे और कुल चार गीत सुनवाए। एक लोकप्रिय गजल आहिस्ता आहिस्ता फिल्म से -
कभी किसी को मुकम्मिल जहां नही मिलता
दिल आखिर दिल हैं फिल्म का शीर्षक गीत भी शामिल था।
सोमवार को अमरकान्त जी का प्रस्तुत किया छाया गीत सुना जो पुरानी रिकार्डिंग थी जिसमे चर्चा हुई जाने क्यों लोग मोहब्बत किया करते हैं और इन्ही बोलो के गीत से शुरूवात हुई। त्रिशूल फिल्म का गीत और ये रास्ते हैं प्यार के फिल्म का शीर्षक गीत भी सुनवाया गया।
मंगलवार को प्रस्तुत किया निम्मी (मिश्रा) जी ने। बाते हुई बेवफाई की, यादों की फिर दास्ताँ छिड़ी आसूँओ की, अंदाज वही रहा चिरपरिचित - सुस्त। गीत शामिल रहे - हजारो रंग बदलेगा ज़माना
हमपे इल्जाम बेवफाई हैं और ऐसे ही गीत।
इस कार्यक्रम का यह सप्ताह का चौथा सुस्त दिन रहा, मेरी समझ में गीतों के चुनाव में प्रसारण समय का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
बुधवार को प्रस्तुत किया राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने। अच्छे गीत सुनवाए - ये मौसम आया हैं कितने सालों में
आपकी आँखों में कुछ महके हुए से ख़्वाब हैं
आपसे भी ख़ूबसूरत आपके अंदाज हैं
इन्तेकाम फिल्म से - हम तुम्हारे लिए तुम हमारे लिए
प्रस्तुति का काव्यात्मक अंदाज अच्छा रहा।
गुरूवार को रेणु (बंसल) जी ने शायराना प्रस्तुति दी। कुछ गीत अच्छे सुनवाए, कुछ कम सुने गीत सुनवाए -
कहता हैं दिल तुम हो मेरे लिए
लेकिन हमें तो एक ही गीत सुनकर पूरे कार्यक्रम का आनंद आ गया, अनमोल घड़ी फिल्म से - आवाज दे कहाँ हैं
10:30 बजे प्रसारित हुआ आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम जो प्रायोजित था इसीलिए प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। इसमें श्रोताओं ने पुराने लोकप्रिय गीत सुनने की फ़रमाइश अधिक की। शुक्रवार को शुरूवात में मन्नाडे का गाया दिल ही तो हैं फिल्म का यह गीत सुनवाया गया -
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे
काली टोपी लाल रूमाल, प्यासा, बाजी फिल्मो के गीतों के साथ यह गीत भी सुना जो मौसम के अनुसार था -
छाई बरखा बहार पड़े अंगना फुहार
शनिवार को शुरूवात हुई कटी पतंग फिल्म के शाम मस्तानी गीत से। आई मिलन की बेला, दुलारी फिल्मो के गीतों के साथ यह पुराने गीत भी फरमाइश पर सुनवाए गए -
बस्ती बस्ती पर्वत पर्वत गाता जाए बंजारा
मेरे यार शब्बा खैर
रविवार को दिल्ली का दादा, आया तूफ़ान, पतंगा, ऊँचे लोग फिल्मो के गीत सुनवाए गए और यह गीत -
छुप छुप खड़े हो जरूर कोई बात हैं
सोमवार को अभिनेता राजेन्द्र कुमार की पुण्य तिथि पर फरमाइश में से उन्ही की फिल्मो के गीतों को छांट कर सुनवाया गया। लोकप्रिय फिल्मो के लोकप्रिय गीतों की फरमाइशे आई। गीत फिल्म के गीत से शुरूवात हुई और आरजू फिल्म के गीत से समापन। मिस मैरी, सन ऑफ इंडिया के गीतों के साथ सूरज फिल्म का सदाबहार गीत भी शामिल था -
बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया हैं
मंगलवार को श्री 420 फिल्म का रामय्या वस्तावय्या (तेलुगु भाषा हैं, रामय्या नाम हैं, अर्थ हैं - रामय्या आते हो क्या ) गीत के साथ मधुमती और थोड़ा आगे के समय की फिल्म घरौंदा के गीत के साथ यह गीत भी सुनवाया गया -
तुम्हे और क्या दूं मैं दिल के सवाय
तुमको हमारी उम्र लग जाए
बुधवार को एकदम पुराने और थोड़ा आगे के समय के गीत सुनवाए गए इन फिल्मो से - प्रेम गीत, नौशेरवाने आदिल, लव इन टोकियो, इज्जत और रजिया सुलतान फिल्म से - खुदा खैर करे गीत भी शामिल था।
गुरूवार को श्रोताओं के ईमेल के अनुसार बहुत पुरानी, पुरानी और बाद के समय के फिल्मी गीत सुनवाए गए - अंखियों के झरोखे से फिल्म के शीर्षक गीत के साथ शुरूवात की, पारसमणी, सीता और गीता फिल्मो के गीतों के साथ सुनवाया यह गीत भी -
ये तेरी सादगी ये तेरा बांकपन
बुधवार और गुरूवार को ईमेल से प्राप्त फ़रमाइशें पूरी की जाती है अन्य दिन पत्र देखे जाते है। देश के अलग-अलग भागों से बहुत से पत्रों से गानों की फ़रमाइश भेजी गई और हर पत्र में भी बहुत से नाम रहे जबकि ई-मेल की संख्या कम ही रही।
प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। इकाध बार क्षेत्रीय विज्ञापन भी प्रसारित हुए।
11 बजे अगले दिन के मुख्य कार्यक्रमों की जानकारी दी जो केन्द्रीय सेवा से ही दी गई जिससे केन्द्रीय सेवा के उन कार्यक्रमों की भी सूचना मिली जो क्षेत्रीय कार्यक्रमों के कारण यहाँ प्रसारित नही होते। 11:05 पर दिल्ली से प्रसारित 5 मिनट के समाचार बुलेटिन के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।
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Friday, July 16, 2010
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