विविध भारती से गैर फिल्मी गीतों के दो कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं - वन्दनवार और गुलदस्ता.
सुबह 6:00 बजे दिल्ली से प्रसारित होने वाले समाचारों के 5 मिनट के बुलेटिन के बाद 6:05 पर हर दिन पहला कार्यक्रम प्रसारित होता हैं - वन्दनवार जो भक्ति संगीत का कार्यक्रम हैं। इसके तीन भाग हैं - शुरूवात में सुनवाया जाता हैं चिंतन जिसके बाद भक्ति गीत सुनवाए जाते हैं। इन गीतों का विवरण नही बताया जाता हैं। उदघोषक आलेख प्रस्तुति के साथ भक्ति गीत सुनवाते हैं और समापन देश भक्ति गीत से होता हैं। आरम्भ और अंत में बजने वाली संकेत धुन बढ़िया हैं।
शाम बाद के प्रसारण में 7:45 पर जयमाला के बाद शुक्रवार और मंगलवार को 15 मिनट का कार्यक्रम प्रसारित हुआ - गुलदस्ता।
आइए, इस सप्ताह प्रसारित इन दोनों कार्यक्रमों पर एक नजर डालते हैं -
वन्दनवार में शुक्रवार को शुरूवात की शिव स्तुति से। संस्कृत में बढ़िया स्तुति गायन रहा। इसे मैंने शायद पहले भी एक बार सुना हैं, समापन इन पंक्तियों से हुआ - जय जय करूणा देव श्री महादेव शम्भो
जिसके बाद निर्गुण भक्ति रचना सुनी - आज चेतना के पट खोलो
फिर शास्त्रीय पद्धति में भक्ति रचना सुनवाई गई - आनंदमयी चैतन्यमयी सत्यमयी परमे
अंत में प्रार्थना सुनवाई।
शनिवार को भी शुरूवात शिव भक्ति गीत से हुई जिसके बाद नाम की महिमा का भक्ति गीत सुनवाया - तू भज ले प्रभु का नाम
इसके बाद का गीत भी ऐसा ही था जिसके बाद भक्ति भावना से सम्बंधित ही आलेख पढ़ा गया फिर कहा गया देशगान और सुनवाया देश भक्ति गीत, शायद प्रसारण समय की सीमा का ध्यान नही रहा।
रविवार को शुरूवात की इस कृष्ण भक्ति रचना से -
ओम जय श्री राधा जय श्री कृष्णाश्री राधा कृष्णाय नम
यह भक्ति गीत अधिक पुराना नही हैं। इसके बाद पुरानी निर्गुण भक्ति रचना सुनवाई - मोको कहाँ ढूंढें रे बन्दे
फिर कृष्ण भक्ति गीत - पाँव पडू तोरे श्याम और अंत में यह पुरानी रचना - तेरा राम जी करेगे बेड़ा पार सुनवाई।
सोमवार को नए भक्ति गीत से शुरूवात अच्छी लगी - भगवान बुद्ध की ज्योति अमर
फिर लोकप्रिय भजन सुनवाए गए, अनूप जलोटा का गाया - रंग दे चुनरिया हे गिरधारी
नाम की महिमा बताता यह भक्ति गीत -
युगों युगों से जैसे चमके सूरज चाँद सितारे
एक दिन ऐसे ही चमकेंगे तेरे भाग सितारे
बस राम का नाम लिए जा और अपना काम किए जा
मंगलवार को दो नए भक्ति गीत सुनवाए गए -
श्याम तुम्हारा धाम छोड़ कर और कहाँ मैं जाऊं
शरण प्रभु की आओ रे यही समय हैं प्यारे
इसके अलावा राम नाम की महिमा का लोकप्रिय गीत - जो न जपे राम वो हैं किस्मत के मारे
और लोकप्रिय मीरा भजन भी सुनवाया - ऐ री मैं तो प्रेम दीवानी मेरा दर्द न जाने कोय
बुधवार को आवाज में कुछ कम्पन सा रहा जिससे कुछ शब्द ठीक से सुनाई नही दिए। इस दिन लोकप्रिय भजन सुनवाए - तू दयालु दीनानाथ
दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
जब यही हो लगन मन ये गाए मगन
मन पुलकित हुआ आनंदित हुआ
मन में प्रभुजी समाने लगे
और समापन किया गणेशजी की पारंपरिक आरती से -
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
आज की प्रस्तुति बढ़िया रही। आलेख भी अच्छा रहा और गीतों का चुनाव बहुत बढ़िया रहा। शुरूवात हुई युगल आवाजो में शास्त्रीय पद्धति में गाई नाद से -
सुभान तेरी कुदरत पे कुर्बान
इसके बाद कृष्ण भक्ति गीत सुना -
लीला तुम्हारी श्याम रूप भी तुम्हारा
डगर डगर गाता जाए पागल बंजारा
जिसके बाद नानक की वाणी सुनी - जप मन सत नाम सदा सत नाम
अंत में सुनवाया यह भक्ति गीत जो कम ही सुनवाया जाता हैं -
हरि को अपना मीत बना लो
सब दुःख से छुटकारा पा लो
हर दिन वन्दनवार का समापन होता रहा देश भक्ति गीतों से, रविवार को नया देशभक्ति गीत सुनना अच्छा लगा -
जय जन्म भूमि जय हो
यह लोकप्रिय गीत सुनवाए गए -
जिन्दगी को बंदगी समझ के तू काम कर
देश का रहनुमा हैं तू, देश का तू नाम कर
जागा देश महान हमारा जागा देश महान
हमारे वीर भारत को कभी डर हो नही सकता
हमारे देश का नीचा कभी सर हो नही सकता
क़दम क़दम बढाते चलो आज नौजवान
आज रामावतार चेतन की रचना सुनवाई -
इंसानियत का कारवां चलता रहे चलता रहे
दीपक अमन का चैन का जलता रहे जलता रहे
सिर्फ आज ही गीतकार का नाम बताया और किसी भी दिन देश भक्ति गीतों का कोई भी विवरण नही बतलाया गया। हमारा अनुरोध हैं कि इन देश भक्ति गीतों के विवरण नियमित बताइए।
इस कार्यक्रम में एक बात खटकती हैं। आजकल बहुत पुराने भक्ति गीत और देशगान नही सुनवाए जा रहे हैं जबकि फिल्मी भक्ति रचनाएं सुनवाई जा रही हैं। हमारा अनुरोध है कृपया फिल्मी भजन और देश भक्ति गीतों का अलग कार्यक्रम रखिए, ऐसे समय जहां क्षेत्रीय कार्यक्रमों का समय न हो ताकि हम इन फिल्मी भक्ति गीतों का अलग से आनंद ले सके और गैर फिल्मी नए-पुराने सभी भक्ति गीत सुनवाइए।
गुलदस्ता कार्यक्रम में शुक्रवार को आगाज हुआ अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन की युगल आवाजो में अंजुम जयपुरी के इस कलाम से -
किसको सुनाए दिल की बात, रात और वो भी हिज्र की रात
इसके बाद मूड बदला और फलसफा बयां करता जिगर का कलाम सुना आबिदा परवीन की आवाज में -
आदमी आदमी से मिलता हैं, दिल मगर किसी से कब मिलता हैं
मंगलवार को आगाज हुआ इब्राहिम अश्क के कलाम से - आते-जाते सलाम कर जाओ
गुलोकार रहे राजकुमार रिजवी। इसके बाद मूड बदला, अशोक खोसला की आवाज में जानिस्सार अख्तर का कलाम सुना -
जब लगे जख्म तो कातिल को दुआ दी जाए
हैं यही रस्म तो यह रस्म उठा ली जाए
सप्ताह में कुल चार गजले सुनी जिसमे शास्त्रीय पद्धति के कलाकारों को भी सुना। नए पुराने शायर से खूब महका गुलदस्ता। इसकी शुरू और आखिर में बजने वाली संकेत धुन भी अच्छी हैं। सबसे अच्छा लगता हैं कार्यक्रम के अंत में यह कहना - ये था विविध भारती का नजराना - गुलदस्ता !
सप्ताह भर के गैर फिल्मी संगीत पर साप्ताहिकी लिखने बैठे तो लगा यह तो मुट्ठी भर कार्यक्रम हैं जबकि रोज फिल्मी संगीत सुबह से रात तक बजते रहता हैं। गैर फिल्मी संगीत के हिस्से में रोज चार भक्ति गीत, एक देश भक्ति गीत और सप्ताह में 4-6 गजले हैं। विभिन्न विधा का संगीत शामिल नही हैं जैसे कव्वालियाँ, लोक गीत, नए-पुराने गीत। हमारा अनुरोध हैं इन कार्यक्रमों को शामिल कर गैर फिल्मी संगीत के प्रसारण समय को विस्तार दीजिए।
सबसे नए तीन पन्ने :
Thursday, March 10, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment
आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।