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Thursday, March 3, 2011

विविध भारती के मेहमान - साप्ताहिकी 3-3-11

विविध भारती में लगभग हर दिन मेहमान पधारे। उनके अनुभव और संघर्ष यात्रा को जानने के साथ जानकारी भी मिली और उनके पसंदीदा गीत भी सुने। यह कार्यक्रम हैं -

शुक्रवार - सरगम के सितारे
शनिवार और सोमवार - विशेष जयमाला
रविवार - उजाले उनकी यादो के
सोमवार - सेहतनामा
बुधवार - आज के मेहमान


इनमे से विशेष जयमाला को छोड़ कर सभी भेंटवार्ताएं हैं।

आइए, इस सप्ताह प्रसारित इन कार्यक्रमों पर एक नजर डालते हैं -

इस सप्ताह का विशेष कार्यक्रम रहा सोमवार को प्रसारित विशेष जयमाला। विविध भारती के जन्मदाता ख्यात कवि और गीतकार पंडित नरेंद्र शर्मा जी की पावन स्मृति में उनके द्वारा प्रस्तुत जयमाला की रिकार्डिंग संग्रहालय से निकालकर सुनवाई गई। सबसे पहले उन्होंने सभी फ़ौजी भाइयों को नमन किया। पूरे कार्यक्रम के दौरान देश भक्ति की, नैतिकता की बाते बताई। एक-एक शब्द मन पर गहरा असर कर गया, एक उदाहरण देखिए - उन्होंने कहा कि हम झूठ भी बोलते हैं तो यह सोचकर कि यह सच माना जाएगा यानि झूठ का लक्ष्य भी सच ही हैं। फिल्मो से चुने हुए गीत सुनवाए जिनमे उनके लिखे गीत भी थे। शुरूवात की पूरब और पश्चिम के इस देश भक्ति गीत से - हैं प्रीत जहां की रीत सदा

यह गीत भी सुनवाया - अब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आजाद हैं

साहित्यकार अमृता प्रीतम का गीत सुनवाया फिल्म कादम्बरी से -

अम्बर की एक पाक सुराही बादल का एक जाम उठा केघूँट चांदनी पी हैं हमने बात कुफ्र की की हैं हमने
जिस देश में गंगा बहती हैं और सत्यं शिवं सुन्दरम फिल्मो के शीर्षक गीत सुनवाए। उत्सव फिल्म का प्रकृति गीत भी सुनवाया और सुबह फिल्म से प्रार्थना भी सुनवाई - तुम आशा विश्वास हमारे

फिल्मी गीतों के साथ संत कवि दादू दयाल की रचना सुनवाई - तुम्ही मेरे रतना, तुम्ही मेरे श्रवणा तुम्ही मेरे नैना

विविध भारती के जनक श्रद्धेय पंडित नरेंद्र शर्मा जी को सादर नमन !

शाम 7 बजे दिल्ली से प्रसारित समाचारों के 5 मिनट के बुलेटिन के बाद प्रसारित प्रसारित होने वाले फ़ौजी भाईयों के इस जाने-पहचाने सबसे पुराने कार्यक्रम जयमाला में शनिवार को विशेष जयमाला में मेहमान रहे लोकप्रिय गीतकार, संगीतकार और गायक रविन्द्र जैन। पूरा कार्यक्रम गीत-संगीत को समर्पित रहा। शुरूवात की (मोहम्मद) रफी साहब और लता (मंगेशकर) जी के गाए इस गीत से -

एक डाल पर तोता बोले एक डाल पर मैना

अपने साथ काम लिए सभी गायक कलाकारों के गीत सुनवाए - महेंद्र कपूर, हेमलता, यसुदास, जसपाल सिंह, आरती मुखर्जी।

तपस्या फिल्म का यह गीत - भाभी की उंगली में हीरे का छल्ला

और आशा (भोंसले) जी की आवाज में सलाखे फिल्म से बरखा का मौसम गीत बहुत दिन बाद सुनना अच्छा लगा। सौदागर फिल्म से मन्ना (डे) दा का यह गीत भी सुनवाया जिससे दर्शको से उनका परिचय हुआ - दूर हैं किनारा

यह भी बताया कि इस गीत में बंगाल के संगीत का प्रभाव हैं। मुकेश के स्वर में भजन भी सुनवाया और उनके निधन पर लिखी गई मर्मस्पर्शी कविता भी सुनवाई। अंत में सभी वरिष्ठ संगीतकारों को नमन किया और एक देश भक्ति रचना की कुछ पंक्तियाँ गुनगुनाई। बहुत अच्छी प्रस्तुति रही। यह रिकार्डिंग भी संग्रहालय से चुन कर सुनवाई गई।

शरू और अंत में जयमाला की संकेत धुन सुनवाई गई। यह कार्यक्रम प्रायोजित था। प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए।

शेष कार्यक्रम शाम 4 से 5 बजे तक पिटारा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रसारित किए जाते हैं। पिटारा कार्यक्रम की अपनी परिचय धुन है जो शुरू और अंत में सुनवाई जाती हैं और सेहतनामा को छोड़कर अन्य दोनों कार्यक्रमों की अलग परिचय धुन है जिसमे आज के मेहमान कार्यक्रम में संकेत धुन के स्थान पर श्लोक का गायन हैं।

शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम सरगम के सितारे। जैसा कि शीर्षक से ही समझा जा सकता हैं इस कार्यक्रम के मेहमान संगीत के क्षेत्र से होते हैं। इस सप्ताह पार्श्व गायक बाबुल सुप्रियो से शेफाली (कपूर) जी की बातचीत सुनवाई गई। शुरू में ही अपने नाम के बारे में स्पष्ट किया कि वास्तविक नाम सुप्रियो हैं, बाबुल घर का नाम हैं और पूरा नाम हैं - सुप्रियो बराल। बताया कि पारिवारिक माहौल संगीत का रहा। किशोर कुमार उनके आदर्श हैं, उनके गीतों को भी गुनगुनाया। पहले गीत के बारे में बताया कि दो गीत एक साथ मिले - भप्पी लहरी का गीत और विनोद खन्ना की फिल्म इक्का राजा रानी का गीत। जानकारी दी कि आशा (भोंसले) जी के साथ विदेशो में शोज किए। शाहरूख खान के साथ शो के अनुभव बताए। उमराव जान का गीत दिल चीज क्या हैं गुनगुनाया और बताया कि नए कलाकारों के लिए रियाज के लिए अच्छा गीत हैं। इस गीत के साथ चर्चा में आए गीत सुनवाए, उनके पसंदीदा गीत सुनवाए जिनमे उनका गाया यह गीत भी शामिल था -

साँसों को साँसों में ढलने दो ज़रा

नदीम श्रवण के साथ मिले सहयोग की बात की और यह माना कि अभी करिअर की शुरूवात हैं। बातचीत में उतनी सहजता नही थी, कहीं-कहीं प्रश्नोत्तर जैसा लगा। उनके गीतों के बनने की भी विस्तार से चर्चा नही हुई जबकि यह कार्यक्रम ही हैं सरगम के सितारे, आम भेट वार्ता नही हैं। यह भी पता नही चला कि कुल कितने गीत गाए हैं। यह बताया कि टेलीविजन धारावाहिकों के लिए भी गाते हैं पर यह जानकारी नही मिली कि गैर फिल्मी और अन्य भाषाओं के गीत भी गाते हैं या नही। कुल मिलाकर बहुत सतही बातचीत रही, इस कार्यक्रम के सांचे में नही ढली। इस कार्यक्रम को परिणीता (नाइक) जी के सहयोग से शकुन्तला (पंडित) जी ने प्रस्तुत किया। संयोजन कल्पना (शेट्टे) जी ने किया। शुरू और अंत में इस कार्यक्रम की संकेत धुन सुनवाई गई।

रविवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम उजाले उनकी यादो के। मेहमान रहे लेखक और निर्देशक बी आर इशारा जिनसे बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। बातचीत की यह पहली कड़ी थी। इसमे बचपन की यादे थी। 16 साल की उम्र में मुम्बई आना। फिर संघर्ष जिसमे होटल में, फैक्ट्री में काम करने का जिक्र रहा। नरगिस जी से मुलाक़ात और काम पाने की कोशिश की चर्चा हुई। पहला अफसाना दूसरो के लिए लिखा। फिर मुलाक़ात हुई कैफ इरफानी और रोशन लाल शर्मा से और इनका नाम बदल कर रखा गया बाबू राम और इनके उर्दू लेखन को देखते हुए तकल्लुस भी दिया - इशारा जिससे पूरा नाम बना बाबू राम इशारा और लोकप्रिय हुए बी आर इशारा के नाम से। पहली फिल्म लिखी आवारा बादल। इसके बाद निर्देशन में सहायक बने। इन्साफ का मंदिर फिल्म से निर्देशन की शुरूवात की। इसके बाद पहली फिल्म बनाई - चेतना। इस फिल्म के बारे में बताया कि 7 दिन में फिल्म लिखी गई। यह बताया कि समाज में दुहरे व्यक्तितत्व के लोगो को दर्शाने के लिए यह फिल्म बनाई गई और यह फिल्म बोल्ड रही जिससे इसके रिलीज में भी दिक्कते आई। इसके बाद मिलाप फिल्म की चर्चा की जिसमे सांपो को भी केंद्र में रखा गया। यहाँ संगीत की भी चर्चा की कि अपनी फिल्मो के गीतों के लिए गीतकार और संगीतकार पर ही पूरा भरोसा करते हैं क्योंकि गीतों की समझ अधिक नही हैं। उनकी फिल्मो के और उनके पसंदीदा पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए - चेतना, मिलाप, दिल की राहे, पुरानी फिल्म मल्हार का यह गीत -

बड़े अरमानो से रखा हैं बलम तेरी क़सम प्यार की दुनिया में यह पहला क़दम

इस कार्यक्रम को कल्पना (शेट्टे) जी ने प्रस्तुत किया। रिकार्डिंग इंजीनियर हैं - तेजेश्री (शेट्टे) जी और प्रदीप (शिंदे) जी।

सोमवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम सेहतनामा। इसमे गर्भाशय के मुख के कैंसर पर बातचीत की गई। मेहमान डाक्टर थी स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर मौलिक जोशी जिनसे रेणु (बंसल) जी की बातचीत सुनवाई गई। बहुत विस्तार से जानकारी दी। रोग के लक्षण, इलाज और सावधानी पर चर्चा की। मुख्य लक्षण अधिक रक्त स्त्राव बताया। बताया कि वायरस के संक्रमण से यह कैंसर होता हैं। आजकल इसके टीके उपलब्ध हैं जिसके नाम भी बताए। यह टीके संक्रमण से पहले लगवाना चाहिए। विवाहित स्त्री को कभी भी ये रोग हो सकता हैं, साठ साल की उम्र तक भी। बेहतर होगा कि नियमित जांच करवाते रहे। यदि संक्रमण अधिक नही फैला हैं तो बिना गर्भाशय निकाले भी ठीक हो सकता हैं।

बातचीत के साथ डाक्टर साहब की पसंद के गीत सुनवाए गए - पुरानी फिल्म साहब बीबी और गुलाम से और नई फिल्मो 1942 अ लव स्टोरी, धूम फिल्म के गीत। इस कार्यक्रम को तेजेश्री (शेट्टे) जी के तकनीकी सहयोग से कमलेश (पाठक) जी ने प्रस्तुत किया।

बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम मे मेहमान रहे जाने-माने लेखक और निर्देशक सुधीर मिश्र जिनसे बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। बताया कि बचपन में सभी तरह की फिल्मे देखी। शिक्षा के लिए सागर आए जहां विविध क्षेत्रो का ज्ञान मिला। फिर दिल्ली आए। भोपाल के अनुभव, थियेटर में किए नाटको के अनुभव बताए। अभिनय में खुद की कमजोरियों को जाना- समझा और निर्देशन से जुड़े। निर्देशक कुंदन शाह के साथ फिल्म की - जाने भी दो यारो जो सफल रही। समान्तर फिल्मो के प्रश्न पर बताया कि यह फिल्मे सशक्त होती हैं पर अधिकाँश व्यावसायिक दृष्टि के फिल्मकार अपनी पसंद से फिल्मे बनाते हैं। इसीसे से ऎसी फिल्मो की संख्या कम हैं। यहाँ एक बात अच्छी बताई कि ऎसी फिल्मे बननी चाहिए ताकि दर्शको को इसकी आदत हो। अच्छी चल रही थी बातचीत, यहाँ एक सवाल किया गया फिल्मो में दिए जाने वाले सन्देश के बारे और साथ ही यह पूछा गया कि वह कैसी फिल्मे बनाना पसंद करते हैं, अगर इसे दो प्रश्नों में एक के बाए एक पूछा जाता तो चर्चा को अच्छा विस्तार मिलता था। खुद की फिल्मो के बारे में बताया - मैं ज़िंदा हूँ, हजारो ख्वाहिशें ऎसी, चमेली और धारावी के बारे में बताया कि इसमे कोई गाना नही हैं और इस फिल्म को सर्वोत्तम संगीत के लिए पुरस्कार मिला यानि पहली बार किसी फिल्म को पार्श्व संगीत के लिए पुरस्कार के लिए चुना गया। अपने लेखक होने के बारे में बताया कि जो देखा, जो भोगा उसे लेखन में ढाला। शबाना आजमी और ओम पुरी जैसे दिग्गज कलाकारों से मिले सहयोग की भी चर्चा की। अपनी फिल्मो के गीत भी सुनवाए और पसंद के पुराने गीत भी सुनवाए - चलती का नाम गाड़ी, गुमराह फिल्मो से।

इस सप्ताह डाक्टर साहब से उपयोगी जानकारी मिली। फिल्मी क्षेत्र से अलग-अलग समय और क्षेत्र की बातो को जाना।

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