जनवरी और अगस्त इन दो महीनों में भारत कुमार यानि मनोज कुमार चर्चा में कुछ अधिक ही आ जाते है। देश भक्ति और सामाजिक समस्याएँ उनकी हर फ़िल में नज़र आती है। आज हम उनकी एक ऐसी ही फ़िल्म यादगार का गीत याद कर रहे है।
यह गीत मनोज कुमार पर ही फ़िल्माया गया है और इसे गाया है महेन्द्र कपूर और साथियों ने। इस गीत की विशेषता यह है कि यह गीत बहुत लम्बा है। शायद 5-6 या उससे भी अधिक ही अंतरे है। यह गीत फ़िल्म में बार-बार बजता है। आमतौर पर फ़िल्मों में बार-बार अगर कोई गीत बजे तो केवल मुखड़ा या एकाध अंतरा ही बार-बार बजता है पर इस फ़िल्म में बार-बार बजने वाले इस गीत में हर बार अलग अंतरा बजता है और हर अंतरा एक समस्या को उठाता है।
परिवार नियोजन की भी बात है तो फ़ैशन की भी बात उठी है। लड़कियों के फ़ैशन के साथ घटते कपड़ों की भी चर्चा है। शायद आपमें से बहुतों को याद होगा सत्तर के दशक में लड़कों के लिए फ़ैशन चला था बड़ा अजीब सा जिसमें गर्दन पर झूलते बाल होते थे लड़कियों की तरह। यह सारी बातें इस गीत में उभर कर आई है।
पहले रेडियो से यह गीत बहुत सुनवाया जाता था। पूरा गीत एक साथ तो नहीं सुनवाया जाता था, हर बार दो तीन अंतरे सुनवाए जाते थे। तब पूरा गीत याद भी था। अब बहुत दिन से नहीं सुनने से ठीक से याद नहीं रहा। मुखड़ा तो पूरा याद है पर अंतरे जितने और जिस क्रम में याद है, यहाँ प्रस्तुत है -
एक तारा बोले तुन तुन
क्या कहे ये तुमसे सुन सुन
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन
बात है लम्बी मतलब गोल
खोल न दे ये सबके पोल
तो फिर उसके बाद
ऊहूँ ऊहूँ ऊहूँ
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन
पहले तो था चोला ---- का
फिर घट घट के ------ का
चोले की अब चोली ही बनी
चोली के आगे क्या होगा
ये फ़ैशन बढता बढता गया
और कपड़ा तन से घटता गया
तो फिर उसके बाद
ऊहूँ ऊहूँ ऊहूँ
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन
अरे धत तेरी ऐसी तैसी
सूरत है लड़की जैसी
तंग पेट पतली टाँगे
लगती है सिगरेट जैसी
देश का यही जवान है तो
देश की ये संतान है
तो फिर उसके बाद
ऊहूँ ऊहूँ ऊहूँ
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन
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हर साल कैलेण्डर छाप दिया
परिवार नियोजन ---------
तो फिर उसके बाद
ऊहूँ ऊहूँ ऊहूँ
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
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Tuesday, January 13, 2009
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2 comments:
आपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,
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तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
1) "पहले तो था चोला-बुरका", 2) "फ़िर घट-घट के बना कुरता", 3) परिवार नियोजन साफ़ किया…, शायद ये शब्द सही हैं… वाकई मजेदार गाना है, इस गीत में कई हास्य कलाकार भी मनोज कुमार के साथ थे… सही कहा आपने, कम सुनाई देता है यह गीत…
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