पिछले शनिवार विशेष जयमाला कार्यक्रम प्रस्तुत किया था गायिका और अभिनेत्री बहनें सुलक्षणा और विजेता पंडित ने। दोनों ने अपने-अपने गीत भी सुनवाए। यह सब सुनते-सुनते मुझे याद आ गया एक गीत जिसे इस कार्यक्रम में शामिल किया जा सकता था पर पता नहीं क्यों, नहीं किया गया।
यह गीत है फ़िल्म आँखिन देखी का जो अस्सी के दशक में रिलीज़ हुई थी। मुझे लगता है बहुतों को इस फ़िल्म का नाम भी पता नहीं होगा। शायद बहुत कम शहरों में यह फ़िल्म रिलीज़ हुई थी। हैदराबाद में भी शायद रिलीज़ नहीं हुई थी पर यह गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था। विविध भारती, उर्दू सर्विस का आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम और क्षेत्रीय केन्द्रों से बहुत सुनवाया जाता था। इसके अलावा दूरदर्शन से चित्रहार में भी इस गीत को देखा जिसे बगीचे में फ़िल्माया गया है सुलक्षणा पंडित पर और साथ में नायक कौन है याद नहीं आ रहा। फिर यह गीत बजना बन्द हो गया।
यह एक युगल गीत है जिसे शायद… राजेन्द्र सिंह बेदी ने लिखा है… जी हाँ वही मशहूर कहानीकार
इस युगल गीत को गाया है रफ़ी साहब और सुलक्षणा पंडित ने। इस गीत के अंतरे में शास्त्रीय पुट है जिससे गीत बहुत मधुर लगता है। मुझे मुखड़ा याद है और एक अंतरा कुछ कुछ याद है जो इस तरह है -
सोना री तुझे कैसे मिलूँ (सुलक्षणा)
कैसे कैसे मिलूँ
ओ हो ओ ओ ओ
अमवा की बगिया (रफ़ी)
झरना कि नदिया (सुलक्षणा)
कहाँ मिलूँ तुझे कैसे मिलूँ
कैसे कैसे मिलूँ
घिरन घिरन बदरवा कारे (सुलक्षणा)
कारे कारे कारे कारे
डरे रे डरे रे
------ के -- सारे
सारे सारे सारे सारे
रंग लगा दूँ ऐसा कभी जो न छूटे (रफ़ी)
ओ ओ ओ ओ ओ (सुलक्षणा)
ओ ओ ओ ओ ओ (रफ़ी)
कजरा ला दूँ ऐसा कभी जो न छूटे
ओ ओ ओ ओ ओ (सुलक्षणा)
रूपा री तुझे कैसे मिलूँ
कैसे कैसे मिलूँ
ओ हो ओ ओ ओ
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पता नहीं विविध भारती की पोटली से यह गीत कब बाहर आएगा…
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Tuesday, January 27, 2009
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1 comment:
सीधे विविध भारती पर फरमाईश करके देखिये । :)
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