कभी-कभी बडी कोफ़्त होती है यह सुनकर कि विविध भारती मनोरंजन सेवा है। ख़ासकर दोपहर बाद के प्रसारण पर जब हम नज़र डालते है तब लगता है यहाँ मनोरंजन कम महत्वपूर्ण हो जाता है। इस समय के कार्यक्रमों में विभिन्न जानकारियां मिलती है और विशिष्ट योग्यताओं से परिचय होता है।
दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।
3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की रेणु (बंसल) जी ने। हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य भागों से सखियों ने बात की। कस्बों, ज़िलों, गाँव से फोन आए। छात्राओं ने बात की अपनी पढाई के बारे में बताया और कुछ कम शिक्षित घरेलु महिलाओं ने भी बात की। बातचीत से पता चला कि गांव से बस में बैठ कर दूर तक लडकिया पढने जाती है। एक महिला ने खुलकर घरेलु बातचीत की कि पति काम नहीं करते और वो ही घर देखती है। ज्यादातर सखियों ने अपना शौक सिलाई-कढाई ही बताया। नए-पुराने मिले जुले गीतों की फ़रमाइश हुई जैसे दिलवाले फ़िल्म का गीत। एक सखि के अनुरोध पर पुराना प्रदीप का गाया गीत सुनवाया गया -
पिंजरे के पंछी रे
कम सुना जाने वाला गीत आदमी खिलौना है फ़िल्म से सुनवाय गया। इस तरह पता चला कि हमारे देश में सखियां किन परिस्थितियों में रह रही है। दूरदराज में क्या-क्या सुविधाएँ है आदि बातों की जानकारी घर बैठे ही मिली। बातचीत इतनी सहज स्वाभाविक बातचीत रही कि लगा आमने-सामने बैठ कर बात कर रहे है। इस कार्यक्रम को तेजेश्री शेट्टी जी के तकनीकी सहयोग और माधुरी (केलकर) जी के सहयोग से वीणा (राय सिंहानी) जी ने प्रस्तुत किया।
सोमवार को पधारे रेणु (बंसल) जी और निम्मी (मिश्रा) जी. शुरूवात में राम सीता लक्ष्मण के बारे में बताया. काव्य की पंक्तियां भी कही गई. फिर सुनवा दी यह प्रार्थना -
तुम आशा विश्वास हमारे
बड़ा अजीब लगा सखियों का यह अनुरोध. अरे भई धार्मिक पर्व धार्मिक श्रद्धा से मनाओ, कोई भक्ति गीत का अनुरोध कर सकते है. फिर लता जी को उनके जन्मदिन पर बधाई देते हुए उनका एक गीत सखियों के अनुरोध पर सुनवाया गया. एक श्रोता सखी का पत्र जिसने बताया विविध भारती बरसों से सुन रही है. कार्यक्रमों की तारीफ़ की और लता जी की काव्यात्मन तारीफ़ की और उनकी पसंद पर लता जी का एक और गीत सुनवा दिया गया. फिर सिलसिला चल पड़ा सखियों के अनुरोध पर लता जी के गीत सुनवाते हुए उनके बारे में बताते जाना। पूरा कर्यक्रम संगीत रूपक की तरह लगा जिसका आलेख और प्रस्तुति कमलेश (पाठक) जी की थी।
मंगलवार को पधारी सखियां मंजू द्विवेदी और सुनीता। शुरू में उन सखियों के नाम बताए जिनसे दशहरा की शुभकामनाओं के पत्र प्राप्त हुए। फिर बताया कि दीपावली आना यानि बरसात का समाप्त होना इसीलिए साफ़-सफ़ाई आवश्यक है।सही बात बता दी कि भारतीय त्यौहारों में जो भी किया जाता है वो सब जीवन से जुड़ा है जैसे विभिन्न मौसमी खान-पान, साफ़-सफ़ाई, मनोरंजन आदि। श्रोता सखि के पत्र के आधार पर सिनेमा में करिअर बनाने की जानकारी दी गई जैसा कि हर मंगलवार को करिअर की बात होती है। पत्र के आधार पर यह भी बताया कि करिअर के लिए एक साथ अधिक कोर्स भी करने पडते है। इस दिन हमेशा की तरह सखियो के अनुरोध पर गाने नए ही सुनवाए गए जैसे फ़िल्म जोधा अकबर और यह गीत -
ये इश्क हाय बैठे बिठाए जन्नत दिखाए
बुधवार को सखियाँ पधारीं - शहनाज़ (अख़्तरी) जी और सुधा जी। इस दिन स्वास्थ्य और सौन्दर्य संबंधी सलाह दी जाती है, नुस्ख़े बताए जाते है। इस दिन पुरानी अच्छी जानकारी दी गई, बताया गया - इज़राइल का मड पैक बहुत लाभदायक होता था जिसका उपयोग सौन्दर्य साम्राज्ञी क्लियोपेट्रा भी किया करती थी। इसी तरह लाभदायक घरेलु प्रसाधन सामग्री में कैसेलिया तेल, मिस्त्र का बकरी का दूध, बालों के लिए चीन की हरी पत्तियों की चाय शामिल है। इसके अलावा कई बार पढे-सुने गए नुस्के जैसे बेसन, मूँग की दाल, शहद आदि से फेस पैक बनाना बताया गया। इस दिन सखियों के अनुरोध पर कुछ पुराने लेकिन बहुत अच्छे गीत सुनवाए गए जैसे सफ़र, जुर्म, आनन्द फ़िल्म का यह गीत -
मैनें तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने
गुरूवार को भी पधारीं - शहनाज़ (अख़्तरी) जी और सुधा जी। इस दिन सबसे पहले ताज़ा ख़बर सुनाई - मन्नाडे जी को सर्व प्रतिष्ठित पुरस्कार दादा साहेब फ़ालके पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की सूचना देकर और उनके इस गीत से शुरूवात की जो सखियों की पसन्द से चुना गया -
यह रात भीगी-भीगी
इस दिन सफल महिलाओं के बारे में बताया जाता है। इस बार नोबुल पुरस्कार प्राप्त बरथा वाट सेटलर के बारे में बताया गया जो उपन्यासकार थी जिसने अपने साहित्य से शान्ति के प्रयास किए। उनके पूरे साहित्य के बारे में बताया गया। इस दिन नए पुराने गीत सुनवाए गए। अनुपमा फ़िल्म से -
धीरे-धीरे मचल ए दिले बेवफ़ा कोई आता है
नई फ़िल्म दिल से का गीत सुनवाया गया
इस कार्यक्रम की दो परिचय धुनें सुनवाई गई - एक तो रोज़ सुनी और एक विशेष धुन हैलो सहेली की शुक्रवार को सुनी।
सदाबहार नग़में कार्यक्रम में शनिवार को अभिनेता देवआनन्द को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएँ देते हुए उनकी ही फ़िल्मों के सदाबहार गीत सुनवाए गए। अलग-अलग मूड के अच्छे गीत चुने गए जैसे फ़न्टूश फ़िल्म से यह गीत -
दुःखी मन मेरे सुन मेरा कहना
हम दोनों फ़िल्म का प्रेरणादायक गीत - मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया
प्रेमपुजारी फ़िल्म का रोमांटिक गीत - फूलो के दल से दिल की कलम से तुझको लिखी रोज़ पाटी
जब प्यार किसी से होता है, नौ दो ग्यारह, गैम्बलर, गाईड फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
और रविवार को इस कार्यक्रम में गायक और संगीतकार हेमन्त कुमार की पुण्य तिथि पर उनके सदाबहार गीत सुनवाए गए। विभिन्न मूड के गीत शामिल थे -
गंगा आए कहां से गंगा जाए कहां रे
तुम्हें जो भी देख लेगा किसी का न हो सकेगा
ख़ामोशी, ब्लफ़ मास्टर, दूर का राही, बीस साल बाद फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
3:30 बजे नाट्य तरंग में शनिवार और रविवार को सामाजिक नाटक सुनवाया गया - हम तो भई सच बोलते है। इस मराठी मंच नाटक का हिन्दी रेडियो नाट्य रूपान्तर किया पुरूषोत्तम दारवेकर जी ने और जिसके निर्देशक है लोकेन्द्र शर्मा जी। मूल रूप से इस नाटक को लिखा है श्याम फ़ड़के ने। इसमें यह बताया गया है कि हम तो हमेशा सच बोलने वाले क्या वाकई सच बोलते है। 5000 की एक मोती की माला, पति-पत्नी और एक महिला, बस घूम रहा है नाटक। स्थिति को स्पष्ट करने के बजाय जैसे-तैसे निपटाना चाहते है। जीवन के एकदम करीब लगा नाटक।
शाम 4 से 5 बजे तक सुनवाया जाता है पिटारा कार्यक्रम जिसकी अपनी परिचय धुन है.
शुक्रवार को सुना कार्यक्रम पिटारे में पिटारा जिसमें वादक कलाकार जयन्तीलाल गोशर से रेणु जी की बातचीत सुनवाई गई। एक अच्छे कार्यक्रम को दुबारा सुनना अच्छा लगा। जैसा कि कार्यक्रम के शीर्षक से ही पता चलता है कि इसमें पिटारा में प्रसारित कार्यक्रमों में से चुनिंदा कार्यक्रमों को यहाँ दुबारा सुनवाय जाता है। बातचीत से पता चला कि जयन्तीलाल जी बहुमुखी प्रतिभा के कलाकार है और बाँसुरी से शुरू कर विभिन्न नए पुराने वाद्य जैसे बाँसुरी, मैन्डोलिन, रवाब, गिटार बहुत सरसता से बजाते है इसीलिए जिन फ़िल्मी गीतों में उन्होनें बजाया वो गीत भी लोकप्रिय है -
मैन्डोलिन पर गीत - तुझे देखा तो ये जाना सनम
रवाब पर - चप्पा चप्पा चरखा चले
बताया कि विभिन्न वाद्य सीख लेते है जैसे संगीतकार उत्तम सिंह के कहने पर रवाब बजाना सीखा। सुनकर लगा कि इस कलाकार में संगीत की गहराइयों में उतरने की कितनी ललक है, हालांकि बचपन से पिताजी आकाशवाणी के कलाकार होने से संगीत का माहौल तो रहा पर इस क्षेत्र में आगे बढने के लिए प्रोत्साहन नहीं मिला। इन रागों के अलग-अलग तारों की भी जानकारी दी। साथ ही सामान्य जानकारी भी मिली कि गायक जगजीत सिंह ने संगीत की दृष्टि से ग़ज़ल गायन में कई प्रयोग लिए। पुरानी फ़िल्म नागिन की लोकप्रिय धुन वास्तव में बीन नहीं है बल्कि संगीतकार कल्याण जी द्वारा सफ़ाई से बजाया गया क्ले वायलन है। एक बडी अच्छी बात बताई कि म्यूज़िक कंपोज़र और म्यूज़िक डायरेक्टर में अंतर है - कंपोज़र गाना कंपोज़ करता है जबकि डायरेक्टर फ़िल्म में सिचुएशन के अनुसार गाना तैयार करता है। पहले जब गानों के लिए संगीतकार और संगीत निर्देशक दो अलग शब्द कहे जाते थे तो मात्र इन्हें दो पर्याय शब्द ही समझा जाता था, अब हम भेद समझने लगेंगे।
जैसा कि अनुमान लगाया जा सकता है इस संगीतमय कार्यक्रम को वीणा राय सिंहानी जी के सहयोग से काँचन (प्रकाश संगीत) जी ने प्रस्तुत किया।
रविवार को यूथ एक्सप्रेस लेकर आए युनूस खान जी. शुरूवात में पूना फिल्म संस्थान के बलराम जी से बात की. अच्छी विस्तृत जानकारी मिली कि विभिन्न पाठ्यक्रम है पर केवल प्रवेश लेने से ही करिअर नहीं बनता, मेहनत करनी पढती है. वहां के ओमपुरी जैसे दिग्गजों के नाम लिए. एक ई-मेल के आधार पर ईंनजिनियरिंग में प्रवेश की तैयारी के बारे में बताया. सबसे बड़ी बात रैगिंग के बारे बताया और शिकायत के लिए हेल्पलाइन भी बताई. घडियों के बारे में जानकारी अच्छी लगी ख़ासकर पुरानी विभिन्न घडियों के बारे में. किताबों की दुनिया स्तम्भ में श्रोता के पत्र के अनुसार रविन्द्रनाथ टैगोर की चुनी हुई कहानियों पर वार्ता सुनवाई गई।
सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में स्तन कैंसर विषय पर टाटा मेमोरियल अस्पताल और शोध संस्थान के निदेशक डा आर ए बडवे से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत सुनवाई गई. बहुत अच्छी और विस्तृत जानकारी रही। बताया कि इलाज से कैंसर ठीक हो सकता है। पाँच साल तक दवाई लेनी है और बहुत अधिक ख़र्च भी नहीं है। 22-27 साल की उमर तक बच्चों का जन्म हो जाने कैंसर का खतरा नहीं रहता है। गाँव की महिलाओं में कम और शहर की महिलाओं में इस रोग का ख़तरा अधिक रहता है। इस रोग के लक्षण विभिन्न स्तर भी समझा कर बताए गए। इसे स्वाति (भंडारकर) जी के सहयोग से कमलेश (पाठक) जी ने प्रस्तुत किया।
बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेता जैकी श्रौफ़ से युनूस (खान) जी की बातचीत की पहली कड़ी प्रसारित हुई। पूरी बातचीत अच्छी रही जिसमें आरंभिक संघर्ष की बात बताई गई जिसमें माडलिंग जैसे काम भी किए गए। अनिल कपूर के साथ बहुत काम करने और अपने मधुर संबंधों की बात बताई। सुभाष घई के साथ अपने संबंध पर भी खुल कर बताया। यह सुन कर अजीब लगा कि विलन बनने आए थे और हीरो बन गए क्योंकि आमतौर पर इसका उल्टा होता है। हीरो, राम-लखन फ़िल्मों के गीत सुनवाए। अच्छी रही पहली कड़ी।
हैलो फ़रमाइश कार्यक्रम में शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बात की निम्मी (मिश्रा) जी ने. अलग अलग तरह के श्रोता थे जैसे कोई पढ़ता है तो कोई मिल में काम करता है. बातचीत से जानकारी भी अच्छी मिली जैसे उस्मानाबाद के श्रोता ने बताया की वहां माता के मंदिर में नवरात्र का मेला लगा है. सूरत और अन्य स्थानों से फोन आए. कुछ नई फ़िल्में और कुछ बीच के समय की फ़िल्में जैसे निकाह के इस गीत का अनुरोध किया। पुराने गीत भी अनुरोध पर सुनना अच्छा लगा जैसे -
गोरी चलो न हंस की चाल ज़माना दुश्मन है।
और समापन किया जय संतोषी माँ की आरती से -
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की
मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की अमरकान्त (दुबे) जी ने। नए गानों की भरमार थी। एकाध गीत तो बहुत ही धूम-धाम वाले थे। कयामत, किसना का शीर्षक गीत और यह गीत भी शामिल था -
यह तो सच है के भगवान है
बातचीत श्रोताओं से थोड़ा कम ही हुई। एक महिला ने तो बहुत ही कम बात की। छात्राओं ने बताया अपनी पढाई के बारे में। एक ख़ास बात, अमरकान्त जी को छोटे-छोटे बच्चे कुछ ज्यादा ही फोन करते है, जाने क्या राज़ है…
और गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने. इस दिन बातचीत अधिक खुल कर की श्रोताओं ने. अपनी खेती के काम के बारे में बताया तो एक श्रोता ने कहा कि वह विभिन्न अवसरों पर जैसे शिक्षक दिवस, फादर्स डे पर कार्यक्रम आयोजित करते है. एक महिला ने पुराने गीत का अनुरोध कर उसे गुनगुना कर सुनाया. इस दिन गानों में दशहरा और दीपावली दोनों का आनंद मिला. दोनों की बात करते हुए श्रोताओं के अनुरोध पर सुनवाया गया सरगम फिल्म से यह गीत -
रामजी की निकली सवारी
और शिरडी के साईंबाबा फिल्म का यह गीत -
दीपावली मनाई
इस कार्यक्रम को तेजेश्री शेट्टे जी के सहयोग से महादेव (चांडोल) जी ने प्रस्तुत किया.
हैलो सहेली और हैलो फरमाइश के तीनो दिन के प्रसारण के अंत में रिकार्डिंग का दिन और फोन नंबर बताए गए.
हैलो फ़रमाइश, यूथ एक्सप्रेस और आज के मेहमान कार्यक्रमों की अपनी परिचय धुन भी बजाई जाती है जो अच्छी है।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद सप्ताह भर फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए। हर दिन कार्यक्रम हंगामेदार रहा। नई फ़िल्में जैसे डू नाट डिस्टर्ब और वान्टेड के विज्ञापन सुन कर पुराने दिन याद आ गए। माहौल में हंगामा मचाने वाले गीत सुनवाए गए जैसे शुक्रवार को -
बिल्लो रानी
मकड़ी फ़िल्म का गीत भी शामिल था
शनिवार को शामिल फ़िल्मों में थी जिंदादिलि तो रविवार को सुनवाया गया -
देखो 2000 ज़माना आ गया
इसके अलावा कर्ज, आंखो में सपने लिए जैसी फिल्में भी शामिल रही. सोमवार को लक, गोलमाल रिटर्न जैसी फ़िल्में शामिल रही। मंगलवार को पिछले समय की फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए जैसे विरासत, नील एण्ड निक्की, रब ने बना दी जोड़ी का यह शीर्षक गीत -
तुझ में रब दिखता है यारा मैं क्या करूँ
बुधवार को सुनवाए गए नए फ़िल्मी गीतों में कच्ची सड़क, तक्षक जैसी फ़िल्में शामिल रही और गुरूवार को द टू मैं मर्डर और तुम सा नहीं देखा फिल्में शामिल थी।
फ़िल्मी हंगामा के बाद 5:30 से क्षेत्रीय प्रसारण शुरू हो जाता है फिर हम 7 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।
सबसे नए तीन पन्ने :
Friday, October 2, 2009
दोपहर बाद के ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 1-10-09
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