सप्ताह भर सुबह पहले प्रसारण की शुरूवात परम्परा के अनुसार संकेत धुन से हुई जिसके बाद वन्देमातरम फिर बताए गए दिन और तिथि, संवत्सर तिथि भी बताई गई जिसके बाद मंगल ध्वनि सुनवाई गई। मंगल ध्वनि के बाद दीपावली के दिन तमसो माँ ज्योतिर्गमयी श्लोक से शुभकामनाएँ दी गई और दीपावली के दूसरे दिन व्यापारी वर्ग को नए वर्ष की शुभकामनाएँ दी गई। यह सभी क्षेत्रीय केंद्र से प्रसारित हुआ। इसके बाद 6 बजे दिल्ली से प्रसारित हुए समाचार, 5 मिनट के बुलेटिन के बाद मुम्बई से प्रसारण शुरू हुआ। कभी-कभार प्रसारण की शुरूवात प्रायोजकों के विज्ञापनों से होती रही जिसके बाद पहले कार्यक्रम वन्दनवार की शुरूवात मधुर संकेत धुन से हुई, फिर सुनाया गया चिंतन। शनिवार दीपावली के दिन शुभकामना देकर शुरूवात की।
चिंतन में गूढ़ विचार बताए जाते है जो आध्यात्म की उंचाइयो को छूते है और हर दिन जीवन दर्शन का एक पाठ पढाते है जैसे रामकृष्ण परमहंस का कथन कि अहंकार बार-बार सिर उठाता है, इसे भगवान का दास बना दो तथा एक अन्य कथन - मन को मारने से माया मरती है इसीलिए मोह से मन को मुक्त करने के लिए मन को मारे। स्वामी रामतीर्थ द्वारा बताया गया वेदान्त का कथन कि ईश्वर स्वयं में है जिसे अनुभव किया जाना है। स्वामी विवेकानन्द का कथन कि युवाओं का जोश सही दिशा में अपना असर दिखाए तो दुनिया की तक़दीर बदल सकता है। साहित्यकार जयशंकर प्रसाद का कथन - महत्वकांक्षा का मोती निष्ठुरता की सीपी में रहता है और शेक्सपियर का कथन - मेरे मुकुट का नाम संतोष है जो मेरे मन में रहता है।
अच्छी प्रस्तुति, संकलित करने योग्य।
वन्दनवार में विभिन्न रूपों के अच्छे भक्ति गीत सुनवाए गए। शुक्रवार को शुरूवात पारंपरिक आरती से हुई - ऊँ जय जगदीश हरे
फिर सुनवाया गया कीर्तन - गोविन्द जय जय गोपाल जय जय - जिसके बाद सुनवाए गए अन्य भक्ति गीत। शनिवार दीपावली को शुरूवात की आदि लक्ष्मी की स्तुति से -
जय जय जय मधुसूदन स्वामिनी
आदिलक्ष्मी जय पालयन माँ
साकार रूप के भक्ति गीत जैसे - पतित पावनी पाप नाशनी गंगा ओ गंगा मैय्या
निराकार रूप की भक्ति - सुमिरन कर ले मेरे मना
भक्तों के भक्ति गीत जैसे - जप ले हरि का नाम मेरे मन
शास्त्रीय पद्धति में ढले भक्ति गीत - राम सुमिरे राम सुमिरे
पुराने लोकप्रिय भजन भी शामिल रहे - निसदिन बरसत नैन हमारे
नया भजन भी सुनवाया गया - ऊँ जय श्री राधा जय श्री कृष्णा श्री कृष्णाय नमः
सप्ताह भर कार्यक्रम की प्रस्तुति के आलेख में वही बातें दोहराई गई - मानव मन जल के समान है, ईश्वर सर्वत्र है कहीं भी याद कर सकते है, आत्मबल आध्यात्मिकता से मिलता है जिसके लिए मन में बुरे विचार न आने दे, संतों की वाणी की भी चर्चा हुई। ख़ैर… सीमित विषय पर रोज़-रोज़ क्या आलेख लिखा जा सकता है…
कार्यक्रम का अंत देशगान से होता रहा। अच्छे देशभक्ति गीत सुनवाए गए, लोकप्रिय गीत जैसे -
चलो देश पर मर मिट जाए
भारत में सुख शान्ति भरो हे
मन हो निर्भय जहाँ
दीपावली के दिन देशगान भी इसी रंग में रंगा था - आओ सखि मिल मंगल गावे
यह गीत सप्ताह में दो बार सुनवाया गया तो अच्छा नहीं लगा -
ये भूमि हमारी वीरों की
हम हिन्दों की संतान है
हम भारत माँ की शान है
जबकि कई गीत ऐसे है जिन्हें लम्बे समय से नहीं सुना जैसे सुभद्रा कुमारी चौहान, निराला, सुमित्रा कुमारी सिन्हा की रचनाएँ।
6:30 बजे से क्षेत्रीय प्रसारण में तेलुगु भक्ति गीत सुनवाए गए जिसके बाद 6:55 को झरोका में केन्द्रीय और क्षेत्रीय प्रसारण की जानकारी तेलुगु भाषा में दी गई।
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम के दूसरे भाग से हम जुड़े जो प्रायोजित है जिसके विज्ञापन भी प्रसारित हुए। सप्ताह भर कम सुने, भूले-बिसरे गीत अधिक सुनवाए गए। मंगलवार को सभी गीत ऐसे ही थे। सप्ताह भर सुनवाए गए ऐसे गीतों में शामिल थे -
मैं सुहागन हूँ फ़िल्म से सुधा मल्होत्रा और आशा भोंसले की आवाज़ों में - ऐसी मुहब्बत हुई दोनों गए काम से
शमशाद बेगम का गाया फिल्म मेरा सलाम का यह गीत जिसकी तर्ज बनाई हफीज खां ने। इस संगीतकार का नाम शायद ही श्रोताओं ने सुना हो -
आग लगी शमा पे परवाना गिरा
परदेसी फ़िल्म का मन्नाडे का गाया गीत जो भजन की तरह है -
ये हिन्दुस्तान है प्यारे हमारी जान है प्यारे
यहाँ बड़े-बड़े है …
राम लखन कृष्ण कन्हाई
मुजरिम फ़िल्म का गीता दत्त और साथियों का गाया - चंदा चंदनी से जब चमके
हेमन्त कुमार की आवाज़ में - आँखें बरसती है बारहो महीने, इनके आगे बरसात क्या है
गूँज फ़िल्म से सुरैया की आवाज़ में -
चले जा रहे हो यूँ नज़रे झुकाए
हमें कुछ न कहना जो हम याद आए
कुछ ऐसे गाने भी सुने जिनके बारे में शायद बहुत से श्रोताओं को जानकारी नही जैसे कि रफ़ी साहब ने अमीरबाई कर्नाटकी के साथ बिखरे मोती फ़िल्म के लिए गाया है, अच्छा लगा यह युगल गीत सुनना।
हर दिन कुछ लोकप्रिय गीत भी सुनवाए गए -
रफ़ी साहब की आवाज़ में - ले लो ले लो दुआएँ माँ बाप की
मिर्जा गालिब का सुरैया का गाया यह गीत - आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
प्रकाश मेहरा और क़मर जलालाबादी का लिखा गीत - झंकार पायल की तोसे बिनती करे
पंचायत का गीता दत्त और लताजी का गाया गीत - ता थैय्या करके आना मोरे जादूगर मोरे सैंय्या
और यह लोकप्रिय गीत बहुत दिनों बाद सुनवाया गया - महफ़िल में जल उठी शमा परवाने के लिए
हर दिन कार्यक्रम का समापन कुंदनलाल सहगल के गीत से होता रहा। शनिवार को दीपावली का गीत सुनवाया गया तानसेन फिल्म से -
दिया जलाओ जगमग जगमग
इस तरह इस सप्ताह कार्यक्रम सुन कर लगा कि इसका शीर्षक सार्थक है।
इस कार्यक्रम में कुछ सामान्य जानकारी भी दी गई जो अच्छी लगी जैसे कुछ फिल्मों के रिलीज का वर्ष और बैनर बताया गया। एकाध बार उदघोषक ने अपना नाम भी बताया और उनके साथ कंट्रोल रूम और ड्यूटी रूम के साथियो के नाम भी बताए। यह जानकारी अगर हर प्रसारण में दी जाए तो अच्छा रहेगा, आख़िर हमें भी तो पता चलेगा कि हम तक यह प्रसारण कौन पहुँचा रहे है।
7:30 बजे संगीत सरिता में अच्छी शिक्षाप्रद श्रृंखला प्रसारित हुई - कौंस के प्रकार जिसमें आमंत्रित कलाकार थे विदुषी अश्विनी भेडे देशपाण्डे। बातचीत कर रहे थे अशोक (सोनामने) जी। इसमें चर्चा की गई कौंस के प्रकारों की। अच्छा समझा कर बताया गया कि मूल राग तो मालकौंस है जिसका प्राचीन ग्रन्थों में नाम है - मालव कौशिक। इसमें ॠषभ और पंचम स्वर पूरी तरह वर्जित है, इस तरह इस राग में पाँच स्वर ही है जिससे यह औड़व जाति का राग है। जब इन दोनों स्वरों को विशेष शैली में लिया जाता है तब सातों सुर होने से यह नया राग संपूर्ण मालकौंस कहलाता है। मालकौंस में निशाथ को शुद्द कर राग चन्द्रकौंस बनाया गया है, जो आजकल चल रहा है वह चन्द्रकौंस लगभग 80 वर्ष पुराना राग है। प्राचीन चन्द्रकौंस जिसे पुराना चन्द्रकौंस कहते है, इससे और राग बागेश्री से मिलकर बना बागेश्री कौंस। राग मधुवन्ती में निषाथ कोमल और ॠषभ वर्जित करने से बना राग मधुकौंस जो औड़व जाति का है। राग जोल में पंचम की जगह मध्यम लेने से बना जोल कौंस। कर्नाटक शैली के राग चारूकेशी से मध्यम लेकर बनाया गया चारूकौंस। विभिन्न रागों के चलन को गाकर बताया गया, बंदिशें भी सुनवाई गई जिसमें हारमोनियम पर संगत की सीमा शिरोडकार जी और तबले पर संगत की विश्वनाथ शिरोडकर जी ने। फिल्मी गीत भी सुनवाए गए -
चन्द्रकौंस - फ़िल्म स्वर्ण सुन्दरी - सुन लो सुन लो मेरी पुकार
राग मधुवन्ती और मधुकौंस दोनों रागों की झलक फ़िल्म देवदास फ़िल्म के इस गीत में - ओ री पिया
राग मधुवन्ती स्पष्ट दिखता है दिल की राहे फ़िल्म के गीत में - रस्में उल्फ़त को निभाए तो निभाए कैसे
जोलकौंस पर फ़िल्मी गीत की जगह भजन सुनवाया गया - निसदिन बरसत नैन हमारे
चारूकौंस की झलक - फ़िल्म प्यार का मौसम - तुम बिन जाऊँ कहाँ
इस श्रृंखला की प्रस्तुति कांचन (प्रकाश संगीत) जी की थी और इन्हीं की प्रस्तुति में आज से एक और श्रृंखला शुरू हुई - मेरी संगीत यात्रा जिसमें प्रख़्यात शास्त्रीय गायक पद्म विभूषण पंडित जसराज जी दे रहे है अपनी संगीत यात्रा की जानकारी। आपसे बात कर रहे है आपके बालसखा वल्लभ आश्रम के आचार्य श्री हरिप्रसाद जी। आज की पहली कड़ी में बताय गया कि जसराज जी का जन्म हरियाणा के गाँव में हुआ फिर तीन वर्ष की आयु में हैदराबाद आ गए और घर पर शुरू हुई संगीत की शिक्षा।
इस श्रृंखला का फिर से प्रसारण हो रहा है। पिछले वर्ष की सापताहिकी में इस श्रृंखला के बारे में मैं लिख चुकी हूँ।
7:45 को त्रिवेणी में शुक्रवार को एक विचार के बदले कुछ अच्छी बातें बताई गई कि दुःख में हम ईश्वर को याद करते है पर ईश्वर ने कभी हमसे यह नहीं कहा कि उसका प्रचार करो। सुनवाया गया यह गीत -
इतनी शक्ति हमें देना दाता
विशाल अख्ण्ड संस्कृति की बात हुई। प्रगति के लिए विचारों से आधुनिक बनने की सलाह दी गई और सुनवाया यह गीत -
कितने दिन आँखें तरसेगी -----
नया ज़माना आएगा
शनिवार को दीपावली के पारम्परिक रंग में रंगी थी त्रिवेणी। अच्छा आलेख था और गीत भी -
ज्योति कलश छलके
और बहुत दिन बाद जीवन ज्योति फ़िल्म का यह गीत सुनना अच्छा लगा -
जिस द्वारे पे घर की बहू रंगोली सजाती है
उस द्वारे के घर के अन्दर लक्ष्मी आती है
रविवार को भी दीवाली का रंग था, इस दिन विचार था - आतिशबाज़ी में ये न भूले कि हमारे आस-पास कई लोगों के जीवन में अँधेरा है। आलेख और गीत दोनों अच्छे रहे -
दिए जलाए प्यार के
दिए जलते है फूल खिलते है
सोमवार का विचार था - कोई काम छोटा नहीं होता, काम में ईमानदारी होनी चाहिए। बढिया आलेख और गाने भी अच्छे चुने गए, ऐसे काम से संबंधित जो छोटे काम माने जाते है -
करा ले साफ़ करा ले मेरी जाँ साफ़ करा ले
प्यारे कानों का ये मैल
और जानीवाकर का तेलमालिश का लोकप्रिय गीत।
मंगलवार का विचार था - मीठे बोल बोलो। आलेख के साथ गीत भी अच्छे रहे -
एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल
जग में रह जाएगें प्यारे तेरे बोल
बुधवार का विचार था - एकता में शक्ति है। अच्छे आलेख के साथ उपयुक्त गीत सुनवाए गए जैसे - हम साथ-साथ है
और आज का विचार था - सबका आदर करें किसी का अपमान न करें। आलेख में प्रेमचन्द की कहानी दो बैलों की कथा और उस पर आधारित फ़िल्म हीरा मोती का भी उल्लेख किया गया और गाने बढिया सुनवाए ख़ासकर पहला गीत। गायक का नाम नहीं बताया पर इतनी अच्छी गायकी लगा बैलों की ही आवाज़ है और कोशिश करने पर भी मुखड़े के बोल मैं लिख नहीं पाई। सुन्दर प्रयोग… अन्य गीत भी अच्छे थे जैसे हमराज़ फ़िल्म से -
न मुँह छुपा कि जिओ और न सर झुका के जिओ
इस तरह हर दिम की शुरूवात के लिए अच्छे प्रेरणादायी विचार रहे।
त्रिवेणी कार्यक्रम के बाद क्षेत्रीय प्रसारण तेलुगु भाषा में शुरू हो जाता है फिर हम दोपहर 12 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुडते है।
सबसे नए तीन पन्ने :
Thursday, October 22, 2009
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