आदरणिय पाठकगण,
अभी कुछ समय पहेले रेडियो श्रीलंका की वहाँ की ही रहेनेवाली वैसी निवृत पर केझ्यूल उद्दघोषिका श्रीमती पद्दमिनी परेरा एक लम्बे समय भारतमें घूम कर फ़िर सिलोन पहोँच कर रेडियो पर प्रवृत्त हुई । वे जब भारतमें थी, उस दौरान अपनी सुविधा अनुसार कई श्रोतालोगो से मिली (जिसमें मैं शामिल नहीं हूँ ।) और रेडियो श्रोता संधकी सभाओमें भी गयी और रेडियो श्रीलंका से जूडे कई पूराने लोगो से मिली । उनमें श्री गोपाल शर्माजी तो स्वाभावीक ही है पर श्री अमीन सायानी साहब से भी मिली और उनकी व्यस्तता होते हुए भी आगंतूक को उनकी और से प्राप्त होते हुए बहूमान के स्वानुभवसे बहोत ही प्रभावीत हुई और उनके साथ की गयी बातचीत की ध्वनि-मूद्री अपने साथ ले गयी जो दि. 21 अगस्त, 2009 की बात थी । और परसों यानि दि. 29 अक्तूबर, 2009 के दिन सुबह 8 बजे अपने नियमीत कार्यक्रम को स्थगीत करके उसके स्थान पर सुनवाई । हालाकी मैं रेकोर्ड तो नहीं कर सका । पर 1989 में सिलोन रेडियो से सिबाका गीतमाला के साप्ताहीक प्रसारण की समाप्ती के बाद कुछ समय श्री मनोहर महाजन द्वारा प्रस्तूत एक अगरबत्ती बनानेवालो द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमके दौरान उस उत्पादन के विज्ञापन तक करीब एक साल तक सीमीत रही थी । बादमें उनके जन्मदिन पर कुछ साल पहेले एक प्रायोजित कार्यक्रमकी पूरानी रेकोर्डिंग से सिर्फ शुरूके उद्दबोधन को ही प्रसारित किया गया था । तो यह तो एक चमत्कार जैसा ही लगा । रेडियो श्रीलंका से जूडे कई लोगोमें से सिर्फ़ कुछ ही लोगोने उस संस्था को प्यार और आदर से याद रख़ा है, उनमें श्री गोपाल शर्माजी, श्री अमीन सायानी सहब और उनके अलावा शी रिपूसूदन कूमार औलावादी और श्री मनोहर महाजन प्रमूख़ है ।
पद्द्मिनीजी और अमीन सायानी साहब को धन्यवाद और बधाई ।
पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत ।
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Friday, October 30, 2009
श्री अमीन सायानी साहब रेडियो श्री लंका से बोले करीब 20 साल बाद !
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PIYUSH MEHTA-SURAT
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अमीन सायानी,
पद्दमिनी परेरा,
पियुष महेता,
पियूष MEHTA,
रेडियो श्रीलंका
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9 comments:
रेडियो सिलोन सुनना अब मेरे लिए सिर्फ़ सपना बन कर रह गया है।
पीयूष जी आपसे अनुरोध है कि रेडियो सिलोन पर रोज़ क्या कार्यक्रम आते है और उनका समय कृपया यहाँ बताए, कम से कम यह जानकारी तो मिले।
हो सके तो दुबारा प्रसारित करवा कर अमीन सायनी साहब और पद्मिनी जी की यह रिकार्डिंग भी रिकार्ड कर सुनवा दीजिए।
श्रीमती अन्नपूर्णाजी,
नमस्कार,
आपकी राय मैनें अभी श्री अमीन सायानी साहब तक़ ई मेईल के ज़रिये पहोँचायी है । और कभी पद्दमिनीजीसे उनके मोबाईल पर सम्पर्क होगा तो उनको भी पहोँचाउँगा जरूर । पर आप भी खूद एक बार उनके मोबाईल नं 009478340195 पर दिनमें 10 से 12 के बीच सम्पर्क करेगी (बृहस्पतिवार ज्यादा सही रहेगा ।) तो उनका प्रभाव तो एक और रेडियो श्रीलंका के चाहक के हिसाबसे बढ़ेगा ही बढ़ेगा । एक बात तो सही ही है कि मैं विविध भारती और रेडियो श्रीलंका दोनों का बचपन से श्रोता रहा हूँ । पर पत्र लिख़नेकी या फोन - इन कार्यक्रममें हिस्सा लेनेकी सक्रियता पहेले विविध भारती से शुरू हुई और श्रीलंका पर सीधे सम्पर्क की बात बादमें हुई । पर यह हक़ीकत है कि श्रीलंका पर सक्रिय होने के बाद देशके लोगोने मेरा सम्पर्क करना शुरू किया । इस टिपणी लिख़ते समय ही श्री अमीन सायानी साहब के कार्यालय से उनके सुपुत्र श्री राजिलजी से प्रत्यूत्तर प्राप्त हुआ है । तो आपकी टिपणी वे श्री अमीन सायानी साहब को पहोँचा देगे ।
पियुष महेता ।
सुरत-395001.
विविध भारती तो सुनता रहता हूँ, लेकिन सीलोन छूट गया है।
कोई बता सकेगा कि यह किसी आधुनिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है क्या?
बी एस पाबला
आदरणिय श्री पाबला साहब,
सत श्री अकाल और नमस्कार,
मेरे यहाँ जब वल्ड स्पेश की शुरूआत थी तब उसमें ही जूडा हुआ लधू-तरंग, मध्यम तरंग और फ़्रिक़्वंसी मोड्यूलेसन वाला रेडियो डिज़ीटल है पर और कहाँ तक मैं उसी पर सुनता था पर स्थानिय परिस्थिती इस तरह हुई कि स्थानिय विध्यूत उपकरणो के ज्यादा उपयोग के कारण रेडियोमें अतिरिक्त आवाझ मूल आवाझ से ज्यादा सुनाई पडने लगी । तब एक रेडियो चाईना मेईड सिर्फ़ 175 रूपयेमें सामने आया जो बिल पर नहीं मिल पाता है । और उसमें शॉर्ट वेव के 8 बेन्ड (स्प्रेड) के अलावा मिडीयम वेव, एफ एम, और स्थानिय दूर दर्शन सह प्रसारण को सिर्फ़ श्राव्य रूपमें पकड सकता है, ले आया । और अच्छी बात यह है कि सिर्फ़ दो छोटे पेंसील कोष पर चलता है और आप चार्जर के साथ पुन: सक्रिय किये जाने वाले कोष का भी इस्तेमाल कर सकते है । और अगर नोन रि-चार्जेबल सेल का उपयोग करना चाहे तो अभी पेनेसोनिक-नोविनो सेल का नया संस्करण सिर्फ़ 5 रूपये प्रति सेल है । तो उससे दिस्ट्रबंस पूरा जायेगा तो नहीं और एफ एम जैसा पूरा तो नहीं होगा पर काफ़ी कम होगा और अगर हो सके तो रेडियो को कोई स्टील बोडी वाली चीज़ पर , जैसे माईक्रो-वेव (बंध स्थितीमें) या फ्रीझ पर रख़ कर बजा सकते है । और अगर डि टी एच या केबल कनेक्सन हो तो उस के एन्टेना केबल के नझदीक इस रेडियो का इन बिल्ट एंटेना को एक्ष्टेन्ड करके रख़ सकते है या इस रेडियो एंटेना से एक अतिरीक्त एन्टेना वायर जोड़ कर घर की बारी के बाहर या टेरेस तक लम्बा कर सकते है । तो अगर सिग्नल्स थोडे हवामान या अन्य कारण से वीक होगे तो भी थोड़ी सुविधा होगी । अगर सिग्नल जनरेसन पूरी शक्ती वाला होगा तो यह सब किये बिना ही आप 25 मीतर बेन्ड पर 110905 मेगा हट्झ पर का कभी कबी 41 मीटर बेन्ड पर 11.709 मेगा हट्झ पर पायेंगे ।
पियुष महेता (सुरत)
आज के रेडियो स्टेशनों से अमीन सायानी साहब को अब नियमित न सुन पाना यूं लगता लगता है कि किसी हलवाई ने अपनी सबसे मशहूर मिठाई बनाना छोड़ जूते गांठने की दुकान खोल ली हो...
श्री पाब्लाजी,
एक उन्ग्ली सरकने की भूल का सुधार कर रहा हूँ जो आप की नझरमें आ ही गया होगा । 25 मीटर की कम्प संख्या 11.905 है वहाँ . की जगह गलती से 0 हो गया था और 41 मीटर पर 7.190 मेगा हट्झ है । पर ज्यादा तर दिमागमें वह 25 मीटर वाली 11.905 है तो भूल में भी इसी अनुसंधान की गलती हुई ।
आप तो हेम रेडियो से जूडे है तो वह तो मूझसे काफ़ी आगे होने की बात है । आप के लेख़ पढे थे और शायद एक में अपनी हेसियत के मुताबीक ही बिलकूल छोटी टीपणी भी लिख़ी थी ।
श्री काजल कूमारजी, अमीन साहब की आवाझ तो विविध भारती पर हररोझ सुनने को मिलती ही है, 'आप सुन रहे है विविध भारती' या 'ये आकाशवाणीका प्रसारणॅ है विविध भारती' या 'ये है विविध भारती' जैसी पूर्व ध्वनि-मूद्रीत सुचना के रूपमें या आकशवाणी के विज्ञापन प्रसारण सेवा के विज्ञापनमें । पर इसमें हररोझ या हर हप्ते आने वाली नये नयी बात नहीं होती है । इस हिसाबसे आपकी बात सही ही है । और विविध भारती की विज्ञापन प्रसारण सेवाने कभी कितनी भी प्रगती की हो पर इसका एक नकारात्मक असर यह हुआ कि जब रेडियो सिलोन से ये सब पूराने लोग सक्रिय थे , वे एक साथ पूरे देशमें पहोंचते थे, जबकि विविध भारती पर इन लोगो के कार्यक्रम ज्यादा तर स्थानिय रूप से होने के कारण वे जैसे देश की जगह शहरों में सिमट गये । आज सिर्फ़ और सिर्फ़ अमीन सायानी साहब की ही आवाझ उपर लिख़ने के मुताबिक ही सही राष्ट्रीय फलक पर सुननेको मिलती है ।
PIYUSH MEHTA
પિયુષ મહેતા
पियुष महेता (सुरत)।
फोन नं : 0261-2462789
मोबाईल :+91-9898076606 ,
+91-9429859536
namste achanak hi AMIN JI KI YAD aana
apne bachapan ko apne aap dularane jaisa lagta haih.unki awaj ki nakal karne ki koshish karna ...whah ham suraj shune ki koshish karte the.
Ashutosh
namste pranaam ameen ji ki hum haameshaa yaad karte rahte haiunki awaaz ke to hum binaka geetmala ko sun sun sun ker bachpan se jawan aur ab 65 ke kareeb pahunch rahe hai phir bhibas unki awwz bas kno me gunjati rahti hai.bahot hi achhaa lagta hai saath hi manohar mahajaan ji,gopal sharmaji ripu sudan allabadi vijaylaxmi diserum sub ki yaad ati hai.
namste pranaam ameen ji ki hum haameshaa yaad karte rahte haiunki awaaz ke to hum binaka geetmala ko sun sun sun ker bachpan se jawan aur ab 65 ke kareeb pahunch rahe hai phir bhibas unki awwz bas kno me gunjati rahti hai.bahot hi achhaa lagta hai saath hi manohar mahajaan ji,gopal sharmaji ripu sudan allabadi vijaylaxmi diserum sub ki yaad ati hai.
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