दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।
4 अप्रैल से कुछ कार्यक्रमों में परिवर्तन किया गया हैं, इस प्रसारण में कार्यक्रमों और प्रस्तुतकर्ताओ में परिवर्तन नजर आया। रविवार को रात में आधे घंटे के लिए प्रसारित होने वाले उजाले उनकी यादो के कार्यक्रम का प्रसारण समय बढ़ा कर एक घंटा कर दिया गया हैं और समय बदल कर शाम 4 बजे कर दिया गया हैं जहां पहले यूथ एक्सप्रेस प्रसारित होता था। इसके अलावा शाम 5:05 पर प्रसारित होने वाले नए फिल्मी गीतों के कार्यक्रम फिल्मी हंगामा की जगह अब गाने सुहाने कार्यक्रम प्रसारित हो रहा हैं जिसमे अस्सी के दशक के गीत सुनवाए जा रहे हैं।
3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम हैलो सहेली। फोन पर सखियों से बातचीत की रेणु (बंसल) जी ने। विभिन्न क्षेत्रो जैसे बिहार, इलाहाबाद के शहर, गाँव, जिलो से फोन आए। एक गाँव की सखि ने बताया कि उसके गाँव में स्कूल हैं पर कालेज के लिए दूर जाना पढ़ता हैं, उसने आगे पढाई कर अपना करिअर बनाने की बात कही। शाहजहाँपुर से एक किसान परिवार की सखि ने बात की और खेत-खलिहान की चर्चा की। सिलाई का काम करने वाली सखि ने अपने काम के बारे में बताया। एक घरेलु महिला ने बात की, उसे शायद घरेलु होने और कुछ काम न करने का मलाल था जिस पर रेणु जी ने एक पाठ पढ़ा दिया, अच्छी लगी यह बातचीत। एक सखि ने उस दिन जया बच्चन के जन्मदिन पर उन्हें बधाई देते हुए मिली फिल्म के गीत की फरमाइश की। सखियों ने विविध भारती के कार्यक्रमों को पसंद करने की भी बात कही। सखियों की पसंद पर नए-पुराने विभिन्न मूड के गाने सुनवाए गए। नए गीत भी शामिल रहे और पुराने गीत भी -
तू इस तरह से मेरी जिन्दगी में शामिल हैं (फिल्म आप तो ऐसे न थे)
तारो की जुबां पर हैं मोहब्बत की कहानी (बहुत पुरानी फिल्म नौशेरवानेआदिल)
इस कार्यक्रम को रीता (गोम्स) जी के तकनीकी सहयोग से कमलेश (पाठक) जी ने प्रस्तुत किया और प्रस्तुति सहयोग रमेश (गोखले) जी का रहा। फोन कालो का संयोजन अच्छा रहा, विभिन्न क्षेत्रो से विभिन्न विचारों का पता चला। अच्छी प्रस्तुति के लिए पूरी टीम को धन्यवाद।
सोमवार और मंगलवार को इस कार्यक्रम की प्रस्तुति में भी परिवर्तन नजर आया। सखि-सहेली कार्यक्रम जब शुरू हुआ था तब कांचन (प्रकाश संगीत) जी की लिखी झलकियाँ सुनवाई जाती थी जो बाद में बंद कर दी गई, अब फिर से सुनवाई जा रही हैं।
सोमवार को पधारे राजुल (अशोक) जी और चंचल (वर्मा) जी। यह दिन रसोई का होता है, इस दिन बात हुई आम की। व्यंजन बताया गया - बिना तेल का आम का अचार जिसे बताने आई सखी देवी (कुमार) जी और बताया कि यह उनके स्थान केरल की विधि हैं। बिना तेल का आम का अचार यहाँ हैदराबाद में भी बहुत बनाते हैं, हम भी अक्सर बना लेते हैं।
इस दिन एक झलकी सुनवाई गई जिसमे कांचन जी के साथ अमरकांत (दुबे) जी ने भाग लिया। अच्छी रही झलकी, पति-पत्नी की नोक-झोक से मनोरंजन भी अच्छा हुआ और सन्देश भी अच्छा था कि एक दूसरे की पसंद का सम्मान करना चाहिए।
सखियों की पसंद पर पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए - बाबुल. नया दौर, दिल्लगी फिल्मो के गीत और यह गीत -
कभी आर कभी पार लागा तीरे नजर
मंगलवार को पधारी सखियां शहनाज (अख्तरी) जी और उन्नति जी। यह करिअर का दिन होता है। इस दिन फोटो जर्नलिस्ट बनने के लिए जानकारी दी गई।
हमेशा की तरह सखियो के अनुरोध पर गाने नए ही सुनवाए गए जैसे मुस्कान, ग़दर - एक प्रेम कथा, रब ने बना दी जोडी, बागबान फिल्मो के गीत और यह सखियों का गीत - ससुराल गेंदा फूल
इस दिन सखियों के अनुरोध पर पानी के बचत पर झलकी - सुंदरिया और बंदरिया फिर से सुनवाई गई।
बुधवार को सखियाँ पधारीं - राजुल (अशोक) जी और चंचल (वर्मा) जी। इस दिन स्वास्थ्य और सौन्दर्य संबंधी सलाह दी जाती है्। श्रोता सखियों द्वारा भेजे गए नुस्के बताए गए जैसे सुन्दरता के लिए दही का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए चुकंदर का सेवन। श्रोता सखियों की फरमाइश पर कुछ पुराने समय के लोकप्रिय गीत इन फिल्मो से सुनवाए गए - आराधना, ख़ूबसूरत, राम तेरी गंगा मैली, आवारगी, मुद्दत और फिल्म चोर मचाए शोर के इस गीत के लिए बहुत दिनों बाद फरमाइश आई -
आगरे का घाघरा मंगवा दे रसिया
मैं तो मेला देखने जाउंगी
इस दिन आम्बेडकर जयंती के अवसर पर बताया कि अमेरिका में जहां बाबा साहेब ने शिक्षा ली थी, वही उसी विषय का विभाग शुरू किया गया हैं।
गुरूवार को सखियाँ पधारी शहनाज (अख्तरी) जी और कांचन (प्रकाश संगीत) जी। इस दिन सफल महिलाओं के बारे में बताया जाता है। इस दिन भारत की पहली महिला फोटोग्राफर होमाई यारावाला के बारे में बताया गया। सखियों के अनुरोध पर लोकप्रय गीत सुनवाए चितचोर, मेरा नाम जोकर, गोदान, दुल्हन वही जो पिया मन भाए, जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली का शीर्षक गीत और यह मौसम के अनुसार गीत -
धूप में निकला न करो रूप की रानी गोरा रंग काला न पड़ जाए
और यह नया गीत - कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना
हर दिन श्रोता सखियों के पत्र पढे गए। कुछ पत्रों में कार्यक्रमों की तारीफ़ थी, कुछ सखियों ने अच्छे विचार भी भेजे जैसे जीवन में अपना लक्ष्य निर्धारित करे। राजस्थान की मरू भूमि के जन-जीवन की झलक मिली।
इस कार्यक्रम की दो परिचय धुनें सुनवाई गई - एक तो रोज़ सुनी और एक विशेष धुन हैलो सहेली की शुक्रवार को सुनी। इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया कांचन (प्रकाश संगीत) जी ने।
शनिवार और रविवार को प्रस्तुत हुआ सदाबहार नग़में कार्यक्रम जिसमे अच्छे सदाबहार नगमे सुनने को मिले -फिल्म आओ प्यार करे, गैम्बलर फिल्म से चूड़ी नही मेरा दिल हैं, संगम फिल्म से हर दिल जो प्यार करेगा, बहारे फिर भी आएगी फिल्म का शीर्षक गीत।
3:30 बजे नाट्य तरंग कार्यक्रम में शनिवार और रविवार को दो भागो में ग्रीक नाटक का सुरेन्द्र तिवारी द्वारा किया गया हिन्दी अनुवाद सुनवाया गया - एक और राजा। जुआ खेलने और हारने की कहानी हैं। अच्छा उद्येश्यपूर्ण नाटक रहा। निर्देशक है दीनानाथ। दिल्ली केन्द्र की प्रस्तुति।
शाम 4 से 5 बजे तक सुनवाया जाता है पिटारा कार्यक्रम जिसकी अपनी परिचय धुन है और हर कार्यक्रम की अलग परिचय धुन है।
शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम सरगम के सितारे जिसमे सितारे रहे ख्यात पार्श्व गायक भूपेन्द्र सिंह जिनसे बातचीत की रेणु (बंसल) जी ने और परिचय दिया युनूस (खान) जी ने। बचपन से शुरूवात की, बताया पिता संगीत शिक्षक हैं और बचपन में उन्ही से सीखा। मुम्बई में आने के बाद गिटार बजाना शुरू किया और अलग-अलग तरह के गिटार बजाए। पहला गीत हकीकत फिल्म से होके मजबूर मुझे फिर चेतन आनद के साथ आखिरी ख़त फिल्म फिर देव आनंद की फिल्म के लोकप्रिय गीत दम मारो दम में आरंभिक गिटार की बीट दी। आर डी बर्मन से दोस्ती, उनके साथ काम की चर्चा की, गजले निकालने की भी बात हुई। रेणुजी ने सामान्य बातचीत भी की जैसे पहले और अब की संगीत शिक्षा। अच्छी रही बातचीत जो अगले सप्ताह भी जारी रहेगी। इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया कल्पना (शेट्टी) जी ने।
रविवार की युनूस (खान) जी की गड्डी यूथ एक्सप्रेस अब ब्राडगेज से मीटरगेज हो गई। युवा श्रोता अब अपनी जिज्ञासा 15 मिनट में शांत कर लेगे जिसकी चर्चा अगले चिट्ठे में...
इस समय प्रसारित हुआ कार्यक्रम उजाले उनकी यादो के जिसमे पटकथा लेखन की ख्यात जोडी सलीम-जावेद के सलीम खान से युनूस (खान) जी की बातचीत की एक कड़ी सुनवाई गई। शुरूवात में पिछली कड़ी का अंश सुनवाया गया जिससे निरंतरता बनी रही। यह भी शुरूवाती कड़ी ही हैं। इसमे बताया कि पहले से ही मुकेश और रफी साहब पसंद हैं। अपने पहले प्यार को याद किया। यह सब इंदौर की बाते रही। मुम्बई आए और शुरू हुई अभिनय यात्रा। बरात, रामू दादा, लुटेरा, तीसरी मंजिल और बचपन फिल्म में अभिनय किया, यह सब पुरानी फिल्मे हैं पर तीसरी मंजिल बहुतो ने देखी हैं, वैसे उन्होंने कहा भी था कि छोटे रोल किए हैं, अगर युनूस जी इस फिल्म में उनके सीन के बारे में पूछते, तो उनके अभिनय की झलक मिल जाती।
बचपन फिल्म का गीत भी सुनवाया -
मुझे तुमसे मोहब्बत हैं मगर मैं कह नही सकता
यह जानकारी मेरे जैसे कई श्रोताओं के लिए नई हैं। उन पर फिल्माया यह गीत सरदार मालिक का हैं इस तरह उन्हें याद किया।
फिर अभिनय बंद हुआ और लिखना शुरू - पहली फिल्म लिखी दो भाई। पहले अकेले ही लिखते रहे। एक बात बड़ी अच्छी बताई - लिखने के लिए खूब पढ़ना चाहिए और उन्हें यह आदत इंदौर से ही हैं। साथ काम के पलो को याद करते हुए संगीतकार जोडी के प्यारेलाल जी को याद किया और नाम फिल्म का गीत सुनवाया। जोडी टूटने यानी जावेद साहब से अलग होने के कुछ पलो को भी याद किया। अपने रेडियो के शौक के बारे में बताया कि उनके पास तरह-तरह के पुरानी तकनीक के रेडियो हैं। अगले सप्ताह भी बातचीत जारी रहेगी जिसकी झलक अंत में सुनवाई जिसमे जंजीर फिल्म की चर्चा हैं। इस रोचक बातचीत के रिकार्डिंग इंजीनियर हैं - मंगेश (सांगले) जी और जे पी (महाजन ) जी, कार्यक्रम की प्रस्तुतकर्ता हैं कल्पना (शेट्टी) जी।
सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में डा निशा अहमद से रेणु (बंसल) जी की बातचीत सुनवाई गई, विषय रहा - पैथालोजी (रोग विज्ञान) और हमारा शरीर। हम सभी जानते हैं कि ब्लड, शुगर जैसे कई तरह के टेस्ट करवाए जाते हैं, इस पर विस्तार से बताया गया कि टेस्ट क्यों कराए जाते हैं, कैसे कराए जाते हैं और यह बताया कि कुछ रोग ऐसे भी हैं जैसे ब्रेन ट्यूमर जिसका पता टेस्ट से नही चलता। इस जानकारीपूर्ण कार्यक्रम की प्रस्तुतकर्ता हैं कमलेश (पाठक) जी।
बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में चरित्र अभिनेता, लेखक और निर्देशक सौरभ शुक्ला से कमल (शर्मा) जी की बातचीत सुनवाई गई। यह दूसरी और अंतिम कड़ी थी। कई मुद्दों पर प्रकाश डाला गया। सौरभ जी ने स्टेज और सिनेमा के फर्क को अपने अनुभव के आधार पर परिभाषित किया। बैंडिट क्वीन और स्लमडॉग के निर्माण के अनुभव बताए जिससे भारतीय और विदेशी निर्देशन का अंदाजा हुआ। ईरानी फिल्मो की भी चर्चा हुई। अपने आरंभिक दौर टेलीविजन की चर्चा की। विमल राय, गुरूदत्त, व्ही शांताराम को अपनी प्रेरणा बताया। चेतन आनद के साथ हुए चर्चा के पल याद किए। इस रोचक बातचीत ने विभिन्न पहलु छुए। प्रस्तुति कमलेश (पाठक) जी की रही।
हैलो फ़रमाइश कार्यक्रम में शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बात की रेणु (बंसल) जी ने। पहला फोन काल आया पंजाब से और छा गया बैसाखी का रंग। अनुरोध पर आई बैसाखी गीत सुनवाया गया। विभिन्न क्षेत्रो से फोन आए जैसे असम और लोकल काल भी थे। ऐसे श्रोताओं ने भी फोन किया जो काम करने के लिए गाँव से मुम्बई आए हैं। एक युवा ने बताया वह पढ़ते भी हैं और खेती भी करते हैं। पढाई के बाद नौकरी न मिलने पर खेती करेगे। कुछ श्रोताओं ने अपने काम के बारे में भी बताया जैसे सिलाई का काम। एक रिटायर्ड प्रोफ़ेसर साहब ने बात की, दूकान चलाने वालो ने भी बात की यानी अलग-अलग तरह के श्रोताओं से बात हुई। सब की पसंद पर गाने अलग-अलग तरह के नए पुराने गीत सुनवाए जैसे हाथी मेरे साथी और यह गीत -
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं
कार्यक्रम को प्रस्तुत किया महादेव (जगदाले) जी ने। तकनीकी सहयोग सुधाकर (मटकर) जी और प्रस्तुति सहयोग झरना (सोलंकी) जी का रहा।
मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने। अलग-अलग तरह की बातचीत अच्छी लगी। श्रोताओं से बातचीत से पता चला रायपुर में गरमी बहुत हैं, कश्मीर में अभी भी ठण्ड हैं। एक छात्र ने सीधे सपाट कहा कि वह रेडियो टाईमपास के लिए सुनता हैं। विभिन्न स्थानों से फोन आए और नए पुराने गीत उनके अनुरोध पर सुनवाए गए। गोरेगांव के श्रोता ने कहा गुमराह फिल्म उनके जीवन के करीब हैं और सुनवाया यह गीत -
इन हवाओं में इन फिजाओं में तुझको मेरा प्यार पुकारे
कुरूक्षेत्र से घरेलु महिला, सतारा से छात्र ने फोन किया। अंकुश फिल्म की प्रार्थना, देशा भक्ति गीत क्रान्ति फिल्म से और नए गीत भी सुनवाए गए।
कार्यक्रम को प्रस्तुत किया वीणा (राय सिंघानी) जी ने। तकनीकी सहयोग तेजेश्री (शेट्टी) जी और प्रस्तुति सहयोग परिणीता (नाईक) जी का रहा।
गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की युनूस (खान) जी ने। विभिन्न स्थानों से फोन आए जैसे बिहार, छत्तीसगढ़, भोपाल का गाँव। अलग-अलग क्षेत्र के श्रोताओं ने बात की - छात्र, दुकानदार। कोई ख़ास संजीदा बातचीत नही हुई, हलकी-फुल्की चर्चाएँ रही पर पूरा कार्यक्रम रोचक रहा। एक श्रोता ने कर्ज फिल्म के गीत की फरमाइश की - तू कितने बरस का
जब युनूस जी ने उनकी उम्र पूछी तो कम बताई तब युनूस जी ने कहा कि आवाज से उमर बड़ी लग रही हैं..... हो सकता हैं युनूस जी यह श्रोता विज्ञापन के उसी सौन्दर्य साबुन का उपयोग करते होगे जिससे उनकी उम्र का पता ही नही चलता। मजा आ गया, ऐसे रोचक काल होने चाहिए। लगभग सभी श्रोताओं ने रोमांटिक गीतों की फरमाइश की... शायद युनूस जी से बातचीत का असर रहा.... गाने नए पुराने सभी शामिल थे - पुरानी फिल्म अप्रैल फूल, कुछ पुरानी फिल्म प्रेम रोग का शीर्षक गीत, नई फिल्म बागबान।
कार्यक्रम को प्रस्तुत किया महादेव (जगदाले) जी ने। तकनीकी सहयोग मंगेश (सांगले) जी और प्रस्तुति सहयोग रमेश (गोखले) जी का रहा।
तीनो ही कार्यक्रमों में श्रोताओं ने विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों को पसंद करने की बात बताई। कुछ श्रोताओ ने बहुत ही कम बात की।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद नए फिल्मी गीतों के कार्यक्रम फिल्मी हंगामा की जगह गाने सुहाने कार्यक्रम प्रसारित हुआ जिसमे अस्सी के दशक के गीत सुनवाए गए। फिल्मी हंगामा भी अच्छा था, यह थोड़ा ज्यादा अच्छा हैं।
शुक्रवार को शहनाज (अख्तरी) जी सुनवाने आई लोकप्रिय विविध गीत - शौकीन, अगर तुम न होते फिल्म का शीर्षक गीत, अर्थ फिल्म की गजल और बेताब फिल्म का यह रोमांटिक गीत - जब हम जवां होगे
शनिवार को राजुल (अशोक) जी ने सुनवाए बढ़िया रोमांटिक गीत - अवतार, रजिया सुलतान, रिश्ता कागज़ का और स्वीकार किया मैंने फिल्म का यह गीत -
चाँद के पास जो सितारा हैं वो सितारा हसीं लगता हैं
रविवार को अजेन्द्र (जोशी) जी ने सुनवाए वो सात दिन, सोहनी महिवाल फिल्मो के गीतों के साथ यह गीत भी - शाम हुई घिर आई रे बदरिया
सोमवार को राजुल (अशोक) जी ने सुनवाया यह नाजुक सा गीत - हुजुर इस क़दर भी न इतरा के चलिए
इसके अलावा मैंने प्यार किया, फासले और हीरो फिल्मो के गीत सुनवाए।
मंगलवार को शहनाज (अख्तरी) जी ने जो गीत सुनवाए उसमे फासले, रिश्ता कागज़ का फिल्मे शामिल रही। फासले फिल्म से लगातार दो दिन गीत सुनना ठीक नही लगा, हालांकि गाने अलग थे।
बुधवार को राजुल (अशोक) जी ने जिन फिल्मो के गीत सुनवाए उनमे अर्जुन, राजतिलक फिल्मे शामिल थी।
गुरूवार को शहनाज (अख्तरी) जी ने शुरू में दो ऐसे गीत सुनवाए को पहले बहुत सुनवाए जाते थे फिर रेडियो से यह गीत गायब हो गए थे और इस दिन सुनने को मिले - फिल्म साजन की सहेली का शीर्षक गीत और फिल्म नाखुदा का रोमांटिक गीत।
इस कार्यक्रम में पहले गीत के बाद लगातार लगभग 5-6 मिनट तक नई फिल्मो के विज्ञापन प्रसारित हुए। शेष गीत सुनवाते समय भी बीच-बीच में एकाध विज्ञापन प्रसारित हुए।
पूरी सभा में प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। दूरदर्शन के कार्यक्रमों के भी विज्ञापन थे।
शाम 5:30 बजे फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम की समाप्ति के बाद क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है, फिर हम शाम बाद के प्रसारण के लिए 7 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।
सबसे नए तीन पन्ने :
Friday, April 16, 2010
दोपहर बाद के जानकारीपूर्ण कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 15-4-10
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