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Friday, April 30, 2010

रात के सुकून भरे कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 29-4-10

रात में हवामहल कार्यक्रम के बाद 8:15 बजे से क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है फिर हम 9 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

4 अप्रैल से कार्यक्रमों में हुए परिवर्तनों से यह सभा भी प्रभावित रही। 9 बजे के ग़ैर फ़िल्मी रचनाओं के कार्यक्रम गुलदस्ता के स्थान पर अब हिट सुपर हिट कार्यक्रम का प्रसारण हो रहा हैं।

शुक्रवार और बुधवार को यह कार्यक्रम केवल 15 मिनट ही सुनने को मिला। 15 मिनट के लिए क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ जो हिन्दी में था।

शुक्रवार को यह कार्यक्रम केन्द्रित रहा अभिनेत्री डिम्पल कपाडिया पर। क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम के कारण हम शुरू में 15 मिनट ही यह कार्यक्रम सुन पाए। सुन कर लगा अभिनेत्री डिम्पल कपाडिया के बारे में ठीक से जानकारी नही हैं। उन्हें अस्सी के दशक की अभिनेत्री बताया गया जबकि डिम्पल सत्तर के दशक की सनसनीखेज नायिका हैं। बौबी फिल्म का झूठ बोले कौआ काटे गीत सुनवाया और इस फिल्म को उनके करिअर का मील का पत्थर बताया, यह नही बताया कि यह उनकी पहली फिल्म हैं जो 1973 के आसपास रिलीज हुई थी। कई मायनों में यह फिल्म सिनेमा के इतिहास में उस समय की ख़ास फिल्म रही थी। यह डिम्पल की पहली और आखिरी फिल्म मानी गई थी क्योंकि उन्होंने इस फिल्म के बाद राजेश खन्ना से विवाह के बाद फिल्मे न करने का निर्णय लिया था पर लम्बे समय के बाद 1986 में सागर फिल्म से फिर से अभिनय शुरू किया। सागर फिल्म की चर्चा किए बिना बंटवारा फिल्म का गीत सुनवा दिया। यह कहना भी ठीक नही लगा कि उन्होंने अस्सी के दशक में एक के बाद एक हिटसुपरहिट फिल्मे दी।

शनिवार को यह कार्यक्रम केन्द्रित रहा अभिनेता संजीव कुमार पर। संगीता (श्रीवास्तव) जी ने अच्छी जानकारी देते हुए संजीव कुमार पर फिल्माए गए चुनिन्दा गीत सुनवाए। राजा और रंक का गीत फिरकी वाली, आंधी, मौसम, नौकर के युगल गीत सुनवाए गए। अनामिका का लोकप्रिय गीत सुनवाया। उनके बेहतरीन अभिनय को दर्शाने वाली खिलौना फिल्म का गीत भी सुनवाया। बताया उनकी पहली फिल्म साठ के दशक की हम हिन्दुस्तानी हैं। प्रमुख फिल्मो के नाम बताए। उनके बेहतरीन अभिनय का एक रंग कामेडी भी हैं, मौसम को देखते हुए फिल्म पति पत्नी और वो के इस गीत की कमी खली जो अभिनय का यह रंग बखूबी दिखाता हैं -

ठंडे ठंडे पानी से नहाना चाहिए
गाना आए या न आए गाना चाहिए

उन्हें मिले पुरस्कारों की जानकारी दी। अच्छा लगा कार्यक्रम।

रविवार को यह कार्यक्रम केन्द्रित रहा अभिनेता शशि कपूर पर जिसे लेकर आए कमल (शर्मा) जी। सामान्य जानकारी दी जैसे असली नाम बलदेव हैं, पहली फिल्म धर्मपुत्र हैं। बाल कलाकार के रूप में भी काम किया। शुरूवात बेहतरीन गीत से की, फिल्म जब जब फूल खिले -

एक था गुल और एक थी बुलबुल

प्यार किए जा, आ गले लग जा, प्यार का मौसम, शर्मिली फिल्म का शीर्षक गीत और यह गीत -

एक रास्ता हैं जिन्दगी

इस तरह अलग-अलग मूड के गाने सुनना अच्छा लगा।

सोमवार को यह कार्यक्रम केन्द्रित रहा गायक सुरेश वाडकर पर। उनके गाए नए पुराने गीत सुनना अच्छा लगा -
ऐ जिन्दगी गले लगा ले

चांदनी, हिना, प्रेम रोग, यह नया गीत भी शामिल था - सपने में मिलती हैं कुडी मेरे सपने में मिलती हैं

मंगलवार को गीतकार शायर मजरूह सुल्तानपुरी के हिट सुपरहिट गीत सुनवाए गए। उनके बारे में कुछ जानकारी भी दी गई जिससे पता चला कि मूल रूप से वह यूनानी डाक्टर हैं और शायरी वास्तव में उनका शौक था। बताया कि उन्होंने हर मूड और विषय के गीत लिखे। उनके लोकप्रिय गीत सुनवाए गए - कारवां, इंकार, अभिलाषा, समाधि फिल्मो से और बुड्ढा मिल गया फिल्म का यह गीत -

भली भली सी सूरत भला सा एक नाम

बुधवार को फिल्मकार हृषिकेश मुखर्जी की फिल्मो के हिट सुपरहिट गीत सुनवाए गए। ख़ूबसूरत, मिली, आशीर्वाद फिल्मो के गीत सुनवाए गए और आनंद फिल्म से यह गीत -

मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने

यह भी बताया कि उनकी फिल्मे साफ़-सुथरी मनोरंजक होती हैं और सन्देश भी देती हैं। 9:15 बजे शुरू हुआ यह कार्यक्रम।
9:15 बजे तक दृष्टिहीनो के लिए प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ।

गुरूवार को फिल्मकार मणिरत्नम की फिल्मो के हिट सुपरहिट गीत सुनवाए गए। रोज़ा फिल्म से, मधुश्री का गाया यह गीत भी सुनवाया -

कभी नीम नीम कभी शहद शहद

उनका मूल नाम बताया - गोपाल रत्नम सुब्रह्मण्यम, उनकी पहली हिन्दी फिल्म हैं - दिल से, यह भी बताया की ऐ आर रहमान जैसी प्रतिभा उन्ही की फिल्म से मिली।

9:30 बजे आज के फनकार कार्यक्रम प्रसारित किया गया। लगातार यह कार्यक्रम सुनना अच्छा नही लग रहा है, विविधता होनी चाहिए। वैसे भी इसके पहले प्रसारित होने वाले हिट सुपर हिट कार्यक्रम के लगभग समान ही हैं यह कार्यक्रम, बारीक सा अंतर हैं।

शुक्रवार को अभिनेता मनोज वाजपेयी का जन्मदिन था, इस अवसर पर उन पर कार्यक्रम लेकर आए राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी। उनकी आवाज भी सुनी। उनकी प्रमुख फिल्मो सत्या, जुबेदा, बैंडिट क्वीन, एल ओ सी कारगिल की चर्चा हुई। यह महत्वपूर्ण बात भी बताई कि एन एस डी में भर्ती नही हो पाए तब भी कामयाब अभिनेता हैं। पुरस्कारों की भी चर्चा हुई। कार्यक्रम की प्रस्तुति में सहायक रहे पी के ऐ नायर जी।

शनिवार को ममता (सिंह) जी ने यह कार्यक्रम प्रस्तुत किया निर्देशक के आसिफ पर। यह नाम सुनते ही एक ही फिल्म का नाम याद आता हैं - मुगले आजम। यह कार्यक्रम भी ऐसा ही रहा। इस फिल्म के सीन पर सीन सुनवाए गए, लगा मुगले आजम फिल्म पर आधारित बाईस्कोप की बाते कार्यक्रम सुन रहे हैं। वैसे उनकी फिल्मे कम हैं - हलचल और एक दो नाम बताए गए, फिर जानकारी दी लव एंड गौड़ फिल्म की जिसे बनाने में बहुत समय लगा और परिवर्तन भी हुए पर रिलीज से पहले वो गुजर चुके थे। महत्वपूर्ण बात यह बताई कि सहायक से पहले निर्देशक बने फिर निर्माता बने।

रविवार को अभिनेता धर्मेन्द्र पर कार्यक्रम लेकर आए कमल (शर्मा) जी। गुड्डी, फूल और पत्थर और शोले फिल्मो के सीन सुनवाए। उनकी फिल्मो के चुनिन्दा गीत सुनवाए - देवर, अनुपमा, रेशम की डोरी, ड्रीम गर्ल। पहली फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे की चर्चा की। यह भी बताया कि फिल्म आई मिलन की बेला में वह उपनायक थे, हेमामालिनी के साथ उनकी जोडी खूब सराही गई। धर्मेन्द्र की रिकार्डिंग के अंश भी सुनवाए। अच्छा संतुलित लगा यह कार्यक्रम।

सोमवार को जन्मदिन के अवसर पर अभिनेत्री मौसमी चटर्जी पर प्रस्तुत किया गया यह कार्यक्रम। बताया कि 66 में उन्होंने फिल्मो में प्रवेश लिया फिल्म बालिका वधु से। दूसरी फिल्म का नाम बताया परिणीता पर यह नही बताया कि ये बंगला फिल्मे हैं। अनुराग फिल्म की चर्चा की लेकिन वास्तविक जानकारी नही दी। वास्तव में हिन्दी फिल्मो में उन्होंने प्रवेश लिया 1974 में फिल्म अनुराग से। इस फिल्म की लोकप्रियता के बाद बालिका वधु फिल्म हिन्दी में बनाई गई पर इसमे नायिका हैं - रजनी शर्मा

इस फिल्म में मौसमी चटर्जी की कोई भूमिका नही हैं। यह वही फिल्म हैं जिससे अमित कुमार ने हिन्दी पार्श्व गायन में पहला क़दम रखा इस गीत से -

बड़े अच्छे लगते हैं यह धरती, यह नदिया और तुम

हिन्दी फिल्म परिणीता का यह गीत भी सुनवा दिया -

गोरे गोरे हाथो में मेहंदी लगा के नैनो में कजरा डाल के
चलो दुल्हनिया पिया से मिलने छोटा सा घूंघट निकाल के

यह वास्तव में अशोक कुमार और मीना कुमारी की पुरानी फिल्म परिणीता का गीत हैं। एक बात अच्छी हुई कि उनकी फिल्म गुलाम बेगम बादशाह का यह गीत सुनवाया, वास्तव में यह फिल्म का नाम और गीत बहुत लम्बे समय बाद सुना -

घोड़ी पे होके सवार चला हैं दूल्हा यार
कमरिया में बांधे तलवार

मंगलवार को ममता (सिंह) जी ले आई अभिनेता निर्देशक फिरोज खान पर कार्यक्रम। शुरूवात की कुर्बानी फिल्म के गीत से जो उनकी अस्सी के दशक में बनाई गई लोकप्रिय फिल्म हैं। उनकी साठ के दशक की इन फिल्मो के गीत सुनवाए - आरजू, एक सपेरा एक लुटेरा, ऊँचे लोग। नागिन का लोकप्रिय गीत भी सुनवाया। बताया उन्होंने पहली फिल्म बनाई अपराध। इसके बाद सफल एक्शन फिल्मो से उनकी छवि बनी - धर्मात्मा, दयावान, जाबाज। बेटे को लांज करने बनाई फिल्म प्रेम अगन और ताजातरीन फिल्म वेलकम का भी गीत सुनवाया। अच्छा रहा यह कार्यक्रम।

बुधवार को कमल (शर्मा) जी ने प्रस्तुत किया अभिनेत्री तनुजा को। अच्छी जानकारी दी, बताया वयस्क रूप में पहली फिल्म हमारी याद आएगी हैं, इसके बाद सहनायिकाओ की भूमिका में बेहतरीन फिल्मे रही - ज्वैलथीफ, दो दुनी चार फिर नायिका के रूप में जीने की राह फिल्म से लोकप्रियता मिली और उसका यह प्यारा सा गीत भी सुनवाया -आप मुझे अच्छे लगने लगे, सपने सच्चे लगने लगेनैन सारी रैन जगने लगे उनकी बतौर नायिका सफल फिल्मो की चर्चा की और पुरस्कार की भी जानकारी दी - पवित्र पापी, मेरे जीनव साथी, हाथी मेरे साथी, एक बार मुस्कुरा दो, अनुभव और उन नई फिल्मो के नाम भी बताए जिनमे उन्होंने चरित्र भूमिकाएं की पर एक महत्वपूर्ण फिल्म का नाम नही बताया, यह फिल्म हैं - गुस्ताखी माफ़, बढ़िया कामेडी फिल्म हैं और शायद यह एक ही फिल्म हैं जिनमे उनका डबल रोल हैं। फिल्मी पारिवारिक पृष्ठभूमि की भी चर्चा की जैसे बेटी काजोल, बहन नूतन, माँ शोभना समर्थ जिन्होंने फिल्म हमारी बेटी बनाई जिसमे पहली बार तनुजा ने बाल कलाकार के रूप में काम किया था। जहां तक मेरी जानकरी हैं शोभना समर्थ की माँ रत्नमाला हिन्दी फिल्मो की पहले बैच की नायिकाओं में से हैं - रत्नमाला, बनमाला, स्नेहलता, खुर्शीद।

गुरूवार को फिल्मकार केदार शर्मा की पुण्य तिथि पर यह कार्यक्रम प्रस्तुत किया अमरकांत जी ने। उनके जीवन वृत्त को संक्षिप्त में बताया। जानकारी मिली कि कालेज के समय में ही ड्रामाटिक एसोसिएशन की स्थापना की थी। बावरे नैन, पुजारिन, इंक़लाब फिल्मो की चर्चा हुई। राजकपूर उनके चौथे सहायक की तरह काम करते रहे जैसी महत्वपूर्ण बाते भी बताई गई। चुनिन्दा गीत सुनवाए गए -सुन बैरी बलम कुछ बोल दे इब क्या होगाराजकुमारी के गाए इस गीत के अलावा बच्चो का एक गीत बहुत अच्छा लगा। पी के ऐ नायर जी के तकनीकी सहयोग से इसे विजय दीपक छिब्बर जी ने प्रस्तुत किया। बढ़िया प्रस्तुति के लिए पूरी टीम को बधाई।

10 बजे का समय छाया गीत का होता है। कार्यक्रम शुरू करने से पहले कभी-कभार अगले दिन प्रसारित होने वाले कुछ मुख्य कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।

शुक्रवार को प्रस्तुत किया कमल (शर्मा) जी ने। रात, चाँद, यादो की बात की। गाने अच्छे सुनवाए, वक़्त फिल्म से आगे भी जाने न तू, ये गीत भी शामिल थे -

आइए मेहरबान

शोख नजर की बिजलियाँ

शनिवार को प्रस्तुत किया अशोक जी ने। मोहब्बत की बात कही और सुनवाए ऐसे ही गीत - अनुपमा, रजनीगन्धा फिल्म का शीर्षक गीत और यह गीत भी सुनवाया -

आपसे प्यार हुआ आप खफा हो बैठे

बढ़िया गीत सुनवाए।

रविवार को प्रस्तुत किया युनूस (खान) जी ने, पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए - एक ऐसा गीत भी शामिल था जो बहुत कम सुना जाता हैं -

तक़दीर दीवाना हो गए
अपना बेगाना हो जाए

और समापन का अंदाज हमेशा की तरह बढ़िया रहा जिसमे गानों की झलक के साथ विवरण बताया जाता है। थोड़ी सी गड़बड़ भी हुई, दो दिल फिल्म के गीत में गायिका का नाम लताजी बताया जबकि यह गीत आरती मुखर्जी ने गाया हैं।

सोमवार को अमरकान्त जी ने प्यार का राग छेड़ा, शुरूवात की -

दिल का भंवर करे पुकार
प्यार का राग सुनो रे

आराधना का रूप तेरा मस्ताना, जूली का भूल गया सब कुछ और ऐसे ही गीत गूंजे - समापन किया चौदहवीं का चाँद शीर्षक गीत से।

मंगलवार को प्रस्तुत किया निम्मी (मिश्रा) जी ने। चाँद पर आलेख और प्रस्तुति अच्छी थी, गीत इस बार भी पुराने रहे - चाँद को देखो जी

चांदनी आई बनके प्यार ओ साजना ओ साजना

एकाध कम सुना गीत भी था।

बुधवार को प्रस्तुत किया राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने। नए अच्छे गीत सुनवाए जैसे - तुम दिल की धड़कन में रहते हो

गुरूवार को रेणु (बंसल) जी ने शायराना प्रस्तुति दी। पुराने अच्छे गीत सुनवाए -

तुम ही तुम हो मेरे जीवन में

तारो की जुबा पर हैं मोहब्बत की कहानी

10:30 बजे कार्यक्रम प्रसारित हुआ आपकी फ़रमाइश जो प्रायोजित था इसीलिए प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। इसमें श्रोताओं ने पुराने लोकप्रिय गीत सुनने की फ़रमाइश अधिक की। शुक्रवार को ज्वैल थीफ, आप आए बहार आई जैसी फिल्मो के साथ यह गीत भी शामिल था -

चाँद फिर निकला मगर तुम न आए

शनिवार को तेरे घर के सामने, पासपोर्ट, पोस्ट बौक्स नंबर 999, सीमा और यह गीत शामिल था -

कहे झूम झूम रात ये सुहानी

रविवार को असली नक़ली, काला पानी, लाजवंती, माया फिल्मो के गीतों के साथ यह गीत भी शामिल था -

बदली से निकला हैं चाँद

सोमवार को चोरी-चोरी, सूरज, प्रोफ़ेसर, नई दिल्ली, दिल एक मंदिर फिल्मो के गीतों के साथ एक थोड़ा नया गीत भी सुनवाया गया -

तेरा साथ हैं तो मुझे क्या कमी हैं
अंधेरो से भी मिल रही रोशनी हैं

मंगलवार को धर्मात्मा, काली टोपी लाल रूमाल, आदमी और इंसान फिल्मो के गीतों के साथ ये गीत भी शामिल थे -

जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला

सुन ऐ बहारे हुस्न मुझे तुमसे प्यार हैं

बुधवार को एक ख़ास गीत सुनकर आनंद आ गया, अनमोल घड़ी फिल्म से - आवाज दे कहाँ हैं

इसके अलावा एक कलि मुस्काई, बारादरी फिल्मो के गीतों के साथ यह गीत भी सुना -

जादूगर तेरे नैना दिल जाएगा बच के कहाँ

गुरूवार को नागिन, उजाला के गीत सुनवाए गए, शुरूआत की हसते जख्म फिल्म के इस बढ़िया गीत से -

तुम जो मिल गए हो तो ये लगता हैं के जहां मिल गया

गीत लंबा हैं पर सुनने में अच्छा लगता हैं, क्योंकि इसका सन्गीत संयोजन अलग तरह का हैं। समापन भी अच्छा रहा डान के बनारसी पान गीत से।

बुधवार और गुरूवार को ईमेल से प्राप्त फ़रमाइशें पूरी की जाती है अन्य दिन पत्र देखे जाते है। देश के अलग-अलग भागों से बहुत से पत्रों से गानों की फ़रमाइश भेजी गई और हर पत्र में भी बहुत से नाम रहे जबकि ई-मेल की संख्या कम ही रही।
इस कार्यक्रम में एक ख़ास बात रही। जो उदघोषक छाया गीत प्रस्तुत नही करते वे इस कार्यक्रम को हल्का सा छाया गीत का रूप दे देते हैं। कार्यक्रम का मूल स्वरूप आहत होता हैं, पर चलता हैं...

प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।

11 बजे अगले दिन के मुख्य कार्यक्रमों की जानकारी दी जो केन्द्रीय सेवा से ही दी गई जिससे केन्द्रीय सेवा के उन कार्यक्रमों की भी सूचना मिली जो क्षेत्रीय कार्यक्रमों के कारण यहाँ प्रसारित नही होते। 11:05 पर दिल्ली से प्रसारित 5 मिनट के समाचार बुलेटिन के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।

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