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Friday, March 25, 2011

फरमाइशी फिल्मी गीतों के कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 24-3-11

विविध भारती के सभी कार्यक्रमों में सबसे ज्यादा प्रसारण समय फरमाइशी गीतों के कार्यक्रमों का हैं। यूं लगता हैं कि ये कार्यक्रम बहुत आसान हैं यानि जिन गीतों को श्रोता सुनना चाहते हैं वही गीत सुना दो बस... पर ये बात नही हैं। अन्य कार्यक्रमों को तैयार करने में सृजनशीलता, कल्पना शक्ति और विषय से सम्बंधित जानकारी की आवश्यकता होती हैं जबकि फरमाइशी गीतों के कार्यक्रमों में मेहनत बहुत हैं।

किसी भी फिल्मी गीत की औसत अवधि 3-6 मिनट की होती हैं और कम से कम आधे घंटे के प्रसारण में 5-6 गीत सुनवाए जाते हैं। हर गीत के साथ विवरण यानि फिल्म, गायक कलाकार, गीतकार और संगीतकार के नाम बताना जरूरी हैं। इसके साथ उन श्रोताओं के नाम बताए जाते हैं जिनकी फरमाइश पर यह गीत सुनवाया जा रहा हैं। शहरी श्रोता आजकल ई-मेल से फरमाइश भेजते हैं, इसीसे श्रोता का नाम और शहर का नाम बता दिया जाता हैं पर ई-मेल की फरमाइश दो ही दिन होती हैं। शेष पांच दिन पत्रों से आई फरमाइश पर गीत सुनवाए जाते हैं। पत्र अक्सर दूर-दराज के क्षेत्रो से आते हैं जिसमे गाँव, जिला, तहसील फिर राज्य का नाम बताया जाता हैं। इन नामो के साथ श्रोताओं के नाम बताए जाते हैं। हर पत्र के साथ औसतन 5 श्रोताओं के नाम होते हैं। हर गीत के लिए औसतन 5 पत्र होते हैं। अंदाजा लगा लीजिए एक गीत के साथ कितने नाम बताने हैं... फिर लगभग 5 मिनट में एक गीत समाप्त फिर दूसरे गीत के लिए इतने ही नाम फिर तीसरा गीत...... उदघोषक और प्रसारण के तकनीकी पक्ष से जुड़े लोगो को बहुत सावधानी और संयम बरतने की आवश्यकता होती हैं। इसके अलावा फोन पर बातचीत और सबसे अधिक कठिन हैं तुरंत एस एम एस देखना, सभी नाम पढ़ना और तुरंत वह गीत सुनवाना। साथ ही पत्रों और ई-मेलो को एकत्रित कर गीतों का संयोजन करना।

विविध भारती से फरमाइशी गीतों के कार्यक्रम दोपहर से शुरू होते हैं। कार्यक्रम हैं - एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने, मन चाहे गीत, हैलो फरमाइश, जयमाला, आपकी फरमाइश इन कार्यक्रमों का स्वरूप अलग-अलग हैं।

आइए, इस सप्ताह प्रसारित इन कार्यक्रमों पर एक नजर डालते हैं -

पहला कार्यक्रम दोपहर 12 बजे प्रसारित होता हैं - एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने। बहुत आकर्षक हैं कार्यक्रम का शीर्षक जो आधुनिक सा लगता हैं और इस लयात्मक शीर्षक को उपशीर्षक की भी आवश्यकता नही हैं। एस एम एस यानि मोबाइल फोन का sms जिसके बहाने वी बी एस (vbs) यानि विविध भारती सेवा के तराने सुनने का अवसर मिलता हैं।

यह दैनिक कार्यक्रम हैं और यह सजीव (लाइव) प्रसारण हैं। यह अति आधुनिक कार्यक्रम हैं। इसमे फरमाइश के लिए आधुनिक तकनीक एस एम एस का प्रयोग किया जा रहा हैं। लेकिन इसी वजह से यहाँ फरमाइश भी बंध सी गई हैं। अन्य कार्यक्रमों की तरह किसी भी फिल्म के गीत की फरमाइश यहाँ नही की जा सकती बल्कि विविध भारती खुद जिन फिल्मो का चुनाव करती हैं, उसी में से किसी गीत के लिए फरमाइश भेजनी होती हैं। पर बड़ी बात ये हैं कि सन्देश भेजते ही तुरंत गीत सुनने को मिल जाता हैं।

एक घंटे के इस कार्यक्रम की शुरूवात में 10 फ़िल्मों के नाम बता दिए गए फिर बताया गया एस एम एस करने का तरीका जो इस तरह हैं -

मोबाइल के मैसेज बॉक्स में जाकर टाइप करना हैं - vbs - फिल्म का नाम - गाने के बोल - अपना नाम और शहर का नाम और भेज दे इस नंबर पर - 5676744

और इन संदेशों को 12 बजे से 12:50 तक भेजने के लिए कहा गया और यह भी कहा गया कि हर सन्देश में दो श्रोताओं के नाम ही भेजे ताकि अधिक एस एम एस शामिल किए जा सकें। पहला गीत उदघोषक की खुद की पसन्द का सुनवाया गया ताकि तब तक संदेश आ सके। फिर शुरू हुआ संदेशों का सिलसिला। सबसे अधिक सन्देश जिन गीतों के लिए मिले वही गीत सुनवाए गए।

शुक्रवार को प्रस्तोता रही मनीषा (भटनागर) जी। इस दिन सत्तर के दशक की लोकप्रिय फिल्मे चुनी गई। श्रोताओं ने भी अधिकतर लोकप्रिय गीतों के लिए सन्देश भेजे। झील के उस पार, दो फूल, हीरा पन्ना, राजा रानी, अनोखी अदा फिल्मो के गीत, मनचली और जैसे को तैसा फिल्मो के शीर्षक गीत सुनवाए गए। अभिमान फिल्म से दो गीत सुनवाए गए। एक गलती हुई, यह गीत सुनवाया और फिल्म का नाम बताया धुंध -

धीरे से जाना खटियन में ओ खटमल

जबकि यह गीत धुंध फिल्म का हैं ही नही। यह गीत देव आनंद पर फिल्माया गया हैं और शायद शरीफ बदमाश फिल्म का हैं यह गीत। वैसे धुंध फिल्म का यह गीत भी सुनवाया गया -

उलझन सुलझे न, रास्ता सूझे न, जाऊं कहाँ मैं

शनिवार को प्रस्तोता रहे अमरकांत जी। शुरूवात की समझौता फिल्म के इस गीत से - बड़ी दूर से आए हैं प्यार का तोहफा लाए हैं

अन्य फिल्मे रही - ब्लैक मेल, ज्वार भाटा, जोशीला, हँसते जख्म और सौदागर जिसका यह गीत सुनवाया - सजना हैं मुझे सजना के लिए

कुछ गीत ऐसे थे जिन्हें बहुत दिन से नही सुनवाया गया था। अधिकाँश गीत रोमांटिक थे। एक बात अखर गई, इस दिन फागुन फिल्म भी शामिल थी जिसमे होली का एक अच्छा गीत हैं लेकिन नही सुनवाया गया। शायद इसके लिए अधिक सन्देश नही मिले।

सोमवार को प्रस्तोता रहे युनूस (खान) जी। इस दिन अभिनेत्री रानी मुखर्जी का जन्म दिन था इसीलिए उन्ही की फिल्मे चुनी गई। चलते-चलते, बंटी और बबली, नो वन किल जसिका, पहेली फिल्मो के गीत सुनवाए। दिल बोले हडिप्पा फिल्म से हडिप्पा गीत भी शामिल था। यह गीत भी सुनवाया -

तू अगर चाहे तो धूप में बारिश हो

इस दिन एक बात अच्छी हुई, फिल्मो के नाम शुरू में धीरे-धीरे बताने से जल्दी एस एम एस आए और पहला ही गीत फरमाइश पर सुनवाया गया गुलाम फिल्म से। लेकिन दो-तीन बाते बहुत खराब रही। गाना चल रहा हैं और नाम पढ़े जा रहे हैं। जाहिर हैं गीत की आवाज धीमी हैं, ऐसे में गाना सुनने का क्या मजा। एक-दो बार लगा फिल्मो के नाम या तो बताए ही नही गए या गीत के साथ बताए गए जिससे संगीत के शोर में सुनाई नही दिया। अंत में तकनीकी सहयोगी का नाम भी कुछ इस तरह बताया कि ठीक से सुनाई ही नही दिया।

मंगलवार को प्रस्तोता रहे कमल (शर्मा) जी। इस दिन के लिए नई फिल्मे चुनी गई। शुरूवात की बाजीगर फिल्म के काली काली आँखे गीत से। 1942 अ लव स्टोरी, राजा हिन्दुस्तानी, धड़कन, मन, सोलजर, जोश फिल्मो के गीत सुनवाए। फिजा फिल्म का यह गीत भी शामिल था - आ जा माहिआ

बुधवार को प्रस्तोता रही मनीषा (भटनागर) जी। इस दिन के लिए सत्तर के दशक की लोकप्रिय फिल्मे चुनी गई। शुरूवात की बेईमान फिल्म के मुकेश के गाए इस गीत से जिसे बहुत-बहुत दिन बाद सुन कर अच्छा लगा, यह गीत लगभग भूल से गए थे -

न इज्जत की चिंता न फिकर कोई अपमान की जय बोलो बेईमान की

सीता और गीता, पाकीजा, बावर्ची, अपना देश, विक्टोरिया नंबर 203, जवानी दीवानी, गोरा और काला, राजा जानी, रामपुर का लक्ष्मण फिल्मो के लोकप्रिय गीत श्रोताओं से प्राप्त एस एम एस के अनुसार सुनवाए गए। इनमे से पाकीजा फिल्म को रोका जा सकता था क्योंकि पिछले दिन हैलो फरमाइश में यह फिल्म शामिल थी।

सबसे अच्छा कार्यक्रम गुरूवार का रहा। प्रस्तोता रही शेफाली (कपूर) जी। सत्तर के दशक की ऎसी फिल्मे चुनी गई जिनके गीत बहुत दिन से नही सुनवाए गए। अनुराग, परिचय, शरारत, मान जाइए, मेरे जीवन साथी, अपराध, आँखों आँखों में, बॉम्बे टू गोवा। श्रोताओं ने भी उन गीतों के लिए सन्देश भेजे जो बहुत लोकप्रिय हैं और कई दिनों से नही सुने। पिया का घर फिल्म का शीर्षक गीत भी शामिल था। वैसे शुरूवात ही बढ़िया रही - समाधि फिल्म के काँटा लगा गीत से।

पूरा कार्यक्रम बहुत बढ़िया हो जाता अगर एक बात न खटकती। पूरे कार्यक्रम के दौरान कई बार कार्यक्रम को शो कहा गया। हर बार मैं अपने सेल फोन को देखती रही लेकिन न उसमे मुझे शेफाली जी नजर आई, न विजय दीपक छिब्बर जी और न ही मनीष जी, गाना भी नजर नही आया, सिर्फ गाना सुनाई दिया और सुनाई दी शेफाली जी की आवाज। दो-चार बार कहा जाता तो अनसुना कर सकते थे। अंग्रेजी के शब्दों से परहेज नही हैं पर शब्दों का गलत प्रयोग नही होना चाहिए। टेलीविजन कार्यक्रमों को शो कहा जाता हैं क्योंकि वहां स्क्रीन पर नजर आता हैं पर ये आवाज की दुनिया हैं। शो के बजाय प्रोग्राम कह सकते हैं।

आधा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद फिर से बची हुई फ़िल्मों के नाम बताए गए और फिर से बताया गया एस एम एस करने का तरीका। कार्यक्रम के अंत में अगले दिन की 10 फ़िल्मों के नाम बताए गए। देश के विभिन्न भागो से संदेश आए। हर गीत के लिए औसतन 10 सन्देश आए। आरम्भ, बीच में और अंत में संकेत धुन सुनवाई गई।

इस कार्यक्रम को राजीव (प्रधान) जी, मंगेश (सांगले) जी, मनीष चन्द्र (वैश्य) जी के तकनीकी सहयोग से हम तक पहुंचाया गया और पूरे सप्ताह इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक (छिब्बर) जी ने।

दोपहर 1:30 बजे का समय रहा मन चाहे गीत कार्यक्रम का। एक घंटे के इस कार्यक्रम की प्रस्तुति पारंपरिक और आधुनिक दोनों ढंग से हैं। यानि दो दिन ई-मेल से भेजी गई फरमाइश से गीत सुनवाए जाते हैं और शेष दिन पुराने तरीके से पत्रों से प्राप्त फरमाइश के अनुसार गीत सुनवाए जाते हैं। नए-पुराने गीतों के लिए श्रोताओं ने फरमाइश भेजी।

शुक्रवार को शुरूवात की असली नक़ली फिल्म के इस पुराने गीत से - छेड़ा मेरे दिल ने तराना तेरे प्यार का

मर्यादा फिल्म से चंचल गीत, नौकर फिल्म से लोकगीत की छाप का गीत पल्लो लटके सुनवाया। साजन, ईमानदार, कलाकार, लाल दुपट्टा मलमल का, कन्यादान, आए दिन बहार के फिल्मो के गीत सुनवाए। सांझ और सवेरा फिल्म का शीर्षक गीत सुनवाया। रोमांटिक गीत भी सुनवाए। इस तरह अलग-अलग मूड के गीत सुनवाए गए। प्रस्तोता रहे अमरकांत जी।

शनिवार को प्रस्तोता रहे युनूस (खान) जी। आते ही सुनवाया मर्यादा फिल्म का यह गीत -

चुपके से दिल दे दे नइ ते शोर मच जाएगा

यही गीत पिछले दिन इसी कार्यक्रम में सुनवाया गया। समझ में नही आया... जिन श्रोताओं के नाम शुक्रवार को बताए गए उन्हें शनिवार को सम्मिलित कर एक ही बार गीत सुनवा दिया जा सकता था। धरती, पत्थर के फूल, गहरा दाग, साहब बीबी और गुलाम, जब प्यार किसी से होता हैं, नील कमल जैसी नई पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए। आक्रमण फिल्म का यह गीत भी सुनवाया जो बहुत कम ही सुनवाया जाता हैं -

छोटी सी उम्र में लम्बे सफ़र में हमसफ़र

बहुत दिन बाद इश्क पर जोर नही फिल्म का यह शीर्षक सुनना अच्छा लगा - सच कहती हैं दुनिया इश्क पर जोर नही

नूरी फिल्म का शीर्षक गीत भी सुनवाया। साजन फिल्म का गीत भी सुनवाया जिसका दूसरा गीत पिछले दिन सुनवाया गया था।

रविवार का कार्यक्रम होली के रंग में डूबा रहा। शुरूवात की बागबान फिल्म के गीत से - होली खेले रघुवीरा अवध में
पराया धन, सिलसिला, शोले, पुरानी फिल्म गोदान फिल्मो के गीत सुनवाए। कामचोर फिल्म का यह गीत सुनवाया जो कम ही सुनवाया जाता हैं -

मल दे गुलाल मोहे आज होली आई रे

होली का आधुनिक गीत भी सुनवाया वक़्त फिल्म से - लेट्स प्ले होली, रंगो में हैं प्यार की बोली

आरती और मुकद्दर का सिकंदर फिल्मो से अन्य गीत भी सुनवाए।

सोमवार को प्रस्तोता रहे नन्द किशोर (पाण्डेय) जी। शुरूवात की हम आपके हैं कौन फिल्म से माई रे माई गीत से। कल हो न हो, कभी अलविदा न कहना, दिल्ली का ठग, कही दिन कही रात, काजल, पारसमणि, नौ दो ग्यारह, पासपोर्ट जैसी नई पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए। पुरानी फिल्मे अधिक शामिल रही। पुरानी फिल्म आया सावन झूम के से इस गीत के लिए श्रोताओं ने बहुत दिन बाद फरमाइश भेजी -

साथिया नही जाना के जी न लगे

नई फिल्म करीब का यह गीत भी शामिल था - चोरी चोरी जब नज़रे मिली

मंगलवार को हद हो गई। दो घंटे के भीतर दूसरी बार सुनवाया 1942 अ लव स्टोरी फिल्म का यह गीत - एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

यही गीत कुछ समय पहले एस एम एस के तराने कार्यक्रम में सुना था। यहाँ इस गीत को रोका जा सकता था। इस दिन नए पुराने और बहुत पुराने गीत सुनवाए गए। पतिता, आरजू, जीवन मृत्यु, एक राज, दबंग फिल्मो के गीत सुनवाए। रोमांटिक गीत अधिक सुनवाए गए जैसे मोहब्बत, साथिया फिल्मो के शीर्षक गीत। रोमांटिक गीतों के अलावा गंभीर गीत भी शामिल था बहुत पुरानी फिल्म वक़्त से -

आगे भी जाने न तू पीछे भी जाने न तू जो भी हैं बस यही एक पल हैं

राजा हिन्दुस्तानी फिल्म तीसरी बार शामिल रही, एक बार कुछ समय पहले 12 बजे के कार्यक्रम में ही शामिल थी। प्रस्तोता रही ममता (सिंह) जी।

बुधवार को युनूस (खान) जी ने सुनवाए ई-मेल से प्राप्त फ़रमाइशो के अनुसार गीत। इश्किया, रंग दे बसंती, तुम मिले, हम साथ साथ हैं, राम लखन जैसी नई पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए। रूदाली फिल्म से सिली सिली गीत, धड़कन फिल्म का शादी-ब्याह का गीत, उपकार फिल्म से बसंत ऋतु का गीत भी शामिल था। महबूब की मेहंदी फिल्म का यह गीत सुनवाया -

मैंने तुझे पहचाना नही

यह गीत बहुत ही कम सुनवाया जाता हैं। अच्छा लगा कि श्रोताओं ने ऐसे गीत की फरमाइश ई-मेल भेज कर की। इस दिन यह गीत सुनना अच्छा लगा परपिछली रात आपकी फरमाइश कार्यक्रम में भी यह फिल्म शामिल थी जहां लताजी का गाया अक्सर सुनवाया जाने वाला गीत सुनवाया जिसे रोका जा सकता था।

गुरूवार को प्रस्तोता रहे राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी। शुरूवात की अभिलाषा फिल्म के लताजी के गाए इस गीत से जो कम ही सुनवाया जाता हैं, अक्सर रफी साहब का गाया संस्करण सुनवाया जाता हैं -

वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें जाओ मेरे सिवाय तुम कहाँ जाओगे

भ्रष्टाचार, आ गले लग जा, कटी पतंग, बिल्लू, अमर प्रेम, आरजू, श्री 420 जैसी नई पुरानी फिल्मो के विभिन्न मूड के गीत सुनवाए गए। क्रान्ति फिल्म का देश भक्ति गीत सुनवाया गया, दो दिन पहले ही जयमाला में इस फिल्म का गीत सुनवाया गया था।

शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को शाम 4 बजे पिटारा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रसारित हुआ आधुनिक तकनीक से सजा एक घंटे का फरमाइशी कार्यक्रम - हैलो फरमाइश। इसमे विविध भारती के प्रस्तोता श्रोताओं से सीधे फोन पर बात करते हैं। अपनी पसंद का गीत बताने के साथ-साथ कुछ इधर-उधर की भी बाते होती हैं जिससे कई तरह की जानकारियाँ भी मिल जाती हैं।

पिटारा की संकेत धुन के बाद इस कार्यक्रम की संकेत धुन सुनवाई गई।

शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की रेणु (बंसल) जी ने। अलग-अलग शहरों से फोन आए। होली का हल्का सा रंग नजर आया। श्रोताओं से हल्की-फुल्की बातचीत हुई। एक महिला श्रोता ने बताया कि वह पंचमढी के पास की रहने वाली हैं और छिन्दवाडा के छोटे से गाँव में विवाह हुआ हैं। पढाई जारी रखे हैं और पहली होली के लिए मायके आई हैं। अलग-अलग तरह का काम करने वाले श्रोताओं से बात हुई और सभी ने अपने काम के बारे में बताया दुकानदार, ईंट भट्टी में काम करने वाले, लगेज बैग बनाने वाले, मैकेनिक ने बताया कि नई मॉडल की गाडियों के लिए कम्पनी से प्रशिक्षण मिलता हैं। कुछ युवा दोस्तों ने बात की और होली पर रासायनिक रंगों की चर्चा की और उनकी पसंद पर सुनवाया सिलसिला फिल्म का होली गीत - रंग बरसे, सभी श्रोताओं ने अस्सी के दशक और उसके बाद के गीत पसंद किए। होली के गीत भी थे और अन्य गीत भी।

मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की अमरकांत जी ने। एक श्रोता की बातचीत से अमरकांत जी की ही तरह मुझे भी पहली बार पता चला कि हैदराबाद नाम की एक और जगह हैं। शायद बहुत से श्रोताओं के लिए भी यह नई जानकारी हैं कि उत्तर प्रदेश में एक स्थान हैं हैदराबाद ढीन्गारा, यहाँ से एक छात्र ने फोन किया। एक और बातचीत अच्छी रही। एक नेत्रहीन श्रोता ने फोन किया, बताया कि चार साल पहले एक बीमारी के बाद उनकी आँखों की ज्योति जाती रही। बातचीत से पता चला कि वह नेत्रहीन होने से कुछ भी काम नही करते हैं तब अमरकांत जी ने उन्हें सलाह दी कि कई तरह के काम नेत्रहीन भी कर सकते हैं, उन्हें कोशिश करनी चाहिए। एक बार नेटवर्क की समस्या से बातचीत पूरी नही हो पाई। हालांकि कई बार विविध भारती से यह सलाह दी जा चुकी हैं कि नेटवर्क ठीक न हो तो फोन न करे। एकाध श्रोता ने बात ही नही की सिर्फ गीत सुनना चाहा। एक कॉल रोचक लगा, जयपुर से बात की, बताया कि माताजी के मंदिर में पुजारी हैं और शोले फिल्म का होली गीत सुनने की फरमाइश की। लगता हैं किसी मनचले श्रोता ने शरारत की। श्रोताओं के अनुरोध पर पाकीजा, हिना, खुदा गवाह जैसी कुछ पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए।

गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की अशोक जी ने। एक फोन कॉल अच्छा लगा, एक नेत्रहीन छात्र ने बात की, अपनी पढाई और करिअर के बारे में बताया। लेकिन एक कॉल में जितनी बातचीत हो सकती थी नही हुई, इस श्रोता ने बताया कि वह जयपुर में लाख की चूड़ियों बनाने का काम करते हैं। यह बहुत ही मशहूर चूड़ियाँ हैं। इस काम के बारे में कुछ बातचीत होनी चाहिए थी, पर नही हुई। श्रोताओं की पसंद पर पुरानी फिल्म महुआ का शीर्षक गीत सुनवाया और आंटी नंबर 1 फिल्म का कॉमेडी शीर्षक गीत भी सुनवाया। हम साथ साथ हैं और क्रान्ति फिल्मो के गीत भी सुनवाए, ये फिल्मे तीसरी बार शामिल रही। कुली फिल्म का यह गीत भी सुनवाया -

मुबारक हो सबको हज का महीना

एक श्रोता ने अपने दोस्तों के लिए फरमाइश की जजीर फिल्म के मन्नाडे के गाए इस गीत की - यारी हैं ईमान मेरा यार मेरी जिन्दगी तीनो ही कार्यक्रमों में कुछ श्रोताओं ने बहुत ही कम बात की, सिर्फ अपनी पसंद का गीत बताया। बातचीत सुन कर लगा कि श्रोता विविध भारती से जुड़े हैं, गाने सुनने का शौक़ रखते हैं लेकिन अपने बारे में कुछ कहना, कुछ बात करना इनके लिए कठिन हैं।

रिकार्डिंग के लिए फोन नंबर बताया गया - 28692709 मुम्बई का एस टी डी कोड 022 यह भी बताया कि हर सोमवार, मंगलवार और शुक्रवार को 11 बजे से 1 बजे तक फोन कॉल रिकार्ड किए जाते हैं।

कार्यक्रम को रेखा (जम्बुवार) जी के सहयोग से महादेव भीमराव (जगदाले) जी ने प्रस्तुत किया। तकनीकी सहयोग साइमन परेरा जी, सुनील (भुजबल) जी का रहा।

शाम बाद 7 बजे दिल्ली से प्रसारित समाचारों के 5 मिनट के बुलेटिन के बाद शुरू हुआ फ़ौजी भाईयों की फ़रमाइश पर सुनवाए जाने वाले फ़िल्मी गीतों का कार्यक्रम जयमाला। इसमे फरमाइशी गीत सुनने के लिए फ़ौजी भाई एस एम एस या ई-मेल भेजते हैं। 7:45 तक चलने वाले इस कार्यक्रम के शुरू और समाप्ति पर बजने वाली संकेत धुन अच्छी हैं, कार्यक्रम की परिचायक हैं।
शुक्रवार को नए-पुराने गीत सुनवाए गए। अच्छा लगा कि एक ही कार्यक्रम में महेंद्र कपूर, किशोर कुमार, कुमार सानू के गीत सुनना, कल्याणजी आनंद जी और अन्नू मालिक द्वारा तैयार किए गए गीत एक साथ सुनना। पुरानी डोन, खुदा गवाह, खून भरी मांग, निकाह फिल्मो के गीत सुनवाए। पुरानी फिल्म सुहाग का भक्ति गीत भी सुनवाया और तमन्ना फिल्म का यह गीत भी सुनवाया जिसे कम ही सुनवाया जाता हैं -

तारों को भी नींद आने लगी आपके आने की आस भी जाने लगी

रविवार को नई पुरानी हर समय की फिल्मो के गीत सुनवाए गए। शुरूवात की पुरानी फिल्म चोरी-चोरी के इस गीत से - आ जा सनम मधुर चांदनी में हम

नई फिल्म एक्शन रिप्ले का यह गीत भी सुना -

जोर का झटका हाय जोरो से लगा शादी बन गई उम्र क़ैद की सजा

सिर्फ तुम, राज फिल्मो के गीत सुनवाए। गीत गाता चल फिल्म का शीर्षक गीत भी सुनवाया। हाथी मेरे साथी फिल्म का पशुप्रेम दर्शाता गीत भी सुनवाया। इस तरह हर दृष्टि से इस दिन गीतों के चुनाव में अच्छी विविधता रही।

सोमवार को प्रस्तोता रही संगीता (श्रीवास्तव) जी। नए गीत अधिक सुनवाए गए - विरासत, रब ने बना दी जोडी, जीत फिल्मो के गीत सुनवाए। बार्डर फिल्म का यह गीत भी शामिल था -

ऐ जाते हुए लम्हों ज़रा ठहरो मैं भी तो चलता हूँ

और क्रान्ति फिल्म से देश भक्ति गीत सुनने के लिए भी फ़ौजी भाइयों ने फरमाइश भेजी।

मंगलवार को शुरूवात हुई पुराने गीत से - जन्म जन्म का साथ हैं तुम्हारा हमारा

फिर सुनवाए नए गीत यमला पगला दीवाना, दाग द फायर, वेलकम फिल्मो से और आज के समय का लोकप्रिय गीत दबंग फिल्म से सुनवाया -

तेरे मस्त मस्त दो नैन मेरे दिल का ले गए चैन

दबंग फिल्म का एक गीत दोपहर में मन चाहे गीत में भी सुनवाया गया था।

बुधवार को प्रस्तोता रहे अजेन्द्र (जोशी) जी। कुर्बान, मोहरा, आ अब लौट चले फिल्मो के गीत सुनवाए। यह गीत भी शामिल था - क्योंके इतना प्यार तुमसे करते हैं हम

बंटी और बबली के कजरारे गीत से शुरूवात की। यह फिल्म इस सप्ताह दूसरी बार शामिल हुई।

गुरूवार को प्रस्तोता रही सविता (सिंह) जी। दिल, दिलवाले फिल्मो के गीतों के साथ ग़दर फिल्म का यह मस्त गीत भी सुनवाया - मैं निकला गड्डी लेके

आज के दौर की फिल्म वंस अपॉन अ टाइम इन मुम्बई और पुरानी फिल्म आपकी क़सम का गीत भी सुनवाया।

फ़ौजी भाइयों को एस एम एस करने का तरीका भी बताया गया जो इस तरह हैं -

मोबाइल के मैसेज बॉक्स में जाकर टाइप करना हैं - vjm - फिल्म का नाम - गाने के बोल - अपना नाम और रैंक जरूर लिखे और भेज दे इस नंबर पर - 5676744

रात 10:30 बजे प्रसारित हुआ आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम जो प्रसारण का अंतिम कार्यक्रम होता हैं। आधे घंटे के इस कार्यक्रम में मन चाहे गीत कार्यक्रम की तरह ई-मेल और पत्रों से भेजी गई फरमाइश पर गीत सुनवाए गए। इसमें श्रोताओं की फ़रमाइश पर कुछ समय पुरानी फिल्मो के गीत अधिक सुनवाए गए।

शुक्रवार को अभिनेता, निर्माता-निर्देशक शशि कपूर के जन्मदिन को ध्यान में रखकर फरमाइशी गीतों में से जब जब फूल खिले फिल्म के इस गीत से कार्यक्रम की शुरूवात की, उन पर फिल्माए इस गीत को रफी साहब ने गाया हैं -

परदेसियों से न अखियाँ मिलाना परदेसियों को हैं एक दिन जाना

आखिरी दांव और पुरानी फिल्म शर्त का हेमंत कुमार का गाया गीत भी सुनवाया। जूली फिल्म से शीर्षक युगल गीत भी शामिल था। सौतन फिल्म का गीत भी सुना और सबसे अच्छा लगा मुकेश और सुमन कलयाणपुर की आवाजो में पहचान फिल्म का यह मजेदार गीत सुनना -

वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँ के गोंरी कोई पसंद न आए तुझको

शनिवार को प्रस्तोता रही मंजू (द्विवेदी) जी। होली का रंग नजर आया। प्रस्तुति में छाया गीत की छाप झलक आई। अच्छी रही प्रस्तुति। पराया धन फिल्म का होली गीत और फागुन फिल्म का होली गीत भी सुनवाया -

पिया संग खेलूँ होली फागुन आयो रे

पुराना होली गीत भी सुनवाया गोदान फिल्म से - बिरज में होली खेलत नंदलाल

लव इन शिमला का गीत भी सुनवाया जो कम ही सुनवाया जाता हैं - गाल गुलाबी किसके हैं

अन्य गीत भी शामिल रहे कश्मीर की कलि, लोफर फिल्मो से।

रविवार को शिकार, शबनम, ठाकुर जरनैल सिंह, हीरा फिल्मो के गीत सुनवाए और सफ़र फिल्म का यह गीत बहुत दिन बाद सुनना अच्छा लगा -

हम थे जिनके सहारे वो हुए न हमारे डूबी जब दिल की नैय्या सामने थे किनारे

सोमवार को प्रस्तोता रही संगीता (श्रीवास्तव) जी। प्रस्तुति में छाया गीत की छाप झलक आई। इस दिन इस कार्यक्रम में भी बहुत पुराने गीत सुनवाए गए - चाचाचा, अनपढ़, जाल और महल फिल्म का गीत आएगा आने वाला

मंगलवार को महबूब की मेहंदी, दाग, दिल अपना और प्रीत पराई, और बहुत दिन बाद सुना सेहरा फिल्म का गीत और मेरा नाम जोकर फिल्म का यह गीत - जाने कहाँ गए वो दिन

बुधवार को किस्मत, ज्वैल थीफ, आबरू फिल्मो के गीतों के साथ ससुराल फिल्म का यह गीत भी सुनवाया -

तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नजर न लगे चश्मेबद्दूर

एक बात खटक गई, सभी एकल गीत थे और वो भी गायकों की आवाजों में, एक भी गायिका की आवाज नही सुनवाई, यहाँ तक कि युगल गीत भी नही। हालांकि सभी गीत अच्छे थे फिर भी गानों के चयन में विविधता होती तो अच्छा लगता।

गुरूवार को श्रोताओं के ईमेल आधारित फरमाइशी गीतों में खामोशी, जिन्दगी फिल्मो के गीत सुनवाए, संगम फिल्म का मुकेश का गाया यह गीत भी सुनवाया -

दोस्त दोस्त न रहा प्यार प्यार न रहा

आरजू फिल्म का रफी साहब का गाया गीत सुनवाया जबकि इसी फिल्म का एक गीत दोपहर में मन चाहे गीत कार्यक्रम में सुनवाया था। इसके अलावा नई फिल्म दबंग से मस्त मस्त नैन गीत भी शामिल था जो इस सप्ताह दूसरी बार और यह फिल्म तीसरी बार शामिल रही।

बुधवार और गुरूवार को मन चाहे गीत और आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम में ईमेल से प्राप्त फ़रमाइशें पूरी की जाती है अन्य दिन पत्र देखे जाते है। देश के अलग-अलग भागों से गानों की फ़रमाइश भेजी गई। इस सप्ताह एक ख़ास बात देखी गई। पत्रों की संख्या में कमी आई। ई-मेलों की संख्या तो हमेशा से हीकम रही थी। अधिकाँश गीत एक ही पत्र और मेल पर सुनवाए गए। लेकिन 12 बजे के कार्यक्रम में एस एम एस की संख्या हमेशा से ही अधिक रही हैं और दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही हैं।
हर पत्र में और हर एस एम एस के साथ श्रोताओं के नाम बहुत होते हैं। इसीलिए विविध भारती ने सीमा लगा दी हैं। श्रोताओं से अनुरोध किया हैं कि हर एस एम एस के साथ दो श्रोताओं के नाम लिखे, हर ई-मेल के साथ चार श्रोताओं के नाम लिखे, लेकिन पत्र चूंकि दूर-दराज के क्षेत्रो से आते हैं इसीलिए यहाँ कोई पाबंदी नही हैं। अब भी हर पत्र के साथ कई श्रोताओं के नाम होते हैं।

एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम को छोड़कर सभी कार्यक्रम प्रायोजित रहे। प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। जयमाला में क्षेत्रीय विज्ञापन भी प्रसारित हुए। पूरे सप्ताह देश के विभिन्न भागों, शहरों, गाँवों, जिलो, कस्बों से श्रोताओं की फरमाइश पर नए पुराने सभी समय के गीत विभिन्न कार्यक्रमों में सुनने को मिले।

एक बात बहुत अखर गई। एक ही फिल्म के गीत दो-तीन बार सुनवाए गए। कभी एक ही गीत दुबारा सुनवाया कभी अलग-अलग गीत सुनवाए। एक ही फिल्म को दुबारा शामिल करने के लिए कम से कम एक महीने का अंतर होने से ठीक रहेगा। श्रोताओं की फरमाइश एक महीने बाद भी पूरी की जा सकती हैं।

एक और बात खटकी। दो-तीन बार कार्यक्रम के समापन पर सुनवाए गए गीत का कभी सिर्फ मुखड़ा बजा और संगीत के बाद अंतरा शुरू भी नही हो पाया और कभी थोड़ा सा अंतरा सुनवाया और कार्यक्रम का समय समाप्त हो गया। इस तरह विविध भारती ने तो श्रोताओं की फरमाइश पूरी की पर श्रोताओं को पूरा गीत सुनने को नही मिला। जब पूरा गीत सुनवा सके जितना समय न बचा हो तब कृपया गीत मत सुनवाइए।

मन चाहे गीत और आपकी फरमाइश कार्यक्रम में फरमाइश भेजने के लिए पता बताया गया -

कार्यक्रम का नाम, विविध भारती सेवा, पोस्ट बॉक्स नंबर 19705 मुम्बई 400091

ई-मेल आई डी - manchahegeet@gmail.com apkifarmaish@gmail.com

17 comments:

Ravindra Sutar said...

Very nice information I like it

Ravindra Sutar said...

Very nice information I like it

www.shesharao.com said...

Excellent information,i like all information

Unknown said...

Nombar kay he

Shashank Shekhar Tiwari said...

Superb information thank you
इस जानकारी भरे आलेख के लिए सचमुच यूनुस भाई बधाई के पात्र हैं.
बहुत उपयोगी ब्‍लॉग..।
Thank you radionamaa.blogspot.com धन्‍यवाद।

MOHD SHAMS said...

Nice information

Unknown said...

Jane kha gye bo din
Mobile ne sb chin liya

Shailendra views said...

Sahi hai

Unknown said...

This is ever best channel mobile aane vvs Ka jalwa dhalta dikhai deta hai

Unknown said...

Alok mishra

jishAn Ali said...

Number Kitna hai hello parmaish Ka

Unknown said...

Good information

Unknown said...

Number kya hai vividh bharti ka

Unknown said...

Sonali Mathur Delhi Azadpur
song tere Jesa yar Kaha
Mere bf sai ke liye

Unknown said...

Can someone please give contact no. Of hello farmaish prog.and add of patravali,thnx

Unknown said...

आपको मेरा सप्रेम नमस्कार।आपकी फरमाईश व मनचाहे गीत प्रोग्राम में ईमेल से किस दिन गीत सुनवाये जाते है।मुझे आशा है आप मेरे सवाल का उत्तर अवश्य देंगे।मुझे आपके उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी।

Unknown said...

Tune kajal lagaya din se raat ho gayi

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