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Friday, April 1, 2011

फिल्मी कलाकारों के रूपक कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 31-3-11

विविध भारती से फिल्मी कलाकारों के रूपक कार्यक्रम दो हैं - हिट सुपरहिट और आज के फनकार जो दैनिक हैं। दोनों ही कार्यक्रमों की अवधि आधा घंटा हैं। हिट सुपरहिट कार्यक्रम हर दिन दो बार प्रसारित होता हैं।


आइए इस सप्ताह प्रसारित इन दोनों कार्यक्रमों पर एक नजर डालते हैं -


दोपहर 1:00 बजे और रात 9 बजे प्रसारित हुआ हिट-सुपरहिट कार्यक्रम। शुक्रवार को यह कार्यक्रम अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे पर केन्द्रित रहा। पहला गीत सुनवाया सत्यम शिवम् सुन्दरम फिल्म का शीर्षक गीत जो जीनत अमान पर फिल्माया गया हैं। पद्मिनी कोल्हापुरे पर यह गीत फिल्माया गया -


यशोमति मय्या से बोले नंदलाला राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला


इस गीत के दो संस्करण हैं। एक में शशि कपूर के संवाद हैं और दूसरा युगल गीत के रूप में हैं। यह युगल गीत पद्मिनी कोल्हापुरे पर फिल्माया गया जहां वह बाल कलाकार के रूप में हैं। यह गीत उनके अभिनय कैरिअर का शायद पहला गीत हैं। रात में ज्यादा गड़बड़ हुई। शुरू में कलाकार का नाम ही नही बताया और इस पहले गीत को सुनवाने के बाद कहा गया कि इस गीत को सुनते ही समझ गए होगे कि नाम हैं पद्मिनी कोल्हापुरे जबकि सत्तर अस्सी के दशक की फिल्मो में रुचि रखने वाले श्रोताओं के दिमाग में इस गीत को सुनते ही नाम आता हैं - जीनत अमान


जमाने को दिखाना हैं, प्रेम रोग, प्यार झुकता नही फिल्मो के गीत सुनवाए। आहिस्ता आहिस्ता फिल्म से यह गजल भी सुनवाई -


माना तेरी नजर में तेरा प्यार हम नही कैसे कहे के तेरे तलबगार हम नही


रात में प्रेम रोग फिल्म के गीत के स्थान पर वो सात दिन फिल्म का गीत सुनवाया। यह भी बताया कि वो गायिका भी हैं लेकिन उनके पहले गीत की चर्चा नही की। उनका पहला गीत शायद यादो की बारात फिल्म का शीर्षक गीत हैं। इस गीत के दो संस्करण हैं। एक पद्मिनी कोल्हापुरे और उनकी बहन शिवांगी कोल्हापुरे ने गाया हैं। शायद इसी लोकप्रिय गीत से उनका फिल्म संसार में प्रवेश हुआ और इस लोकप्रिय गीत के बाद ही शायद उनकी अभिनय यात्रा शुरू हुई। इस गीत को सुनवाया जा सकता था या इस गीत की चर्चा की जा सकती थी।


शनिवार को प्रस्तुत हुआ - सैटरडे स्पेशल जिसके अंतर्गत किसी एक विषय पर गीत सुनवाए जाते हैं। इस दिन ऐसा विषय चुना गया जो रोमांटिक गीतों का अक्सर विषय रहा हैं पर आमतौर पर इस विषय पर खासकर गीतों के मामले में कम ही चर्चा होती हैं। यह विषय हैं - गुस्सा।


दिल ही तो हैं फिल्म का यह गीत सुनवाया -


गुस्से में जो निखरा हैं उस हुस्न का क्या कहना गुस्से में अभी हमसे तुम यूं ही खफा रहना


डिटेक्टिव फिल्म का यह गीत सुनवाया जो बहुत कम सुनवाया जाता हैं - छोडिए गुस्सा हुजूर ऎसी नाराजी भी क्या


अप्रैल फूल फिल्म का शीर्षक गीत और प्रोफ़ेसर, मर्यादा, काला पानी, लव स्टोरी फिल्मो के पुराने और बहुत पुराने लोकप्रिय गीत सुनवाए। गीतों का चुनाव अच्छा रहा। प्रस्तुति में छाया गीत की झलक मिली। अच्छी रही प्रस्तुति।


रविवार को आयोजन रहा - फेवरेट फाइव। इसमे कोई एक कलाकार आमंत्रित होते हैं, अपने पसंदीदा पांच गीत बताते हैं और यह भी बताते हैं कि यह गीत उन्हें क्यों पसंद हैं। साथ में कुछ और बातचीत भी हो जाती हैं। इस बार आमंत्रित रहे ख्यात अभिनेता, निर्माता निर्देशक राजा बुन्देला। बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। बताया कि उन्हें राजकपूर पसंद हैं। उनका हर गीत सार्थक हुआ करता हैं। सुनवाया आवारा फिल्म का शीर्षक गीत। बताया कि बचपन से उन्हें फिल्मे देखने की अनुमति नही मिली फिर भी गुरूदत्त, हृषिकेश मुखर्जी की फिल्मे देखी। देव आनंद की शैली पसंद हैं। दूसरा गीत सुनवाया गाइड फिल्म से -


वहां कौन हैं तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ


गीतों की पसंद के सम्बन्ध में कहा कि प्रेरणादायी गीत पसंद हैं, सुनवाया समझौता फिल्म से लता जी का गाया शीर्षक गीत।


प्रेरणाप्रद गीतों की चर्चा की और सुनवाया यह गीत - जिन्दगी की यही रीत हैं हार के बाद ही जीत हैं


मनोज कुमार के सिने जगत में योगदान की चर्चा की। सुनवाया उनकी फिल्म उपकार का गीत - कसमे वादे प्यार वफ़ा सब बाते हैं बातो का क्या


अंत में खैय्याम और उनके दौर के संगीतकारों की चर्चा की और सुनवाया उमराव जान फिल्म से दिल चीज क्या हैं गीत। इस तरह 6 गीत सुनवाए जबकि कार्यक्रम हैं फेवरेट फाइव यानि 5 गीत सुनवाने का। वैसे छठे गीत के लिए पर्याप्त समय भी नही था, गाना चलता रहा और साथ-साथ समापन उदघोषणा होती रही जिसमे प्रस्तुतकर्ता का नाम बताया - तनूजा कोंडाजी कानरे। शुरू और अंत में परिचय दिया और समापन किया युनूस (खान) जी ने।


सोमवार को गीतकार आनंद बक्षी को श्रद्धांजलि दी गई। ऐसे लोकप्रिय गीत सुनवाए जिनके लिए उन्हें फिल्मफेयर एवार्ड मिले।


पहला एवार्ड 1977 में अपनापन फिल्म के इस गीत के लिए - आदमी मुसाफिर हैं आता हैं जाता हैं 1981 में एक दूजे के लिए फिल्म के इस गीत के लिए दूसरा एवार्ड - तेरे मेरे बीच में कैसा हैं ये बंधन अनजाना 1995 में दिलवाले दुल्हनिया ले जाएगे फिल्म के इस गीत के लिए - तुझे देखा तो ये जाना सनम प्यार होता हैं दीवाना सनम 1999 में आखिरी एवार्ड मिला ताल फिल्म के इस गीत के लिए - इश्क बिना क्या जीना यारा


लगभग 40 बार नामांकन किया गया पर एवार्ड 4 ही मिले, ऐसे कुछ गीतों की जानकारी भी दी जो एवार्ड के लिए नामांकित किये गए पर एवार्ड के लिए चुने नही जा सके। समापन किया 1972 में रिलीज फिल्म मोम की गुडिया के लिए उन्ही के गाए इस गीत से जिसे मैंने पहली ही बार सुना -


मैं ढूंढ रहा था सपनों में तुम हो अनजाने अपनो में


रात के कार्यक्रम में उनका गाया यह गीत न सुनवा कर चरस फिल्म का गीत सुनवाया जिसमे उन्होंने भी गाया हैं। उनके बारे में हल्की सी जानकारी भी दी।


मंगलवार को अभिनेत्री पूनम ढिल्लों पर फिल्माए गए गीत सुनवाए गए। नूरी फिल्म का यह गीत बहुत दिन बाद सुन कर अच्छा लगा - चोरी चोरी कोई आए


त्रिशूल, दर्द, सोहनी महिवाल, फिल्मो के गीत सुनवाए। तेरी क़सम फिल्म का यह गीत सुनवाया जो कुमार गौरव पर फिल्माया गया हैं - ये जमीं गा रही हैं आसमाँ गा रहा हैं


उनके सम्बन्ध में एक ही बात बताई जो मैंने पहली बार सुनी कि उनका सम्बन्ध थियेटर से भी हैं।


बुधवार को कार्यक्रम निर्माता निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा पर केन्द्रित था। परिंदा, 1942 अ लव स्टोरी, मुन्ना भाई एम बी बी एस, लगे रहो मुन्ना भाई फिल्मो के गीत सुनवाए। करीब फिल्म से यह गीत भी सुनवाया - चोरी चोरी जब नज़रे मिली अच्छा लगा कि रात में मोहाली में चल रहे क्रिकेट मैच की ताजा स्थिति भी बताई गई।


गुरूवार को यह कार्यक्रम अभिनेत्री मीनाकुमारी कि पुण्य स्मृति में समर्पित किया गया। मीनाकुमारी पर फिल्माए उन फिल्मो के गीतों को सुनवाया गया जिसे फिल्मफेयर एवार्ड मिले या एवार्ड के लिए नामांकित किया गया। बैजू बावरा, साहब बीबी और गुलाम, काजल, आजाद फिल्मो के गीत सुनवाए। पाकीजा का चलते चलते गीत भी सुनवाया। आरती फिल्म का यह गीत मीनाकुमारी और प्रदीप कुमार के संवादों के साथ सुनवाया -


कभी तो मिलेगी बहारो की मंजिल


फिल्मो की रिलीज के वर्ष और उनके अभिनय से सम्बंधित एक-दो बाते भी बताई।


पद्मिनी कोल्हापुरे और पूनम ढिल्लों पर कार्यक्रम प्रसारित करते समय यह कहा गया कि उनकी फिल्मो के गीत सुनवाए जा रहे हैं। शायद इसीलिए सत्यम शिवम् सुन्दरम और तेरी क़सम फिल्मो के गीत सुनवाए जो उन फिल्माए नही गए। मुझे लगता हैं किसी निर्माता निर्देशक की फिल्म को उनकी फिल्म कहा जा सकता हैं पर अभिनेता अभिनेत्री जिस फिल्म में काम करते हैं उस फिल्म को उनकी फिल्म नही कहा जा सकता। इसीलिए बेहतर होगा कि अभिनेता अभिनेत्री पर केन्द्रित कार्यक्रमों में वही गीत सुनवाइए जो उन पर फिल्माए गए हो। अजीब सी स्थिति हो गई जब कार्यक्रम सुन रहे थे पद्मिनी कोल्हापुरे पर और गीत सुना रहे थे वो जो जीनत अमान से जुडा हैं इसी तरह पूनम ढिल्लों पर कार्यक्रम सुनते समय कुमार गौरव पर फिल्माए गीत को सुनना बड़ा अजीब इसीलिए भी अधिक लगा कि यह गीत नायिका को संबोधित भी नही था।


रात 9:30 बजे आज के फनकार कार्यक्रम प्रसारित किया गया। शुक्रवार को यह कार्यक्रम अभिनेता फारूख शेख पर केन्द्रित था। इस दिन उनका जन्मदिन था। शुरूवात अच्छी की, कथा फिल्म के कौन आया गीत से। बताया कि उनकी पहली फिल्म गरम हवा थी। पहली व्यावसायिक फिल्म नूरी थी। उनकी विभिन्न फिल्मो में अभिनय की, उनकी हास्य और गंभीर भूमिकाओं की भी चर्चा की। बाजार फिल्म का सीन सुनवाया जिसमे उनके सुप्रिया पाठक के साथ हैदराबादी भाषा में संवाद हैं जहां वो चूडिया बेच रहे हैं। चश्मेबद्दूर, उमराव जान जैसी सभी प्रमुख फिल्मो की चर्चा की और गीत भी सुनवाए। उनके रंगमंच के काम की भी चर्चा हुई। बताया कि उन्होंने शबाना आजमी के साथ आपकी अमृता नाटक में काम किया, आज भी वो नाटको में व्यस्त हैं। शोध, आलेख और स्वर युनूस (खान) जी का रहा।


शनिवार को यह कार्यक्रम केन्द्रित रहा आज के दौर की संगीतकार जोडी सलीम-सुलेमान पर। बताया कि पहली फिल्म हैं प्यार में कभी-कभी जिसमे पार्श्व संगीत दिया। अन्य फिल्मो में भी पार्श्व संगीत दिया - क़यामत, डरना मना हैं। भूत फिल्म के लिए एवार्ड भी मिला। इक़बाल और रब ने बना दी जोडी फिल्मो के गीतों में उनका संगीत लोकप्रिय हुआ। चेक दे इंडिया, फैशन उनकी उल्लेखनीय फिल्मे हैं और नई फिल्म बैंड बाजा बारात की भी चर्चा हुई। इन सभी फिल्मो के गीत सुनवाए।


रविवार को विश्व रंगमंच दिवस था। इस अवसर पर उन कलाकारों की चर्चा हुई जिनका सम्बन्ध सिनेमा के साथ रंगमंच से भी रहा। ऐसा पहला नाम हैं पृथ्वी राज कपूर जिनका सम्बन्ध पृथ्वी थियेटर से रहा। एक सीन भी सुनवाया जो शायद मुगले आजम फिल्म का था। अगला नाम बताया सोहराब मोदी। यहाँ भी एक सीन सुनवाया जो शायद पुकार फिल्म का था। उनकी रिकार्डिंग भी सुनवाई जिसमे उन्होंने ऐतिहासिक विषयो को पसंद करने की बात बताई। अगला नाम रहा बलराज साहनी का जिनका सम्बन्ध इप्टा से रहा। जिससे गीतकार कैफी आजमी, शौक़त आजमी और शबाना आजमी भी जुड़े हैं। इसी तरह नसीरूद्दीन शाह, फारूख शेख, अमोल पालेकर, दिनेश ठाकुर, अमरीश पुरी, ओम पुरी, पंकज कपूर, अनुपम खेर, परेश रावल, राकेश बेदी, इला अरूण की चर्चा हुई। आज के दौर के कलाकारों की भी चर्चा हुई - सीमा विश्वास, रघुवीर यादव, मनोज वाजपेयी, आशीष विद्यार्थी, इरफान खान। अभिनय के अलावा लेखन के लिए सौरभ शुक्ला, गीतकार स्वानंद किरकिरे, संगीतकार उत्तम सिंह की चर्चा हुई। सम्बंधित गीत भी सुनवाए। शोध, आलेख और स्वर युनूस (खान) जी का रहा। अच्छी रही प्रस्तुति।


सोमवार को यह कार्यक्रम गीतकार आनंद बक्षी को समर्पित किया गया। इस दिन उनकी पुण्य तिथि थी। बताया कि उनका जन्म रावलपिंडी में हुआ था। कुछ दिन थल सेना में भी नौकरी की। फिर गायक और अभिनेता बनने का शौक़ लेकर बम्बई आए। लिखने का शौक़ भी था जो काम आया और भगवान दादा की फिल्म बड़ा आदमी के लिए पहला गीत लिखा। लेकिन लोकप्रियता मिली जब जब फूल खिले फिल्म के इस गीत से -


परदेसियो से न अँखियाँ मिलाना


पर आगे काम नही मिल पाया क्योंकि हर संगीतकार के अपने-अपने गीतकार रहे। इसके बाद मिली फिल्म मिलन जिसका यह गीत बहुत लोकप्रिय हुआ -


सावन का महीना पवन करे सोर


इस गीत के अनुभव उनसे ही सुने। उनकी आवाज में रिकार्डिंग भी सुनवाई। यह भी बताया कि उन्होंने लगभग 4500 गीत लिखे जिनमे अधिकाँश गीतों में प्यार के विविध रंग हैं। चर्चा में आए गीत सुनवाए। प्रस्तोता रही रेणु (बंसल) जी।


मंगलवार को यह कार्यक्रम हास्य अभिनेता जगदीप पर केन्द्रित रहा। इस दिन उनका जन्मदिन था। उनके बारे में जानकारी उन्ही के मुख से सुनवाई गई यानि रिकार्डिंग सुनवाई गई जिसमे उन्होंने खुद के बारे में बताया। रिकार्डिंग के वो अंश सुनवाए जिसमे उन्होंने बताया कि उनका बचपन संघर्षो में बीता। बचपन में काम करते थे। काम के रूप में ही फिल्मो में अभिनय किया और बाल कलाकार बन गए। बीच-बीच में उन फिल्मो के गीत सुनवाए - हम पंछी एक डाल के, गुरूदत्त की फिल्म आर-पार। यहाँ यह भी बताया की रफी साहब ने उनके लिए गाने के लिए कैसे आवाज का अंदाज बदला। इसके बाद बताया कि कैसे शोले फिल्म में सूरमा भोपाली की भूमिका मिली। इस फिल्म के दो सीन सुनवाए। सूरमा भोपाली फिल्म बनाने की बात भी बताई। कुल मिलाकर ऐसे लगा कि किसी कार्यक्रम के लिए की गई बातचीत के अंश यहाँ सुनवा दिए गए। अंशो का चुनाव भी ठीक नही रहा। उनकी आरंभिक फिल्मो की बात हुई यानि बाल कलाकार के रूप में, फिल्म शोले और फिल्म बनाने की बात हुई, इस तरह हास्य अभिनेता के रूप में उनकी छवि उभर कर नही आई। कई फिल्मो में उन्होंने हास्य भूमिकाएं की जिनके नाम तक नही बताए गए। जहां तक मेरी जानकारी हैं बतौर नायक उनकी एक फिल्म हैं नूरमहल। यह फिल्म नही चली पर इसमे उन पर और नायिका पर फिल्माया गया सुमन कल्याणपुर का गाया यह गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था -


मेरे महबूब न जा आज की रात न जा


इसकी भी चर्चा नही हुई। प्रस्तोता रहे युनूस (खान) जी।


बुधवार को निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा पर कार्यक्रम केन्द्रित रहा। बताया कि पहले आई एस जौहर के सहायक थे फिर अपने भाई बी आर चोपड़ा के सहायक बने। बी आर चोपड़ा ने उन्हें पहली बार निर्देशन का मौक़ा दिया और उनकी पहली फिल्म आई धूल का फूल। इस तरह सामाजिक समस्या पर फिल्म निर्देशित की, अगली फिल्म रही वक़्त। 1973 में अपनी फिल्म कम्पनी खोली - यश राज प्रोडकशनस और पहली फिल्म बनाई दाग। इसके बाद सिलसिला चल पडा, प्यार के विविध रंग बताती एक के बाद एक फिल्मे बनाई जिनमे से कुछ नाम हैं - इत्तेफाक, कभी-कभी, काला पत्थर, सिलसिला, डर, मोहब्बते। दूसरे निर्माताओं के लिए भी फिल्मे निर्देशित की - त्रिशूल, दीवार। उन्हें मिले पुरस्कारों की भी जानकारी दी। फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे उनके दोनों बेटो के बारे में भी बताया - आदित्य चोपड़ा जिन्होंने दिल तो पागल हैं निर्देशित की और उदय चोपड़ा जिन्होंने धूम में अभिनय किया। प्रस्तोता रहे अमरकांत जी। अच्छा संतुलित रहा कार्यक्रम।


गुरूवार को अभिनेत्री मीनाकुमारी पर केन्द्रित रहा यह कार्यक्रम। इस दिन उनकी पुण्य तिथि थी। बताया कि असली नाम महजबीं हैं। पिता संगीत शिक्षक होने से बचपन से कला का माहौल रहा। पहली फिल्म मिली विजय भट्ट की, बाल कलाकार के रूप में। बतौर नायिका पहली फिल्म रही बैजू बावरा। साहब बीबी और गुलाम और परिणीता फिल्म में उनकी अभिनय क्षमता उभर कर आई। भावुक भूमिकाएं अधिक की। उनकी फिल्मे फूल और पत्त्थर, साहब बीबी और गुलाम के सीन सुनवाए। उनकी कॉमेडी भूमिका की भी चर्चा की मिस मेरी फिल्म से पर अधिक कॉमेडी फिल्म थी किशोर कुमार के साथ शरारत जिसका नाम भी नही बताया। इसी तरह से आजाद फिल्म की चर्चा भी नही की जिसमे उनके नृत्य बहुत पसंद किए गए थे जो शायद पहली बार उन्होंने किए थे। उन्हें मिले एवार्ड्स की चर्चा की जिसमे उल्लेखनीय हैं वर्ष 1962, इस वर्ष सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए तीन फिल्मो को नामांकित किया गया, तीनो उन्ही की फिल्मे थी - साहब बीबी और गुलाम, मैं चुप रहूंगी और आरती जिनमे से साहब बीबी और गुलाम के लिए उन्हें एवार्ड मिला। जिन फिल्मो के लिए उन्हें एवार्ड मिला उनमे परिणीता, शारदा, बैजू बावरा फिल्मे भी शामिल हैं। उनके शायर रूप की भी चर्चा हुई और गुलज़ार द्वारा उनकी आवाज में उनकी शायरी को संपादित कर निकाले गए एलबम की भी जानकारी दी। बताया कि उनकी रूहानी आवाज लोगो ने बहुत पसंद की। पाकीजा और चित्रलेखा फिल्मो की भी चर्चा की पर दो महत्वपूर्ण फिल्मो की चर्चा नही हुई - मेरे अपने जिसमे उन्होंने नानी माँ की भूमिका की और अंतिम फिल्म गोमती के किनारे। उनके द्वारा फ़ौजी भाइयो के लिए प्रस्तुत जयमाला की रिकार्डिंग के अंश भी सुनवाए। प्रस्तुति अच्छी रही।


पूरे सप्ताह इस कार्यक्रम को विजय दीपक छिब्बर जी ने प्रस्तुत किया। सहयोग पी के ए नायर जी का रहा।


सोमवार और गुरूवार को दोनों ही कार्यक्रम गीतकार आनंद बक्षी और अभिनेत्री मीनाकुमारी को समर्पित रहे। हिट सुपरहिट में प्रस्तुति का नया अंदाज अच्छा लगा। वैसे सारी बाते एक ही कार्यक्रम में समेटी जा सकती थी। केवल आज के फनकार कार्यक्रम का प्रसारण पर्याप्त था।


विभिन्न कलाकारों के जन्मदिन और पुण्य तिथि पर अलग-अलग कार्यक्रम प्रसारित करने के बजाए एक ही रूपक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जा सकता था। वैसे भी हर दिन एक ही फनकार कार्यक्रम सुनना अच्छा नही लगता।


हिट सुपरहिट कार्यक्रम भी दोपहर में 1 बजे से 1:30 बजे तक प्रसारित होता हैं फिर यही कार्यक्रम रात में 9 बजे से 9:30 बजे तक प्रसारित होता हैं। दो समय प्रसारण के बजाय एक समय अन्य कार्यक्रम प्रसारित किए जा सकते हैं। इस तरह रात के एक घंटे के और दोपहर के आधे घंटे के प्रसारण समय में अन्य कार्यक्रम सुनवाए जा सकते हैं। कार्यक्रमों में विविधता आने से रोचकता बढ़ेगी।


दोनों ही कार्यक्रमों की अपनी-अपनी संकेत धुन हैं। हिट-सुपरहिट की धुन में लोकप्रिय गीतों के संगीत के अंश हैं, यहाँ एक बढ़िया उपशीर्षक भी हैं - शानदार गानों का सुरीला सिलसिला। संकेत धुनें कार्यक्रमों के आरम्भ और अंत में सुनवाई गई। हिट सुपरहिट कार्यक्रम के दौरान और रात में दोनों कार्यक्रमों के बीच के अंतराल में अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजको के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। एकाध बार क्षेत्रीय विज्ञापन भी प्रसारित हुए। विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी देते संदेश (प्रोमो) भी प्रसारित हुए।


मंगलवार की रात और बुधवार दोपहर में प्रसारण में कुछ तकनीकी गड़बड़ रही। कुछ समय प्रसारण गायब रहा, खरखराहट रही, अन्य आवाजे सुनाई दी।

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