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Friday, May 30, 2008

गुलदस्ता

गुलदस्ता - विविध भारती से रात में नौ बजे से साढे नौ बजे तक प्रसारित होने वाला एक ऐसा कार्यक्रम जिसमें ग़ैर फ़िल्मी गीत ग़ज़ल सुनवाए जाते है।

यह कार्यक्रम हमेशा से ही विविध भारती पर प्रसारित होता रहा है। पहले यह रंग-तरंग नाम से दोपहर में प्रसारित होता था।

ऐसा ही कार्यक्रम सिलोन पर साढे बारह से एक बजे तक दोपहर में हुआ करता था। यही कार्यक्रम दस या पन्द्रह मिनट के लिए सुगम संगीत नाम से हैदराबाद केन्द्र से भी होता है। आजकल बहुत ही कम हो गया है।

इसी कार्यक्रम से कई ऐसे कलाकारों की पहचान बनती है जो फ़िल्मों तक नहीं जाते। इसके अलावा फ़िल्मी हस्तियों को भी एक अलग अंदाज़ में हम सुन सकते है।

पहले तो इस कार्यक्रम में गीतकार या शायर, गायक और संगीतकार के नाम ही बताए जाते थे पर अब समय के साथ-साथ बदलाव आया है और एलबम के नाम भी बताए जाते है।

ऐसे एलबमों के गीत भी बजते है जिससे नामचीन हस्तियाँ जुड़ी है जैसे दिशा एलबम में आवाज़ अलका याज्ञिक की और गीत अटल बिहारी वाजपेयी के है। इस तरह गुलदस्ता में पुराने नाम भी है जैसे हेमन्त कुमार जाने पहचाने नाम है जैसे जावेद अख़्तर, गुलज़ार, आशा भोंसले और ऐसे नाम भी है जो ग़ैर फ़िल्मी संगीत में अधिक सुने जाते है जैसे जगजीत सिंह, हरिहरन और साथ ही नए नाम भी जुड़ते है।

चुनाव भी बहुत बढिया होता है। युगल स्वरों की यह ग़ज़ल -

जब रात का आँचल गहराए
और सारा आलम सो जाए
तुम मुझसे मिलने शमा जला कर
ताजमहल में आ जाना

यह राजेन्द्र मेहता नीना मेहता से लेकर स्थानीय केन्द्र में हैदराबाद के स्थानीय कलाकारों की आवाज़ों में भी कई-कई बार सुना और हर बार सुनना अच्छा लगा।

आजकल आकाशवाणी के शुरूवाती दौर के कलाकारों की आवाज़ें बहुत कम सुनने को मिल रही है जैसे उषा टण्डन, शान्ता सक्सेना, शान्ति माथुर, मधुरानी। वैसे भी आजकल फ़िल्मी गीतों से ज्यादा गैर फ़िल्मी गीत आ गए है और इस तरह के कार्यक्रम होते है कम इसीलिए पुरानी आवाज़े कम होती जा रही है।

लगता है विविध भारती को जल्दी ही पुराने फ़िल्मी गीतों के कार्यक्रम की तरह पुराने ग़ैर फ़िल्मी गीतों - ग़ज़लों का कार्यक्रम भी शुरू करना पड़ेगा नहीं तो नई पीढी का परिचय इन लाजवाब कलाकारों से नहीं हो पाएगा।

1 comment:

Yunus Khan said...

हम्‍म बात तो सही है

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