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Sunday, January 4, 2009

एक मित्र की मदद करें

हमारे एक नये श्रोता/पाठक विनोद श्रीवास्तव ने एक मेल भेजी है जो अक्षरश: यहाँ प्रस्तुत है।
बहुत सालों पहले आल इण्डिया रेडियो पर दो कार्यक्रमों के बीच के खाली समय में एक कर्णप्रिय धुन बजायी जाती थी. वह धुन किसी तार वाद्य ( सितार, संतूर, बैंजो आदि ) पर बजायी गई थी. पुराने रेडियो श्रोताओं को उस धुन की याद जरुर होगी. वह धुन आजकल नही सुनाई पड़ती है. क्या कही से वह धुन पुनः सुनी जा सकती है? कृपया मार्गदर्शन करें.
अगर आप मित्रों में से किसी के पास वह धुन हो तो कृपया रेडियोनामा को भी भेजें, ताकि अन्य श्रोता/पाठक भी उस धुन को सुन सके। हम उसे रेडियोनामा पर आपके नाम से लगायेंगे।

#सागर नाहर

9 comments:

Anonymous said...

http://dr-narasinha-kamath.sulekha.com/blog/post/2007/11/flute-raga-hamsdhwani-as-played-by-me-live-on-stage.htm
isko daekahe

Vijay Kumar said...

मैडम आपका धन्यवाद
आपके द्वारा भेजा गया लिंक काम नही कर रहा है. कृपया इसे जाँच कर पुनः भेजने की कृपा करें.
विनोद श्रीवास्तव

सागर नाहर said...

विनोद जी, रचनाजी का बताया गया लिंक बिल्कुल सही काम कर रहा है, और मैं अभी बांसुरी पर राग हंसध्वनि सुन रहा हूँ, और आनंदित हो रहा हूँ।
लगता है " जा तोसे नाहीं बोलू कन्हैया" गीत इसी राग पर आधारित है, क्यों कि कई बार सुनते समय उस गीत का अहसास हुआ।
रचनाजी का बहुत बहुत धन्यवाद, इतना बढ़िया राग- बांसुरीवादन सुनवाने के लिये, और विनोदजी का विशेष धन्यवाद की जिनके प्रश्न से यह सुनने को मिला।

सागर नाहर said...

विनोद जी इस लिंक पर क्लिक करें शायद इस बार आपका वांछित पेज खुल जाये
राग हंसध्वनि

विनोद श्रीवास्तव said...

अभी ब्लॉग जगत से परिचय हुए मात्र एक सप्ताह हुआ. वैसे तो कुछ फिल्मी हस्तियों के ब्लोग्स के बारे में सुना था लेकिन एक दिन अख़बार में राधिका बुधकर जी के बारे में पढ़ कर ब्लॉग की दुनिया से रूबरू हुआ. विश्वास नही होता कि इतने संवेदनशील और जागरूक लोग बिना किसी स्वार्थ के इतने महती कार्य में लगे हैं.
मेरे अनुरोध को इतने दिनों तक अपने मुख्य पृष्ठ पर बनाये रखने के लिए शाधुवाद. रचना जी के मधुर धुन के लिए उनका और रेडियो नामा का कोटि कोटि धन्यवाद. सागर नाहर जी, आप द्वारा मेरे ब्लोग्स पर सुझाव और हौसलाफजाई की शख्त दरकार है.
विनोद श्रीवास्तव
http://janekya.blogspot.com/

Yunus Khan said...

मित्रो मुझे वो धुन याद आ गई है ।
जल्‍दी ही खोजकर आपको सुनवाता हूं ।

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

श्री युनूस जी क्या आप मेंडोलिन पर जस्वंत सिँह की बजाई दो घूनों में से एक का जिक्र कर रहे है, जो शायद परसों ही विविध भारती पर भूले बिसरे गीत के अंतराम में बजी थी ?
जरूर बताईएगा । मैँनें यह धून थोडी सी ही जैसी बन पडी की बोर्ड पर बजा कर सागर भाई को ई मेईल से भेजी है ।

पियुष महेता ।
सुरत -395001

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

श्री युनूस जी क्या आप मेंडोलिन पर जस्वंत सिँह की बजाई दो घूनों में से एक का जिक्र कर रहे है, जो शायद परसों ही विविध भारती पर भूले बिसरे गीत के अंतराम में बजी थी ?
जरूर बताईएगा । मैँनें यह धून थोडी सी ही जैसी बन पडी की बोर्ड पर बजा कर सागर भाई को ई मेईल से भेजी है ।

पियुष महेता ।
सुरत -395001

विनोद श्रीवास्तव said...

रेडियोनामा, रेडियोवाणी, सागर नाहर जी और युनुस जी का बहुत बहुत धन्यवाद जिनके योगदान से सालों से गुम, एक बहुत मधुर धुन पुनः सुनने को मिली. श्री जसवंत सिंह जी द्वारा बजायी गई यह धुन फिलहाल रेडियोवाणी के 16.01.09 के पोस्ट पर उपलब्ध है. कृपया इसे रेडियोनामा पर भी पोस्ट करें.

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