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Friday, November 12, 2010

फिल्मी कलाकारों के रूपक कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 11-11-10

कार्यक्रमों का यह स्वरूप विविध भारती का नया रूप हैं। इस स्वरूप के कार्यक्रम कुछ ही समय से प्रसारित हो रहे हैं। ऐसे दो ही कार्यक्रम हैं - हिट सुपर हिट और आज के फनकार जो दैनिक हैं।

दोनों ही कार्यक्रमों का स्वरूप एक जैसा हैं, बारीक सा अंतर हैं। आज के फनकार कार्यक्रम जैसा कि शीर्षक से ही पता चलता हैं हर दिन किसी एक कलाकार पर केन्द्रित होता हैं। हिट सुपरहिट कार्यक्रम में शनिवार और रविवार को विशेष आयोजन होता हैं जिनके शीर्षक भी अलग हैं और शेष हर दिन किसी एक कलाकार पर केन्द्रित होता हैं।

हिट सुपरहिट कार्यक्रम में किसी एक कलाकार के हिट सुपरहिट गीत सुनवाए जाते हैं। उस कलाकार पर हल्की-फुल्की जानकारी दी जाती हैं। कभी-कभी सिर्फ गीत ही सुनवा दिए जाते हैं। इस तरह इस कार्यक्रम में गीत सुनवाना प्रमुख हैं।

आज के फनकार कार्यक्रम में गीत सुनवाना प्रमुख नही हैं, अक्सर गीतों की झलक ही सुनवाई जाती हैं। यहां कलाकार के बारे में जानकारी देना प्रमुख हैं। कोशिश की जाती हैं कि पूरी जानकारी दी जाए। बीच-बीच में कुछ रिकार्डिंग भी सुनवाई जाती हैं जिसमे विविध भारती के किसी अन्य कार्यक्रम में उसी कलाकार से की गई बातचीत होती हैं या अन्य कलाकारों द्वारा उनके बारे में कही बाते होती हैं। कभी फिल्मो के संवाद भी सुनवाए जाते हैं। कई बार ये दोनों कार्यक्रम ऐसे नए-पुराने, छोटे-बड़े, कलाकारों पर केन्द्रित होते हैं जिनका उस दिन जन्म दिन या पुण्य तिथि होती हैं। दोनों ही कार्यक्रमों की अवधि आधा घंटा हैं। हिट सुपरहिट कार्यक्रम हर दिन दो बार प्रसारित होता हैं। ये बाते इन कार्यक्रमों की रोचकता को कम कर देती हैं। अंग्रेजी में कहावत हैं न - शॉर्ट एंड स्वीट यदि यह मुहावरा इन कार्यक्रमों पर लागू हो तो दोनों कार्यक्रम बढ़िया हो जाए।

हिट सुपरहिट कार्यक्रम दोपहर में 1 बजे से 1:30 बजे तक प्रसारित होता हैं फिर यही कार्यक्रम रात में 9 बजे से 9:30 बजे तक प्रसारित होता हैं। कभी कुछ अंतर दोपहर और रात के प्रसारण में रखा जाता हैं कभी पूरा कार्यक्रम वैसे ही दुबारा प्रसारित किया जाता हैं। दो बार प्रसारण के बजाए एक समय कोई और कार्यक्रम प्रसारित किया जा सकता हैं। आज के फनकार कार्यक्रम भी हर दिन सुनना अच्छा नही लगता। एक जैसा कार्यक्रम हर दिन सुनते-सुनते ऊब होने लगती हैं। इस समय विविधता हो तो अच्छा रहेगा। खासकर जब दो से अधिक दिन तक ऐसे कलाकारों पर कार्यक्रम होता हैं जिनका जन्मदिन हो तब भी ऊब होने लगती हैं।

हमारा सुझाव हैं कि हिट सुपरहिट कार्यक्रम रोज एक ही बार प्रसारित कीजिए। दोनों ही कार्यक्रमों के लिए सप्ताह में एक दिन विशेष कार्यक्रम रख दीजिए जो उस सप्ताह में होने वाले कलाकारों के जन्मदिन और पुण्य तिथि पर आधारित हो। इस विशेष कार्यक्रम के अलावा एक दिन सामान्य रूप से आज के फनकार कार्यक्रम रख दीजिए। शेष समय में अन्य कार्यक्रम रखिए जो चाहे आधे घंटे का एक कार्यक्रम हो या 15 मिनट के दो।

ऐसे कई कार्यक्रम हैं जो कुछ ही समय पहले बंद हुए हैं उन्हें दुबारा शुरू किया जा सकता हैं जैसे - बज्म-ऐ-क़व्वाली, लोकसंगीत, अनुरंजनि, एक ही फिल्म से, फिल्मी और गैर फिल्मी नए गीत इनके अलावा कुछ अन्य कार्यक्रम भी सुनवाए जा सकते हैं जैसे फिल्मी भक्ति, देश भक्ति और हास्य गीतों के कार्यक्रम तथा बच्चो के कार्यक्रम

कुछ पुराने लोकप्रिय कार्यक्रमों को दुबारा शुरू किया जा सकता हैं जैसे - एक और अनेक कार्यक्रम जिसमे एक ही कलाकार के अन्य कलाकारों के साथ गीत सुनवाए जा सकते हैं, साज और आवाज कार्यक्रम - वैसे भी प्रसारण के दौरान अंतराल में फिल्मी गीतों की धुनें सुनवाई जाती हैं, इन्ही धुनों और मूल गीतों का कार्यक्रम भी प्रसारित किया जा सकता हैं।

एक बहुत पुराना रोचक कार्यक्रम था - चतुरंग जिसमे विविध विधाओं के फिल्मी गीत सुनवाए जाते थे जैसे गजल के बाद युगल गीत फिर एकल (सोलो) गीत फिर क़व्वाली, समूह गीत, भजन।

क्षेत्रीय कार्यक्रमों से भी कार्यक्रमों के कुछ स्वरूप लिए जा सकते हैं जैसे - हैदराबाद में एक हिन्दी फिल्मी गीतों का कार्यक्रम जो बहुत कम समय तक प्रसारित हुआ था - अक्स और आवाज जिसमे किसी एक ही कलाकार पर फिल्माए गए, एक ही कलाकार के गाए गीत सुनवाए जाते थे जैसे - अक्स राजकपूर का आवाज मुकेश की।

इस तरह लगातार इन दो कार्यक्रमों को सुनने के बजाए इन विविध कार्यक्रमों से प्रसारण की रोचकता बढ़ जाएगी।

आइए इस सप्ताह प्रसारित इन दोनों कार्यक्रमों पर एक नजर डालते हैं -

दोपहर 1:00 बजे और रात 9 बजे प्रसारित हुआ हिट-सुपरहिट कार्यक्रम।

शुक्रवार को पार्श्व गायक कैलाश खेर के गाए गीत सुनवाए गए। सलामे इश्क, कारपोरेट, दिल्ली 6 फिल्मो के गीत सुनवाए। स्वदेश फिल्म का गीत -

यूंही चला चला ही सुना और यह गीत भी शामिल था - ये दुनिया उटपटांगा

रात में अल्लाह के बन्दे गीत से शुरूवात की परन्तु यह गीत दोपहर में सुनवाया ही नही गया।

शनिवार को प्रस्तुत हुआ - सैटरडे स्पेशल जिसमे ऎसी फिल्मो के गीत सुनवाए गए जिनके नाम आप शब्द से शुरू होते हैं। आप आए बहार आई, आप की क़सम फिल्मो के शीर्षक गीत सुनवाए। आप तो ऐसे न थे, पुरानी फिल्म आप की परछाइयां के गीत सुनवाए गए।

नई फिल्म आप का सुरूर से हिमेश रेशमिया का गाया यह गीत सुनवाया - ये तेरा मेरा मिलना

और इस गीत की जगह रात में नई फिल्म आप मुझे अच्छे लगने लगे का शीर्षक गीत सुनवाया गया।

रविवार को आयोजन रहा - फेवरेट फाइव। इसमे अभिनेता सोनू सूद से फोन पर बातचीत की रेणु (बंसल) जी ने। उनकी फिल्म दबंग की चर्चा की। रेणु जी के प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि पहले भी फिल्मी गीत सुना करते थे। यह भी बताया कि संगीत टीम का हिस्सा बनना चाहेगे। अपने चरित्रों के बारे में स्पष्ट किया कि अभी नकारात्मक भूमिकाएं हैं आगे सकारात्मक भूमिकाओं में भी उन्हें दर्शक देखेगे। व्यक्तिगत जीवन के सम्बन्ध में अपनी बहनों को याद किया। अपने पसंदीदा नए-पुराने 5 गीत सुनवाए - दबंग फिल्म के अलावा पुरानी फिल्मे मासूम, आंधी, हरे रामा हरे कृष्णा और यादो की बारात का यह गीत - चुरा लिया हैं तुमने जो दिल को फोन पर रिकार्डिंग स्पष्ट रही। शुरू और अंत में परिचय दिया और समापन किया निम्मी (मिश्रा) जी ने। इस कार्यक्रम को तेजेश्री (शेट्टे) जी के तकनीकी सहयोग से प्रस्तुत किया कल्पना (शेट्टी) जी ने।

सोमवार को पार्श्व गायिका साधना सरगम के गाए गीत सुनवाए गए। फिल्म साथिया, जाबांज, हम हैं राही प्यार के, सपने फिल्मो के गीत सुनवाए और यह गीत सुनवाया - सात समंदर पार मैं तेरे पीछे-पीछे आ गई

लेकिन रात को इस कार्यक्रम का स्वरूप अलग रहा। साधना सरगम के बारे में हल्की सी जानकारी दी कि उनका पूरा नाम साधना खांडेकर हैं। बचपन में अपनी माँ से शास्त्रीय संगीत सीखा। बाद में प्रशिक्षण लिया फिर पंडित जसराज से सीखा। साथिया, हम हैं राही प्यार के, सपने फिल्म के गीत दोपहर की तरह ही सुनवाए पर दो गीतों को बदला गया - क्यों हो गया न फिल्म से और डोली सजा के रखना फिल्म का यह प्यारा सा गीत सुनवा कर गानों में अलग-अलग मूड और भाव बनाए रखे -

झूला बाहों का आज भी होना मुझे भैय्या

मंगलवार को संगीतकार अन्नू मलिक के स्वरबद्ध किए लोकप्रिय गीत सुनवाए गए। मैं खिलाड़ी तू अनाडी, रेफ्यूजी, बाजीगर फिल्मो के गीत सुनवाए गए। बौर्डर फिल्म से संदेशे आते हैं सुनवाया गया। उनकी चर्चित फिल्मो के नाम बताए। उन्हें मिले पुरस्कारों की भी चर्चा हुई। बताया कि पार्श्व गायन में भी उनका दखल हैं, कोरस में उनकी आवाज भी सुनी जा सकती हैं।

बुधवार को गीतकार फैज अनवर के लिखे गीत सुनवाए। तुम बिन, गुनाह, हैलो ब्रदर फिल्मो के गीत सुनवाए गए। दिल हैं के मानता नही फिल्म का शीर्षक गीत और साजन फिल्म का यह कम सुनवाया जाने वाला गीत सुनना अच्छा लगा -

पहली बार मिले हैं
मिलते ही दिल ने कहा मुझे प्यार हो गया

गुरूवार को गीतकार शायर जावेद अख्तर के लिखे गीत सुनवाए गए। 1942 अ लव स्टोरी फिल्म से एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा गीत सुनवाया गया। रेफ्यूजी, लगान, वीर जारा फिल्मो के गीत सुनवाए गए। जोधा अकबर फिल्म से यह गीत भी सुनवाया - कहने को जश्ने बहारां हैं

रात को वीर जारा के स्थान पर कल हो न हो फिल्म का शीर्षक गीत सुनवाया गया।

इस कार्यक्रम के दौरान और समापन पर कभी-कभार अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजको के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और अन्य कार्यक्रमों के लिए सन्देश भी दिए गए।

रात 9:30 बजे आज के फनकार कार्यक्रम प्रसारित किया गया। शुक्रवार को अभिनेत्री कैटरीना कैफ पर यह कार्यक्रम लेकर आई रेणु (बंसल) जी। नई अभिनेत्री होने से बताने के लिए बाते अधिक नही थी। बताया कि उनका जन्म होंगकॉंग में हुआ। फिर इंग्लैण्ड से मॉडलिंग शुरू की। मुम्बई में भी मॉडलिंग की। उन्हें पहचान मिली मैंने प्यार क्यों किया फिल्म से। पार्टनर फिल्म भी सफल रही। नमस्ते लन्दन में उनकी बढ़िया भूमिका थी और रेस फिल्म में पहली बार निगेटिव रोल किया। अजब प्रेम की गजब कहानी फिल्म की भी चर्चा की और नई फिल्म राजनीति की भी चर्चा हुई जिसका एक संवाद भी सुनवाया गया। इन सभी फिल्मो के गीत भी सुनवाए। इस कार्यक्रम को पी के ऐ नायर जी के तकनीकी सहयोग से विजय दीपक छिब्बर जी ने प्रस्तुत किया।

शनिवार को यह कार्यक्रम ख्यात अभिनेता संजीव कुमार की पुण्य स्मृति में निम्मी (मिश्रा) जी ने प्रस्तुत किया। उनका मूल नाम बताया - हरिहर जेठालाल जरीवाला। बताया कि बचपन से ही थियेटर से जुड़े रहे। उनकी पहली फिल्म हैं - हम हिन्दुस्तानी। साठ के दशक की उनकी शुरूवाती फिल्मो संघर्ष, शिकार की चर्चा की। खिलौना, कोशिश फिल्मो के उनके प्रशंसनीय अभिनय की चर्चा की। उनकी विभिन्न फिल्मो मौसम, अनोखी रात, अनुभव, सीता और गीता, अस्सी के दशक की अंगूर, टक्कर फिल्मो के नाम भी बताए। लीक से हट कर सिनेमा दस्तक और लीक से हट कर अभिनय पति पत्नी और वो की चर्चा हुई, गीत भी सुना - ठन्डे
ठंडे पानी से नहाना चाहिए

अन्य लोकप्रिय गीत भी सुनवाए गए मौसम, अनोखी रात फिल्मो से। पुरस्कारों की भी चर्चा हुई। फिल्म नया दिन नई रात में उनके नौ रूपों की चर्चा भी की और परिचय फिल्म की चर्चा से यह भी बताया कि रोमांटिक से बूढ़े तक का अभिनय किया। यहाँ एक बात अखर गई - लगभग एक ही समय में उनकी दो फिल्मे रिलीज हुई थी - परिचय और अनामिका, दोनों में जया भादुड़ी थी। परिचय में वह उनके पिता बने जबकि अनामिका में वह उनकी नायिका थी। यही तो एक बेहतरीन अभिनेता की पहचान हैं। अनामिका फिल्म का नाम भी नही लिया।

रविवार को यह कार्यक्रम कमल (शर्मा) जी ने अभिनेता कमल हसन पर प्रस्तुत किया। इस दिन उनका जन्मदिन था। बताया कि तमिलनाडू में जन्मे कमल हसन की पहली फिल्म तमिल में थी। हिन्दी सिने दर्शको से उनका परिचय फिल्म एक दूजे के लिए से हुआ। उनकी कलात्मक फिल्मे अप्पू राजा, पुष्पक और व्यावसायिक फिल्मे सागर, सनम तेरी क़सम की चर्चा की। उनके लेखन, निर्माण और नृत्य निर्देशन के काम के बारे में बताया। दशावतार नई फिल्म में उनके दस रूपों की भी चर्चा की। उन्हें मिले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों की भी चर्चा हुई। इस दिन भी एक कमी खली उनकी चर्चित फिल्म चाची 420 की चर्चा नही की। इस फिल्म में उनकी अभिनय क्षमता उभर कर आई, फिल्म के अधिकाँश भाग में वो महिला के वेश में रहे।

सोमवार को यह कार्यक्रम संगीतकार राजेश रोशन पर लेकर आए युनूस (खान) जी। ख्यात संगीतकार रोशन के पुत्र के रूप में परिचय देते हुए पुरानी फिल्म ताजमहल का संगीत सुनवाया। बताया कि सबसे पहले गीतकार आनंद बक्षी ने उन्हें कल्याणजी आनंद जी का सहायक बनाया। पहली फिल्म उन्हें महमूद ने दी - कुंआरा बाप। इस फिल्म के लिए लोरी तैयार की - आ री आ जा निंदिया जिसके बाद कृष फिल्म तक उन्होंने कई फिल्मे की। उनके कुछ लोकप्रिय गीतों की झलक भी सुनवाई जिनमे कामचोर, करण-अर्जुन और मिस्टर नटवरलाल के लिए अमिताभ बच्चन से गवाया गया बच्चो की कहानी कहता गीत भी शामिल था। यह तो कहा कि उनके संगीत में विविधता हैं जो गाने सुनते समय महसूस भी हुई पर किस तरह का संगीत और किस तरह की विविधता, इसकी चर्चा नही हुई। इस कार्यक्रम को विजय दीपक छिब्बर जी ने प्रस्तुत किया पी के ऐ नायर जी के सहयोग से।

मंगलवार को अमरकांत जी ले आए अभिनेत्री नीलम पर कार्यक्रम। इस दिन उनका जन्मदिन था। कार्यक्रम से पता चला कि उनका पूरा नाम नीलम कोठारी हैं। जन्म हौंगकौंग में हुआ। परिवार का जेवर का व्यापार हैं। पहली फिल्म हैं जवानी जो 1984 में आई, उसके बाद अफसाना प्यार का, इल्जाम फिल्मे आई। उनकी गोविंदा के साथ जोडी खूब जमी। अग्निपथ में अमिताभ बच्चन की बहन की भूमिका की। बाद में निजी टेलीविजन चैनल पर एंकरिंग की फिर अपने परिवार का कारोबार संभालने लगी। कार्यक्रम में कुछ समय के लिए व्यवधान रहा, संगीत सुनाई दिया।

बुधवार को ममता (सिंह) जी और युनूस (खान) जी ने प्रस्तुत किया ख्यात पार्श्व गायक मन्नाडे पर यह कार्यक्रम। उनके गीतों का चुनाव अच्छा रहा। कुछ गीत पूरे और अधिकाँश गीतों की झलकियाँ सुनवाई। गैर फिल्मी और फिल्मी दोनों ही रचनाएं शामिल थी। बताया कि शुरूवात भक्ति गीतों से की। उनके शास्त्रीय संगीत के गीतों को अलग से सुनवाया जिसमे ख़ास रहा दिल ही तो हैं फिल्म का तराना। उनकी किसी कार्यक्रम के लिए की गई रिकार्डिंग के अंश सुनवाए जिसमे उन्होंने अपने कैरिअर की शुरूवात के बारे में बताया कि चाचा कृष्ण चन्द्र डे उन्हें संगीत जगत में ले आए। उनकी आवाज में मधुशाला भी सुनवाई जिसे गाने के लिए मिले प्रस्ताव की जानकारी दी। बसंत बहार फिल्म के लिए भीमसेन जोशी के साथ गाने के अनुभव भी बताए। उनकी आवाज की रिकार्डिंग के अंश अधिक हो गए, किसी अन्य कलाकार द्वारा उनके बारे में कही बातों की रिकार्डिंग भी सुनवाई जाती तो ज्यादा अच्छा लगता। उन्हें मिले पद्मश्री, पद्मभूषण, दादा साहेब फालके पुरस्कार सहित अन्य पुरस्कारों की जानकारी दी। यह भी बताया कि आज भी स्टेज शो करते हैं। सबसे अच्छा लगा उनकी आवाज में यह गीत सुनना -

सावन की रिमझिम में थिरक थिरक नाच उठे मयूर पंखी रे सपने

गुरूवार को राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ले आए ख्यात हास्य अभिनेता जॉनीवॉकर पर कार्यक्रम। उनका असली नाम बताया बदरूद्दीन जमालोद्दीन काजी। इंदौर में जन्मे इस अभिनेता ने कुछ समय के लिए मुम्बई में बस कंडक्टर की नौकरी भी की। पहली फिल्म थी - आखिरी पैगाम जिसमे छोटी सी भूमिका थी। गुरूदत्त ने जॉनीवॉकर नाम दिया और फिल्म बाजी में काम दिया फिर उनका साथ कई फिल्मो का रहा। यह पहले अभिनेता हैं जिनके नाम पर फिल्म बनी। सभी बड़े कलाकारों के साथ काम किया। उनके संवादों पर कभी सेंसर की कैची नही चली। अपने बेटे को भी वो फिल्मो में लाए। चर्चा की गई फिल्मो के गीत सुनवाए। आदमी और इंसान, आनंद फिल्मो के सीन सुनवाए। अच्छी जानकारी मिली और अच्छा रहा संयोजन। इस कार्यक्रम को पी के ऐ नायर जी के सहयोग से तैयार किया गया।

दोनों ही कार्यक्रमों की अपनी-अपनी संकेत धुन हैं। हिट-सुपरहिट की धुन में लोकप्रिय गीतों के संगीत के अंश हैं, यहाँ एक बढ़िया उपशीर्षक भी हैं - शानदार गानों का सुरीला सिलसिला। आज के फनकार की संकेत धुन सामान्य सी हैं। संकेत धुनें कार्यक्रमों के आरम्भ और अंत में सुनवाई गई।

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