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Friday, November 5, 2010

फरमाइशी फिल्मी गीतों के कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 4-11-10

आप सबको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

गुरूवार को दोपहर से दीपावली का माहौल महसूस हुआ। मन चाहे गीत कार्यक्रम शुरू करते हुए अशोक (हमराही) जी ने दीपावली की शुभकामनाएं दी।

आइए, बात करते हैं फरमाइशी गीतों के कार्यक्रमों की। फरमाइशी फिल्मी गीत विविध भारती की जान हैं, आन हैं, शान हैं और पहचान हैं। विविध भारती की शुरूवात के कुछ समय बाद से शुरू हुआ इस तरह का कार्यक्रम। गाँव जिला तहसील कस्बे से लोग एक पोस्ट कार्ड भेजते हैं जिस पर अनुरोध होता हैं कोई फिल्मी गीत सुनने का और विविध भारती उस गाँव जिला तहसील कस्बे के नाम के साथ कार्ड भेजने वाले सभी के नाम (चाहे जितने भी हो) पढ़ते हुए वह गीत सुनवा देती हैं। क्या बंधन हैं विविध भारती का श्रोताओं से !

यह सिलसिला वर्षों से चल रहा हैं और अब अपनी स्वर्ण जयंति मना चुकी विविध भारती पर अब भी जारी हैं। अगर यह कार्यक्रम न होते तो शायद कई गाँव जिला तहसील कस्बे के नाम हम जान भी नही पाते।
कार्यक्रमों के नाम भी क्या खूब हैं - एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने, मन चाहे गीत, हैलो फरमाइश, जयमाला, आपकी फरमाइश

आज भी मन चाहे गीत अपने उसी शीर्षक के साथ पारंपरिक रूप में चल रहा हैं। हालांकि हल्का सा परिवर्तन किया गया हैं, अब सप्ताह में दो दिन पत्र की बजाए ई-मेल से प्राप्त फरमाइश पूरी कर इसे आधुनिक बनाया गया हैं। बस, श्रोता ने लिखा कि ये हमारा मन चाहा गीत हैं, इसे सुनवा दीजिए और विविध भारती ने सुनवा दिया।

ठीक इसी तरह का कार्यक्रम हैं आपकी फ़रमाइश श्रोताओं की सुविधा का ध्यान रखते हुए इसका प्रसारण रात में होता हैं जबकि मन चाहे गीत का दोपहर में।

सबसे पुराना कार्यक्रम हैं जयमाला जिसके श्रोता सीमित हैं। यह केवल फ़ौजी भाइयो के लिए हैं। पहले फ़ौजी भाई पत्र लिख कर फरमाइश भेजते थे पर आजकल सुविधा के अनुसार ई-मेल, एस एम एस भेजते हैं। यहाँ नाम के साथ रैंक का बहुत महत्त्व हैं। फ़ौजी भाई अपने नाम के साथ रैंक लिखते हैं और अपने स्थान का नाम लिखते हैं जिससे शहर या राज्य का पता चलता हैं। पत्र लिखना हो तो उनके विशेष छपे अंतर्देशीय पत्र ही मान्य हैं, साधारण पत्र स्वीकार नही। उनके लिए सुविधाजनक समय, शाम में इसका प्रसारण होता हैं। शायद पहले इस कार्यक्रम में फ़ौजी भाइयो को सन्देश दिया जाता था और गीत भी सुनवाए जाते थे जो बाद में फ़ौजी भाइयों का फरमाइशी कार्यक्रम बन गया और इसी से प्रेरित हो बाद में मन चाहे गीत की शुरूवात की गई।

इस कार्यक्रम के स्वरूप को आधुनिक बनाया गया और दोपहर बाद के प्रसारण में शुरू किया गया कार्यक्रम हैलो फ़रमाइश जैसा कि शीर्षक से ही पता चलता हैं इसमे श्रोता फोन पर बात कर अपनी फरमाइश बताते हैं। इसमे श्रोता से सीधे बात होती हैं इसीसे कुछ और बाते भी हो जाती हैं। रिकार्डिंग का दिन और समय निश्चित हैं जिसकी सूचना देते हुए हर बार श्रोता को फोन नंबर बताए जाते हैं।

स्वर्ण जयंति के बाद एक अति आधुनिक कार्यक्रम शुरू किया गया हैं एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने जो सीधा (लाइव) प्रसारित होता हैं। कार्यक्रम के शुरू में फिल्मो के नाम बता दिए जाते हैं। श्रोता इन फिल्मो में से किसी फिल्म के किसी भी गीत के लिए एस एम एस भेजते हैं और तुरंत फरमाइश पूरी हो जाती हैं। हाँ, श्रोताओं की सुविधा का ध्यान रखते हुए कार्यक्रम के अंत में अगले दिन की फिल्मो के नाम बता दिए जाते हैं। एस एम एस आधारित होने से प्रसारण समय में भी दिक्कत नहीं हैं और दोपहर में प्रसारित होता हैं।

हैलो फरमाइश कार्यक्रम सप्ताह में तीन दिन प्रसारित होता हैं और जयमाला शनिवार को छोड़ कर हर दिन जबकि अन्य कार्यक्रम दैनिक हैं।

आइए इस सप्ताह प्रसारित इन कार्यक्रमों पर एक नजर डालते हैं -

दोपहर 12 बजे का समय होता है इंसटेन्ट फ़रमाइशी गीतों के कार्यक्रम एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने का। हमेशा की तरह शुरूवात में 10 फ़िल्मों के नाम बता दिए गए फिर बताया गया एस एम एस करने का तरीका जो इस तरह हैं -

मोबाइल के मैसेज बॉक्स में जाकर टाइप करना हैं - वीबीएस - जगह छोड़े यानि स्पेस दे - फिल्म का नाम - स्पेस दे - गाने के बोल - स्पेस - अपना नाम और शहर का नाम और भेज दे इस नंबर पर - 5676744

और इन संदेशों को 12:50 तक भेजने के लिए कहा गया ताकि शामिल किया जा सकें। कभी पहला गीत उदघोषक की खुद की पसन्द का सुनवाया गया ताकि तब तक संदेश आ सके और कभी पहला गीत भी फरमाइशी ही रहा। फिर शुरू हुआ संदेशों का सिलसिला। सबसे अधिक सन्देश जिस गीत के लिए मिले वही गीत सुनवाया गया। नए पुराने सभी समय की फिल्मे चुनी गई। हर दिन एक समय की फिल्मो का चुनाव किया गया।

शुक्रवार को सत्तर के दशक की 10 लोकप्रिय फिल्मे चुनी गई। अमरकांत जी ने शुरूवात की हमजोली फिल्म के टिक टिक मेरा दिल बोले गीत से। इसके बाद श्रोताओं ने अलग-अलग मूड के लोकप्रिय गीतों के लिए सन्देश भेजे जिनमे से एक सन्देश मेरा भी था। आया सावन झूम के फिल्म का शीर्षक गीत, कटी पतंग फिल्म से रोमांटिक गीत -
प्यार दीवान होता हैं मस्ताना होता हैंहर खुशी से हर गम से बेगाना होता हैं
सरगम, खिलौना, मैं सुन्दर हूँ और प्रेमनगर फिल्मो के गीत सुनवाए गए।

शनिवार के लिए साठ के दशक की लोकप्रिय फिल्मे चुनी गई। शुरू किया फर्ज फिल्म के मस्त बहारो का आशिक गीत से। अन्य फिल्मे रही - मेरे सनम, आए दिन बहार के, मेरा साया, नाईट इन लन्दन। जब जब फूल खिले फिल्म का गुल बुलबुल का कहानी कहता गीत भी सुनवाया और हसीना मान जाएगी फिल्म के इस गीत की फरमाइश बहुत दिन बाद आई, सुन कर अच्छा लगा - ओ दिलबर जानिए

रविवार को तीन क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रमों के कारण हम 12 :40 पर जुड़े, तब बंटी और बबली का कजरारे गीत चल रहा था। उसके बाद सुना सलाम नमस्ते फिल्म का गीत। ये गीत लेकर आई रेणु (बंसल) जी। कार्यक्रम समाप्ति से पहले जैसे ही रेणु जी अगले दिन की फिल्मे बताने जा रही थी क्षेत्रीय प्रसारण से झरोका शुरू हो गया।

सोमवार को राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ले आए ऐश्वर्या राय बच्चन की फिल्मे, इस दिन उनका जन्मदिन था। जोश, देवदास फिल्म का डोला रे डोला, आ अब लौट चले, धूम 2 का क्रेजी किया रे गीत और ताल तथा कुछ न कहो फिल्मो के शीर्षक गीत सुनवाए।

मंगलवार को शाहरूख खान का जन्मदिन था, उनकी फिल्मे लेकर आए युनूस (खान) जी। फिल्मो का चुनाव अच्छा रहा, उनकी शुरूवाती दौर की भी फिल्मे शामिल थी और आजकल की भी। जादू तेरी नजर गीत भी सुनवाया गया और तेरे नैना मेरे नैना गीत भी। बाजीगर और कल हो न हो फिल्मो के शीर्षक गीतों के साथ दिलवाले दुल्हनिया ले जाएगे, ओम शान्ति ओम, रब ने बना दी जोडी, कभी खुशी कभी गम फिल्मो के गीत संदेशो के आधार पर सुनवाए गए।

बुधवार को कमल (शर्मा) जी ले आए नई फिल्मे। सुहानल्ला गीत सुना, कभी अलविदा न कहना फिल्म का शीर्षक गीत और जहर फिल्म का गीत भी शामिल था। कुछ समय क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम का प्रसारण हुआ।

गुरूवार को राजुल (अशोक) जी ले आई साठ-सत्तर के दशक की लोकप्रिय बढ़िया फिल्मे जिनके लोकप्रिय रोमांटिक गीत श्रोताओं के संदेशों के अनुसार सुनवाए। गाइड, मेरे महबूब, तलाश, लोफर, पत्थर के सनम, द ट्रेन, आ गले लग जा, महबूब की मेहंदी और मेरे जीवन साथी फिल्म से यह गीत - ओ मेरे दिल के चैन

आधा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद फिर से बची हुई फ़िल्मों के नाम बताए गए और फिर से बताया गया एस एम एस करने का तरीका। कार्यक्रम के अंत में अगले दिन की 10 फ़िल्मों के नाम बताए गए। हर दिन 10 फिल्मो के नाम बताए गए पर 6-9 फिल्मो के ही गीत सुनवाए गए क्योंकि हर गीत के लिए औसत 10-12 सन्देश आए। कई संदेशो के साथ नाम भी बहुत थे तथा गीत भी पूरे सुनवाए गए। देश के विभिन्न भागो से संदेश आए। आरम्भ, बीच में और अंत में बजने वाली संकेत धुन ठीक ही हैं।

इस कार्यक्रम को गणेश (शिन्दे) जी, मनीष चन्द्र (वैश्य) जी, राजीव (प्रधान) जी के तकनीकी सहयोग से हम तक पहुंचाया गया और प्रस्तुत किया विजय दीपक (छिब्बर) जी ने।

दोपहर 1:30 बजे का समय रहा मन चाहे गीत कार्यक्रम का। नए-पुराने गीतों के लिए श्रोताओं ने फरमाइश भेजी। शुक्रवार को राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी सुनवाने आए फरमाइशी गीत। शुरूवात की रोटी फिल्म के इस बढ़िया गीत से -

गोरे रंग पे न इतना गुमान कर गोरा रंग तो दिन में ढल जाएगा

मेरे हमदम मेरे दोस्त, बादशाह, अदालत, जो जीता वही सिकंदर, घर, दूसरा आदमी, दिल तो पागल हैं फिल्मो के गीत सुनवाए गए और राजा हिन्दुस्तानी फिल्म का यह गीत -

कितना प्यारा तुम्हे रब ने बनाया जी करे देखता रहूँ

शनिवार को अशोक (सोनामने) जी ने इन नए पुराने फिल्मो के गीत सुनवाए - पूरब और पश्चिम, यादो की बारात, चांदनी फिल्म का शीर्षक गीत, कर्ज, तेरे नाम, हंसते जख्म फिल्म का यह गीत भी सुनवाया जिसे बढ़िया ढंग से स्वर बद्ध किया जाने से बहुत कर्णप्रिय लगता हैं -

तुम जो मिल गए हो तो ये लगता हैं के जहां मिल गया

यह नया गीत भी सुना - क्या ये मेरा पहला पहला प्यार हैं

रविवार को संगीता (श्रीवास्तव) जी ने सुनवाए मिले-जुले गीत इन फिल्मो से - बैराग, जीत, त्रिशूल, जिस्म, सत्तर के दशक की फिल्म हसीना मान जाएगी, परिंदा। विविध भाव के गीत रहे - दिल हैं के मानता नही फिल्म का शीर्षक गीत, काला पत्थर फिल्म से - एक रास्ता हैं जिन्दगी

और यह रोमांटिक गीत भी सुनवाया - हमको सिर्फ तुमसे प्यार हैं

सोमवार को गीत सुनवाने आई रेणु (बंसल) जी। शुरूवात की बहारो के सपने फिल्म के इस फड़कते गीत से - चुनरी संभाल गोरी
जाने अनजाने, जिगरी दोस्त, शरीफ बदमाश, सौदागर, नई फिल्म जब प्यार किसी से होता हैं, झंकार बीट्स फिल्मो के गीत, सत्ते पे सत्ता फिल्म का शीर्षक गीत, परिंदा फिल्म से यह गीत सुनवाया गया -

तुम से मिल के ऐसा लगा अरमां पूरे हुए दिल के

बातो बातो में फिल्म से उठे सबके क़दम गीत भी सुना। इस तरह इस दिन भी अलग-अलग भाव लिए गीत सुन कर अच्छा लगा।

मंगलवार को भी गीत सुनवाने आई रेणु (बंसल) जी। सिलसिला, अभिनेत्री, तेरी क़सम, खाकी, मोहरा, नमस्ते लन्दन के गीतों के साथ काला पत्थर फिल्म से कम सुने जाने वाले गीत की भी फरमाइश श्रोताओं ने भेजी। जानी दुश्मन फिल्म से यह गीत भी था - तेरे हाथो में पहना के चूड़ियाँ

कसमे वादे फिल्म का यह गीत अक्सर सुनवाया जाता हैं - कल क्या होगा किसको पता पर इस दिन इस दिन का आरंभिक हास्यप्रद भाग भी सुनवाया गया जिसे आर डी बर्मन ने गाया हैं जो अक्सर नही सुनवाया जाता।

बुधवार को अमरकांत जी ने सुनवाए ई-मेल पर आधारित गीत। देवर, कुर्बानी, सत्तर के दशक की फिल्म अंदाज, नई फिल्म साजन के गीतों के साथ यह गीत भी सुनवाया - रंग भरे मौसम के रंग चुरा के

गुरूवार को अशोक (हमराही) जी ले आए श्रोताओं के पसंदीदा नगमे। गजनी, ड़ोंन, पूरब और पश्चिम, देवदास, जख्म, नाजायज फिल्मो के गीत सुनवाए। विभिन्न मूड के रोमांटिक गीत सुनवाए, आंधी फिल्म से - तेरे बिना जिन्दगी से कोई शिकवा तो नही

साथ-साथ फिल्म से - ये तेरा घर ये मेरा घर

गंगा जमना फिल्म से दो हंसो का जोड़ा बिछुड़ गयो रे गीत भी बहुत दिन बाद ही सुना।

शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को शाम 4 बजे पिटारा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रसारित हुआ कार्यक्रम हैलो फरमाइश। पिटारा की संकेत धुन के बाद इस कार्यक्रम की संकेत धुन सुनवाई गई।

शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने। राजस्थान, मध्य प्रदेश के शहरों से फोन आए, लोकल कॉल भी थे। नए पुराने विभिन्न भावो के गीत सुनने के लिए अनुरोध किया। एक श्रोता ने परिवार के बच्चो के लिए दो कलियाँ फिल्म के गीत की फरमाइश की - बच्चे मन के सच्चे

तपस्या फिल्म का सन्देश देता गीत भी सुनवाया गया - जो राह चुनी तूने

श्रोताओं से हल्की-फुल्की बातचीत हुई, छात्र ने अपनी पढाई के बारे में बताया।

मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की कमल (शर्मा) जी ने। छात्र, गृहिणी, बर्फ का काम, खाना पकाने वाले जैसे विभिन्न श्रोताओं ने अपने काम के बारे में बताया। हरियाणा के श्रोता ने वहां स्थित पृथ्वीराज चौहान के महल के बारे में बताया। नए पुराने गीत अनुरोध पर सुनवाए गए। रफी साहब का गाया पुराना गीत -

एक हसीं शाम को दिल मेरा खो गया

नई फिल्म फिर तेरी कहानी याद आई का एक ऐसा गीत फरमाइश पर सुनवाया गया जो बहुत ही कम सुनवाया जाता हैं - शायराना सी हैं जिन्दगी की फिजां

गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की अशोक जी ने। श्रोताओं से दीपावली की शुभकामनाएं दी गई- ली गई। अलग-अलग क्षेत्र के श्रोताओं ने बात की जिससे विभिन्न जानकारियाँ मिली जैसे - पूना में हल्की सर्दी शुरू हो रही हैं। महाराष्ट्र के एक हरे-भरे क्षेत्र में सब्जियां अधिक उगी हैं, मराठवाडा में पानी से फसल खराब हो गई, एक महिला ने अपनी बहन को बेटा होने पर आराधना फिल्म के इस गीत का अनुरोध किया और सुनवाया गया यह गीत - चन्दा हैं तू

इस तरह नई पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए - अनजाना फिल्म से पहेली गीत, बहुत पुरानी फिल्म संगम का गीत।
सीतामढी, ग्वालियर से फोन आए, लोकल कॉल भी थे।

तीनो ही कार्यक्रमों में श्रोताओं ने विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों को पसंद करने की बात बताई। तीनो ही कार्यक्रमों में समाप्ति पर रिकार्डिंग के लिए फोन नंबर बताया गया - 28692709 मुम्बई का एस टी डी कोड 022 यह भी बताया कि हर शुक्रवार को 11 बजे से 1 बजे तक फोन कॉल रिकार्ड किए जाते हैं।

कार्यक्रम मनीष चन्द्र (वैश्य) जी, प्रदीप (शिंदे) जी के तकनीक सहयोग से हम तक पहुंचाया, रमेश (गोखले) जी, अमृता रानी जी के प्रस्तुति सहयोग से वीणा (राय सिंहानी) जी ने प्रस्तुत किया।

शाम बाद 7 बजे दिल्ली से प्रसारित समाचारों के 5 मिनट के बुलेटिन के बाद शुरू हुआ फ़ौजी भाईयों की फ़रमाइश पर सुनवाए जाने वाले फ़िल्मी गीतों का कार्यक्रम जयमाला। कार्यक्रम के शुरू और समाप्ति पर बजने वाली संकेत धुन अच्छी हैं, एकदम कार्यक्रम की परिचायक हैं।

शुक्रवार को शेफाली (कपूर) जी ने सुनवाए फ़ौजी भाइयों के पसंदीदा गीत छाया गीत के अंदाज में। नए-पुराने रोमांटिक गीत सुनवाए गए - एक दूजे के लिए, 1942 अ लव स्टोरी, बेताब और यह गीत भी शामिल था - नय्यो लगता दिल तेरे बिना

समापन किया अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो फिल्म के देश भक्ति के शीर्षक गीत से।

रविवार को कमल (शर्मा) जी ने सुनवाए यह मिले-जुले गीत - नई फिल्म साथी का गीत, हिमेश रेशमिया का झलक दिखला जा और यह गीत - कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना

अलग-अलग मूड के गीत सुनवाए - पुरानी फिल्म कर्ज से - एक हसीना थी और बहुत पुरानी फिल्म खानदान से भी गीत शामिल था। राजा हिन्दुस्तानी फिल्म का गीत तकनीकी खराबी से ठीक से नही सुनवाया जा सका।

सोमवार को राजुल (अशोक) जी ने विभिन्न मूड के रोमांटिक गीत सुनवाए - ग़दर एक प्रेम कथा, सुर, कृष्णा कॉटेज फिल्मो के गीत भी शामिल थे।

वो लड़की बहुत याद आती हैं

मोहरा फिल्म से - न कजरे की धार न मोतियों के हारन कोई किया सिंगार फिर भी कितनी सुन्दर हो
गीत भी सुनवाए गए।

मंगलवार को बड़े मियाँ छोटे मियाँ फिल्म का शीर्षक गीत सुनवाया, मैंने प्यार किया फिल्म के ऐसे गीत की फरमाइश भी फ़ौजी भाइयों ने की जिसकी शायद ही पहले कभी फरमाइश की गई हो - मत रो मेरे दिल

पूरब और पश्चिम का देश भक्ति गीत भी सुनवाया - भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हैं

बुधवार को राजुल (अशोक) जी ने लगभग हर दौर के फिल्म के गीत सुनवाए - तीसरी मंजिल, कुछ कुछ होता हैं, निगाहें, हम साथ-साथ हैं फिल्म का शादी-ब्याह का गीत। राम तेरी गंगा मैली फिल्म का लोकप्रिय गीत हुस्न पहाडो का भी सुनवाया गया और फ़ौजी भाइयों ने कम सुने जाने वाले गीत की भी फरमाइश भेजी -

ये कैसी मुलाक़ात हैं मैं किस खुमार में हूँ

गुरूवार को ज्योति (शर्मा) जी ले आई इन फिल्मो के गीत - धनवान, गैम्बलर, राजा हिन्दुस्तानी और रब ने बना दी जोडी फिल्म का शीर्षक गीत और यह गीत जो कम ही सुनने को मिलता हैं - हमको तुमसे प्यार हैं

यह कार्यक्रम प्रायोजित रहा। प्रायोजको के विज्ञापन भी प्रसारित हुए, क्षेत्रीय विज्ञापन भी प्रसारित हुए। फ़ौजी भाइयों को एस एम एस करने का तरीका भी बताया गया जो इस तरह हैं -

मोबाइल के मैसेज बॉक्स में जाकर टाइप करना हैं - वीजेएम - जगह छोड़े यानि स्पेस दे - फिल्म का नाम - स्पेस दे - गाने के बोल - स्पेस - अपना नाम और रैंक जरूर लिखे और भेज दे इस नंबर पर - 5676744

10:30 बजे प्रसारित हुआ आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम। यह कार्यक्रम भी प्रायोजित था इसीलिए प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। इसमें श्रोताओं की फ़रमाइश पर कुछ समय पुरानी फिल्मो के गीत अधिक सुनवाए गए।

शुक्रवार को शेफाली (कपूर) जी गीत लेकर आई। गीत सुनवाने का अंदाज इसमे भी छाया गीत की तरह ही रहा। लोकप्रिय रोमांटिक गीत सुनवाए - ठाकुर जरनैल सिंह, गुमराह, शोला और शबनम, वो कौन थी, आस का पंछी फिल्मो से और रूप तेरा मस्ताना फिल्म से लताजी का गाया बहुत ही कम सुना जाना वाला यह गीत भी फरमाइश पर अंत में सुनवाया गया - देख लो इधर भी

शनिवार को परवरिश, उम्र क़ैद, सरस्वती चन्द्र, जी चाहता हैं फिल्मो के गीत और यह गीत भी सुनवाया - साथिया नही जाना के जी न लगे

रविवार को कमल (शर्मा) जी ने शुरूवात की अंखियों के झरोकों से फिल्म के शीर्षक गीत से, चिराग, गोरा और काला फिल्मो के गीतों के साथ ये गीत भी शामिल थे - दूर रह कर न करो बात करीब आ जाओ

और बहुत पुराना यह गीत - बड़े अरमान से रखा हैं बलम तेरी क़सम प्यार की दुनिया में यह पहला क़दम

सोमवार को माया, सावन की घटा, अनुपमा फिल्मो के गीतों के साथ यह गीत भी सुनवाया - आइए मेहरबां और गंगा जमुना फिल्म के इस गीत को सुनना अच्छा लगा जिसकी फरमाइश श्रोता कम ही करते हैं -
ढूंढो ढूंढो रे साजना मोरे कान का बाला

मंगलवार को कुछ पुरानी फिल्म कामचोर के साथ बहुत पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए - पतिता, एक दिल और सौ अफसाने, हमराज फिल्मो से और सती सावित्री फिल्म का यह गीत भी सुनवाया - तुम गगन के चन्द्रमा हो मैं धरा की धूल हूँ
बुधवार को आई मिलन की बेला, लुटेरा, मिस्टर एक्स इन बॉम्बे जैसी पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए, यह गीत भी सुना - छोड़ कर तेरे प्यार का आलम

गुरूवार को श्रोताओं के ईमेल के अनुसार पुरानी नई फिल्मो के गीत सुनवाए गए - पुरानी फिल्म प्यार किया तो डरना क्या, सत्तर के दशक की फिल्म रोटी, हीरो, लावारिस फिल्मो के गीतों के साथ यह पुराना गीत भी सुना तलत महमूद की आवाज में -
बेचैन नजर बेताब जिगर ये दिल हैं किसी का दीवाना

बुधवार और गुरूवार को मन चाहे गीत और आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम में ईमेल से प्राप्त फ़रमाइशें पूरी की जाती है अन्य दिन पत्र देखे जाते है। देश के अलग-अलग भागों से बहुत से पत्रों से गानों की फ़रमाइश भेजी गई और हर पत्र में भी बहुत से नाम रहे जबकि ई-मेल की संख्या कम ही रही। अधिकाँश गीत एक ही मेल पर सुनवाए गए। गाने नए पुराने दोनों ही शामिल थे।

हैलो फरमाइश कार्यक्रम को छोड़कर सभी कार्यक्रमों के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।

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