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Wednesday, August 6, 2008

भाव गीत

छाया गीत और त्रिवेणी के बारे में तो सभी जानते है पर शायद भाव गीत कार्यक्रम के बारे में बहुत लोग नहीं जानते। यह तीनों ही कार्यक्रम फ़िल्मी गीतों पर आधारित होते हुए भी साहित्य के ज्यादा करीब है।

रेडियो सिलोन से शनिवार सुबह नौ बजे आप ही के गीत कार्यक्रम के बाद प्रसारित होने वाला कार्यक्रम है भाव गीत। पहले जब भी स्कूल और कालेज की छुट्टियाँ होती थी मैं नियमित यह कार्यक्रम सुना करती थी।

जहाँ छाया गीत और त्रिवेणी कार्यक्रम उदघोषक के होते है वहीं भाव गीत कार्यक्रम श्रोताओं का है। श्रोता पत्र में लिखते है उनकी पसन्द का गीत और उस गीत के भाव। इस कार्यक्रम में अधिकतर साठ और सत्तर के दशक के गीत सुनने को मिलते। वैसे हिन्दी सिनेमा में देखा जाए तो इन बीस सालों में ही ऐसे गीत लिखे गए जो बहुत अर्थपूर्ण रहे और साहित्यिक रहे।

हिन्दी सिनेमा के लगभग सभी उम्दा शायर और गीतकार इसी दौर के है - साहिर लुधियानवी, कैफ़ी आज़मी, राजा मेहदी अलि खाँ, शेवन रिज़वी, योगेश, अनजान, नक्शलायल पुरी, इन्दिवर कहाँ-कहाँ तक नाम गिनाए लेकिन इतना मैं जरूर कहूँगी कि इन गीतों में आनन्द बक्षी के गीत तोता-मैना की कहानी वाले रोमांटिक गीत माने जाते इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि भाव गीत में कितने अच्छे गीत सुनने को मिलते थे।

इस कार्यक्रम का आकर्षण यह था कि इसके श्रोता किसी भी स्तर के हो पर इसमें भाग लेने वाले या पत्र लिखने वाले साहित्यिक रूचि के और पढे-लिखे होते थे। उदघोषक बताते कि पत्र किस श्रोता का है और कहाँ से लिखा है फिर श्रोता की पसन्द के गीत की फ़िल्म का नाम और गायक तथा गीतकार का नाम बताते फिर बताते कि श्रोता ने लिखा है कि इस गीत के भाव है … इस गीत में गीतकार या शायर ने जीवन के बारे में ऐसा कहा है … सुनने पर ऐसा लगता जैसे हिन्दी साहित्य की कक्षा में बैठे है।

हिन्दी फ़िल्मी गीतों का इतना सुरूचिपूर्ण कार्यक्रम जिसमें श्रोताओं की भी भागीदारी हो, इसके अलावा कोई दूसरा नहीं हुआ और अब आज के दौर में ऐसे किसी कार्यक्रम की शुरूवात की शायद संभावना भी नहीं है।

2 comments:

शोभा said...

जानकारी देने के लिए आभार।

Anonymous said...

इन दिनों यह कार्यक्रम शनिवार को गही पर सुबह 8 बजे से 830 तक़ यानि सभा समाप्ती तक़ च चलता है ।

पियुष महेता ।
सुरत

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