सबसे नए तीन पन्ने :
Friday, July 31, 2009
साप्ताहिकी 30-7-09
कभी राम बनके कभी श्याम बनके
चले आना प्रभुजी चले आना
कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा। अच्छे देशगान सुनवाए गए जैसे -
बदला युग है बदली इक धारा है
आने वाला संसार हमारा है
पता नहीं इस गीत को किसने लिखा, किसने स्वरबद्ध किया और किस-किस ने गाया। विवरण तो कभी बताया ही नहीं जाता है।
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम में अधिकतर ऐसे गीत सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुनवाए जाते है जैसे आँखें फ़िल्म का मुकेश और शमशाद बेगम का गाया गीत जिसके बोल कुछ इस तरह है -
मुझसे नैना मिलाने से पहले बी ए पास कर ले
मुझसे प्रीत लगाने से पहले बी ए पास कर ले
कुछ भूली बिसरी आवाज़े भी सुनी जैसे दुर्रानी साहब की कुछ भूली-बिसरी फ़िल्मों के गीत भी सुने जैसे फ़िल्म शीशम। मंगलवार को गीतकार राजा मेहेंदी अली खाँ को याद किया गया और उनके चुने हुए कुछ कम सुने और कुछ अक्सर सुने जाने वाले गीत सुनवाए गए जैसे अनपढ फ़िल्म की लोकप्रिय ग़ज़ल लताजी की आवाज़ में -
आपकी नज़रों ने समझा प्यार के क़ाबिल मुझे
दिल की ऐ धड़कन ठहर जा मिल गई मंज़िल मुझे
7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला रंजनि रूद्र वीणा समाप्त हुई जिसे प्रस्तुत कर रहे थे उस्ताद असअत अली खाँ जिनसे बातचीत कर रही थी निम्मी (मिश्रा) जी। रूद्र वीणा के तारों से निकलने वाले तीव्र, मध्यम और मन्द सुरों को बजा कर समझाया गया। रूद्र वीणा पर विभिन्न राग सुनवाए गए जैसे राग श्री, मेघ मल्हार, मियाँ की मल्हार। मृदंगम पर संगत कर रहे थे राधेश्याम शर्मा। अंतिम कड़ी से एक कड़वा सच सामने आया कि बहुत से वाद्यों से नई पीढी की पहचान नहीं हो पा रही है क्योंकि न तो सुनने के लिए रिकार्ड मिल रहे है और न ही संगीत की शिक्षा में इन्हें उचित स्थान मिल रहा है।
काँचन जी की एक और श्रृंखला आरंभ हुई - मदनमोहन के संगीत में शास्त्रीय संगीत। कुछ नई तरह की है यह श्रृंखला। इसे प्रस्तुत कर रही है डा अलका देव। मदन मोहन जी के चुने हुए गीतों को प्रस्तुत किया जा रहा है। यह भी बताया कि मदन मोहन जी का संगीत अनिल विश्वास और खेमचन्द प्रकाश जी से बहुत प्रभावित रहा है। यह चुने हुए गीत किन रागों पर आधारित है यह बताते हुए इन रागों की जानकारी भी दी जा रही है जैसे राग गौड़ सारंग। राग अलहया बिलावल पर आधारित यह गीत सुनवाया गया -
चंदा जा चंदा जा रे जा
शुरूवात में ही एक बहुत सही बात बताई अलका जी ने कि फ़िल्मों में 1950 से 1975 तक 25 सालों का फ़िल्मी संगीत ही बहुत बढिया है।
7:45 को त्रिवेणी में शुक्रवार को जीवन की बातें करते हुए गीत सुनवाया गया -
ये जीवन है इस जीवन का
यही है यही है यही है रंग रूप
यह गीत शायद पिया का घर फ़िल्म का है पर अंत में जब फ़िल्मों के नाम बताए गए तब यह नाम शामिल नहीं था। रविवार की प्रस्तुति अच्छी रही, बताया गया कि खूबसूरत दिखने की तमन्ना में डाइटिंग कर बहुत दुबले हो कर शारीरिक सौन्दर्य को कम ही कर रहे है। इसके अलावा घर बनाने की बातें अच्छी लगी। गुरूवार को पानी की मेघ की बातें हुई गाने भी अच्छे लगे पर आलेख सुन कर लगा कि यह गर्मियों के मौसम के लिए तैयार किया गया था, इसीसे कार्यक्रम अच्छा होते हुए भी कुछ अटपटा लगा।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शनिवार को ज़ख़्म, सरदारी बेगम, वो लम्हे, चलते-चलते जैसी कुछ ही समय पहले की फिल्मे रही। सोमवार को त्रिशूल, अभिनेत्री जैसी सत्तर अस्सी के दशक की फ़िल्मों के गीतों के लिए भी श्रोताओं के संदेश मिले। मंगलवार को ज्वैल थीफ़, सीता और गीता जैसी लोकप्रिय फिल्मे रही। बुधवार को ओम शान्ति ओम जैसी नई फिल्मे रही। गुरूवार की फिल्मे रही मधुमती, गंगा जमना, संघर्ष जैसी सदाबहार फ़िल्में। इस तरह इस कार्यक्रम में पुरानी, बहुत पुरानी और नई यानि लगभग सभी समय की फ़िल्मों के लोकप्रिय गीत सुनने को मिलते है और हमारे जैसे श्रोताओं को बिना संदेश भेजे ही पसंदीदा गीत सुनने को मिल जाते है।
1:00 बजे शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम अनुरंजनि में शनिवार को पंडित रोनू मजूमदार का बाँसुरी वादन सुनवाया गया। सोमवार को निखिल बैनर्जी का सितार वादन सुनवाया गया। मंगलवार को पंडित विनायक राव पटवर्धन का गायन सुनवाया गया। बुधवार को पंडित देवेन्द्र मौलेश्वर का बाँसुरी वादन सुनवाया गया। गुरूवार को उस्ताद हफ़ीज़ खां का गायन और रघुनाथ सेठ का बाँसुरी वादन सुनवाया गया।
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में श्रोताओं की फ़रमाइश पर मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे अस्सी के दशक की फिल्म नमक हलाल का गीत - जवानी जानेमन
नई फ़िल्म दहक का यह गीत -
सावन बरसे तरसे दिल क्यों न निकले घर से
बरखा में भी दिल प्यासा है ये प्यार नहीं तो क्या है
पुरानी फ़िल्म ज़िद्दी का गीत -
ये मेरी ज़िन्दगी एक पागल हवा
आज इधर कल उधर
3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में सोमवार को बारिश के मौसम के लिए उपयुक्त पनीर के पकौड़े बनाना बताया गया। मंगलवार को लेखाकार यानि एकाउंटेसी में सर्टिफ़िकेट कोर्स कर करिअर बनाने की जनकारी दी गई। बुधवार को सौन्दर्य विशेषज्ञ रीता भारद्वाज से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनवाई गई जिसमें विभिन्न अवसरों पर मेकअप करने का तरीका बताया और यह सुनना अच्छा लगा कि हमेशा मेकअप करना ज़रूरी नहीं है, बिना मेकअप के सादगी भी अच्छी लगती है। विभिन्न रंगत वालों को कैसे कपड़े पहनने चाहिए यह भी बताया गया। रीता जी ने बातें तो बहुत अच्छी बताई पर बताई बहुत तेज़ी से पूरे 100 की स्पीड से… गुरूवार को पूरी उम्मीद थी कि बीते समय की जानी मानी अभिनेत्री लीला नायडू को याद किया जाएगा और पहला गीत अनुराधा फ़िल्म से सुनवाया जाएगा, वैसे उनकी एक और बहुचर्चित फ़िल्म है - ये रास्ते है प्यार के। मुद्दा ये कि एक बेहद ख़ूबसूरत और बेहतरीन अभिनेत्री हमारे बीच से उठ गई और सखि-सहेली जैसे कार्यक्रम में उन्हें याद तक नहीं किया जबकि रफ़ी साहब को बाकायदा याद किया गया और कार्यक्रम उन्हें समर्पित किया गया। यहाँ तक कि विशिष्ट व्यक्तित्व राजमाता गायत्री देवी को भी स्मरण नहीं किया गया जबकि गुरूवार का दिन होता है सफल महिलाओं के बारे में बताने का। वैसे रफ़ी साहब पर कार्यक्रम अच्छा रहा, गीत भी अच्छे चुने गए। समझ में नहीं आ रहा कि गुरूवार के इस प्रसारण पर कमलेश (पाठक) जी को बधाई दे या नाराज़गी जताए।
सखियों की पसन्द पर सप्ताह भर नए पुराने अच्छे गीत सुनवाए गए जैसे श्री 420 का गीत -
रामय्या वस्तावय्या रामय्या वस्तावय्या
मैनें दिल तुझको दिया
कुछ पुरानी फिल्म ज़ख़्मी का यह गीत -
जलता है जिया मेरा भीगी भीगी रातों में
आजा गोरी चोरी-चोरी अब तो रहा नहीं जाए रे
नई फ़िल्म ओंकारा का गीत सुनवाया गया - नैना ठग लेंगे
शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे चाइना टाउन का रफ़ी साहब का गाया यह गीत -
बार-बार देखो हज़ार बार देखो
ये देखने की चीज़ है …
3:30 बजे नाट्य तरंग में सामाजिक नाटक सुनवाए गए। शनिवार को सुना नाटक मंगल दीप जिसकी लेखिका है वीणा शर्मा और निर्देशक है जयदेव शर्मा कमल। यह लखनऊ केन्द्र की प्रस्तुति थी। रविवार को अनूप सेठी द्वारा निर्देशित नाटक सुनवाया गया।
पिटारा में शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में शास्त्रीय संगीतज्ञ गंगूबाई हंगल को श्रृद्धान्जलि दी गई। रफ़ी साहब को भी उनकी पुण्य तिथि पर याद किया गया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा 22 जुलाई का पूर्ण सूर्यग्रहण और चन्द्रमा पर पहुँचने के चालीस वर्षों के अवसर पर खगोल शास्त्र से महत्वपूर्ण जानकारी। इसके अलावा हमेशा की तरह विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश की सूचना भी दी गई।
सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में कमर के दर्द जैसी आम बीमारी के संबंध में डा राजन बेलगाँवकर जी से राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी की ख़ास बातचीत सुनवाई गई। विस्तार से अच्छी जानकारी दी गई कि कई बार पीठ के दर्द को कमर का दर्द समझ लिया जाता है। ऐसी ही कई छोटी-छोटी ग़लतफ़हमियाँ है जिससे ठीक से हम इलाज नहीं करवा पाते है। ऐसे ही कार्यक्रमों से इस तरह की बातें स्पष्ट होती है। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेता प्रेम चोपड़ा से बातचीत की पहली कड़ी प्रसारित हुई. अभिनय क्षेत्र की यात्रा का आरंभ विस्तार से बताया कि कैसे कालेज के दिनों से यह यात्रा शुरू हुई। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई। श्रोताओं की पसन्द के नए पुराने गीत सुनवाए गए।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद सप्ताह भर फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम में फायर क्लब जैसी नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
7 बजे जयमाला में शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया गायक अभिजीत ने। खुद के बारे में भी बताया और साथी कलाकारों के बारे में भी और लोकप्रिय गीत सुनवाए। सोमवार से एस एम एस द्वारा भेजी गई फ़ौजी भाइयों की फ़रमाइश पर गीत सुनवाए गए। गाने नए और पुराने दोनों ही सुनवाए जा रहे है जैसे नई फ़िल्म बंटी और बबली और पुरानी फ़िल्म दोस्ती का यह गीत -
जाने वालों ज़रा मुड़ के देखो इधर
नए गानों के लिए कुछ अधिक ही संदेश आ रहे है।
7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत कार्यक्रम में इस बार ख़ासी और डोगरी लोकगीत सुनवाए गए। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में निम्मी (मिश्रा) जी और कमल (शर्मा) जी आए। कुछ कार्यक्रमों जैसे गाने सुहाने के बंद होने की शिकायत की. कुछ पत्र ठीक से सुनाई नही देने की तकनीकी शिकायत के भी थे. कोई विशेष पत्र नहीं रहा पर श्रोताओं के पत्रों के उत्तर में एक विशेष जानकारी दी गई कि 31 जुलाई को रफ़ी साहब की याद में कुछ ख़ास होने वाला है। मंगलवार को सुनवाई गई फ़िल्मी क़व्वालियाँ जिसमें यह क़व्वाली सुन कर मज़ा आ गया -
शरमा के ये क्यूँ सब पर्दा नशीं आँचल को सँवारा करते है
कुछ ऐसे नज़र वाले भी है जो छुप-छुप के नज़ारा करते है
बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान के परियोजना अधिकरी डा जगदीश जी से बातचीत सुनवाई गई। इस बार बातचीत कुछ विषैली प्रजातियों पर हुई। राग-अनुराग में रविवार और गुरूवार को विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुनवाए। गुरूवrर को एक ही राग दरबारी पर आधारित गीत सुनवाए गए जैसे मुकेश का गाया आवारा फ़िल्म का यह गीत -
हम तुझसे मुहब्बत करके सनम रोते भी रहे हँसते भी रहे
8 बजे हवामहल में नाटिकाएँ सुनी जिनमें से अच्छी लगी झलकी - दरवाजे खुल गए
9 बजे गुलदस्ता में गजले और गीत सुनवाए गए।
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में आन मिलो सजना, राँकी, दो रास्ते जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में अभिनेता शम्मी कपूर से बातचीत की अगली कडी प्रसारित हुई। संगीतकार रोशन को याद किया गया, ख़ासकर उनके क़व्वाली तैयार करने के अंदाज़ को।
10 बजे छाया गीत में सप्ताह भर लोकप्रिय गीत सुनने को मिले लेकिन विषय और प्रस्तुति में कुछ नयापन नहीं लगा। निम्मी जी पुराने गीत ही सुनवाती रही जैसे मुबारक बेगम की आवाज़ में - बेमुरव्वत बेवफ़ा… वाकई छाया गीत श्रोताओं के लिए ऐसा ही होता जा रहा है।
10:30 बजे से श्रोताओं की फ़रमाइश पर लोकप्रिय गीत सुनवाए गए। 11 बजे समाचार के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।
Wednesday, July 29, 2009
विविध भारती के श्रोताओं के लिये खुश खबरी
कुछ दिनों पहले संगीत सरिता में एक कार्यक्रम आया था जिसमें एक राग की दूसरे राग की परछाई के बारे में बारे में बताया जाता था, इस कार्यक्रम के बाद हिन्दुस्तानी शैली और कर्नाटक शैली में समानताओं और रूद्र वीणा जैसे कई कार्यक्रम आये पर वैसा आनन्द नहीं मिल पाया जैसा छाया राग वाले कार्यक्रम में पाया था।
आज सुबह एक बार फिर वि.भा. ने खुश कर दिया क्यों कि आज से सुप्रसिद्ध फिल्म संगीतकार स्व. मदनमोहन जी द्वारा संगीतबद्ध गीतों में शास्त्रीय संगीत पर चर्चा की गई, आज पहली ही कड़ी में मेरा पसंदीदा गीत दुखियारे नैना ढूंढे पिया को निशदिन करे पुकार सुनाया... जो कि राग गौड़ सारंग में ढला हुआ है। सच इस गीत को सुबह सुबह सुनकर आनन्द आ गया, कई घंटों तक खुमारी बनी रही।
आपने यह गीत सुना कि नहीं? अगर नहीं तो आईये हमने कुछ दिनों पहले ही महफिल पर इस गीत को सुनाया था..
दुखियारे नैना ढंढे पिया को: मदनमोहन जी द्वारा संगीतबद्ध सुन्दर गीत
आप मित्रों से अनुरोध है कि अगर किसी के पास इस कार्यक्रम को रिकॉर्ड करने की सुविधा हो तो इसे रिकॉर्ड करे ताकि हम इसे बाद में रेडियोनामा पर और मित्रों को भी सुना सके।
धन्यवाद
Tuesday, July 28, 2009
यादें: हल्लो आपके अनुरोध पर
|
इस पोस्ट को रेडियोनामा पर चढ़ाने पहेले आज की स्व. महमद रफ़ी साहबको श्रद्धांजली के रूपमें अन्नपूर्णाजी की नियमीत पोस्ट पर फिल्म दुनिया के गाने की याद को पढ़ा । इस लिये बधाई । और गंगुबाई हंगल की पोस्ट भी पढ़ी और इस पर सुरत निवासी कवी हास्य कलाकार श्री अलबेलाखत्री की टिपणी भी पढ़ी जिनको सुरत के दो छोटे कार्यक्रममें सुननेका सुनहरी मौका मिला है, हालाकि वे बड़े बड़े मंचों के व्यस्त कलाकार है । उनसे आशा है कि रेडियोनामा की टिपणीमें पोस्ट के बारेमें भी अपनी राय देते रहेंगे और उसके साथ कुछ कुछ अपनी बात लिखेंगे ।
पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत-395001.
रफ़ी साहब की आवाज़ में फ़लसफ़ा प्यार का
फ़िल्म का नाम है - दुनिया। यह फ़िल्म 1968 के आसपास रिलीज़ हुई थी। इसमें मुख्य भूमिकाओं मे है देव आनन्द और वैजन्तीमाला। इस फ़िल्म में रफ़ी साहब का गाया यह गीत है जो कभी रेडियो के विभिन्न केन्द्रों से बहुत सुनवाया जाता था। गीत के जो बोल मुझे याद आ रहे है वो इस तरह है -
फ़लसफ़ा प्यार का तुम क्या जानो
तुमने कभी प्यार न किया
तुमने इंतेज़ार न किया
प्यार शीरीं ने किया प्यार ही लैला ने किया
प्यार राधा ने किया प्यार ही मीरा ने किया
प्यार हर रस्म ------------
--------------------
प्यार वो शय है -------
------------------------
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
Thursday, July 23, 2009
गंगू बाई हँगल का जाना और संगीत सरिता का निर्बाध गति से बहना
विविध भारती के शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम अनुरंजनि में तो हम कलाकारों के केवल गायन और वादन ही सुन पाते है पर संगीत सरिता ही अकेला ऐसा कार्यक्रम है जहाँ कलाकारों का पूरा परिचय मिलता है जैसे उनका जीवन, उनकी शिक्षा, उनकी संगीत यात्रा और उनकी उपलब्धियाँ। इतना ही नहीं यहाँ आकर कलाकार अन्य कलाकारों के प्रति भी अपने विचार बताते है। सीधी सी बात है कि इस कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत की जानकारी के अलावा इस जगत की हस्तियों के बारे में भी जानकारी मिलती है और यह सब रोज़मर्रा के कार्यक्रम में शामिल है ऐसे में किसी कलाकार के गुज़र जाने की चर्चा तक न हो तो अजीब लगता है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ। दरअसल इस तरह की चर्चा या समाचार इस कार्यक्रम में हमने कभी सुना ही नहीं। कुछ समय पहले उस्ताद बिस्मिला खाँ के बारे में भी कोई समाचार नहीं दिया गया था। इस बार भी वही हुआ। शाम में और रात में समाचारों मे देखते सुनते रहे अगले दिन सुबह संगीत सरिता कार्यक्रम शुरू हुआ रोज़ के अंदाज़ में और श्रृंखला रूद्र वीणा की अगली कड़ी प्रसारित हुई। कम से कम कार्यक्रम शुरू करने से पहले उदघोषणा में इतना तो कहा होता कि इस जगत की एक हस्ती गंगूबाई हँगल अब नहीं रही जबकि भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम में यह भी बताया उदघोषक ने कि इस समय सूर्य ग्रहण है। ऐसी कई छोटी-बड़ी बातें होती है जो कार्यक्रम के दौरान बताई जाती है पर संगीत सरिता में ऐसी महत्वपूर्ण बात भी क्यों नहीं बताई जाती ? एक दिन का एक अंक उस कलाकार को क्यों समर्पित नहीं किया जा सकता ? आखिर यह एकमात्र कार्यक्रम है। यही पर उस कलाकार से संबंधित उचित जानकारी मिल सकती है।
Tuesday, July 21, 2009
एक बरख़ा गीत जिस ने दो कलाकारों से परिचय कराया
आज जिस फ़िल्म के गीत की हम चर्चा कर रहे है वो फ़िल्म वर्ष १९७२ के आसपास रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म ने दो कलाकारों से परिचय कराया - जया भादुड़ी (बच्चन) और वाणी जयराम। जी हाँ, फ़िल्म है - गुड्डी
पहली बार नायिका बन कर जया जी दर्शकों के सामने आई और अपने नायिका रूप में जो पहला गीत पर्दे पर गाया उसे आवाज़ दी वाणी जयराम ने जिनकी आवाज़ पहली बार सुनी हिन्दी सिनेमा के दर्शकों ने।
दक्षिण से आई यह गायिका दक्षिण में भी नई ही थी। वहाँ भी लोकप्रिय होने ही लगी थी कि तभी इस गीत को गाने का मौका मिला। इसीलिए यह गीत दक्षिण में बहुत-बहुत लोकप्रिय हुआ। उस समय स्कूल कालेज की लड़कियाँ ख़ासकर दक्षिण भारतीय लड़कियाँ इस गीत को बहुत गाती थी। यहाँ तक कि सांस्कृतिक समारोहों में प्रतियोगिताओं में यह गीत बहुत गाया जाता।
वैसे यह फ़िल्म और यह गीत देश भर में लोकप्रिय रहा। गुलज़ार के लिखे बोलों को हल्के से शास्त्रीय पुट के साथ वसन्त देसाई ने सुरों में ढाला। रेडियो से जब भी सुनते लगता था पपीहे की गूँज आषाढ के मेघ और सावन की झड़ी सब वातावरण में फैल गए हो। सभी केन्द्रों से बहुत सुनवाया जाता था यह गीत पर अब तो लम्बे समय से सुना नहीं।
जितना मुझे याद आ रहा है यह गीत वो इस तरह है -
बोले रे पपीहरा
पपीहरा
बोले रे पपी ईईईई… हरा
पलकों पर एक बूँद सजाए
मैं चीखूँ सावन ले जाए
जाए मिले --------------
एक मन प्यासा एक घन बरसे
ए ए ए ए ए ए ए ए
बोले रे पपी ईईईई… हरा आ आ आ आ
बोले रे पपीहरा
पपीहरा
बोले रे पपी ईईईई… हरा
सावन तो संदेशा लाए
मेरी आँख से मोती पाए
जाए मिले --------------
एक मन प्यासा एक घन बरसे
ए ए ए ए ए ए ए ए
बोले रे पपी ईईईई… हरा आ आ आ आ
बोले रे पपीहरा
पपीहरा
बोले रे पपी ईईईई… हरा
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
Friday, July 17, 2009
साप्ताहिकी 16-7-09
सुबह 6 बजे समाचार के बाद चिंतन में स्वामी रामतीर्थ, स्वरूपानन्द, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू जैसे महर्षियों के कथन बताए गए। वन्दनवार में नए पुराने अच्छे भक्ति गीत सुनवाए गए जैसे यह कीर्तन -
गोविन्द जय जय गोपाल जय जय राधा रमण हरि गोपाल जय जय
लम्बा होने से अक्सर यह कीर्तन पूरा नही सुनवाया जाता। कुछ बहुत पुराने भजन सुनवाए गए।
कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा।
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम में मंगलवार को संगीतकार मदन मोहन को याद किया गया और उनके चुने हुए कुछ कम सुने अच्छे गीत सुनवाए गए जैसे पूजा के फूल फ़िल्म का गीत। लोकप्रिय ग़ज़ल भी रफ़ी साहब की आवाज़ में सुनवाई गई -
कोई साहिल दिल को बहलाता नहीं
7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला राग परछाई समाप्त हुई। नई श्रृंखला आरंभ हुई- समानान्तर रागावली जिसमें हिन्दुस्तानी और कर्नाटक शैली के समान रागों के बारे में बताया जा रहा है जैसे हिन्दुस्तानी संगीत का राग भीमपलासी और कर्नाटक संगीत का राग अघेरी। इस तरह दो-दो रागों की जोडिया बना कर जानकारी दी जा रही है। कर्नाटक संगीत के लिए जानकारी दे रहे है टी एन अशोक और हिन्दुस्तानी संगीत के लिए जानकारी दे रहे है चन्द्रशेखर । जोडी के दोनों रागो की पूरी जानकारी देते हुए दोनों रागो के लिए अलग-अलग बन्दिशे और उसके बाद जुगलबन्दी भी सुनवाई जा रही है। उसके बाद इन रागों पर आधारित फिल्मी गीत और सुगम संगीत भी सुनवाया जा रहा है जैसे राग भीमपलासी और राग अघेरी की चर्चा करते हुए राग भीमपलासी पर आधारित मोहरा फ़िल्म का गीत सुनवाया गया -
तू चीज़ बड़ी है मस्त-मस्त
और राग अघेरी की चर्चा करते हुए सुगम संगीत की एक रचना सुनवाई गई। चर्चा में रहे जोड़ी राग - मारवा और हंसानन्दी, पूर्या कल्याण, पूर्वी कल्याण।
जिस तरह स्कूल-कालेज मे हम एक-एक वर्ष आगे बढते जाते है तो पाठ अधिक कठिन पर अधिक ज्ञान देने वाले होते है उसी तरह संगीत सरिता में भी शिक्षा बढ रही है और ज्ञान भी बढा रही। स्तर बढ भी रहा है और एक-एक अंक सुनने समझने में कठिन भी हो रहा। लेकिन घर बैठे अच्छा ज्ञान बढ रहा है जिसके लिए हम धन्यवाद देना चाहते है काँचन (प्रकाश संगीत) जी को और आभार मानते है महेन्द्र मोदी जी का।
7:45 को त्रिवेणी में प्रकृति की भी बातें हुई, पर्यावरण की भी बात हुई और जीवन और प्रकृति के संबंध की भी बात हुई, नीली छतरी वाले यानि ऊपर वाले को भी याद किया, ग़नीमत यहाँ फ़िल्मी भजन नही सुनवाए। एक बात थोड़ी सी खटक रही है। ऐसा लग रहा है त्रिवेणी के विशाल फ़लक का उपयोग नहीं किया जा रहा। जीवन और प्रकृति के अलावा और भी बहुत है जैसे कभी-कभार टेलीफोन जैसी चीज़ों पर भी बात होती है वैसे ही और भी उपयोगी या ऐश्वर्य की वस्तुएँ है। बहुत से विषय नज़र नही आते हालांकि गीत है जैसे फ़ैशन, चूड़ियाँ, गाड़ी
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने एक ऐसा कार्यक्रम में शुक्रवार को युनूस जी लाए निकाह, लव स्टोरी, इन्तेकाम जैसी लोकप्रिय फिल्मे. शनिवार को मंज़िल, चांदनी जैसी लोकप्रिय फिल्मे रही। सोमवार को प्रेमगीत, मिली जैसी फ़िल्मों के संजीदा गीतों के लिए श्रोताओं ने संदेश भेजे। मंगलवार को वेलकम टू सज्जनपुर जैसी नई फिल्मे रही। बुधवार को सौदागर जैसी नई फिल्मे रही। गुरूवार की फिल्मे रही प्रेमकहानी, आदमी।
1:00 बजे शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम अनुरंजनि में शुक्रवार को शाहिद परवेज का सितार वादन सुनवाया गया। सोमवार को पंडित ओंकारनाथ ठाकुर का गायन सुनवाया गया। मंगलवार को डी अमेल (शायद नाम लिखने में ग़लती हो) का बाँसुरी वादन सुनवाया गया। बुधवार को सविता देवी का उप शास्त्रीय गायन सुनवाया गया।
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में श्रोताओं की फ़रमाइश पर मिले-जुले गीत सुनवाए गए सत्तर के दशक की फिल्म दाग़ का गीत -
मेरे दिल में आज क्या है तू कहे तो मैं बता दूँ
नई फ़िल्म साया का यह गीत -
देखी ये मस्त-मस्त मौसम ये बहार
3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। उत्तर प्रदेश, झाड़खण्ड, महाराष्ट्र के गाँव से फोन आए। इस बार गाँवो कस्बो से कुछ अधिक फोन आए। सुविधाए कुछ कम होने की बात पता चली। एक सखि ने बताया कि गाँव मे सुविधा न होने से वह अधिक पढ नही पाई। घरेलु महिलाओं ने भी बात की और नए पुराने गीतों की फ़रमाइश की जैसे नई फिल्म नसीब का गीत, पुरानी फिल्म शोर का गीत और कुछ समय पहले की फ़िल्म विश्वात्मा का साधना सरगम का गाया गीत -
सात समुन्दर पार मैं तेरे पीछे-पीछे आ गई
सीमा के पास रहनी वाली महिला ने बताया नेपाल के काठमाण्डु के पशुपतिनाथ मन्दिर के बारे मे पर विस्तार से जानकारी नही दी। लगभग सभी ने अपने-अपने क्षेत्र के मौसम की जानकारी दी जिससे पता चला कि देश मे मानसून की स्थिति ठीक ही है।
सोमवार को बारिश के मौसम में छोटे आलू जिन्हें आलू की गोलियाँ भी कहते है जिससे चटपटे आलू बनाना बताया गया। यहाँ हम एक बात बता दे कि यह आलू तो सर्दी के मौसम के है और यह व्यंजन भी। वैसे आजकल सभी सब्जियाँ हर मौसम में मिलती है पर न खाए तो ही ठीक है क्योंकि दवाइयों से उगाया जा रहा है जिससे स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है। मंगलवार को ग्रन्थालय यानि लाइब्रेरी साइंस में करिअर बनाने की जनकारी दी गई। बुधवार को सौन्दर्य विशेषज्ञ रीता भारद्वाज से की गई बातचीत में सौन्दर्य संबंधी जानकारी भी मिली और उपाय भी बताए गए। अच्छा लगा यह अंक।
सखियों की पसन्द पर सप्ताह भर नए पुराने अच्छे गीत सुनवाए गए जैसे साठ के दशक की फिल्म का गीत -
उड़ के पवन के संग चलूँगी मैं भी तिहारे संग चलूँगी रूक जा ऐ हवा
नई फ़िल्म कुछ-कुछ होता है का शीर्षक गीत सुनवाया गया।
3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में भगवती चरण वर्मा के प्रसिद्ध उपन्यास चित्रलेखा का रेडियो नाट्य रूपान्तर सुना जिसके निर्देशक है विजय दीपक छिब्बर।
पिटारा में शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में कलाकार तैय्यब मेहता को श्रृद्धान्जलि दी गई। 22 जुलाई को होने वाले सूर्यग्रहण के बारे में बताया गया। कुछ समाचार खेल जगत - टेनिस जगत से भी रहे। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश की सूचना भी दी गई। अपने आस-पास स्तम्भ में एक ख़ास बताई गई कि मुंबई स्थित आईआईटी में एक सर्वेक्षण जैसा करते हुए छात्रो से पूछने पर लगभग सभी छात्रों ने इस क्षेत्र में दिलचस्पी दिखाई पर विचारणीय बात यह रही कि इस क्षेत्र में अभी तक नोबुल पुरस्कार नहीं मिला पर एक छात्र ने कहा कि उसे अंतरिक्ष विज्ञान में रूचि है और वो एक शैटल डिज़ाइन करना चाहता है। इस पर युनूज़ जी ने संदेश दिया कि सपने देखो तो बड़े सपने देखो। अब हम पूछना चाहते है कि जेम्स वाट ने कौन सा सपना देखा था जो विश्व को रेलगाड़ी की अनुपम सौगात दी। उन्होने तो माँ को चाय बनाते समय भाप की शक्ति से केतली के ढक्कन को ऊपर उठते देखा था। मुझे नही लगता कि कोई सपने देखकर योजना बना कर बड़ा काम कर सकता है। बहुत से युवा सपने देखते है और योजना बनाकर काम भी करते है और सफलताएँ मिल भी जाती है पर किसी काम के लिए ख़ासकर खोज के लिए शायद यही एक रास्ता नहीं है… शायद… खैर युवाओं का यह एक अच्छा कार्यक्रम है इसमें सन्देह नहीं।
शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम पिटारे में पिटारा जिसमें बाईस्कोप की बाते कार्यक्रम में ऊंचे लोग फिल्म की बाते बताई लोकेन्द्र शर्मा जी ने। हमेशा की तरह फ़िल्म से जुड़ी और फ़िल्म निर्माण से जुड़े लोगों के बारे में भी जैसे निर्देशक फ़णी मजूमदार के बारे में। कार्यक्रम सुनते-सुनते मुझे याद आ गए बहुत साल पुराने वो पल जब हमने दूरदर्शन पर यह फ़िल्म देखी थी। जब लोकेन्द्र शर्मा जी ने बताया कि यह फ़िल्म लीक से हटकर है तो मुझे याद आया कि हमारे घर में हम बहुत से लोग बैठ कर यह फ़िल्म देख रहे थे और फ़िल्म समाप्ति पर एक टिप्पणी आई कि यह भी कोई फ़िल्म है एक भी औरत की आवाज़ तक नहीं। सच में, नाटक पर आधारित बनी इस फ़िल्म को देखने से नाटक देखने का आभास होता है। कार्यक्रम में बताई गई बातों से भी यह लगा। सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में बारिश में होने वाली आम बीमारियों के संबंध में डा पंकज के गाँधी से रेणु (बंसल) जी की बातचीत सुनवाई गई। वैसे कई बातें तो सभी जानते है कि सर्दी-ज़ुकाम संक्रमण से होता है पर विस्तार से अच्छी जानकारी दी गई। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेता इरफ़ान खान से बातचीत हुई. अभिनय क्षेत्र की यात्रा को विस्तार से बताया. शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई। श्रोताओं की पसन्द के नए पुराने गीत सुनवाए गए।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद सप्ताह भर फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
7 बजे जयमाला में शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल के लक्ष्मीकान्त जी ने. वास्तव में गीतों की जयमाला बहुत अच्छी लगी। खुद के बारे में भी बताया और साथी कलाकारों के बारे में भी, खुद के और दूसरो के भी लोकप्रिय गीत सुनवाए। उनका बहुत कम सारगर्भित बोलना अच्छा लगा। सोमवार से एस एम एस द्वारा भेजी गई फ़ौजी भाइयों की फ़रमाइश पर गीत सुनवाए गए। गाने नए और पुराने दोनों ही सुनवाए जा रहे है।
7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत कार्यक्रम में इस बार पंजाबी लोकगीत - भंगड़ा, अच्छा लगा। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में निम्मी (मिश्रा) जी और कमल (शर्मा) जी आए। कुछ नियमित तो कुछ नए श्रोताओं के पत्र आए। विभिन्न कार्यक्रमों जैसे सेहतनामा, संगीत सरिता की तारीफ़ की। कुछ फ़रमाइशे भी की गई जैसे रोमांटिक गीत सुनवाने की। कुछ हल्के-फुल्के सुझाव भी रहे जैसे झरोका में ही छायागीत प्रस्तुत करने वाले उदघोषक का नाम बता दें। कोई विशेष पत्र नहीं रहा। मंगलवार को सुनवाई गई क़व्वालियाँ। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में बस कंड्क्टर छाया रविन्द्र से बातचीत की सुनवाई गई। राग-अनुराग में रविवार और गुरूवार को विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुनवाए। गुरूवrर को एक ही राग भैरवी पर आधारित गीत सुनवाए गए।
9 बजे गुलदस्ता में गजले और गीत सुनवाए गए. इन्दिवर का लिखा एक पुराना गीत हेमन्त कुमार की आवाज़ में सुनना अच्छा लगा। बोल कुछ इस तरह है - आँचल से क्यों छोड़ दिया प्यार, बचपन का…
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में उलझन, मुक्कदर का सिकन्दर, दिल दिया दर्द लिया जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए। मंगलवार को संगीतकार मदनमोहन को याद करते हुए अनपढ फ़िल्म के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में अभिनेता शम्मी कपूर से बातचीत की अगली कडी प्रसारित हुई।
10 बजे छाया गीत में लोकप्रिय गीत सुनने को मिले। भाव लगभग वही रहे।
10:30 बजे से श्रोताओं की फ़रमाइश पर लोकप्रिय गीत सुनवाए गए। 11 बजे समाचार के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।
Tuesday, July 14, 2009
दिलराज कौर की आवाज़ में सावन गीत
यह फ़िल्म वर्ष 1977 के आस-पास रिलीज़ हुई थी। फ़िल असफल रही। बहुत ही कम समय के लिए सिनेमाघरों में चल पाई लेकिन यह गीत बहुत लोकप्रिय हुआ। दिलराज कौर की आवाज़ में यह गीत कभी बहुत सुनने को मिलता था। रेडियो के सभी केन्द्र इस गीत को बहुत सुनवाते थे फिर धीरे-धीरे सुनवाना कम होता गया और अब तो एक लम्बा समय हो गया इस गीत को सुने हुए।
इस फ़िल्म के बारे में कलाकारों के बारे में मुझे कोई जानकारी नही है। शायद दिलराज कौर ने पहली बार इसी फ़िल्म के लिए गाया। इस गीत का केवल मुखड़ा मुझे याद है -
सावन आया बादल छाए
मेरे पिया नाही आए
चलूँ वहाँ वो है जहाँ
मोसे रहा नहीं जाए
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
Friday, July 10, 2009
साप्ताहिकी 9-7-09
भजगोविन्दम भजगोविन्दम
कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा।
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम में कुछ अच्छे गीत बहुत दिन बाद सुनवाए गए जैसे -
देखती ही रहो आज दर्पण न तुम
प्यार का ये मूहर्त निकल जाएगा
शनिवार को गीतकार भरत व्यास की पुण्य स्म्रृति पर उन्हें याद किया गया।
7:30 बजे संगीत सरिता में जारी रही श्रृंखला - राग परछाई जिसे प्रस्तुत कर रही है ख्यात गायिका विदुषी मंजरी आलिगाँवकर जिनसे बातचीत कर रहे है राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी। प्रस्तुति है, यह काँचन (प्रकाश संगीत) जी की. इसमें रागों की जोडियों की चर्चा की जा रही है. दो-दो रागों की जोडियों में एक मूल राग है और दूसरा राग इसकी परछाई है. इस सप्ताह चर्चा में रहे रागों की जोडिया है - शुद्ध सारंग - श्याम कल्याण, मिया मल्हार और बहार, तिलक कामोद और देस, कर्नाटक शैली के राग हंस ध्वनी - शंकरा. जोडी के दोनों रागो की पूरी जानकारी देते हुए दोनों रागो के लिए अलग-अलग बन्दिशे और फिल्मी गीत सुनवाए गए जैसे राग बहार पर आधारित गीत -
छम छम नाचत आई बहार
सामान्य जानकारी भी मिली की राग तिलक कामोद में लोकगीत बहुत होते है।
7:45 को त्रिवेणी में जिन्दगी की मंजिल की, सुख-दुःख की बात हुई। जीवन की अलग-अलग परिभाषा की भी चर्चा हुई और गीत भी उचित सुनवाए गए जैसे -
ओ माझी चल
तू चले तो छम छम बाजे लहरों की पायल
सोमवार को बारिश की बाते अच्छी लगी। लगातार बड़ी-बड़ी बाते सुनते रहने के बाद इस तरह की हलकी-फुल्की बाते सुकून देती है। गाने भी बारिश के अच्छे लगे।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने एक ऐसा कार्यक्रम में शुक्रवार को कमल (शर्मा) जी लाए जवानी-दीवानी, दीवार, जिद्दी, इंतेक़ाम जैसी साठ सत्तर के दशक की लोकप्रिय फिल्मे। शनिवार की फिल्मे रही दो रास्ते, पैसा या प्यार. सोमवार को मौसम का असर रहा, फिल्मे भी कुछ ऎसी ही चुनी गई और श्रोताओं ने भी बारिश के गीत सुनने के लिए संदेश भेजे जैसे -
मौसम मौसम लवली मौसम (फिल्म - थोड़ी सी बेवफाई )
मंगलवार की फिल्मे रही - मेरा साया, ताजमहल। गुरूवार की फिल्मे रही लम्हे, ऐतबार। इस सप्ताह नई फिल्मे कम ही ली गई.
1:00 बजे शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम अनुरंजनि में शुक्रवार को भीमसेन जोशी का गायन सुनवाया गया - राग पूर्या धनाश्रयी और भैरवी। शनिवार को अमीर खां का गायन सुनवाया गया। सोमवार को पंडित बृज नारायण का सरोद वादन और वसंत राव देश पाण्डेय का गायन सुनवाया गया। मंगलवार को निर्मला देवी का गायन सुनवाया गया। बुधवार को सुलतान खान का सारंगी वादन सुनवाया गया।
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में श्रोताओं की फ़रमाइश पर मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे साठ के दशक की फिल्म फर्ज का यह गीत -
तुम से ओ हसीना कभी मोहब्बत न मैनें करनी थी
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
अस्सी के दशक की फिल्म लव स्टोरी का गीत -
देखो मैनें देखा है ये एक सपना
फूलों के शहर में है घर अपना
नई फ़िल्म रेफ्यूजी का यह गीत -
ऐसा लगता है अब दिल मेरा खोने को है
3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की रेणु (बंसल) जी ने। इस बार पटना, कश्मीर, महाराष्ट्र से फोन आए। कुछ छात्राओं ने बात की। एक छात्रा ने अपने विषय इतिहास के बारे में बताया। कुछ शिक्षित और कम शिक्षित घरेलु महिलाओं ने भी बात की और नए पुराने गीतों की फ़रमाइश की जैसे पुरानी फिल्म कन्हैया का गीत और नई फिल्म जान तेरे नाम का गीत -
हम लाख छुपाए प्यार मगर
सोमवार को वेबसाईट पर सखियों द्वारा भेजे गए रसोई के नुस्के बताए। इसके अलावा मेथी दाने की सब्जी बनाना बताया गया। मंगलवार का अंक बहुत स्तरीय रहा. इस दिन गुरू पूर्णिमा थी. शुरूवात हुई गुरू वन्दना के श्लोक से जिसे रफी साहब ने फिल्म सिकन्दरे आजम के लिए गाया है। इसके बाद बताई गई सूर्य ग्रहण की बातें. बताया जा रहा है इस माह तीन सूर्य ग्रहण है जिसकी वैज्ञानिक दृष्टि से चर्चा की गई. चूंकि यह कार्यक्रम दूरदराज तक सुना जाता है विशेषकर कम पढी लिखी महिलाए सुनती है जिनके लिए यह उपयोगी होगा. बुधवार को स्वास्थ्य और सौन्दर्य के घरेलु उपाय बताए गए. कुछ जानकारी नई थी जैसे प्याज का रस लगा कर मुहासे दूर किए जा सकते है. एक और बात अच्छी लगी जिसकी कमी बहुत दिन से खल रही थी - गर्भवती महिलाओं और शिशु की देखभाल। जानकारी बहुत सतही रही. विस्तार से इस विषय पर बताने का अनुरोध है. गुरूवार को सफल महिलाओं के बारे में बताया जाता है. इस बार नोबल पुरस्कार प्राप्त स्वीडन की लेखिका सेलमा ओटिरयाना (शायद नाम लिखने में गलती हो) के बारे में बताया गया जो अपाहिज थी. इसके अलावा नोबल पुरस्कार के बारे में भी जानकारी दी कि इसकी शुरूवात एल्फैड नोबल ने की जो साहित्य, विज्ञान और विश्व शान्ति के लिए दिया जाता है. अब तक यह 650 से अधिक को यह पुरस्कार मिल चुका है. एल्फ्रेड नोबल ने 1890 में ही अपनी संपत्ति को इस पुरस्कार के लिए समर्पित कर दिया था.
सखियों की पसन्द पर सप्ताह भर नए पुराने अच्छे गीत सुनवाए गए जैसे पुरानी फिल्म ताजमहल का रफी साहब का गाया बहुत ही खूबसूरत गीत -
जो बात तुझमे है तेरी तस्वीर में नही
नई फ़िल्म कम्पनी का यह गीत सुनवाया गया -
आखो में रहो बाहों में रहो होठो में रहो या दिल में रहो
ये सारे घर है तुम्हारे
और बीच के समय की फिल्म सत्यम शिवम् सुन्दरम का पंडित नरेंद्र शर्मा का लिखा शीर्षक गीत भी सुनवाया।
शनिवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम गीतकार भारत व्यास की पुण्य स्म्रृति में समर्पित किया गया। उनके गीत सुनवाए गए जैसे पिया मिलन की आस, प्यार की प्यास और सती सावित्री का यह गीत -
जीवन डोर तुम्ही संग बांधी
क्या तोडेगे इस बंधन को
जग के तूफां आंधी रे आंधी
3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में नाटक सुना - आरजू ही आरजू। जब भी विविध भारती पर विचारोत्तेजक रचनाओं की बात चली एक नाम सामने आया - रेवती सरन शर्मा। ये नाटक बहुत बड़ी बात सोचने पर मजबूर कर गया कि स्वर्ग पाने की कामना में संसार में हर चीज त्यागना चाहिए तो स्वर्ग पाने की इच्छा को भी क्यों नही त्यागना चाहिए ? निर्देशक है लोकेन्द्र शर्मा जी.
पिटारा में शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में युवा दिलों की धड़कन माइकल जैकसन को श्रृद्धान्जलि दी गई। पहली जुलाई को मनाए जाने वाले डाक्टर्स डे के बारे में बताया गया. विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश की सूचना भी दी गई।
शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम पिटारे में पिटारा जिसमें हास्य व्यंग्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे गद्य और पद्य रचनाए सुनवाई गई, शीर्षक रहा - बात इतनी से बात कुछ भी नही जिसमे रमणीक लाल प्रेम चतुर्वेदी जैसे जाने माने रचनाकारों ने अपनी रचनाए सुनाई। सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में मनोरोग चिकित्सक डा अंजली छाबरिया से राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी की बातचीत सुनवाई गई. पहले ही स्पष्ट किया गया कि मनोवैज्ञानिक और एक डाक्टर दो विभिन्न रास्ते है. एक मन की अवस्था जानकर मनोविश्लेष्ण करता है और दूसरा दवाईयों से इलाज करता है। अच्छी जानकारी मिली। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेता निर्माता निर्देशक टीनू आनंद से बातचीत हुई. सभी बातें बहुत आत्मीयता से बताई. फिल्म क्षेत्र की यात्रा को भी विस्तार से बताया. शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई। श्रोताओं की पसन्द के नए पुराने गीत सुनवाए गए।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद सप्ताह भर फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
7 बजे जयमाला में शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया अभिनेत्री हेमामालिनी ने। पहले ही वाक्य में बताया कि भारतीय संस्क्रृति उनके रोम-रोम में बसी है और पूरा कार्यक्रम उसी अंदाज में प्रस्तुत किया. खुद के और दूसरो के भी लोकप्रिय गीत सुनवाए। सोमवार से एस एम एस द्वारा भेजी गई फ़ौजी भाइयों की फ़रमाइश पर गीत सुनवाए गए। गाने नए और पुराने दोनों ही सुनवाए जा रहे है। नए गीत अधिक ही रहे.
7:45 पर शुक्रवार को देश की प्रमुख बात का असर लोकसंगीत कार्यक्रम पर ही दिखाई दिया। रेल बजट का स्वागत करते हुए रिहाना मिर्जा की आवाज में सुनवाया लोकप्रिय राजस्थानी लोकगीत -
अंजन की सीटी में म्हारो मन डोले
गाडी चला हौले हौले
शनिवार और सोमवार को पत्रावली में निम्मी (मिश्रा) जी और महेन्द्र मोदी जी आए। श्रोताओं ने विभिन्न कार्यक्रमों की तारीफ़ थी। कुछ बाते वेबसाईट से ली गई। कोई विशेष पत्र नहीं रहा। मंगलवार को सुनवाई गई क़व्वालियाँ। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में कास्ट्यूम डिजाइनर लवलीन बेन से बातचीत की अगली कडी सुनवाई गई. राग-अनुराग में रविवार और गुरूवार को विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुनवाए गए।
8 बजे हवामहल में सुनी झलकियाँ - साझे की दुकान, अवशेष (निर्देशक पुरूषोत्तम दारवेकर), विश्व प्रेमी सम्मलेन (रचना मदन मोहन खन्ना निर्देशक दीनानाथ) और विजय दीपक छिब्बर द्वारा तैयार नई झलकी भी सुनी - बिना बांहों का स्वेटर - जिसकी रिकार्डिग की तस्वीरे वेबसाईट पर देखी जा सकती है।
9 बजे गुलदस्ता में गजले और गीत सुनवाए गए.
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में हसते जख्म, पवित्र पापी, खेल खेल में जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में अभिनेता शम्मी कपूर से बातचीत की अगली कडी प्रसारित हुई। 10 बजे छाया गीत में गीत तो बहुत लोकप्रिय सुनवाए गए। एकाध गीत ऐसा भी रहा जो बहुत समय बाद सुना पर प्रस्तुति का अन्दाज़ वही रहा।
10:30 बजे से श्रोताओं की फ़रमाइश पर लोकप्रिय गीत सुनवाए गए। 11 बजे समाचार के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।
Tuesday, July 7, 2009
आगरे का लाला अंग्रेज़ी दुल्हन लाया
रेशमी सलवार कुर्ता जाली का
रूप सहा नही जाए नख़रे वाली का
एक ऐसा ही गीत किस्मत फ़िल्म का है जिसे भी हम बहुत सुनते है। इसमे नायक और नायिका विश्वजीत और बबिता है -
कजरा मोहब्बत वाला अखियों में ऐसा डाला
कजरे ने ले ली मेरी जान हाय रे मैं तेरे कुर्बान
इन दोनों ही गीतों को शमशाद बेगम और आशा भोसले ने गाया है। किस्मत फ़िल्म शायद साठ के दशक के अन्तिम वर्षो में रिलीज हुई थी और इसके शायद एक दो साल पहले ही रिलीज हुई थी फ़िल्म दस लाख।
फ़िल्म दस लाख में भी नायिका बबिता ही है और नायक है संजय। इस फ़िल्म में भी एक ऐसा ही गीत है। यह गीत विविध भारती समेत सभी स्टेशनों से पहले बहुत सुनवाया जाता था पर अब एक लंबा समय हो गया इस गीत को सुने हुए।
ये भी बड़ा मजेदार गीत है इसके अंतरे में मेरे महबूब फ़िल्म के लोकप्रिय गीत के मुखडे की पैरोडी भी है। इसमे आगरे के लाला है ओम प्रकाश और उनकी अन्ग्रेज़ी दुलहनिया है मनोरमा। गीत के जो बोल याद है वो है -
आगरे का लाला अंग्रेज़ी दुल्हन लाया रे
आगरे का लाला
सुबह सुबह उठ कर वो चाय भी बनाए
चाय भी बनाए अपने हाथों से पिलाए
ऐ हुस्न ज़रा जाग तुझे इश्क जगाए (मेरे महबूब की पैरोडी)
दीवाना तेरा लाया है इस टंकी में चाय
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
Sunday, July 5, 2009
युनूस जी की डाँट, HAM रेडियो, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड
- हैम रेडियो पर एक भारतीय व्यवसायिक वेबसाईट http://www.hamradioindia.org/
- आईआईटी कानपुर के सहयोग से सरकारी वेबसाईट http://www.vigyanprasar.gov.in/ham/hamnew.asp
- हैम रेडियो पर केरल की वेबसाईट http://www.naturemagics.com/ham-radio/ham-radio.shtm
- शौकिया रेडियो ऑपरेटरों के लिए एक भारतीय वेबसाईट http://www.indiahams.com/
- भारतीय हैम रेडियो ऑपरेटरों के लिए वेबसाईट http://www.hamradioindia.com/
- हैम रेडियो इंडिया की वेबसाईट http://www.hamradioindia.net/
- अमैच्योर रेडियो सोसायटी ऑफ इंडिया की वेबसाईट http://www.arsi.info/
- भारतीय शौकिया रेडियो ऑपरेटर पर विकिपीडिया पृष्ठ http://en.wikipedia.org/wiki/Amateur_radio_in_India
- विकिपीडिया पर शौकिया रेडियो संबंधित पत्रिकायों की सूची http://en.wikipedia.org/wiki/List_of_amateur_radio_magazines
- सोनिया गांधी VU2SON
- प्रियंका गांधी VU2PGY
- अमिताभ बच्चन VU2AMY
- दयानिधि मारन VU2DMK
- कमल हसन VU2HAS
- कुमार बंगारप्पा VU3KMV
दुनिया के प्रभावशाली कुछ व्यक्तियों की सूची यहाँ , यहाँ तथा यहाँ देखें
एक बात याद की जाये तो भारत के प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय राजीव गांधी, अपने मारे जाने के चंद घंटो पहले भी 'ऑन एयर' थे तथा उनकी आखिरी 'कॉल' विशाखापत्तन्नम से थी। 1994 में राजीव गांधी फाऊँडेशन के सहयोग से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अमैच्योर रेडियो ने राजीव गांधी फाँऊडेशन अमैच्योर रेडियो क्लब की स्थापना की थी जिसे राजीव गांधी का Call Sign, VU2RG दे दिया गया।
Friday, July 3, 2009
साप्ताहिकी 2-7-09
तेरे मंदिर का हूँ दीपक जल रहा
कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा, एकाध गीत लगा पहली बार सुना।
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम में मंगलवार को कल्यानजी (संगीतकार जोडी) को उनके जन्म दिन पर याद किया गया।
जुआरी फिल्म का यह गीत बहुत दिन बाद सुन कर अच्छा लगा -
नींद उड़ जाए तेरी चैन से सोने वाले
ये दुआ मांगते है नैन ये रोने वाले
बुधवार को अधिकतर गीत बहुत ही भूले बिसरे थे, कुछ तो लगा मैनें पहली ही बार सुने।
7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला शुरू हुई - राग परछाई जिसे प्रस्तुत कर रही है ख्यात गायिका विदुषी मंजरी आलिगाँवकर जिनसे बातचीत कर रहे है राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी। इसमें रागों की जोडियों की चर्चा की जा रही है. दो-दो रागों की जोडियों में एक मूल राग है और दूसरा राग इसकी परछाई है. जैसे राग दरबारी कानडा और अटाना. विहाग और नन्द. इन रागों के सुर उनका चलन, आरोह-अवरोह बता कर सामान्य जानकारी दी जा रही है. इन रागों में बंदिशें भी सुनवाई गई जिसमें तबला संगत की है विश्वनाथ शिरोडकर और हारमोनियम पर सीमा शिरोडकर ने। इन रागों पर आधारित फ़िल्में गीत भी सुनवाए गए जैसे मेरा साया फिल्म का गीत -
कोई मतवाला आया मेरे द्वारे
यह काँचन (प्रकाश संगीत) जी की एक शिक्षाप्रद प्रस्तुति है।
7:45 को त्रिवेणी में शुक्रवार की प्रस्तुति बहुत उच्च स्तर की रही जिसमे मन की बात करते हुए उसे आध्यात्मक तक ले जाया गया। जिन्दगी के अंदाज की भी बातें हुई. पर्यावरण की बात हुई और प्रक्रृति से मिलने वाली सीख की भी. गाने भी उचित सुनवाए गए जैसे -
ये पौधे ये पत्ते ये फूल ये हवाए
आलस पर आलेख तो ठीक था पर गानों के साथ सुनने पर पूरा अंक कुछ जम नहीं रहा था।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें फिल्मों के चुनाव में समय सीमा का बंधन नहीं होता। बहुत पुरानी फिल्मों को छोड़ कर पचास के दशक से अब तक की फिल्में शामिल की जाती है और श्रोता भी इस में से चुन कर अच्छे गीतों के लिए संदेश भेजते है जैसे मंगलवार को ज्वैलथीफ, बुधवार को देस परदेस, गुरूवार को राजा जानी, आया सावन झूम जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
1:00 बजे शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम अनुरंजनि में शुक्रवार को अहमद जान थिरकवा और अहमद हुसैन का तबला वादन सुनवाया गया। शनिवार को हीराबाई बडोदकर का गायन सुनवाया गया। सोमवार को गिरिजा देवी का गायन सुनवाया गया। मंगलवार को अभय नारायण का गायन सुनवाया गया। बुधवार को हरी प्रसाद चौरसिया का बाँसुरी वादन सुनवाया गया। गुरूवार को बरकत अली खां की ठुमरी सुनवाई गई।
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में श्रोताओं की फ़रमाइश पर बहुत दिन बाद सुना इश्क पर जोर नहीं फिल्म का यह गीत -
यह दिल दीवाना है दिल तो दीवाना है
दीवाना दिल है ये दिल दीवाना
मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे पुरानी फिल्म भीगी रात का गीत -
दिल जो न कह सका कहने की रात आई
नई फ़िल्म गुरू का यह गीत -
बरसों रे मेघा मेघा बरसों
बारिश का कोसा है
न ना रे न ना रे
3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। इस बार इलाहाबाद, मुंबई जैसे बड़े नगरों से भी फोन आए और उत्तरप्रदेश के जिलों से भी। इस बार अंदाज कुछ-कुछ शायराना रहा, लगता है मौसम का असर है. स्कूल कालेज की कुछ छात्राओं ने बात की। अपनी पढाई के बारे में बताया। नए गीतों की फ़रमाइश की। कुछ घरेलु महिलाओं ने भी बात की और पुराने गीतों की फ़रमाइश की जैसे हम हिन्दुस्तानी फ़िल्म का गीत -
मांझी मेरी किस्मत के जी चाहे जहां ले चल
सोमवार को दालों की टिकिया और मिठाई में मावे का समोसा बनाना बताया गया। मंगलवार को करिअर संबंधी बातें बताई जाती है। इस बार फोटोग्राफी के बारे में बताया गया। बुधवार को स्वास्थ्य और सौन्दर्य के घरेलु उपाय बताए गए जैसे बालों की देखभाल आदि। सखियों की पसन्द पर सप्ताह भर नए पुराने अच्छे गीत सुनवाए गए जैसे दिल एक मंदिर फ़िल्म का यह गीत -
रूक जा रात ठहर जा रे चन्दा
बीते न मिलन की बेला
नई फ़िल्म का यह गीत सुनवाया गया -
मौला मेरे मौला मेरे
इस कार्यक्रम में यह सूचना भी दी गई कि विविध भारती की वेबसाईट पर सखी-सहेली कालम रखा गया है जिस पर सखियाँ अपनी बात रख सकती है और दूसरी सखियों से बात कर सकती है जिसमें से चुनी हुई बातें कार्यक्रम में सुनवाई जाएगी। मैनें सखी-सहेली कार्नर पर क्लिक किया तो बातचीत का कालम जैसा तो नजर नहीं आया जैसा रेडियोनामा पर है. इसीसे मैनें सखिसहेली पर क्लिक कर अपना कमेंट लिखा. अब एक के बाद एक कमेंट तो आ रहे है पर आपसी बातचीत जैसा माहौल नहीं बन रहा है. सभी इस कार्यक्रम पर अपनी टिप्पणी दे रहे है, बस...
शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में आर डी बर्मन को याद किया और उनके स्वरबद्ध किए सदाबहार गीत सुनवाए जैसे कारवा, परिचय फिल्मों के गीत और बहुत अच्छे लगे उनकी इस टीम के गीत - आर डी बर्मन, किशोर कुमार और राजेश खन्ना, इन फिल्मों से - कटी पतंग, मेरे जीवन साथी, बहारों के सपने - वाकई प्यार के जो गीत इस टीम ने दिए वैसे हिन्दी फिल्मों के इतिहास में मिलने मुश्किल है.
3:30 बजे शनिवार को नाट्य तरंग में जयशंकर प्रसाद की कहानी पर आधारित नाटक सुना - आकाश दीप जिसके रूपांतरकार है पंडित नरेंद्र शर्मा और निर्देशक है मुख्तार अहमद। अच्छी शास्त्रीय प्रस्तुति।
पिटारा में शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में खगोल शास्त्र की कुछ बातें बताई गई। शिक्षा के कुछ वेबसाइटों की जानकारी दी गई. विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश की सूचना भी दी गई। खेल जगत की बातें हुई और सरोद वादक उस्ताद अलि अकबर खाँ को नमन किया गया.
शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम पिटारे में पिटारा जिसमें बाइस्कोप की बाते कार्यक्रम में हरियाली और रास्ता फिल्म की बाते बताई गई. कार्यक्रम हमेशा की तरह जानकारी से भरपूर और रोचक रहा. सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में नेत्र रोग विशेषज्ञ डा बलवंत मिस्त्री से बातचीत हुई। अच्छी जानकारी मिली। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर से मिलना अच्छा लगा. बचपन से लेकर अभिनय की शुरूवात से लेकर सभी बातें बहुत आत्मीयता से बताई कि कैसे छोटे से शहर में बचपन बीता और वहीं की सहपाठिनी जो कालेज में भी साथ थी जिससे विवाह किया. व्यक्तिगत बातों के अलावा अभिनय यात्रा को भी विस्तार से बताया. हम तो कहेंगें कि रंगमंच के इस कलाकार का परिचय तो जोरदार ढंग से जनता से कराया था दूरदर्शन ने जब एक धारावाहिक में लोकमान्य तिलक की भुमिका की थी जो उनके ऐतिहासिक मुकदमे पर आधारित था. बाद में फिल्मों में बुरे आदमी की भूमिकाओं में देखा. उनकी पसन्द के सुनवाए गए सभी गाने अच्छे लगे जैसे आराधना फिल्म का गीत -
मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू
शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई। श्रोताओं की पसन्द के नए पुराने गीत सुनवाए गए।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद सप्ताह भर फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
7 बजे जयमाला में शनिवार को गायिका आशा भोंसलें ने प्रस्तुत किया विशेष जयमाला जिसका प्रसारण आर डी बर्मन की स्म्रृति में रहा। खुद के और आर डी बारे में बताया, गीत सुनवाए जो सभी लोकप्रिय गीत है। सोमवार से एस एम एस द्वारा भेजी गई फ़ौजी भाइयों की फ़रमाइश पर गीत सुनवाए गए। गाने नए और पुराने दोनों ही सुनवाए जा रहे है।
7:45 पर शुक्रवार को कश्मीरी, कच्छी लोकगीत सुने पर मजा नहीं आया। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में निम्मी (मिश्रा) जी और महेन्द्र मोदी जी आए। श्रोताओं ने विभिन्न कार्यक्रमों की तारीफ़ थी। इस बार कोई विशेष पत्र नहीं रहा. मंगलवार को सुनवाई गई क़व्वालियाँ। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में कास्ट्यूम डिजाइनर लवलीन बेन से बातचीत की गई। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुनवाए जाते है. गुरूवार को एक ही राग पहाडी पर आधारित गीत सुनवाए गए.
8 बजे हवामहल में इस सप्ताह प्रहसन और हास्य नाटिकाएँ सुनवाई गई जैसे बात बन गई, ख़जाना, अंगूर खट्टे है, कलयुग की सावित्री
9 बजे गुलदस्ता में एक दिन गुलज़ार की रचनाओं से सजा गुलदस्ता अच्छा लगा।
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में जानी मेरा नाम, सरस्वती चन्द्र, अबदुलला, हीर रांझा, राम तेरी गंगा मैली पुरानी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में अभिनेता शम्मी कपूर बांट रहे है अपनी यादें। इस बार याद किया कि कैसे डांस सीखा, वो सभी अदाए जिन के द्वारा आज उन्हें सभी जानते है।
10 बजे छाया गीत में सभी का वही अन्दाज़ रहा। रेनू (बंसल) जी ने प्यार भरे बड़े अच्छे गीत सुनवाए।
10:30 बजे से श्रोताओं की फ़रमाइश पर पुराने और बहुत पुराने लोकप्रिय गीत सुनवाए गए। 11 बजे समाचार के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।