शादी-ब्याह के इस मौसम में याद आ रहा है देवर-भाभी का एक गीत। यह गीत फ़िल्म हीर रांझा का है।
इस नाम से और भी फ़िल्में बनी पर आज हम चर्चा कर रहे है 1972 के आस-आस रिलीज़ हुई इस फ़िल्म की जिसमें हीर रांझा की मुख्य भूमिकाओं में है राजकुमार और प्रिया राजवंश तथा मामा की महत्वपूर्ण भूमिका में है जीवन।
रांझा के ब्याह की बात चलती है तब उसकी छह भाभियाँ उसे छेड़ते हुए गाती है।
इस गीत को जगजीत कौर और शमशाद बेगम के साथ कुछ और गायिकाओं ने भी गाया है जिनके नाम याद नहीं आ रहे। बोल भी ठीक से याद नहीं आ रहे जो याद आ रहे, कुछ इस तरह है बोल -
नाचे अंग में छलके रंग में
लाएगा मेरा देवर
आहा (कोरस)
गोरे गाल वाली
आहा (कोरस)
लंबे बाल वाली
आहा (कोरस)
बांकी चाल वाली
हाय (कोरस)
नाचे अंग में छलके रंग में ओए
छोड़ दो रस्ता मेरा बगिया-बगिया जाऊं मैं
फूल चुरा के कच्ची कलियां चुन कर लाऊं मैं
सेहरा सजाऊँ मैं
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नाचे अंग में छलके रंग में ओए
यह गाना विविध भारती सहित सभी रेडियो स्टेशनों से सुनवाया जाता था। वास्तव में अस्सी के दशक तक और इसके शुरूवाती सालों में भी रेडियो के सभी स्टेशनों से लगभग सभी फ़िल्मों के सभी गीत सुनवाए जाते थे। यह गाने फ़रमाइशी ग़ैर फ़रमाइशी किसी न किसी कार्यक्रम में शामिल हो ही जाते थे। इसीलिए जो रेडियो के नियमित श्रोता है उन्हें सभी गाने याद है चाहे वो गाने उनकी पैदाइश के पहले के ही क्यों न हो। बाद में तो विभिन्न चैनलों पर और विडियो में पुरानी फ़िल्में देखकर गानों और फ़िल्मों की अच्छी जानकारी भी हो गई।
अस्सी के दशक के बीच के वर्षों से पहले दूरदर्शन फिर निजी चैनलों के लोकप्रिय होते जाने से रेडियो स्टेशन भी नए गाने ज्यादा सुनवाने लगे। दूसरा कारण यह भी रहा कि गानों की संख्या लगातार बढती जाने से कुछ गीतों का बजना बन्द होना स्वाभाविक हो गया।
हम जैसे श्रोता जिन्होनें बचपन से ही रेडियो सुना हो, ऐसी उमर से जब गाने भी ठीक से समझ में नहीं आते थे, ऐसे श्रोताओं के लिए बहुत सारे गीतों का याद आना स्वाभाविक है। यह गीत भी उन्हीं में से एक है।
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
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Tuesday, May 12, 2009
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1 comment:
इस दिलकश गीत को सुनवाने के लिए आभार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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