सुबह 6 बजे समाचार के बाद चिंतन में भगवदगीता का कथन, मनीषियों जैसे दिव्यानन्द, शंकराचार्य के विचार बताए गए, वन्दनवार में हर दिन अच्छे भजन सुनवाए गए। इस सप्ताह कुछ पुराने अच्छे भजन भी सुनवाए गए। यह कृष्ण भक्ति गीत बहुत समय बाद सुनवाया गया -
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा
अपना मान टले टल जाए भक्त का मान न टलते देखा
कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा। इस सप्ताह भी अच्छे गीत सुनवाए गए जैसे प्रेमधवन का लिखा यह गीत -
मिलके चलो मिलके चलो
चलो भाई मिलके चलो
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम में इस सप्ताह भी लोकप्रिय गीतों के साथ भूले बिसरे गीत सुनवाए गए। दिल्लगी, भाई-बहन फ़िल्मों के ऐसे गीत सुनवाए गए जो बहुत ही कम बजते है। हर दिन कार्यक्रम का समापन के एल (कुन्दनलाल) सहगल के गाए गीतों से होता रहा।
7:30 बजे संगीत सरिता में कांचन (प्रकाश संगीत) जी द्वारा मंगलवाद्य शहनाई पर तैयार श्रृंखला आरंभ हुई - शहनाई के रंग शहनाई के संग जिसे प्रस्तुत कर रहे है ख़्यात शहनाई वादक कृष्णाराम चौधरी। आपसे बात कर रही है कांचन जी। रागेश्री और बागेश्री रागों से आरंभ किया गया। राग मदमाद सारंग, चन्द्र कौंस, शिवरंजनि पर भी चर्चा हुई। शहनाई वादन भी सुनवाया जा रहा है और फ़िल्मी गीत भी, शुरूवात बहुत ही उचित फ़िल्मी गीत से हुई, शहनाई फ़िल्म का रफ़ी साहब का गाया गीत -
क्या अजब साज़ है ये शहनाई
दो ही सुर का ये खेल सारा है
शहनाई की लंबाई, उसकी बनावट आदि सभी बातें बताई गई जैसे सागौन की लकड़ी से शहनाई बनती है, फूँक से बजने वाले इस वाद्य में सुर कैसे मिलाए जाते है।
7:45 को त्रिवेणी में मौसम की, ॠतुओं की, प्रकृति की बात हुई और सबंधित गीत भी अच्छे सुनवाए गए जैसे ख़ानदान फ़िल्म का यह गीत -
नील गगन पे उड़ते बादल आ आ आ
धूप में जलता खेत हमारा कर दे तू छाया
पर्यावरण की भी चर्चा हुई। वैसे इस सप्ताह यह कार्यक्रम प्रकृति के अधिक करीब रहा। गुरूवार को जल की बातें हुई, नदी सरोवर की बात हुई और दो गीत ऐसे भी शामिल हुए जो बहुत ही कम सुनवाए जाते है शायद… मैनें तो पहली बार सुना पर अंत में फ़िल्मों के नाम नहीं बताए गए। इस कार्यक्रम में कभी फ़िल्मों के नाम बताए जाते है कभी नहीं। मेरा अनुरोध है कि जब ऐसे गीत शामिल हो जो बहुत ही कम बजते हो तब फ़िल्मों के नाम अवश्य बताए।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में मंगलवार को कमल (शर्मा) जी ले आए मेरे जीवन साथी, मिलन जैसी कुछ पुरानी और पुरानी लोकप्रिय फ़िल्में। बुधवार को शहनाज़ (अख़्तरी) जी लाईं साया जैसी नई लोकप्रिय फ़िल्में। गुरूवार को कमल (शर्मा) जी लाए लोकप्रिय फ़िल्में हीरा पन्ना, ज़ंजीर, जानी दुश्मन, लाखों में एक, शोर। हर दिन श्रोताओं ने भी इन फ़िल्मों के लोकप्रिय गीतों के लिए संदेश भेजें।
1:00 बजे शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम अनुरंजनि में गायन प्रस्तुति में शुक्रवार को बड़े ग़ुलाम अलि ख़ाँ का गायन राग केदार, दरबारी, अटाना, भीमपलासी और कामोद में सुनवाया गया। सोमवार को बी वी पलोसकर का गायन सुनवाया गया।
वादन प्रस्तुति में मंगलवार को साहित्य कुमार नाहर का सितार वादन सुनवाया गया। बुधवार को पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का बांसुरी वादन सुनवाया गया। गुरूवार को उस्ताद अमजद अली खाँ का सरोद वादन सुनवाया गया।
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में श्रोताओं ने मिले-जुले गीतों के लिए फ़रमाइश की जैसे साठ के दशक की फ़िल्म गुमनाम का यह गीत -
हमें काले है तो क्या हुआ दिलवाले है
नई फ़िल्म गैंगस्टर का यह गीत -
तू ही मेरी शब है सुबह है तू ही दिन है
बीच के समय की फ़िल्म दोस्ताना का यह गीत -
बने चाहे दुश्मन ज़माना हमारा सलामत रहे दोस्ताना हमारा
3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। इस बार भी अधिकतर छात्राओं ने बात की। एकाध घरेलु सखियों से भी बातचीत हुई। पढाई की, करिअर योजना की बात हुई। इस बार लगा सखियाँ कुछ खुलकर सामने आईं, एकाध सखि ने कुछ गुनगुनाया भी। नए पुराने गाने पसन्द किए गए जैसे कुली नं 1 का गीत तो पुरानी फ़िल्म हमराज़ का गीत -
तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नज़रे लुटाता रहूँ
सोमवार को गर्मियों के लिए ठंडे पेय बनाना बताया गया। मंगलवार को करिअर संबंधी बातें बताई जाती है। इस बार न्यूज़ एडिटर के क्षेत्र की बातें बतायी गई। बुधवार को सौन्दर्य और स्वास्थ्य पर चर्चा में कुछ पुराने नुस्क़े बताए गए कुछ बातें नई रही जैसे हमारी ऊँचाई, वज़न और उमर में संतुलन बनाए रखने की बात। कुल मिलाकर पिछले सप्ताहों से इस सप्ताह बुधवार का अंक ठीक रहा। गुरूवार को सफल महिलाओं की गाथा बताई जाती है। इस बार हिन्दी साहित्यकार शिवानी (गौरा पन्त) के जीवन और उनकी रचनाओं के बारे में बताया गया। सखियों की पसन्द पर सप्ताह भर नए पुराने और बीच के समय के अच्छे गीत सुनवाए गए। शंकर हुसैन फ़िल्म के रफ़ी साहब के गाए इस गीत की फ़रमाइश सखियों ने बहुत दिन बाद की -
कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की
बहुत ख़ूबसूरत मगर साँवली सी
शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे नौ दो ग्यारह फ़िल्म का गीत।
3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में सुनवाया गया नाटक - जाने अनजाने जो आकाशवाणी के जम्मू केन्द्र की भेंट थी।
पिटारा में शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में विश्व संचार दिवस पर विशेष जानकारी दी गई। किताबों की दुनिया स्तम्भ में विभारानी की दो लघु कथाएँ सुनवाई गई और विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश की सूचना दी गई।
शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम सरगम के सितारे जो गीतकार शकील बदायूँनी पर केन्द्रित था। शोध, आलेख और प्रस्तुति यूनूस जी की थी। फली कड़ी सुनवाई गई जिसमें मुशायरों के शायर और फ़िल्मी गीतकार के रूप की जानकारी मिली। सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में होमियोपेथी चिकित्सा पर बातचीत हुई। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में नए अभिनेता विनय से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत सुनवाई गई। अच्छी जानकारी मिली कि विदेशों में अपने कलाकार अपनी कला के प्रति समर्पित है, वहाँ भी अभिनय का प्रशिक्षण देने वाले गुरू है। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई। विभिन्न स्तर के श्रोताओं ने बात की जैसे नौकरीपेशा श्रेणी में कंपाउंडर, छात्र आदि और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद सप्ताह भर फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
7 बजे जयमाला में शनिवार को विविध भारती के संग्रहालय से तीन दशक पुरानी रिकार्डिंग सुनवाई गई, यह है निर्माता निर्देशक शक्ति सामन्त द्वारा प्रस्तुत विशेष जयमाला। अधिकतर गीत खुद की फ़िल्मों के ही सुनवाए। बातें कुछ खुद की रही और कुछ साथियों को याद किया। सप्ताह के शेष दिन नए पुराने गीत सुनवाए गए पर फ़ौजी भाइयों की पसन्द पर नहीं बल्कि विविध भारती की ओर से फ़ौजी भाइयों के लिए यह गीत सुनवाए गए। यह भी बताया गया कि फ़ौजी भाइयों के पत्र आने बन्द हो गए है पर पत्र भेजने के लिए अनुरोध किया जा रहा है।
7:45 पर शुक्रवार को शशि तिवारी और सखियों का गाया बृज लोकगीत बढिया रहा। महेन्द्र कपूर की आवाज़ में डोगरी लोकगीत भी अच्छा लगा। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में निम्मी (मिश्रा) जी और महेन्द्र मोदी जी आए। इस बार भी कुछ कार्यक्रमों की तारीफ़ थी। ख़ास बात यह बताई गई कि फ़ौजी भाइयों के पत्र जयमाला कार्यक्रम के लिए आने बन्द हो गए है जिसका कारण शायद आजकल बढती तकनीकी सुविधाएँ है। मंगलवार को सुनवाई गई फ़िल्मी क़व्वालियाँ। बुधवार को आजकल लोकप्रिय हो रहे धारावाहिक बिदाई की अवनि से मिलना अच्छा लगा। निम्मी (मिश्रा) जी की सहज स्वाभाविक बातचीत रही। प्रीति (अवनि) ने बताया कि कैसे वो बिना संघर्ष के कला की इस दुनिया में आईं। यह जानना अच्छा लगा कि यह बात ग़लत है कि इस क्षेत्र में संघर्ष करके ही प्रवेश किया जा सकता है। बातचीत अच्छी लगी। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने जैसे राग जौनपुरी पर आधारित रफ़ी साहब का गाया यह गीत -
गुज़रे है आज इश्क में हम उस मक़ाम से
नफ़रत सी हो गई है मुहब्बत के नाम से
वैसे राग जौनपुरी आजकल कम ही सुनवाया जा रहा है, संगीत सरिता में तो लम्बा समय बीत गया इसकी चर्चा नहीं हुई।
8 बजे हवामहल में आकर्षक रही धारावाहिक की बढिया प्रस्तुति। कालिदास की रचना मालविकाअग्निमित्र का सीताराम चतुर्वेदी द्वारा किया गया अनुवाद जिसके रेडियो नाट्य रूपान्तरकार और निर्देशक है चिरंजीत। हवामहल में जब भी चिरंजीत का नाम आया, सामान्य हँसने-हँसाने से अलग प्रेरणादायी रचनाओं के साथ आया। यह कृति भी अन्य प्रस्तुतियों की तरह अच्छी बल्कि बहुत अच्छी रही। पूरा माहौल ही गरिमामय हो गया।
9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में मजबूर, रफ़ूचक्कर, कोई मिल गया जैसी नई पुरानी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में निर्माता निर्देशक शक्ति सामन्त से कमल (शर्मा) जी की बातचीत की पहली कड़ी प्रसारित हुई जिसमें आरंभिक संघर्ष की बातें हुई - अशोक कुमार से मुलाक़ात और सहायक निर्देशक स्तर से काम की शुरूवात जबकि मुंबई आए थे अभिनेता बनने का सपना लिए।
10 बजे छाया गीत में शुक्रवार को कमल (शर्मा) जी ने अच्छे गीत सुनवाए, आलेख में तो कोई नई बात नहीं थी। शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने प्यार की दास्तान के गीत सुनवाए। बाकी सब सामान्य रहा।
10:30 बजे से श्रोताओं की फ़रमाइश पर गाने सुनवाए गए जिनमें बीच के समय की फ़िल्मों के गीतों की अधिक फ़रमाइश थी। 11 बजे समाचार के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।
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Friday, May 22, 2009
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