रेडियोनामा: एक गीत रसोई से, सखि सहेली कार्यक्र्म को समर्पित
आदरणिय श्रीमती अन्नपूर्णाजी,
आज मेरी यह पोस्ट आपकी ही श्रेणी के साथ जोड़ रहा हूँ ।
एक समय था जब दो पहर 2.30 पर यादों के झरोखो से नामका पूराने गानों का एक और रोज़ाना कार्यक्रम भूले बीसरे गीत के अलावा होता था । तब उसमें दो गीत समय समय पर प्रसारित होते रहते थे, जिसमें एक था 'चलो झूमके सर पे बांधे कफ़न' जो फिल्म काबूलीख़ान से है और दूसरा जो इस पोस्ट का शिर्षक है, 'सोना सोना क्या करते हो सोने क्या क्यों रोना है' जो फिल्म वीर बालक से है और इस दूसरे गीत के संगीतकार सुप्रसिद्ध पियानो, एकोर्डियन और सोलोवोक्स वादक स्व. केरशी मिस्त्री थे । पहला गाना तो कोई खाश राष्ट्रीय दिन के कोई कार्यक्रममें बहोत ही कम लेकीन प्रसारित जरूर होता है । पर यह दूसरा गाना तो इस कार्यक्रम के साथ ही मेरी यादें बन कर रह गया है । इस के बारेमें श्री युनूसजी को कई साल दो साल पहेले छाया गीत के लिये बता चूका हूँ । हालाकि, मूझे पता है, कि इस तरह के अनुरोध वाले गाने आनेमें देरी होनी स्वाभाविक है । और मेरे बताये दो गाने वे सुमन कल्याणपूरके गाये फिल्म फरेब (2) से ये ज़िंदगी के साथी और फिल्म ब्लेक प्रिन्स से निगाहें ना फ़ेरो प्रस्तूत कर भी चूके है । और दूसरी एक बात की यह वीर बालक वाले गीत को तो करीब तीन साल पहेले हल्लो फ़रमाईश में सुनने की श्री अमरकांतजी से भी मांग की थी पर उस स्थान पर मेरी दूसरे विकल्प वाली फरमाईश श्री रमेश सेठी द्वारा प्रस्तूत की गयी थी और दो साल पहेले जब श्री कमल शर्माजी से इस की चाहना एक और विकल्प के साथ की थी तब उस कार्यक्रम की निर्मात्री डो. उषा गुजराती और सहायक श्री रमेश गोखलेने पूरे का पूरा फोन कोल निकम्मा किया था । इस गीत की याद तो में पहेले हर 2 फ़रवरी और पिछले साल से हर 5 मार्च के दिन के लिये करवाता ही हू । पर केवल निराशा के अलावा कुछ हाथ नहीं आता । इस कोरस गाने की गायिका में एक स्व. गीता दत्त है और अन्य है बी. कमलेश कूमारी जिनका सही नाम जालू भेसानिया है, जिनके धर स्व. केरशी मिस्त्रीजी के साथ दो बार मेरा जाना हुआ है । (मेरी पोस्ट के पूराने पाठक कुछ बात को दोहराने के लिये क्षमा करें) । क्या मोदी साहब और श्री युनूसजी मेरा अनुरोध पूरा करवायेंगे या करेंगे ? मोदी साहब से एक और बिनती है, कि हर मंगल वार विविध भारती की अस्थायी उद्दधोषक श्री मंजू द्विवेदी अंतरालमें श्री अनिल मोहिले की वायोलिन पर बजाई एक 45 आरपीएम एलपी से कोई धून सुनवाती है, वह अन्य सभी एलपी की तरह 33 पर बजा कर ही सुनवाती है तो उनको खुद को या प्रसारण अधिकारी को आज तक उसमें अपने आप सुनते वक्त कुछ अलग सा महसूस नहीं होता है ? इसको आने वाले मंगलवारको 45 आरपीएम पर सुनवाने का प्रबंधन करें । आज रजनीगंधा के शिर्षक गीत की धून 7.15 पर सुनाई थी ।
पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत-395001.
2 comments:
वीर बालक फ़िल्म का नाम मैनें सुना है पर गीत ध्यान में नहीं है। जहाँ तक ये पंक्तियाँ आप बता रहे है - सोना सोना - यह तो हीरो नं 1 फ़िल्म के गीत का मुखड़ा है जिसे करिश्मा कपूर पर फ़िल्माया गया। ऐसा पुराना गीत मुझे ध्यान नहीं है।
मूझे यह गीत भी अपने ख़ायाल में है ही । यह सोना शब्द दोनों में है ।
पियुष महेता ।
Post a Comment
आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।