पीयूष मेहता जी जैसे कुछ सुधी श्रोताओं के अलावा आज पता नहीं कितनों को याद है रेडियो सिलोन का कार्यक्रम - अनोखे बोल
अनोखे बोल फ़िल्मी गीतों का कार्यक्रम था। इसका प्रसारण सुबह नौ या शायद साढे नौ बजे होता था। यह साप्ताहिक कार्यक्रम था। यह कार्यक्रम वास्तव में अनोखा था।
इस कार्यक्रम में ऐसे गीत सुनवाए जाते जिसके बोल अनोखे होते है। अनोखे का मतलब सीधी सादी हिन्दी भाषा के बोल नहीं होते। ऐसे कुछ गीत हिन्दी फ़िल्मों में है जो आप सभी ने बहुत सुने है क्योंकि ये गीत बहुत लोकप्रिय है।
इन गीतों के मुखड़े में या शुरूवात में ऐसे बोल होते है जिनका मतलब समझना भी कठिन होता है और कुछ बोल तो बोलने में भी कठिन है इसीलिए कुछ ऐसे बोलों को मेरे जैसे लोग न बोल पाते है न लिख पाते है। इसीलिए इस तरह के गीतों को गाने वालों की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है।
कुछ ऐसे अनोखे गीत है जिनके बोल मैं लिखने की कोशिश कर रही हूं , हो सकता है लिखने में ग़लती हो और कुछ बोल ऐसे है जिन्हें मैं लिख नहीं पा रही हूं इसीलिए उन गीतों की जानकारी दे रही हूं -
खुल गे दुबा नमा दो, नमा दो
लग के गले ------------- --- ( फ़िल्म दूज का चांद - मन्नाडे)
भाई बत्तूर भाई बत्तूर
अब जाइगें कितनी दूर ( पड़ोसन - लता)
मेरा नाम चिन चू चू
चिन चू चू बबा चिन चू चू (हावड़ा ब्रिज - गीता दत्त्त)
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न मागूं सोना चांदी (बाबी - मन्नाडे)
मुट्टी कोड़ी कवाड़ी हड़ा
प्यार में जो न करना चाहा
वो भी मुझे करना पड़ा ( दो फूल - किशोर, आशा)
ये गीत फ़रमाइशी और ग़ैर फ़रमाइशी गानों के कार्यक्रमों मे विविध भारती, सिलोन और क्षेत्रीय केन्द्रों से सुनते ही रहते है लेकिन सिलोन पर ऐसे ही गीतों के लिए एक कार्यक्रम का होना और उस में सभी ऐसे ही गीत सुनने का मज़ा ही कुछ और था।
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Monday, December 10, 2007
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7 comments:
अन्नपूर्णाजी,
यह कार्यक्रम तो मैं नियमीत सुनता था, जो एक जमानेमें तो रविवार रात्री ८.३० से ८.४५ तक होता था और उसे शिवकूमार ’सरोज’ प्रस्तूत करये थे । बाद में रात्रीके प्रसारणमें कमी होने पर सुबह के प्रसारणमें तबदिल किया गया था । उसके शिर्षक संगीतमें वाद्य संगीत के बाद बीचमें सरोजजी बोलते थे, ’अनोखे बोल’ और उसके बाद इस तरह के बोल बजते थे, ’धुम्बक धुम्बा.... धुम्बक धुम्बा....धुम्बक धुम्बक धम धमाधम धुमक धुमक धम धम्बा.... धुम्बक धुम्बा.... धुम्बक धुम्बा....धुम्बक धुम्ब’ इस तराह के बोल थे उसका शुरूआती व्योवरा ’सरोज’जी कुछ इस प्रकार देते थे, ’इस कार्यक्रममें हम आपको कुछ ऐसे गीत सुनवाते है, जिसमें गीतकारो या संगीतकारोंने कहीं न कहीं अनोखे बोलोंका प्रयोग किया हो’। अब आज अगर देखा जाये तो इस व्याख्या के अंदर कितने फी सदी गाने आयेंगे, जो वास्तवमें अनोखे नहीं पर बेसुरे बोल होते है ।
अन्नपूर्णाजी,
एक और बात इस छोटीसी गलती सुधारना चाहूँगा कि आपने जो फिल्म दो फूल के गीतमें पुरूष गायक का नाम किशोर कूमार बताया है वह गलत है और गायक के रूपमें अभिनेता स्व. मेहमूद थे, और वह इस तरह हुआ था कि, गाना किशोरजीको गाना पूरा तय था, पर उनकी कुछ व्यस्तता की वज़हसे चित्रीकरण के समय पत्रक को ठीक रख़ने के लिये आशाजी के साथ खुद मेहमूदजीने हंगामी रूपसे गाया, इस इरादे के साथ, की बादमें किशोरजी का गाया हुआ तबदिल कर दिया जायेगा । पर जब किशोरजी आये और उन्होंने सुना तो बोले की यही मेहमूदजी की गायकी को ही रखा़ जाये । तब मेहमूदजी ने बोला कि मैंने तो अगडम बगडम गाया है । तह किशोरदा बोले की यही तो उस गाने की व्यूटी है, और उनकी पिठ थप थपा करे शाबाशी दी । इस वाक्या साबित करता है, कि किशोरदा और मेहमूद साहब दोनों उच्च कोटिके कलाकार होते हुए कितने उच्च और उदारदिल इन्सान थे, और एक दूसरे के प्रसंसक थे ।
पियुष महेता
उफ्फ गलती हो गई. यह कार्यक्रम फ़िल्म लीडर का था संगम का नही.
राजेन्द्रजी,
आप दूसरी बार उफ्फ कि जीये । गलती सुधार को दूसरे पोस्ट के अंदर डाल दिया ? कोई बात नहीं मैंने पढ़ लिया । छोटे से मझाक का बूरा मत लगाईएगा । मैं तो हस्व दीर्गकी या अक्षर के नीचे बिन्दीं लगाने या नहीं लगाने की कई गलतीयाँ कर रहा होउँगा ।
पियुष महेता ।
Piyushbhai
One more correction! Bobby song is not by Manna Dey, but Shaikendra singh.
Anokhe Bol was my favorite program too. One song from Babul sung by Shamshad,Talat & Rafi was also played there...Nadikinare.... which had some strange bol.
Jhoomru was another film in this program.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
Dec. 10 2007
हर्षदभाई,
नमस्कार । बोबी के गीत ना मांगु सोना चाँदी की पार्श्वगायको के बारेमें बात अन्नपूर्णाजी की गलत नहीं पर अधूरी है । और आपसे भी वह पूर्ति करने की जगह अधूरी बात ही हूई है, यानि यह मन्ना डे साहब, शैलेन्द्र सिंह और साथियों का कोरस है । पर मेरी पहली नझर दो फूल की बात पर गयी तो दिमागमें यह बात थोडी दब गयी थी और किशोरदा के बारेमें बात थी वह आगे आ गयी ।
पियुष महेता ।
achchhi charchaa chalii !
sabhii ko dhanyavaad !
anapurna
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।