अपने पिछले चिट्ठे में मैनें लोकप्रिय कार्यक्रम एक और अनेक की चर्चा की थी। इस पर पीयूष जी की टिप्पणी आई और मुझे लगा कि शायद एक बार फिर मैं सीलोन के कार्यक्रम सुन सकती हूँ।
पिछले कुछ समय से या कहे कुछ अरसे से मैं सीलोन नही सुन पा रही थी। पहले तो तकनीकी वजह से रेडियो में सेट नहीं हो रहा था फिर आदत ही छूट गई थी।
जब से रेडियोनामा की शुरूवात हुई सीलोन फिर से याद आने लगा। वैसे यादों में तो हमेशा से ही रहा पर अब सुनने की ललक बढ़ने लगी। इसीलिए मैंने पीयूष जी से फ्रीक्वेंसी पूछी और इसी मीटर पर जैसे ही मैंने सेट किया रफी की आवाज़ गूंजी तो लगा मंजिल मिल गई।
गाना समाप्त हुआ तो उदघोषिका की आवाज सुनाई दी पर एक भी शब्द समझ में नहीं आया। इसी तरह से बिना उद्घोषणा सुने एक के बाद एक रफी के गीत हम सुनते रहे। गाइड , यकीन और एक से बढ़ कर एक गीतकार शायर - राजेन्द्र क्रष्ण , हसरत जयपुरी...
खरखराहट तो थी फिर भी आवाज थोडी साफ होने लगी और अंत में सुना - आप सुन रहे थे फिल्मी गीत जिसे रफी की याद में हमने प्रस्तुत किए। फिर कुछ आवाज साफ सुनाई नहीं शायद उदघोषिका ने अपना नाम बताया जो हम सुन नहीं पाए।
अब भी संदेह था कि सीलोन है या नहीं तभी साफ सुना - ये श्री लंका ब्राड कास्टिंग कार्पोरेशन की विदेश सेवा है। अब ये सभा समाप्त होती है।
बहुत-बहुत धन्यवाद पीयूष जी , हमने अपने घर में ये बहुत लंबे समय बाद सुना।
मैनें रेडियो को वैसे ही बंद कर दिया है और उसे केवल सीलोन सुनने के लिए रख दिया है। विविध भारती दूसरे रेडियो से सुनेगे। सीलोन रोज सुनने की कोशिश करेगे और हो सके तो रेडियोनामा पर इस बारे में लिखेगे भी।
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Monday, December 24, 2007
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4 comments:
श्री अन्नपूर्णाजी,
इन दिनो सुबह की सभामें रेडियो श्रीलंका पर उद्दधोषिका सोमवार से शनिवार तक श्रीमती पद्दमिनी परेरा होती है, जो आज भी थी, और आज ७.३० से ९.३० तक फिल्म संगीतके तीन अलग अलग कार्यक्रमोमें स्व. महम्म्द रफीजी की जन्म तारीख़ होने पर सभी गाने उन्ही के प्रस्तूत किये थे । जिसमें ७.३० से ८.०० तक पूरानी फिल्मोका संगीत, ८ से ९.३० तक आपकी पसंद, और ९.०० से ९.३० पर शायद जैसे हर हप्ते होता है, मेरी पसंद (यानि की उद्दधोषक की पसंद) था या फिल्म संगीत का विषेश कार्यक्रम था । पर आप एक बात जरूर बताईएगा, कि आपका रेडियो एनेलोग है या डिजीटल । और डिजीटल है तो किस ब्रान्ड का कोनसा नमूना (मोडेल) है ।
पियुष महेता ।
मेरा रेडियो फिलिप्स है और ये डिजिटल नहीं है.
जब घर में टी वी चालू किया गया तब सीलोन बिल्कुल भी नहीं सुन पाए सिर्फ़ खरखराहट आती रही.
क्या डिजिटल में ऐसा नहीं है तो बताइए डिजिटल रेडियो कौन से ब्रांड का लें.
अन्नपूर्णाजी,
डिजीटल रेडियो सिर्फ़ सही ट्यूनींग की गेरन्टी है और जैसे एनेलोग रेडियोमें ट्यूनींग रेडियो की सूई जरा सी भी खिसक जाने के कारण स्टेशन डिस्ट्रब होता है वैसा डिजीटलमें कभी नहीं होता, पर इससे सही रिसेप्सन की कोई गेरन्टी नहीं मिलती है । वह तो ट्रान्समीटर की शक्ति, हवामान, जैसी वात पर निर्भर है और अगर कोई अन्य ज्यादा शक्तिशाली केन्द्र अपनी सही कम्पसंख्या के अलावा आभासी कम्पसंख्या पर अपनी तकनिकी खामीके कारण अपना प्रसारण करता है,जो हमारी पसंद के केन्द्र की कम्पसंख्या से मेळ खाती है तो हमारा सुनना कोई भी प्रकारके रेडियो पर बिगडने वाला होगा ही होगा, जब तक डी आर एम तकनिक हमारा पसंदगी वाला केन्द्र नहीं अपनायें ।
THE ABOVE coment is written by me. e.i. Piyush Mehta
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