मैनें अपने पिछले चिट्ठों में विविध भारती के कुछ ऐसे कार्यक्रमों की चर्चा की थी जिनका प्रसारण अब बन्द हो गया है। अगर ये कार्यक्रम चालू है भी तो शायद इनका प्रसारण बहुत ही सीमित क्षेत्र तक हो रहा है।
ये कार्यक्रम अपने समय में बहुत ही लोकप्रिय रहे। तो क्यों न विविध भारती की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर इन कार्यक्रमों को दुबारा शुरू किया जाए।
रोज़ 15 मिनट के लिए इन कार्यक्रमों को साप्ताहिक कार्यक्रम की तरह प्रसारित किया जा सकता है। यह 15 मिनट का समय दोपहर में रखा जा सकता है। 12 से 1 बजे तक एक घण्टे के लिए सुहाना सफ़र कार्यक्रम प्रसारित होता है, इसी एक घण्टे में 15 मिनट के लिए ये साप्ताहिक कार्यक्रम रखे जा सकते है -
साज़ और आवाज़ - 15 मिनट में दो फ़िल्मी गीत और इन्हीं गीतों की धुनें किसी साज़ पर
एक और अनेक - एक गायक कलाकार के गीत अन्य गायक कलाकारों के साथ, एक गीतकार और संगीतकार के गीत अन्य संगीतकार या गीतकारों के साथ
स्वर सुधा - किसी राग पर आधारित गायन और वादन। गायन में एक फ़िल्मी गीत और एक ग़ैर फ़िल्मी गीत तथा वादन में यही राग किसी साज़ पर लेकिन फ़िल्मी धुन न हो। राग का केवल नाम ही बताया जाए।
चतुरंग - फ़िल्मी गीतों के अलग-अलग रंग है जैसे - एकल गीत (सोलो), युगल गीत, भजन, ग़ज़ल, समूह गीत, क़व्वाली। इन्हीं में से कोई चार रंग यानी चार तरह के गीत
फ़िल्मी भजन - जिनका प्रसारण पहले सांध्य गीत नाम से शाम में होता था।
उदय गान या वृन्द गान - ग़ैर फ़िल्मी देश भक्ति गीत
ज़रा सोचिए दोपहर में ये सभी कार्यक्रम रोज़ साप्ताहिक कार्यक्रम की तरह 15 मिनट के लिए और शेष 45 मिनट के लिए सुहाना सफ़र सुनवाया जाए तो कितना मज़ा आएगा।
आशा है मेरे इस सुझाव पर विचार होगा…
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Friday, December 28, 2007
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