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Tuesday, June 17, 2008

युवावाणी

युवावाणी यानि युवाओं की वाणी - जैसी आकाशवाणी वैसी ही युवावाणी, अपने स्तर के श्रोताओं का परिपूर्ण संसार।

जहाँ तक मेरी जानकारी है सत्तर के दशक में आकाशवाणी से युवावाणी कार्यक्रम आरंभ हुए। पहले शायद दिल्ली या मुंबई फिर सत्तर के दशक के मध्य तक देश के अधिकांश आकाशवाणी केन्द्रों से इसकी शुरूवात हो गई।

युवावाणी कार्यक्रम युवाओं के लिए युवाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला कार्यक्रम है। लगभग सभी केन्द्रों के कार्यक्रम का ढांचा एक जैसा है जिसमें शायद कुछ फेर-बदल होता रहता है। प्रसारण का समय सप्ताह में एक बार कम से कम तो अधिक से अधिक रोज़ एक घण्टा है जिसमें से आधा घण्टा सुबह और आधा घण्टा शाम में है। कहीं-कहीं शायद पैंतालीस मिनट तक भी रहा।

युवावाणी अंग्रेज़ी और क्षेत्रीय भाषा दोनों में रही और एक के बाद एक भाषाओं में लगातार प्रसारण समय रहा। राज्यों की विशेष स्थिति पर दो से अधिक भाषाओं में भी कार्यक्रम रहे जैसे आकाशवाणी हैदराबाद से अंग्रेज़ी, तेलुगु और उर्दू में रोज़ एक घण्टा और हिन्दी में सप्ताह में आधे घण्टे का प्रसारण।

युवावाणी में क्या नहीं है ? सभी तरह के कार्यक्रम है जैसे रूपक (फ़ीचर) होता है जो किसी भी विषय पर होता है, क्विज़ होता है सामान्य जानकारी बढाने के लिए, वार्ताएँ होती है विभिन्न विषयों पर, कैरियर के लिए उपयोगी बातें बताई जाती है, विभिन्न व्यक्तियों से भेंट वार्ताएँ होती है जिसमें कला और साहित्य से लेकर आईएएस जैसी परीक्षाओं में सफल उम्मीदवारों से भी बातचीत की जाती है।

फ़िल्मी गीत और ग़ैर फ़िल्मी गीत होते है जो नए गाने होते है। सप्ताह में या महीने में एक बार एक कार्यक्रम होता है जिसका शीर्षक अधिकांश केन्द्रों में मेरी पसन्द रहा जिसमें प्रस्तुतकर्ता अपनी पसन्द के गीत सुनवाते है और कुछ गीत के बारे में तो कुछ अपने मन की बात बताते है।

ऐसा ही कार्यक्रम अंग्रेज़ी में भी होता है जिसका शीर्षक है माई काइन्ड आँफ़ म्यूज़िक जिसमें अंग्रेज़ी फ़िल्मी और ग़ैर फ़िल्मी गीत सुनने को मिलते है। इस तरह इसी कार्यक्रम से पाश्चात्य संगीत सुनने को मिलता है। कभी-कभी केवल पाश्चात्य धुनें भी सुनवाई जाती है।

आपमें से बहुतों को याद होगी कम सैपटैम्बर की लोकप्रिय धुन जो कई हिन्दी फ़िल्मों और नाटकों में भी बजती रही।

युवावाणी में नाटकों का भी नियमित प्रसारण होता रहा। इतना ही नहीं कहानियाँ और कविताएँ भी प्रसारित होने से नए कवियों, लेखकों और कलाकारों को भी प्रोत्साहन मिला। इसी कार्यक्रम से कई गायक और संगीतकार उभरे।

2 comments:

डॉ. अजीत कुमार said...

अन्नपूर्णा जी,
हम युवाओं के कार्यक्रम युववाणी से तार्रुफ़ कराने के लिए आपका धन्यवाद.
हमने तो अब तक जितनी भी युववाणी सुनी वो सभी शाम में प्रसारित होते थे. अंग्रेजी में तो अब तक नहीं सुना.
हाँ, एक बात और, "युवावाणी" या "युववाणी"???

annapurna said...

अजीत जी, यहाँ हैदराबाद में हिन्दी और उर्दू के लिए युववाणी कहा जाता पर अंग्रेज़ी में युवावाणी और तेलुगु में हमेशा स्वर का भी दीर्घ उच्चारण होने के कारण युवावाणी ही कहा जाता इसीलिए युवावाणी अधिक लोकप्रिय हो गया है। वैसे यह शब्द अपने आप में ग़लत भी नहीं है।

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